राजनीति
सेना कमांडरों को राजनाथ की सलाह : चीन के इरादों और कार्यो से सावधान रहें
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को सेना के कमांडरों को विवादित सीमाओं पर चीनी कार्रवाई और सैन्य वार्ता के दौरान उसकी मंशा के बारे में सावधान रहने को कहा।
रक्षा मंत्री ने ‘आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस’ को संबोधित करते हुए यह बात कही।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ व्याप्त सीमा तनाव इस साल के इस चार दिवसीय सम्मेलन में विचार-विमर्श का मुख्य केंद्र है।
मंत्री के संबोधन के बारे में निजी सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि सिंह ने कहा है कि बातचीत को ईमानदारी से और समाधानी के साथ विश्वास के माहौल में आयोजित किया जाना चाहिए। रक्षा मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि चीनी मंशा संदिग्ध होने के बाद से विश्वास में कमी आई है।
इस बीच सिंह ने सोशल मीडिया पर भी अपनी बात रखी।
रक्षा मंत्री सिंह ने ट्वीट किया, “नई दिल्ली में आज सैन्य कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया। मौजूदा सुरक्षा माहौल में भारतीय सेना द्वारा उठाए गए कदमों पर मुझे बेहद गर्व है।”
उन्होंने कहा, “सुधारों के मार्ग पर आगे बढ़ रही सेना को हर सुविधा देने और सभी क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने में मदद के लिए रक्षा मंत्रालय प्रतिबद्ध है। हम अपने सशस्त्र बलों की भुजाओं को मजबूत बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।”
उन्होंने सुरक्षा बलों में अपना विश्वास व्यक्त किया और कहा कि वर्तमान सुरक्षा वातावरण में भारतीय सेना द्वारा की गई पहल पर उन्हें बहुत गर्व है।
सेना की सराहना करते हुए सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से देश की संप्रभुता और सुरक्षा से जुड़ी कई चुनौतियों का बल ने सफलतापूर्वक समाधान दिया है।
उन्होंने कहा, “चाहे वह आतंकवाद की समस्या हो, उग्रवाद या बाहरी आक्रमण, सेना ने उन खतरों को नाकाम करने में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।”
इससे पहले मंगलवार को भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता के दौरान सिंह ने कहा था कि उत्तरी सीमाओं पर चीन की अंधाधुंध आक्रामकता से भारत को चुनौती मिली है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले छह महीने से गतिरोध बना हुआ है। गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों पक्षों में कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। दोनों देशों के बीच सात सैन्य कमांडर स्तर की बैठकें हुई हैं, मगर सीमा का मुद्दा अनसुलझा है।
महाराष्ट्र
कल्याण कॉलेज नमाज़ विवाद: SIO ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

SIO ने मुंबई के कल्याण कॉलेज में नमाज़ पढ़ने पर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इधर, SIO के स्टेट सेक्रेटरी अज़ीज़ अहमद ने कहा कि कल्याण के आइडियल कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी एंड रिसर्च में हुई घटना बहुत निंदनीय और अस्वीकार्य है, जहाँ बजरंग दल से जुड़े गुंडों ने कॉलेज कैंपस में घुसकर, नमाज़ पढ़ने वाले मुस्लिम स्टूडेंट्स को धमकाया और परेशान किया और यहाँ तक कि उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के सामने बैठाने की कोशिश की। यह घटना धार्मिक आज़ादी और एकेडमिक कैंपस की पवित्रता पर सीधा हमला है।
SIO इस घटना की कड़ी निंदा करता है और प्रभावित स्टूडेंट्स के साथ पूरी एकजुटता दिखाता है। हम महाराष्ट्र सरकार और पुलिस से मांग करते हैं कि वे जल्द से जल्द आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। हम पूरे स्टूडेंट कम्युनिटी से अपील करते हैं कि वे धार्मिक सद्भाव बनाए रखें और ऐसे सांप्रदायिक रवैये के खिलाफ एकजुट रहें और मजबूत एकजुटता दिखाएं।
राष्ट्रीय समाचार
सीबीआई की बड़ी कार्रवाई: ईएसआईसी के दो अधिकारियों को 50 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा

CRIME
विजयवाड़ा, 26 नवंबर: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) विजयवाड़ा के दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर (आरआरओ) और सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर (एसएसओ) का नाम शामिल है। दोनों ने एक शख्स से 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।
सीबीआई के मुताबिक, मामला 2020 का है। शिकायतकर्ता ने फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के टेंडर में हिस्सा लेने के लिए एक प्रोप्राइटरशिप फर्म शुरू की थी और उसे ईएसआईसी में रजिस्टर भी कराया था। तकनीकी वजहों से एफसीआई ने उसकी फर्म को तीन साल के लिए डिबार कर दिया, जिससे वह कोई ठेका नहीं ले सका।
20 नवंबर 2025 को दोनों ईएसआईसी अधिकारी शिकायतकर्ता के घर पहुंचे और उसका घर कुर्क करने का नोटिस थमा दिया। साथ ही कहा कि अगर 31 दिसंबर 2025 तक कुर्की और नीलामी की कार्रवाई रोकनी है, तो 50 हजार रुपये देने होंगे, जिसमें 30 हजार आरआरओ के लिए और 20 हजार एसएसओ खुद के लिए मांगे।
शिकायत मिलते ही सीबीआई ने 25 नवंबर को केस दर्ज किया और अगले ही दिन जाल बिछाया। सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर को जैसे ही शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते देखा गया, सीबीआई की टीम ने उसे धर दबोचा। इसके बाद रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
दोनों को आज विजयवाड़ा में सीबीआई के स्पेशल जज कोर्ट में पेश किया जाएगा। आरोपियों के ठिकानों पर तलाशी अभी जारी है। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का हिस्सा है। आम लोगों को परेशान कर रिश्वत मांगने वालों पर अब कड़ी नजर रखी जा रही है।
राष्ट्रीय समाचार
केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 26 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट में केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े मामलों को लेकर सुनवाई जारी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच सुनवाई कर रही है।
केरल में एसआईआर के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मामले में अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि केरल में अभी स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, इसलिए मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को टालने की मांग पर बिना आयोग को सुने कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। पश्चिम बंगाल से जुड़े मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को तय की गई है। राज्य की ओर से पेश वकील कल्याण बनर्जी ने दावा किया कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक दबाव के कारण अब तक 23 बीएलओ की मौत हो चुकी है।
तमिलनाडु में एसआईआर से जुड़े मामले की सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने कहा कि तीनों राज्यों के मामलों में चुनाव आयोग की राय सुने बिना कोई रोक लगाने जैसा आदेश पारित नहीं किया जाएगा।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने बताया कि यह मामला पहले मद्रास हाईकोर्ट में भी गया था, जहां स्टेट इलेक्शन कमीशन ने कहा था कि उन्हें एसआईआर प्रक्रिया से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने बताया कि 99 फीसदी वोटरों को फॉर्म मिल चुके हैं और 50 फीसदी से अधिक डेटा डिजिटाइज हो चुका है। राकेश द्विवेदी ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे पर लोगों में अनावश्यक भय पैदा कर रहे हैं।
इधर, याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया बहुत जल्दबाजी में चलाई जा रही है और बीएलओ पर अत्यधिक दबाव है। उन्होंने दावा किया कि असम में लागू फॉर्म की पद्धति की पूरे देश में कोई आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट अब सभी राज्यों और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के बाद अगली सुनवाई में आगे की दिशा तय करेगा।
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