व्यापार
भारत में एआई पर खर्च में 2028 तक होगा 35 प्रतिशत का इजाफा: रिपोर्ट

नई दिल्ली, 15 अप्रैल। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर खर्च भारत में 2028 तक 35 प्रतिशत बढ़कर 9.2 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) द्वारा जारी नए रिसर्च पेपर पर तैयार की गई क्यूलिक की रिपोर्ट में बताया गया कि बढ़ता हुआ खर्च एआई की क्षमता को अधिकतम करने के लिए बेहतर डेटा गुणवत्ता, प्रशासन और क्लाउड माइग्रेशन की आवश्यकता को दिखाता है।
रिपोर्ट में बताया गया कि 51 प्रतिशत भारतीय कंपनियां क्लाउड पर एआई सॉल्यूशंस होस्ट कर रही हैं। हालांकि, खराब गुणवत्ता एक चुनौती बनी हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया कि गुणवत्तापूर्ण डेटा एक बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत में 54 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया में 40 प्रतिशत और आसियान में 40 प्रतिशत और एपीएसी में 50.4 प्रतिशत कंपनियां, इसे चुनौती मानती हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 62 प्रतिशत भारतीय संस्थाओं ने डेटा गवर्नेंस और प्राइवेसी पॉलिसी में सुधार की आवश्यकता को पहचाना है, जबकि 28 प्रतिशत एआई डेटा पूर्वाग्रह की चुनौती जूझ रही थी।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय कंपनियां एआई-तैयार डेटा रणनीतियों को स्थापित करने के लिए डेटा एकीकरण, एमएल प्लेटफॉर्म और एनालिटिक्स में निवेश कर रही हैं।
क्यूलिक के भारत वाइस प्रेसिडेंट वरुण बब्बर ने कहा, “भारतीय संस्थाएं क्लाउड को अपनाने को एआई की सफलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानती हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि एआई आधारित इनोवेशन को बढ़ाने के लिए, व्यवसायों को एक मजबूत, स्केलेबल डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी जो हाई-परफॉर्मेंस एआई एप्लीकेशंस का सपोर्ट करता हो।
‘आईडीसी इन्फोब्रीफ’ की रिपोर्ट में बताया गया कि 36 प्रतिशत एंटरप्राइजेज जेनएआई का उपयोग कर रहे हैं और 46 प्रतिशत 12-24 महीनों के भीतर निवेश की योजना बना रहे हैं।
भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बराबर है और 20 प्रतिशत संस्थाओं के पास एडवांस एआई क्षमताएं हैं, हालांकि देश आसियान से पीछे है, जहां 27 प्रतिशत संस्थाएं इस स्तर तक पहुंच चुकी हैं।
आईडीसी एशिया/पैसिफिक की बिग डेटा एनालिटिक्स, ब्लॉकचेन और वेब3 रिसर्च की एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट दीपिका गिरी ने कहा, “जेनएआई भारत में उद्योगों को बदल रहा है। खुदरा क्षेत्र में अनुपालन से लेकर वित्त में धोखाधड़ी की रोकथाम और मैन्युफैक्चरिंग में पूर्वानुमानित रखरखाव तक में इसका उपयोग किया जा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि इसकी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए, संस्थाओं को विश्वसनीय डेटा, मजबूत प्रशासन और इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे एआई को प्रभावी और जिम्मेदारी से बढ़ाया जा सके।
राष्ट्रीय समाचार
भारत में खुदरा महंगाई दर मार्च में करीब छह वर्षों के निचले स्तर पर पहुंची

नई दिल्ली, 15 अप्रैल। भारत में खुदरा महंगाई दर मार्च में घटकर 3.34 प्रतिशत हो गई है। अगस्त 2019 के बाद खुदरा महंगाई का यह सबसे निचला स्तर है। यह जानकारी सांख्यिकी मंत्रालय ने मंगलवार को दी।
मार्च के दौरान खाद्य महंगाई दर धीमी होकर 2.69 प्रतिशत हो गई। यह नवंबर 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि मार्च 2025 के दौरान हेडलाइन महंगाई और खाद्य महंगाई में मजबूत गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों, अंडों, दालों, मांस और मछली, अनाज और दूध की कीमतों में गिरावट के कारण है।
मार्च में सालाना आधार पर जिन खाद्य उत्पादों की कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट हुई हैं, उनमें अदरक (-38.11 प्रतिशत), टमाटर (-34.96 प्रतिशत), फूलगोभी (-25.99 प्रतिशत), जीरा (-25.86 प्रतिशत) और लहसुन (-25.22 प्रतिशत) शामिल थे।
सालाना आधार पर हाउसिंग महंगाई दर 3.03 प्रतिशत रही है। फरवरी में यह 2.91 प्रतिशत थी।
हाउसिंग इंडेक्स में केवल शहरी क्षेत्र को शामिल किया जाता है।
आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में ईंधन और ऊर्जा महंगाई दर 1.48 प्रतिशत रही है। जबकि शिक्षा महंगाई दर 3.98 प्रतिशत रही है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने पिछले सप्ताह कहा कि देश में खुदरा महंगाई में हाल के महीनों में कमी आ रही है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने 2025-26 के लिए महंगाई के अपने पूर्वानुमान को 4.2 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि खरीफ की मजबूत आवक के साथ-साथ, इससे खाद्य महंगाई दर में स्थायी नरमी आने की उम्मीद है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट महंगाई के आउटलुक के लिए शुभ संकेत है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए और सामान्य मानसून को मानते हुए, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई 4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है, जिसमें पहली तिमाही 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.4 प्रतिशत रह सकती है।
व्यापार
भारत में 2026 तक बनने वाले 70 प्रतिशत मॉल ‘ए प्लस’ कैटेगरी के होंगे: रिपोर्ट

मुंबई, 15 अप्रैल। भारत के रिटेल रियल एस्टेट सेक्टर में बड़ा बदलाव हो रहा है और 2025 एवं 2026 तक बनने वाले 12.3 मिलियन वर्ग फुट नए ग्रेड ए मॉल स्पेस में से 70 प्रतिशत से अधिक सुपीरियर ग्रेड (ए प्लस) के होंगे। यह जानकारी मंगलवार को जारी रिपोर्ट में दी गई।
कुशमैन एंड वेकफील्ड की नई रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव बढ़ती उपभोक्ता आकांक्षाओं, अधिक खर्च और ब्रांडों एवं डेवलपर्स दोनों की रणनीति में बदलाव के कारण हो रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया कि यह नए मॉल बेहतर गुणवत्ता, सेवा और अनुभव प्रदान करेंगे, जो स्पेस के विस्तार करने से लेकर स्टैंडर्ड अपग्रेड होने तक के बदलाव को दर्शाएंगे।
कुशमैन एंड वेकफील्ड के एग्जीक्यूटिव मैनेजिंग डायरेक्टर, सौरभ शतदल ने कहा कि भारत का रिटेल सेक्टर तेजी से बदल रहा है और उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं।
उन्होंने आगे कहा, “आज के खरीदार सोच-समझकर डिजाइन की गई जगहों की तलाश कर रहे हैं और खरीदारी का अनुभव प्रोडक्ट जितना ही महत्वपूर्ण हो गया है। ब्यूटी, वेलनेस, फूड और बेवरेज और एथलीजर जैसी टॉप परफॉर्मेंस कैटेगरी भारतीय रिटेल सेक्टर के इस नए फेस को आकार देने में मदद कर रही हैं।”
सुपीरियर ग्रेड मॉल, जो आमतौर पर जाने-माने डेवलपर्स या संस्थागत निवेशकों के अधीन होते हैं और अपनी हाई ऑक्यूपेंसी रेट (85 प्रतिशत से अधिक), प्रीमियम ब्रांड मिक्स और रिच कस्टमर सर्विसेज के लिए जाने जाते हैं।
मौजूदा समय में, भारत में 61.5 मिलियन स्क्वायर फीट ग्रेड ए मॉल स्पेस हैं, जिसमें से 63 प्रतिशत सुपीरियर ग्रेड के हैं।
इन मॉलों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है, 2019 से औसत किराए में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मौजूदा समय में इन मॉलों में किराया औसतन 315 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति माह है।
दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे जैसे मेट्रो शहर हाई-क्वालिटी वाले रिटेल स्पेस में अग्रणी बने हुए हैं, अकेले दिल्ली-एनसीआर में 21.75 मिलियन वर्ग फुट ग्रेड ए मॉल हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इस बदलाव में भारत के युवा और तेजी से समृद्ध होते मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है। 30 वर्ष से कम आयु के भारतीय उपभोक्ता अधिक प्रीमियम और अनुभव-आधारित खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं।
महाराष्ट्र
सकारात्मक वैश्विक संकेतों से भारतीय शेयर बाजार तेजी के साथ खुला

मुंबई, 15 अप्रैल। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ खुला। सुबह 9:48 पर सेंसेक्स 1,573 अंक या 2.10 प्रतिशत की बढ़त के साथ 76,733 और निफ्टी 482 अंक या 2.12 प्रतिशत की तेजी के साथ 23,311 पर था।
बैंकिंग शेयरों ने तेजी का नेतृत्व किया। निफ्टी बैंक 1,127 अंक या 2.21 प्रतिशत बढ़कर 52,123 पर पहुंच गया।
शुरुआती कारोबार में लार्जकैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी उछाल देखने को मिला। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 832 अंक या 1.65 प्रतिशत बढ़कर 51,333 पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 343 अंक या 2.19 प्रतिशत बढ़कर 16,039 पर पहुंच गया।
लगभग सभी इंडेक्स हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, वित्तीय सेवाएं, मेटल और एनर्जी में सबसे अधिक तेजी के साथ कारोबार हो रहा था।
सेंसेक्स पैक में टाटा मोटर्स, एलएंडटी, एचडीएफसी बैंक, एमएंडएम, अदाणी पोर्ट्स, आईसीआईसीआई बैंक, इंडसइंड बैंक, सन फार्मा, एक्सिस बैंक और बजाज फाइनेंस टॉप गेनर्स थे। बीएसई बेंचमार्क में एकमात्र एचयूएल ही लाल निशान में कारोबार कर रहा था।
च्वाइस ब्रोकिंग के रिसर्च एनालिस्ट मंदार भोजने ने कहा, “सकारात्मक शुरुआत के बाद निफ्टी को 23,000 पर सपोर्ट मिलने की संभावना है, इसके बाद 22,900 और 22,800 पर समर्थन मिलेगा। ऊपर की ओर, 23,200 एक रुकावट के रूप में कार्य कर सकता है, इसके बाद 23,360 और 23,500 होंगे।”
प्रमुख एशियाई बाजारों में खरीदारी देखी गई। टोक्यो, हांगकांग, सियोल और जकार्ता हरे निशान में रहे। अमेरिकी बाजार सोमवार को बढ़त के साथ बंद हुए।
संस्थागत मोर्चे पर, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 11 अप्रैल को लगातार नौवें सत्र के लिए अपनी बिक्री का सिलसिला जारी रखा, और 2,519 करोड़ रुपये के इक्विटी बेचे। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) शुद्ध खरीदार बने रहे, जिन्होंने उसी दिन 3,759 करोड़ रुपये के इक्विटी खरीदे।
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