खेल
आरसीबी बनाम एलएसजी: नेटिज़न्स शांत नहीं रह सकते क्योंकि मयंक यादव ने 156.7 किमी प्रति घंटे की गति से आईपीएल की सबसे तेज़ गेंद का अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया

लखनऊ सुपर जायंट्स के तेज गेंदबाज मयंक यादव, एक अनकैप्ड भारतीय क्रिकेटर, ने पिछले हफ्ते पंजाब किंग्स के खिलाफ पदार्पण करने के बाद से आईपीएल 2024 में आग लगा दी है।
उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें शहर में चर्चा का विषय बना दिया है। मयंक ने अपने पहले दो मैचों में पीबीकेएस के खिलाफ 3 विकेट और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ भी इतने ही विकेट हासिल कर एलएसजी को जीत दिलाने में मदद की।
नई दिल्ली के 21 वर्षीय खिलाड़ी ने इस सीज़न में खेले गए दोनों मैचों में पहले ही दो प्लेयर ऑफ़ द मैच पुरस्कार प्राप्त कर लिए हैं।
पंजाब किंग्स के खिलाफ मैच के दौरान मयंक ने 155.8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंककर आईपीएल इतिहास रच दिया। उन्होंने आरसीबी के खिलाफ 156.7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंककर अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर अपने आकर्षक प्रदर्शन से एक बार फिर दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया।पंजाब किंग्स के खिलाफ मैच के दौरान मयंक ने 155.8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंककर आईपीएल इतिहास रच दिया। उन्होंने आरसीबी के खिलाफ 156.7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंककर अपना ही रिकॉर्ड तोड़क
कौन हैं मयंक यादव?
मयंक यादव एक भारतीय क्रिकेटर हैं जिनका जन्म 17 जून 2002 को नई दिल्ली में हुआ था। उन्हें हमेशा से क्रिकेट का शौक रहा है और उन्होंने छोटी उम्र में ही इस खेल में अपना सफर शुरू कर दिया था। लगातार कड़ी मेहनत के बाद, वह घरेलू क्रिकेट में लोकप्रिय हो गए और जब वह सिर्फ 20 साल के थे, तब उन्होंने भारतीय क्रिकेट में पेशेवर शुरुआत की।
2023 में, मयंक को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में लखनऊ सुपर जायंट्स के साथ खेलने का मौका मिला; हालाँकि, चोट के कारण वह भाग नहीं ले सके।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नेटिज़न्स की प्रतिक्रियाएँ
भारतीय क्रिकेट प्रशंसक मयंक यादव के डेब्यू सीज़न में उनकी गति और प्रदर्शन के कायल हो गए हैं। आरसीबी के खिलाफ मैच में उनके शानदार प्रदर्शन की सराहना करते हुए प्रशंसकों और उत्साही लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ ला दी।
कुछ लोगों ने उनके और महान ब्रेट ली के बीच तुलना भी की, यह अनुमान लगाते हुए कि मयंक यादव भारत की अगली तेज गेंदबाजी सनसनी हो सकते हैं।
एक्स (पहले ट्विटर) पर एक उपयोगकर्ता, देवेन्द्र वर्मा ने कहा, “पहले मैच के बाद, मुझे रोहित भैया का फोन आया और उन्होंने मुझे बधाई दी और कहा कि आप बहुत अच्छा खेल रहे हैं, कड़ी मेहनत करते रहें, यह मेरे लिए एक बड़ा क्षण था , भारत के कप्तान आपको अपने अंदर से बुला रहे हैं।”
राजेश साहू ने एक्स पर लिखा, “मयंक यादव के प्रदर्शन से खुश होकर समाजवादी पार्टी ने उन्हें कन्नौज सीट से चुनाव लड़ने की पेशकश की। लेकिन जब उन्हें पता चला कि लड़का 21 साल का है, तो उन्होंने फैसला वापस ले लिया। पार्टी ने हमें और मेहनत करने को कहा है।” . यहां तक कि सबसे तेज फेंकने वाले को भी हराएं।”
अंतरराष्ट्रीय
ओबामा ने ईरान को बहुत कुछ दिया, मैं नहीं देने वाला: ट्रंप

वाशिंगटन, 30 जून। ईरान पर भविष्य में क्या अमेरिका हमला करेगा या नहीं, फिलहाल इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ईरान के उप-विदेश मंत्री अमेरिका के साथ भविष्य में किसी भी कूटनीतिक और न्यूक्लियर वार्ता पर शर्त रख चुके हैं। ऐसे में ट्रंप ने कहा है कि अब वह ईरान से बात नहीं कर रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “मैं ईरान को कुछ भी नहीं दे रहा हूं। ओबामा की तरह, जिन्होंने ‘परमाणु हथियार जेसीपीओए (जो अब समाप्त हो जाएगा) के तहत अरबों डॉलर का भुगतान किया था। इतना ही नहीं, मैं उनसे इस विषय पर बात भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि हमने उनकी न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।”
ट्रंप शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर चुके थे, जिनमें कहा गया था कि उनके प्रशासन ने सिविलियन एनर्जी प्रोड्यूसिंग न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने के लिए ईरान को 30 बिलियन डॉलर तक की मदद करने की चर्चा की थी।
रविवार को ‘बीबीसी’ से बातचीत में माजिद तख्त-रवांची ने कहा था कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ किसी भी हमले से इनकार करना चाहिए। इसके साथ ही उप-विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान के खिलाफ भविष्य के हमलों पर ट्रंप प्रशासन की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
माजिद ने बताया कि अमेरिका ने मध्यस्थ देशों से कहा है कि वह ईरान के साथ बातचीत करना चाहता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भविष्य में हमले करेगा या नहीं।
अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी नतांज, फोर्डो और इस्फाहान को नष्ट किया था। इस फैसले के साथ अमेरिका इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष में कूद पड़ा था।
इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया ‘फतवा’

तेहरान, 30 जून। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक ‘फतवा’ जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ‘ऊपर वाले का दुश्मन’ बताया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
शीर्ष शिया धर्मगुरु ने अपने फतवे में कहा, “कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकाता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाता है।”
सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, “रविवार को अपने ऑफिस के एक बयान में शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसी धमकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है। शिराजी ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है, उसे अपने अभियान में कठिनाई या नुकसान उठाना पड़ता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा के रूप में इनाम से नवाजा जाएगा।”
फतवे में कहा गया है, “मुसलमानों या इस्लामी देशों के जरिए उस दुश्मन को दिया जाने वाला कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। दुनियाभर के सभी मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएं।”
रिपोर्ट्स के अनुसार यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों के ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को ‘एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत’ से बचाया है। इसके साथ ही ट्रंप ने ईरानी सर्वोच्च नेता के ऊपर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका कभी नहीं आया।
कैट्ज ने इजराइल के ‘चैनल 13’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।”
इजरायल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर एसेट्स को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।
संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
राजनीति
मराठी लोगों के दबाव के कारण ही सरकार ने फैसला वापस लिया : राज ठाकरे

मुंबई, 30 जून। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के संस्थापक राज ठाकरे ने रविवार को कहा कि सरकार ने पहली कक्षा से तीन भाषाएं पढ़ाने के बहाने हिंदी भाषा थोपने के अपने फैसले को मराठी लोगों के विरोध के कारण वापस लिया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के राज्य में त्रिभाषी नीति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए पूर्व योजना आयोग के सदस्य नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की घोषणा की है। समिति की रिपोर्ट आने तक तीसरी भाषा के रूप में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को लागू करने का आदेश वापस ले लिया गया है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राज ठाकरे ने कहा, “सरकार ने इससे संबंधित दो सरकारी प्रस्तावों (जीआर) को रद्द कर दिया है। इसे देर से लिया गया ज्ञान नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह अधिरोपण केवल मराठी लोगों के दबाव के कारण वापस लिया गया था। सरकार हिंदी भाषा को लेकर इतनी अड़ियल क्यों थी और वास्तव में इसके लिए सरकार पर कौन दबाव बना रहा था, यह रहस्य बना हुआ है।”
राज ठाकरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में चेतावनी देते हुए लिखा, “सरकार ने एक बार फिर एक नई समिति नियुक्त की है। मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं, समिति की रिपोर्ट आने दें या न आने दें, लेकिन इस तरह की हरकतें दोबारा बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, और यह अंतिम है! सरकार को यह बात हमेशा के लिए अपने दिमाग में अंकित कर लेनी चाहिए! हम मानते हैं कि यह निर्णय स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया है, और महाराष्ट्र के लोगों ने भी यही मान लिया है। इसलिए, समिति की रिपोर्ट को लेकर फिर से भ्रम पैदा न करें; अन्यथा, सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि इस समिति को महाराष्ट्र में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
राज ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र में छात्रों को हिंदी सीखने के लिए तीन भाषाएं थोपने का प्रयास आखिरकार रद्द कर दिया गया है, और इसके लिए सभी महाराष्ट्र वासियों को बधाई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अप्रैल 2025 से इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठा रही थी, और तब से यह मुद्दा तूल पकड़ने लगा। उसके बाद एक-एक करके राजनीतिक दल बोलने लगे। जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने एक गैर-पक्षपाती मार्च निकालने का फैसला किया, तो कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने इसमें भाग लेने की इच्छा व्यक्त की।”
उन्होंने कहा, “अब मराठी लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए। आपके अस्तित्व, आपकी भाषा को हमारे ही लोगों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है और उनके लिए जिस भाषा में वे पढ़े-लिखे हैं, जिसके साथ पले-बढ़े हैं, जो उनकी पहचान है, उसका कोई मतलब नहीं है… शायद वे किसी को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार मराठी दिलों का सामूहिक गुस्सा दिखाई दिया और इसे बार-बार दिखना चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि राज ठाकरे ने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ 5 जुलाई को मार्च निकालने की योजना बनाई थी और उन्हें अपने भाई उद्धव ठाकरे का समर्थन मिला, जिन्होंने विरोध-प्रदर्शन के लिए समर्थन की घोषणा की। हालांकि, सरकार के इस फैसले के बाद राज ठाकरे के 5 जुलाई को मार्च निकालने के फैसले पर आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं है।
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