अपराध
समीर वानखेड़े जबरन वसूली मामला: क्या बांद्रा के राजनेता ने आर्यन खान को छुड़ाने के लिए शाहरुख की मैनेजर पूजा ददलानी को ₹50 लाख दिए थे?
मुंबई: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के मुंबई के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्रवाई ने भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों में नाराजगी पैदा कर दी है. वास्तव में, चल रहे विवाद को केंद्रीय नौकरशाही हलकों में आईपीएस-प्रभुत्व वाली सीबीआई और आईआरएस के बीच लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। मुंबई में, भ्रष्टाचार के एक मामले में जीएसटी अधीक्षक को फंसाने में ब्यूरो के अधिकारियों की विफलता के बाद, सीबीआई और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग के अधिकारियों के बीच पहले से ही युद्ध चल रहा है। गौरतलब है कि आईआरएस से ताल्लुक रखने वाले वानखेड़े को ‘शिकार’ किया जा रहा है, जबकि दिल्ली में उनके पूर्व बॉस, जो आर्यन खान के खिलाफ ऑपरेशन के हर कदम पर लूप में थे, और आईपीएस से जुड़े लोग अछूते हैं।
वानखेड़े के मामले में, पूरा मामला अभिनेता शाहरुख खान से कथित रूप से अपने बेटे आर्यन को एनसीबी द्वारा कॉर्डेलिया क्रूज जहाज पर छापे में पकड़े जाने के बाद गिरफ्तारी से बचाने के लिए मांगे गए 25 करोड़ रुपये के इर्द-गिर्द घूमता है। यह आरोप लगाया गया है कि के पी गोसावी, जो एनसीबी द्वारा लगे एक स्वतंत्र गवाह थे, वानखेड़े के लिए आगे बढ़ रहे थे। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि गोसावी ने वानखेड़े की ओर से यह मांग की थी। एकमात्र सबूत गोसावी के अंगरक्षक प्रभाकर सेल द्वारा हस्ताक्षरित एक हलफनामा था। लेकिन यह साक्ष्य एक अत्यंत कमजोर आधार पर आधारित है क्योंकि यह स्वीकार करता है कि यह अफवाह पर आधारित है। बहरहाल, अप्रैल 2022 में दिल का दौरा पड़ने से सेल की मौत हो गई। यह भी आरोप लगाया गया है कि 25 करोड़ रुपये की रिश्वत की राशि शाहरुख खान की प्रबंधक पूजा ददलानी द्वारा कड़ी सौदेबाजी के बाद 18 करोड़ रुपये तक कम हो गई और उसने गोसावी को 50 लाख रुपये का भुगतान किया। इस बात से कोई इंकार नहीं है कि यह पैसा हाथों-हाथ चला गया। लेकिन वानखेड़े तक इसका पता नहीं चल पाया है।
खास बात यह है कि आर्यन खान की गिरफ्तारी के 18 महीने बीत जाने के बाद भी ददलानी को अपना बयान दर्ज कराने के लिए समन नहीं किया गया है. एक वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी ने कहा, “यह बेहद रहस्यमय है कि उसे पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया गया।” साथ ही 50 लाख रुपये के स्रोत का भी पता नहीं चला है। ददलानी ने अपना पैसा खुद खर्च नहीं किया होता। तो उसे इतनी बड़ी रकम किसने दी? ऐसा माना जाता है कि बांद्रा के एक राजनेता जो बॉलीवुड से अपनी निकटता के लिए जाने जाते हैं, ने उस दुर्भाग्यपूर्ण रात की व्यवस्था की थी। साथ ही शाहरुख खान का बयान दर्ज किया जाना बाकी है। “यह एक ऐसा मामला है जिसे साबित करना लगभग असंभव है क्योंकि रिश्वत मांगने का कोई सबूत नहीं है और 25 करोड़ रुपये की तथाकथित रिश्वत राशि का कोई सबूत नहीं है। मुझे आश्चर्य है कि सीबीआई इतने कमजोर मामले को क्यों आगे बढ़ा रही है। हो सकता है कि यह किसी के मेगा अहंकार को संतुष्ट करने के लिए एक आदेश प्रदर्शन हो, ”एक वकील ने कहा, जो घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहा है।
अपराध
दिल्ली: संगम विहार थाने की महिला उप-निरीक्षक रिश्वत लेते गिरफ्तार

crime
नई दिल्ली, 5 दिसंबर: दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार विरोधी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ के तहत बड़ी कार्रवाई हुई है। विजिलेंस यूनिट ने संगम विहार थाना में तैनात महिला उप-निरीक्षक नमिता को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह अभियान दिल्ली पुलिस आयुक्त सतीश गोल्चा द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार-रोधी अभियान का हिस्सा है।
दिल्ली पुलिस की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 4 दिसंबर को संगम विहार की एक महिला ने विजिलेंस यूनिट से शिकायत की कि उप-निरीक्षक नमिता, जो उसके दर्ज मामले की जांच अधिकारी थीं, ने केस को कमजोर करने की धमकी देते हुए 2 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस यूनिट ने तुरंत कार्रवाई की योजना बनाई। इसके बाद, उसी दिन शाम को सतर्कता इकाई द्वारा संगम विहार थाने में एक ट्रैप ऑपरेशन आयोजित किया गया।
तय समय पर शिकायतकर्ता एसआई नमिता के दफ्तर पहुंची, जहां नमिता ने कथित रूप से रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 15 हजार रुपए की मांग की और उसे अपनी टेबल पर रखी एक फाइल में रखने को कहा। जैसे ही शिकायतकर्ता ने पैसे फाइल में रखे, विजिलेंस टीम ने दफ्तर में प्रवेश किया और एसआई नमिता को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। मौके से 15 हजार रुपए की राशि भी बरामद कर ली गई।
घटना के बाद विजिलेंस पुलिस स्टेशन में एफआईआर संख्या 23/25, धारा 7, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दर्ज की गई है। आरोपी एसआई को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
विजिलेंस यूनिट ने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है। साथ ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे किसी भी पुलिसकर्मी द्वारा रिश्वत मांगने की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। ऐसी शिकायतें विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 1064 पर भी की जा सकती हैं।
अपराध
लखनऊ : एसटीएफ ने 80 लाख के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को किया गिरफ्तार, कई राज्यों में करते थे सप्लाई

लखनऊ, 3 दिसंबर: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 80 लाख रुपए के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। दोनों तस्कर अंतर्राज्यीय नेटवर्क से जुड़े हुए थे।
मुखबिर से सूचना मिलने पर स्पेशल टास्क फोर्स ने लखनऊ के गोसाईगंज इलाके में सुल्तानपुर रोड पर स्थित गब्बर ढाबे के पास से एक टाटा सफारी कार में सवार दो तस्करों को पकड़ा। कार की तलाशी लेने पर उसमें 523 ग्राम एमडीएमए (मिथाइलेंडीऑक्सी-मेथाम्फेटामाइन) बरामद किया गया, जो एक प्रतिबंधित मादक पदार्थ है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि उनकी टीम लंबे समय से नशे के तस्करी नेटवर्क पर नजर रखे हुए थी। उन्हें जानकारी मिली थी कि दो तस्कर भारी मात्रा में ड्रग्स लेकर गुजरने वाले हैं। इस पर एसटीएफ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गब्बर ढाबा के पास घेराबंदी की और दोनों तस्करों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार तस्करों की पहचान मोहम्मद मुजीब और मुकेश सिंह के रूप में हुई है। मुजीब लखनऊ के खंदारी बाजार का निवासी है, जबकि मुकेश भदोही के रविदासनगर का रहने वाला है। पूछताछ में इन दोनों ने बताया कि वे एक अंतर्राज्यीय ड्रग तस्करी गिरोह से जुड़े हुए हैं, जो उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई और बिहार तक एमडीएमए की सप्लाई करता था।
मुजीब ने यह भी खुलासा किया कि वह अपने घर पर रसायन मिलाकर एमडीएमए तैयार करता था और उसे यह प्रक्रिया वाराणसी निवासी अभय सिंह ने सिखाई थी। अभय सिंह पहले मुंबई में एमडीएमए के साथ गिरफ्तार हो चुका है और हाल ही में जेल से रिहा हुआ है।
एसटीएफ ने बताया कि पकड़े गए तस्करों ने इस बात का भी खुलासा किया कि वे विभिन्न जिलों और राज्यों में एमडीएमए की सप्लाई कर रहे थे। इस मामले में गोसाईगंज थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इनके गिरोह में कितने लोग शामिल हैं और एमडीएमए किसे सप्लाई करने जा रहे थे, इन सवालों का जवाब भी पता किया जा रहा है।
अपराध
मुंबई: रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने सोसायटी की लिफ्ट में की नाबालिग से छेड़छाड़, गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 3 दिसंबर: मुंबई के कस्तूरबा मार्ग पुलिस ने 67 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को उसी सोसायटी में रहने वाली नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। लड़की की मां की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की।
आरोपी और पीड़िता दोनों एक ही इमारत में रहते हैं।
पुलिस के अनुसार, घटना मंगलवार शाम लड़की लिफ्ट के पास खड़ी थी, तभी आरोपी वहां पहुंचा। उसने लड़की को लिफ्ट के अंदर खींच लिया और उसके साथ छेड़छाड़ की। डर के कारण बच्ची चुप रही, लेकिन घर पहुंचते ही उसने रोते-बिलखते हुए मां को सारी बात बताई।
परिवार तुरंत बच्ची को लेकर कस्तूरबा मार्ग थाने पहुंचा और लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। मेडिकल जांच के बाद आरोपी को उसके फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया। सबूतों और मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने उसे 12 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया। पुलिस पूछताछ में यह भी पता लगा रही है कि आरोपी ने पहले कभी ऐसी कोई हरकत तो नहीं की।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता के साथ पूरी संवेदनशीलता से पेश आया जा रहा है। दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
लोगों में गुस्सा है और मांग की जा रही है कि ऐसे मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई हो। फिलहाल जांच जारी है। बच्ची का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाएगा और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों का कहना है कि बच्ची के साथ पूरा सहानुभूति के साथ व्यवहार किया जा रहा है और दोषी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह कभी पुलिस की वर्दी में रहा हो, आज कानून सबके लिए बराबर है।
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