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सुरक्षा एजेंसियों ने महामारी के बीच चीनी जासूसी के प्रयासों की चेतावनी दी
चीन आक्रामक तरीके से साइबर हमलों से लेकर आर्थिक जासूसी के लिए अंदरूनी सूत्रों की भर्ती जैसी कई तरह की रणनीति अपना रहा है। इस संबंध में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी जारी की है।
प्रमुख हितधारकों के बीच प्रसारित विशिष्ट चेतावनी से पता चलता है कि चीनी ऑपरेटर्स न केवल वर्गीकृत अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी की चोरी करने की योजना बना रहे हैं, बल्कि दुनियाभर के सर्वश्रेष्ठ शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को भर्ती करने के लिए भी पहल कर रहे हैं। इनमें विशेष रूप से अमेरिका से विशेषज्ञों की भर्ती किए जाने पर जोर दिया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि उन्होंने नोटिस किया है कि चीन ने व्यापार के रहस्यों (ट्रेड सीक्रेट) तक पहुंच स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अमेरिकियों की भर्ती करके अमेरिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जानकारी चोरी करने का एक आक्रामक कार्यक्रम तय किया है।
अमेरिका के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कई भारतीय वैज्ञानिक बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं। एक शीर्ष सूत्र ने कहा, यह भारत सरकार और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए एक गंभीर मामला है।
सूत्र ने कहा कि चीन हमेशा आर्थिक जासूसी करता है, क्योंकि वह दुनियाभर की शीर्ष कंपनियों द्वारा विकसित अनुसंधान और महंगे डिजाइन को चोरी करता है। सूत्र ने कहा कि यह अनुसंधान और डिजाइन उनके कम लागत वाले विनिर्माण क्षेत्र के अनुरूप होते हैं और यही वजह है कि वह इस आर्थिक जासूसी को अंजाम देता है।
सूत्र ने कहा, “जनवरी की शुरुआत में कई कंपनियों में चीनी साइबर घुसपैठ के प्रयासों के लिए एक चेतावनी भी जारी की गई थी। इन्हीं कंपनियों में भारतीय शोधकर्ता भी काम कर रहे हैं। जासूसी का प्रयास यूएवी प्रौद्योगिकी और कुछ शीर्ष-अंत सैन्य उपकरणों के डिजाइनों को लक्षित करना था।”
सूत्र ने बताया कि ऐसी तकनीकों और डिजाइन को चोरी करने के बाद चीन घरेलू स्तर पर उत्पादन करना शुरू कर देता है और फिर इन्हें सस्ती दरों पर बेचता है। सूत्र ने कहा कि इससे मूल उपकरण निर्माताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
हाल ही में अमेरिका ने चीन को वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में चोरी करने और शिक्षा एवं प्रतिभा की आड़ में शोधकतार्ओं को अमेरिकी प्रयोगशालाओं में भेजने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने यह भी पाया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में नए भर्ती होने वाले युवा छात्र शिक्षा पाने और शोध करने के लिए दुनियाभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश कर रहे हैं।
इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने बोस्टन विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में लेफ्टिनेंट के रूप में स्थिति का खुलासा नहीं करने पर वीजा धोखाधड़ी का आरोप में पकड़ा था।
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि उनके विश्वविद्यालय चीन के वैश्विक जासूसी युद्ध में एक आसान लक्ष्य या सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं।
इस साल जनवरी में अमेरिकी न्याय विभाग ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक प्रमुख शिक्षाविद पर एक चीनी सरकार के कार्यक्रम में उसकी कथित भूमिका को छिपाने का आरोप भी लगाया था।
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दिल्ली ब्लास्ट मामले में बड़ी कार्रवाई, एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में 10 ठिकानों पर की छापेमारी

नई दिल्ली, 1 दिसंबर: दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट मामले में जांच अब और तीव्र हो गई है। सोमवार सुबह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में 10 स्थानों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया। यह छापेमारी पुलवामा, शोपियां और आसपास के कई इलाकों में की गई, जिसका उद्देश्य सबूत जुटाना और ब्लास्ट से जुड़े व्यक्तियों की भूमिका खंगालना है।
जांच एजेंसी ने शोपियां में मुफ्ती इरफान अहमद वागे के घर और पुलवामा में डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. मुअज्जमिल शकील और अमीर राशिद के घरों पर छापे मारे। सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी डिजिटल सबूत, दस्तावेज और किसी तरह की आपत्तिजनक सामग्री की तलाश कर रही है।
शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों की एनआईए हिरासत 10 दिनों के लिए बढ़ा दी। गिरफ्तार चार आरोपियों में डॉ. मुअज्जमिल शकील, डॉ. शहीन सईद, मुफ्ती इरफान अहमद वागे और डॉ. अदील अहमद राथर के नाम शामिल हैं।
अदालत से अनुमति मिलने के बाद सभी आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट से एनआईए मुख्यालय ले जाया गया, जहां उनसे गहन पूछताछ जारी है।
10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास स्थित रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के करीब एक कार अचानक विस्फोट से उड़ गई थी। शाम 6:52 बजे हुए इस धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घटनास्थल पर कारों के मलबे और क्षत-विक्षत शवों से पूरा इलाका दहल गया था।
जांच में सामने आया कि इस हमले को ‘व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क’ ने अंजाम दिया, जिसका संबंध आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से बताया गया। धमाके से पहले ही कई राज्यों में गिरफ्तारियां हो चुकी थीं और ‘इंटरस्टेट मॉड्यूल’ के सुराग मिलने लगे थे।
एनआईए ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। ब्लास्ट वाली कार डॉ. उमर मोहम्मद चला रहा था। ये कार आमिर राशिद अली के नाम रजिस्टर्ड थी, जो अब जांच एजेंसी की कस्टडी में है।
आरोपियों में शामिल डॉ. शकील पुलवामा, डॉ. राथर अनंतनाग, वागे शोपियां और डॉ. शाहीन सईद लखनऊ से ताल्लुक रखता है।इन लोगों ने हमले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई।
वहीं आरोपी जसीर बिलाल वानी ने आतंकवादी को टेक्निकल मदद दी और शोएब ने कथित तौर पर उमर को पनाह दी और ब्लास्ट से कुछ समय पहले लॉजिस्टिक मदद दी, जिन्हें पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है।
एनआईए की लगातार जारी छापेमार कार्रवाई से साफ है कि एजेंसी इस पूरे मॉड्यूल को जड़ों तक तोड़ने के लिए अब और तेज कदम उठा रही है।
अपराध
पंजाब: सीबीआई कोर्ट ने 7.8 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड केस में सात आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई

चंडीगढ़, 29 नवंबर: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कोर्ट ने पंजाब के साहिबजादा अजीत सिंह नगर में 7.8 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड मामले में सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई है।
मामले के मुख्य आरोपियों मनीष जैन और रमेश कुमार जैन को तीन साल की कठोर कारावास (आरआई) और प्रत्येक पर 35,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया, जबकि अन्य आरोपियों रचना जैन, भूपिंदर सिंह, प्रतीपाल सिंह, संजीव कुमार जैन और अनीता जैन को तीन साल की जेल की सजा और प्रत्येक पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
यह मामला 4 नवंबर 2016 को बैंक ऑफ़ बड़ौदा की शिकायत पर दर्ज किया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि मनीष ट्रेडर्स के पार्टनर मनीष जैन, रमेश कुमार जैन और कांता जैन ने बैंक के कुछ अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर 7.83 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया। सीबीआई की जांच में सामने आया कि इस साजिश के तहत बैंक को गलत तरीके से बड़ी राशि का नुकसान पहुंचाया गया।
जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने 28 जून 2017 को इस मामले में सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने सभी सबूतों और गवाहों की सुनवाई के बाद दोषियों को सजा सुनाई।
सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में साजिश के तहत बैंक को हानि पहुंचाना और फर्जीवाड़ा करना आरोपियों का मुख्य उद्देश्य था। अदालत ने मामले की पूरी जांच और चार्जशीट के आधार पर फैसला सुनाया और सभी दोषियों को सजा के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया।
इस मामले में दोषियों को दी गई सजा तीन साल की है, लेकिन जुर्माना और कड़ी निगरानी के कारण आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की संभावना भी बनी हुई है। सीबीआई ने कहा है कि वे भविष्य में भी ऐसे मामलों में सख्त और निष्पक्ष जांच जारी रखेंगे।
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फिल्म निर्देशक कवल शर्मा पर धोखाधड़ी का केस दर्ज, निवेश के बहाने एक्ट्रेस से ठगी का आरोप

मुंबई, 29 नवंबर: भारतीय फिल्म निर्देशक और निर्माता कवल शर्मा पर फिल्मों और वेब सीरीज बनाने के बहाने पैसों की धोखाधड़ी का आरोप लगा है। मुंबई की खार पुलिस ने अभिनेत्री किरण आहूजा से 71.50 लाख रुपए की धोखाधड़ी के आरोप में कवल शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
किरण आहूजा और कवल शर्मा ने एक फिल्म और कई विज्ञापनों में काम किया है। शिकायत में बताया गया कि साल 2016 में किरण आहूजा और निर्माता कवल शर्मा की पहली बार एक दोस्त के जरिए मुलाकात हुई थी। मुलाकात के समय कवल शर्मा ने उन्हें बताया कि वह अंधेरी स्थित फिल्म फार्मिंग एंटरटेनमेंट नेटवर्क इंडिया नामक एक कंपनी चलाते हैं और उन्हें सीरियल में कास्ट करना चाहते हैं। उस वक्त एक्ट्रेस ने मना कर दिया था, लेकिन 7 साल बाद 2023 में दोनों की फिर से एक कार्यक्रम में मुलाकात हुई।
किरण आहूजा ने शिकायत में बताया कि कवल ने एक्ट्रेस को 3 लाख रुपए के निवेश पर अच्छा रिटर्न देने की बात कही। हालांकि उन्होंने मना कर दिया, लेकिन 2024 में कथित तौर पर दोबारा संपर्क में आने के बाद एक्ट्रेस ने कवल के प्रोडक्शन हाउस में बनने वाली वेब सीरीज “लक बाय एक्सचेंज” में 60-70 लाख रुपए निवेश किए, क्योंकि उन्हें पैसा किस्तों में लौटाने का वादा किया गया था। संतोषजनक जानकारी न मिलने के बाद एक्ट्रेस ने पैसे वापस करने की मांग की, लेकिन जो चेक निर्माता की तरफ से दिए गए, वे बाउंस हो गए।
ऐसे में एक्ट्रेस ने परेशान होकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
इससे पहले इसी साल जुलाई में भी हल्द्वानी कोतवाली पुलिस ने चेक बाउंस के मामले में कवल शर्मा को गिरफ्तार किया था। साल 2022 में पैसों की धोखाधड़ी को लेकर हल्द्वानी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 1 साल की सजा और 51.10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद फरार हो गया था। कवल शर्मा ने कई हिंदी फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया है। उन्होंने ‘हीरालाल पन्नालाल,’ ‘गुनाहों का देवता,’ ‘जीते है शान से’ और ‘मर मिटेंगे’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।
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