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सेबी ने साइबर सुरक्षा में चूक के लिए ‘आईसीसीएल’ पर लगाया 5.05 करोड़ रुपये का जुर्माना

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मुंबई, 26 फरवरी। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को साइबर सुरक्षा और सिस्टम ऑडिट से जुड़े नियमों का पालन करने में विफल रहने के लिए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की सहायक कंपनी इंडियन क्लियरिंग कॉरपोरेशन (आईसीसीएल) पर 5.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

सेबी ने दिसंबर 2022 से जुलाई 2023 के बीच आईसीसीएल का निरीक्षण किया और बाद में अक्टूबर 2024 में ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया।

निष्कर्षों की समीक्षा करने के बाद, बाजार नियामक ने आईसीसीएल के संचालन में कई उल्लंघन पाए।

उल्लंघन में एक प्रमुख मुद्दा यह था कि आईसीसीएल ने अपने प्रबंधन या बोर्ड की किसी भी टिप्पणी के बिना सेबी को अपनी नेटवर्क ऑडिट रिपोर्ट पेश की।

नियमों के अनुसार, ऑडिट रिपोर्ट की पहले मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थानों के गवर्निंग बोर्ड द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए और ऑडिट पूरा होने के एक महीने के भीतर सेबी को पेश करने से पहले उनकी प्रतिक्रिया शामिल की जानी चाहिए।

सेबी ने यह भी पाया कि आईसीसीएल ने सॉफ्टवेयर क्लासिफिकेशन सहित आईटी एसेट्स की एक अप-टू-डेट इन्वेंट्री मेंटेन नहीं रखी थी।

हालांकि, आईसीसीएल ने साल में दो बार साइबर ऑडिट किया, लेकिन इन ऑडिट में उठाए गए मुद्दों को समय पर हल नहीं किया गया।

एक और बड़ा उल्लंघन आईसीसीएल की आपदा रिकवरी सिस्टम से जुड़ा था।

सेबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राइमरी डेटा सेंटर (पीडीसी) और आपदा रिकवरी साइट (डीआरएस) के बीच वन-टू-वन मैच की जरूरत होती है, लेकिन आईसीसीएल यह सुनिश्चित करने में विफल रहा।

सेबी के अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण, जी रामर ने आदेश जारी करते समय मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थानों पर डॉ. बिमल जालान समिति की 2010 की रिपोर्ट का हवाला दिया।

नियामक ने आईसीसीएल को 45 दिनों के भीतर जुर्माना भरने का निर्देश दिया।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया, “ये संस्थान (यानी स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी और क्लियरिंग कॉरपोरेशन) देश के वित्तीय विकास के लिए व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण हैं और प्रतिभूति बाजार के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में काम करते हैं। इन संस्थानों को सामूहिक रूप से मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई) के रूप में संदर्भित किया जाता है। इसलिए, वे ‘महत्वपूर्ण आर्थिक इंफ्रास्ट्रक्चर’ हैं। हाल के वित्तीय संकट ने आर्थिक स्थिरता के लिए वित्तीय संस्थानों के महत्व को दिखाया है।”

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सोने की कीमतें इस हफ्ते गिरीं, चांदी 2 लाख रुपए प्रति किलो के पार

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नई दिल्ली, 20 दिसंबर : सोने और चांदी में इस हफ्ते मिलाजुला कारोबार देखने को मिला है। सोने का दाम 931 रुपए प्रति 10 ग्राम कम हुआ है और चांदी की कीमतों में करीब 4,887 रुपए प्रति किलो का इजाफा हुआ है।

इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट सोने का दाम कम होकर 1,31,779 रुपए प्रति 10 ग्राम है, जो कि पिछले हफ्ते इसी दिन 1,32,710 रुपए प्रति 10 ग्राम था। यह दिखाता है कि सोने की कीमतों में बीते एक हफ्ते के दौरान 931 रुपए प्रति 10 ग्राम की कमी हुई है।

22 कैरेट सोने का दाम कम होकर 1,20,710 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया है, जो कि पहले 1,21,562 रुपए था। वहीं, 18 कैरेट सोने की कीमत 99,533 रुपए प्रति 10 ग्राम से कम होकर 98,834 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है।

चांदी की कीमतों में भी तेजी बनी हुई है। चांदी की कीमत एक हफ्ते में 4,887 रुपए बढ़कर 2,00,067 रुपए प्रति किलो हो गई है, जो कि बीते हफ्ते 1,95,180 रुपए प्रति किलो थी।

इस हफ्ते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने और चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। सोना और चांदी का दाम क्रमश: 4,387 डॉलर प्रति औंस और 67.489 डॉलर प्रति औंस थी।

इससे पहले शुक्रवार को सोने की कीमत में 695 रुपए प्रति 10 ग्राम और चांदी की कीमत में 1,053 रुपए प्रति किलो की कमी देखने को मिली है।

एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी ने कहा कि शुक्रवार के सत्र के दौरान सोने ने एक सीमित दायरे में कारोबार किया। इसकी एक वजह डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती थी। बाजार का फोकस आने वाले समय में अमेरिका में घरों की बिक्री के आंकड़े और अन्य आर्थिक आंकड़ों पर होगा। आने वाले समय में सोना 1,31,500 रुपए से लेकर 1,34,000 रुपए की रेंज में रह सकता है।

मौजूदा समय में घरेलू सोने और चांदी की कीमतों में डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू अहम भूमिका निभा रही है। इस कारण आने वाले समय में रुपए की चाल सोने और चांदी की कीमतों में अहम भूमिका निभाएगी।

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बीएसई ने कैश सेगमेंट में 10 करोड़ से अधिक ऑर्डर मैसेज होने पर चार्ज लगाने का दिया प्रस्ताव

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नई दिल्ली, 20 दिसंबर : बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने ब्रोकर स्तर पर प्रतिदिन होने वाले फ्री ऑर्डर मैसेज के लिए 10 करोड़ की सीमा लगाने का प्रस्ताव दिया है।

एक्सचेंज के मुताबिक, इस सीमा से अधिक ऑर्डर मैसेज होने पर चार्ज लिया जाएगा। इसका उद्देश्य ब्रोकर स्तर पर दक्षता से ऑर्डर फ्लो को मैनेज करना है।

बीएसई की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया कि वह ब्रोकर के डेली ऑर्डर मैसेज की संख्या को मॉनिटर करेगी और इसके 10 करोड़ के पार निकलने पर चार्ज लगाएगा।

ऑर्डर मैसेज उस डिजिटल कम्युनिकेशन को कहा जाता है, जिसमें ब्रोकर एक्सचेंज पर खरीद और बिक्री के मैसेज भेजता है।

बीएसई ने बताया कि 10 करोड़ की सीमा पार होने के बाद प्रति नए मैसेज पर 0.0025 का चार्ज लगाया जाएगा, जिसका मतलब यह है कि एक्सचेंज हर अतिरिक्त 10 करोड़ ऑर्डर पर 2.50 रुपए बसूलेगा।

निगरानी के उद्देश्य से, इक्विटी कैश सेगमेंट में ब्रोकर द्वारा दिए गए सभी ऑर्डर संदेशों, जिनमें ऐड, मॉडिफाई और डिलीट ऑर्डर शामिल हैं, को गिना जाएगा, जिसमें ऑड-लॉट ऑर्डर भी शामिल हैं। हालांकि, सेटलमेंट ऑक्शन ऑर्डर को कैलकुलेशन से बाहर रखा जाएगा।

सर्कुलर के मुताबिक, प्रत्येक कैलेंडर माह में ब्रोकर द्वारा सीमा उल्लंघन के पहले मामले में शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन महीने में दूसरी बार ऐसा होने पर शुल्क निर्धारित दरों के मुताबिक वसूला जाएगा।

बीएसई 1 जनवरी, 2026 से ब्रोकरों के साथ दैनिक फाइलें साझा करना शुरू कर देगा, जिनमें कुल ऑर्डर संख्या का विवरण होगा। 15 जनवरी, 2026 से, इन फाइलों में उल्लंघन होने पर लागू शुल्क भी शामिल होंगे। शुल्क प्रतिदिन आधार पर लगाए जाएंगे और नियमित मासिक बिलिंग चक्र के माध्यम से वसूल किए जाएंगे।

इस ढांचे को 1 जनवरी, 2026 से लागू करने का प्रस्ताव है। सुचारू रूप से परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए, कार्यान्वयन के पहले महीने (1-31 जनवरी, 2026) के दौरान कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। प्रस्तावित ढांचे के अनुसार, वास्तविक शुल्क फरवरी 2026 से लागू होंगे।

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अंतरराष्ट्रीय

बांग्लादेश का माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अच्छा संकेत नहीं: शशि थरूर

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नई दिल्ली, 20 दिसंबर : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में जाने-माने मीडिया हाउस पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता जताई। साथ ही, बिगड़ते सुरक्षा हालात के बीच खुलना और राजशाही में भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन में वीजा सेवाओं को जबरन बंद करने की भी निंदा की।

कट्टरपंथी इस्लामी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में अशांति की एक नई लहर देखने को मिली है। हादी 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान चर्चा में आए थे, जिसके कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटना पड़ा था।

इस हत्या के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। ढाका समेत देश के कई हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आई हैं।

इंकलाब मंचो नेता हादी की मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं और भीड़ ने प्रमुख मीडिया संगठनों और बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष विरासत से जुड़ी जगहों को निशाना बनाया है। मीडिया संस्थानों में आगजनी और तोड़फोड़ की खबरों ने देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा कर दी है।

इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि प्रेस पर हमले लोकतांत्रिक मूल्यों की बुनियाद पर हमला हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “बांग्लादेश से आ रही खबरों से मैं बहुत चिंतित हूं। प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों पर टारगेट करके भीड़ के हमले और आगजनी सिर्फ दो मीडिया हाउस पर हमला नहीं हैं। ये प्रेस की आजादी और एक बहुलवादी समाज की नींव पर हमला हैं।”

कांग्रेस सांसद ने सीनियर एडिटर्स समेत पत्रकारों की सुरक्षा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वे एडिटर महफूज अनम और बढ़ते मुश्किल हालात में काम कर रहे दूसरे मीडिया प्रोफेशनल्स की भलाई को लेकर चिंतित हैं।

अशांति के बीच, भारत को सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए बांग्लादेश में दो वीजा एप्लीकेशन सेंटर बंद करने पड़े। राजशाही में ‘जुलाई 36 मंच’ नाम के एक ग्रुप ने भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन की ओर मार्च निकाला। जुलूस डिप्लोमैटिक मिशन की ओर बढ़ा, लेकिन पुलिस के दखल के बाद उसे बीच में ही रोक दिया गया।

खुलना में भी इसी तरह के प्रदर्शनों की खबरें आईं, जिसके बाद अधिकारियों ने दोनों जगहों पर वीजा से जुड़े काम रोक दिए। थरूर ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि सेवाओं को रोकने के दूरगामी परिणाम होंगे।

उन्होंने कहा कि बढ़ते सुरक्षा खतरों के कारण खुलना और राजशाही में भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन में वीजा सेवाओं को जबरन बंद करना एक बड़ा झटका है। इस रुकावट का सीधा असर उन छात्रों, मरीजों और परिवारों पर पड़ रहा है, जिन्हें आखिरकार सीमा पार आने-जाने में सामान्य स्थिति की झलक दिख रही थी।

बांग्लादेश में 12 फरवरी, 2026 को राष्ट्रीय चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में थरूर ने चेतावनी दी कि हिंसा और असहिष्णुता का यह माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

कांग्रेस नेता ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए देश में स्थिरता और लोकतांत्रिक निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कदम भी बताए। निर्णायक कार्रवाई की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “पत्रकारों की सुरक्षा: पत्रकारों को अपने दफ़्तर जलते समय अपनी जान बचाने के लिए घबराए हुए मैसेज पोस्ट नहीं करने चाहिए। भीड़तंत्र को हावी नहीं होने देना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि लोगों के बीच अहम संबंधों को बनाए रखने के लिए डिप्लोमैटिक सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। निशाना बनाई गई एम्बेसी और कॉन्सुलेट को अतिरिक्त सुरक्षा दी जानी चाहिए।

शांति बहाल करने की जरूरत पर जोर देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर देश को लोकतंत्र की किसी भी झलक के साथ इस बदलाव से बचना है, तो भीड़तंत्र की जगह रचनात्मक बातचीत होनी चाहिए। अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस को यह सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व करना चाहिए।

थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश में शांति का महत्व उसकी सीमाओं से कहीं ज्यादा है। पूरे दक्षिण एशिया के लिए देश में स्थिरता बहुत जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि हम शांति की वापसी और एक सुरक्षित माहौल की उम्मीद करते हैं, जहां लोगों की आवाज हिंसा और धमकी से नहीं, बल्कि वोट के जरिए सुनी जाए।

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