राजनीति
स्वर संगम के जरिए दलितों में पैठ बनाने में जुटा संघ, कानपुर आएंगे भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कानपुर में स्वर संगम शिविर चल रहा है। इसके जरिये दलितों में अपनी पैठ बनाने में संघ जुटा हुआ है। इसी क्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत आठ अक्टूबर को इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। साथ ही फूलबाग में वाल्मीकि समाज के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि रहेंगे। लोकसभा और निकाय चुनाव के पहले यह शिविर के कई राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। संघ की ²ष्टि से कानपुर प्रांत में 21 जिले आते हैं। उनके लिए घोष शिविर काफी राजनीतिक मायने रखता है। यहां पर स्वयंसेवकों के साथ छोटी-छोटी बैठकों में मोहन भागवत देश के प्रति उनका ²ष्टिकोण जानेंगे।
अक्टूबर में वाल्मीकि जयंती पर कानपुर में 2 बड़े कार्यक्रम होते हैं। एक फूलबाग में वाल्मीकि विकास परिषद का और दूसरा मोतीझील में केंद्रीय वाल्मीकि मेला उत्सव समिति का होता है। समाज की ओर से संघ प्रमुख मोहन भागवत को ज्ञापन देने की तैयारी है जिसमें प्रमुख मांग वाल्मीकि बस्तियों का स्वामित्व का रहेगा।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस समय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने में जुटे हैं। उधर लालू यादव भी पूरा जोर लगाए हुए हैं। इन सबको देखते हुए भाजपा को एक बार फिर सत्ता दिलाने की कवायद में संघ जुट गया है। इसी कारण भागवत ने अभी मुस्लिम बुद्धिजीवियों से एक बैठक खासा चर्चा में रही। इसके बाद कानपुर में दलितों से मेल-जोल को लेकर चर्चा जोरों पर है।
संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अनुपम ने बताया कि सर संघ चालक नौ अक्तूबर को वाल्मीकि समाज की ओर से नानाराव पार्क में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। 10 अक्तूबर की एसडी कॉलेज प्रांगण में सर्वसमाज को संबोधित करेंगे।
शिविर के प्र्दशनी प्रमुख अजीत अग्रवाल ने प्र्दशनी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र में चार प्रकार के वाद्य बताये हैं। तंतुवाद्य, सुषिर वाद्य, चर्मज वाद्य, घन वाद्य है। इस प्र्दशनी में चारो प्रकार के वाद्ययंत्र का प्र्दशन रहने वाला है। पारम्परिक वाद्ययंत्र- पखावज, बांसुरी, ढोलक, तबला, सितार, तानपुरा, शहनाई आदि। आधुनिक वाद्ययंत्र– गिटार, सैक्सोफोन, इलेक्ट्रॉनिक कीबोर्ड, ट्म्पेट, जांजड्म, कोगा आदि का प्रदर्शन रहेगा। ऐसे भी वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन रहने वाला है, जो विलुप्त प्राय: हो गये हैं, जैसे—मेन्डोलिन, पैर से धौंक कर बजायी जाने वाली हारमोनियम, दिलरूबा, चमेली आदि।
संघ में प्रयोग होने वाले नागांग, तूर्य, प्रणव, वेण, आनक आदि वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन रहेगा। अजीत अग्रवाल ने बताया कि प्रदर्शनी 7 और 8 अक्टूबर को समाज जन के देखने के लिए खुली रहेगी।
प्रांत के 21 जिलों से बालक चयनित होकर आएंगे। उनका प्रदर्शन सर संघचालक के सामने होगा। ये सभी 17 प्रकार के वाद्य यंत्रों का वादन करेंगे। प्रांत के सभी जिलों में 25 सितंबर को संचलन से अंतिम अभ्यास हुआ था। इस अभ्यास के बाद चयनित किए गए वादक ही घोष शिविर में सम्मिलित किए गए हैं।
प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अनुपम के मुताबिक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी शिविर में आ चुके हैं। संघ के अखिल भारतीय सह शारीरिक प्रमुख जगदीश और अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक पूरे समय शिविर में उपस्थित रहेंगे।
राजनीति
कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने हिंदू धर्म को बदनाम किया: विधायक रामकदम

मुंबई, 1 अगस्त। भाजपा विधायक रामकदम ने मालेगांव विस्फोट मामले में बरी हुए आरोपियों को लेकर शुक्रवार को तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने मिडिया से बातचीत में दावा किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ‘भगवा आतंकवाद’ की परिभाषा गढ़कर हिंदू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, न्यायालय ने इन्हें अपने फैसले से जोरदार तमाचा मारा।
विधायक रामकदम ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में रहते हुए हमेशा सनातन धर्म को धूमिल करने की कोशिश की। इन लोगों ने हमेशा से ही सनातन धर्म की गरिमा पर प्रहार किया। साथ ही, साध्वी प्रज्ञा को प्रताड़ित भी किया गया। साजिश के तहत हमारे कई नेताओं का नाम शामिल किया गया।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, संघ के सरसंघचालक का भी नाम शामिल किया गया है। उन पर कई तरह के आरोप लगाए गए। कांग्रेस सनातन धर्म को उभार देने के मकसद से उठ रही आवाजों को दबाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम कांग्रेस के इस ख्वाब को किसी भी कीमत पर मुकम्मल नहीं होने देंगे। सनातन धर्म हमेशा फलीभूत होता रहेगा।
रामकदम ने मालेगांव ब्लास्ट मामले के संदर्भ में आए कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि देर से ही सही, लेकिन आखिर हमें कोर्ट से न्याय मिला और कांग्रेस की उस सोच को भी जोरदार तमाचा लगा है, जिसके तहत उन्होंने सनातन धर्म की गरिमा पर प्रहार करने की कोशिश की थी।
उन्होंने दावा किया कि मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच कर रहे अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि जिस तरह की जांच अधिकारियों की ओर से इस मामले के संदर्भ में की गई है, उससे उनकी भूमिका संदिग्ध नजर आती है। कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश की, मुझे लगता है कि अब ऐसे सभी नेताओं को सामने आना चाहिए। यही नहीं, कांग्रेस को अपने किए को लेकर देश के हिंदू समुदाय से माफी मांगनी चाहिए।
महाराष्ट्र
‘बायकोवर का जातोय?’: विरार-दहानू मुंबई लोकल ट्रेन में पुरुषों के बीच कुश्ती, मुक्के, थप्पड़-मारपीट

मुंबई: सोमवार, 28 जुलाई को विरार-दहानू लोकल ट्रेन में दो व्यक्तियों के बीच मारपीट की एक परेशान करने वाली घटना सामने आई। यह झगड़ा तब शुरू हुआ जब ट्रेन में चढ़ते समय दोनों व्यक्तियों के बीच हाथापाई हो गई, जो बाद में कुश्ती जैसी स्थिति में बदल गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह विवाद तब शुरू हुआ जब वैतरणा और सफाले स्टेशनों के बीच चलती ट्रेन में चढ़ने की कोशिश में दोनों पुरुषों ने एक-दूसरे को धक्का-मुक्की की। स्थिति जल्द ही बेकाबू हो गई और दोनों पुरुषों के बीच हाथापाई हो गई। जब एक अन्य यात्री ने बीच-बचाव कर झगड़ा रोकने की कोशिश की, तो उसने आश्चर्यजनक रूप से दोनों पुरुषों को थप्पड़ मारना और पीटना शुरू कर दिया। इस अप्रत्याशित मोड़ ने आग में घी डालने का काम किया और ट्रेन के डिब्बे में और भी अफरा-तफरी मच गई। दूसरे व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति को पीटते हुए देखा जा सकता है, और दावा किया जा रहा है कि उसने उसकी पत्नी का अपमान करके उसके साथ दुर्व्यवहार किया और बार-बार कह रहा था, “बायकोवर का जातोय” (मराठी में जिसका अर्थ है ‘तुम मेरी पत्नी को क्यों घसीट रहे हो?’)।
इस घटना का वीडियो साथी यात्रियों ने बना लिया और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में दो लोग एक-दूसरे को धक्का देते और मारते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि अन्य यात्री बीच-बचाव करके झगड़ा रोकने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रेन के डिब्बे में सुरक्षाकर्मियों की कमी के कारण स्थिति बिगड़ गई।
अभी तक, इस घटना पर रेलवे अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस प्रतिक्रिया की कमी ने लोकल ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
यह घटना लोकल ट्रेनों में, खासकर व्यस्त समय के दौरान, बेहतर भीड़ प्रबंधन और अनुशासन के सख्त पालन की आवश्यकता को रेखांकित करती है। मुंबई की लोकल ट्रेनों में भीड़भाड़ एक बड़ी समस्या है, और ऐसी घटनाओं के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
इसी साल की शुरुआत में डोंबिवली से सीएसएमटी जा रही एक लोकल ट्रेन के महिला डिब्बे में महिलाओं के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। यह झगड़ा बैठने के विवाद को लेकर शुरू हुआ और जल्द ही मारपीट में बदल गया।
मारपीट के वायरल वीडियो ने इंटरनेट पर लोगों में आक्रोश और चिंता पैदा कर दी है, जिससे लोकल ट्रेनों में सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी कदम उठाने चाहिए।
महाराष्ट्र
मालेगांव बम धमाका एक इस्लामी आतंकवादी है और रहेगा… महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का ज़हरीला हमला, भागवत को फंसाने की साज़िश का पर्दाफ़ाश

मुंबई: मुंबई मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने और इस मामले में उन्हें गिरफ्तार करने के आदेश का बचाव करते हुए, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि अदालत ने इस तथ्य पर मुहर लगा दी है कि भगवा आतंकवाद जैसी कोई चीज नहीं है और गैर-हिंदू कार्यकर्ताओं को सत्तारूढ़ यूपीए सरकार के इशारे पर एटीएस द्वारा फंसाया गया था ताकि इस्लामी आतंकवाद की अवधारणा को खत्म किया जा सके और इससे ध्यान हटाकर हिंदू आतंकवादियों और भगवा आतंकवादियों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। मुख्यमंत्री ने मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते हुए कहा कि इस्लामी आतंकवाद है और रहेगा। इस्लामी आतंकवाद बढ़ रहा था और 9/11 के हमलों के बाद, भगवा आतंकवाद का एजेंडा सार्वजनिक किया गया ताकि कांग्रेस अपने पारंपरिक वोट बैंक को बढ़ा सके। उन्होंने कहा कि हिंदू आतंकवाद की साजिश अब उजागर हो गई है और परत दर परत पर्दा उठ रहा है। उन्होंने कहा कि मालेगांव बम विस्फोटों में निर्दोष लोगों को फंसाया गया था और अदालत ने उन्हें बरी कर दिया है। फडणवीस ने इस मामले में कांग्रेस पर आरोप लगाया। उन्होंने हिंदुओं को माफी मांगने की सलाह दी है।
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