राजनीति
कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए दलितों के वोटों को बांटना चाहते हैं : मायावती

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बिना नाम लिए हुए भीम आर्मी के प्रमुख व आजाद समाज पार्टी के मुखिया चन्द्रशेखर पर हमला बोला और कहा कि सड़कों पर उतरने से नहीं सत्ता परिवर्तन से संविधान बचेगा। कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए दलितों के वोटों को बांटना चाहते हैं।
मायावती ने लखनऊ में डॉ. भीमराव आम्बेडकर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद का नाम लिए बिना कहा, “कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए दलितों के वोटों को बांटना चाहते हैं। बसपा संविधान बचाने और दलितों पिछड़ों के हक के लिए लड़ रही है। कुछ पार्टियां दलितों, पिछड़ों और वांचितों का वोट लेने के लिए दिखावे के लिए बाबा साहब को याद कर रही हैं। बसपा का लक्ष्य बाबा साहब के समता मूलक सोच को जिंदा रखना है। बसपा की चार सरकारों में इसी सोच के आधार पर काम किया गया।”
उन्होंने कहा कि कुछ संगठन बनाकर कुछ लोग बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के मिशन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन चुनाव के बाद ऐसे संगठन न तो घर के रहते हैं, ना घाट के।
बसपा मुखिया ने कहा कि यदि उनके द्वारा दिलाए गए अधिकारों का पूरा लाभ लेना है तो इस वर्ग के लोगों को संगठित होकर काम करना होगा। उन्होंने ही यह बताया था कि सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में इस वर्ग के लोगों को लेनी होगी। इसी का परिणाम रहा कि सूबे में चार बार बसपा की सरकार बनी। इस वर्ग के साथ-साथ मुस्लिमों ने भी बाबा साहब की सोच के प्रति जागरूकता दिखाई।
उन्होंने कहा कि यह कारवां न रुकने वाला है और न झुकने वाला है। पत्थर काट कर खुद रास्ता बनाने वाला है और आगे के रास्ते भी बनाए जाएंगे। मायावती ने कहा कि की विजय का अता पता नहीं और पहले ही विजय यात्रा निकाल रहे सपाइयों का हाल सब ने देख लिया, किस तरह से चंदौली में पुलिस कर्मियों के साथ अभद्रता की गई।
मायावती ने कहा कि बाबा साहब आम्बेडकर ने दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और उपेक्षितों के उत्थान के लिए संघर्ष किया। आज, केंद्र और राज्यों में जातिवादी सरकारों की उदासीनता के कारण उनके द्वारा तैयार किए गए संविधान में उन्हें दिए गए लाभों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। बाबा साहब ने गरीबों के लिए संघर्ष किया। देश के पहले कानून मंत्री बाबा साहब के विचारों का सदैव अनुसरण कर बहुजन समाज पार्टी ने जनहित में ऐतिहासिक काम किये। उन्होंने कहा कि आज जो लोग देश तथा कई राज्यों की सत्ता में बैठे हैं वह सभी लोग बाबा साहब के विरोधी लोग हैं। हमें सत्ता परिवर्तन करना होगा। हम लोग सदैव बाबा साहब की सोच को लगातार आगे बढ़ाएंगे।
उन्होंने दोहराया कि बसपा यूपी और उत्तराखंड में अकेले चुनाव लड़ेगी और 2007 से अधिक मजबूती से सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ ही हम उत्तराखंड में हमारी पार्टी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही पंजाब में हमारी पार्टी का शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन हो गया है।
मायावती ने कहा कि रविवार को चंदौली में एक विधायक ने कानून को अपने हाथ में लिया। यह बेहद शर्मनाक है। जनता जानती है कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में गुंडागर्दी चरम सीमा पर थी, बसपा के शासनकाल में कानून राज चलता था। चाहे आज भाजपा कहे कि उनके राज में कानून राज चल रहा है तो ऐसा कुछ नहीं है, यूपी में ऐसा कोई दिन नहीं जिस दिन छोटी जाति के ऊपर जुलुम न हो।
बसपा मुखिया ने कहा कि कोरोना के नए वेरिएंट पर सभी को मुख्य चुनाव आयोग एवं सरकारों की गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। खासतौर से चुनाव में इस पर ध्यान देना होगा।
महाराष्ट्र
कुर्ला शीतल तालाब पर सीमेंट के खंभे लगाने के खिलाफ भूख हड़ताल

मुंबई: कुर्ला शीतल तालाब के सौंदर्यीकरण के कारण झुग्गियों को छिपाने की कोशिश में स्थानीय झुग्गीवासियों ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी है। छत्रपति शिवाजी महाराज तालाब एक धार्मिक तालाब है और यहां गणपति और देवी का विसर्जन किया जाता है। इस साल तालाब से सटे झुग्गीवासियों को छिपाने के लिए तालाब के किनारे सीमेंट के खंभे लगा दिए गए हैं, जिससे लोगों में गुस्सा है।
इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अजित पवार ग्रुप के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम भापकर ने भूख हड़ताल शुरू की थी, लेकिन उनकी हालत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल ले जाया गया। लेकिन अब स्थानीय लोग इस भूख हड़ताल में शामिल होने लगे हैं। अब यह भूख हड़ताल क्रमिक भूख हड़ताल में बदल गई है। भूख हड़ताल पर बैठे घनश्याम भापकर का आरोप है कि झुग्गियों को छिपाने के लिए यह काम किया गया है, जबकि अगर कोई दुर्घटना होती है, तो झुग्गियों के निवासियों का बचना मुश्किल हो जाएगा और इससे निवासियों की सुरक्षा भी खतरे में है। इस परियोजना का विरोध जारी है, लेकिन बीएमसी प्रशासन अड़ा हुआ है और काम जारी है, इसीलिए हम लोग भूख हड़ताल पर भी हैं। जब इस मामले को लेकर कुर्ला एल वार्ड के सहायक नगर आयुक्त धनजी हरलेकर से पूछा गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
भापाकर ने आरोप लगाया है कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग इन सीमेंट के खंभों को लेकर चिंतित हैं। यह काम सिर्फ झुग्गियों को छिपाने के लिए किया गया है, जो जनता को मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सांगदेवाड़ी में आग लगती है तो यही वो रास्ता है जहां से लोगों को निकाला जा सकता है, लेकिन इसे भी रोका जा रहा है। भापाकर ने गंभीर आरोप लगाते हुए इसे झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए शीतल झील का रास्ता बंद करने की साजिश बताया है. छत्रपति शिवाजी महाराज झील को बचाने का अभियान शुरू किया गया है और इस संबंध में फिलहाल भूख हड़ताल भी चल रही है
महाराष्ट्र
कसारा रेल दुर्घटना: मीडिया को आम मुद्दों में कोई दिलचस्पी नहीं: राज ठाकरे

मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने मुंब्रा-दिवा रेल हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि रेलवे से यात्रा करना सबसे कठिन काम है। शाम के समय प्लेटफॉर्म पर इतनी भीड़ होती है कि ट्रेनों में चढ़ना मुश्किल होता है। इसके बावजूद यात्री रेलवे से यात्रा करते हैं। शहरों में कोई प्लानिंग नहीं है। यही वजह है कि रेलवे की हालत खस्ता है। आए दिन रेलवे से यात्रा करने वालों के साथ दुर्घटनाएं होती रहती हैं। शहरों में विकास परियोजनाओं के नाम पर सिर्फ गगनचुंबी इमारतें बन रही हैं, जिनमें पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। ट्रैफिक की समस्या जस की तस है। मुंबई और पुणे में ट्रैफिक की समस्या बेहद चिंताजनक है। रेलवे पर यात्रियों का बोझ बढ़ गया है। रेलवे में मुंबई के लोगों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। यात्रियों की हालत खराब है, लेकिन मीडिया को इन समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे कब साथ आएंगे, इसकी खबर चलाने की बजाय अगर उन्होंने सरकार का ध्यान इन समस्याओं की ओर दिलाया होता तो समाधान मिल गया होता। सिर्फ मेट्रो और मोनोरेल से शहरों का विकास नहीं होगा। मेट्रो और मोनोरेल के बावजूद वाहनों का रजिस्ट्रेशन बंद नहीं हुआ है। मेट्रो और मोनोरेल से कौन यात्रा करता है, इसका कोई अध्ययन नहीं हुआ है। सड़कों पर यातायात की समस्या अभी भी बनी हुई है। ऐसे में शहरी समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। मैं रेल मंत्रालय से मांग करता हूं कि इस ओर ध्यान दिया जाए।
महाराष्ट्र
ठाणे: वागले एस्टेट इलाके में कूड़ेदान में भैंस का कटा हुआ सिर मिला; पुलिस ने जांच शुरू की

ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे शहर के एक इलाके में तनाव व्याप्त हो गया, जब कूड़ेदान में एक जानवर का कटा हुआ सिर पाया गया। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। ऐसा संदेह है कि यह सिर भैंस का है।
उन्होंने बताया कि पुलिस रविवार रात वागले एस्टेट क्षेत्र के हजूरी इलाके में पहुंची और तनाव को शांत किया। उन्होंने बताया कि शव के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।
वागले एस्टेट पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक शिवाजी गवारे ने बताया कि रविवार रात कुछ लोगों ने इलाके के एक कूड़ेदान में पशु का कटा हुआ सिर देखा और शोर मचाया।
उन्होंने कहा कि इससे तुरंत भीड़ एकत्र हो गई और तत्काल पुलिस कार्रवाई की मांग उठने लगी।
गवारे ने कहा, “सार्वजनिक अशांति की स्थिति उत्पन्न हो गई, जहां कई लोग एकत्र हुए और पुलिस से आपराधिक मामला दर्ज करने तथा अपराधी को पकड़ने की मांग की।”
उन्होंने कहा, “स्थिति तब बिगड़ गई जब हिंदू संगठनों के कुछ कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को उठाया, विरोध प्रदर्शन किया और जांच की मांग पर अड़े रहे।”
अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने स्थिति को शांत करने के लिए तुरंत कदम उठाए।
वागले एस्टेट पुलिस ने शव को जब्त कर लिया है और उसके नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला में भेज दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच के लिए एक पशु चिकित्सक को भी मौके पर बुलाया गया है।
गवारे ने कहा, “पुलिस विश्लेषण रिपोर्ट का इंतजार कर रही है…हमें संदेह है कि शव भैंस का हो सकता है।”
उन्होंने कहा, “हमने भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने का इरादा), 302 (किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर शब्द आदि बोलना) और 325 (पशु को मारने या अपंग करने की शरारत) तथा महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम-1976 के प्रावधानों के तहत अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।”
उन्होंने बताया कि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है तथा मामले की जांच जारी है।
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