राजनीति
‘मोदी जी में दिखता था भविष्य का नेता, पहले ही समझ गए थे राजनाथ सिंह’, रक्षा मंत्री ने बताया पुराना किस्सा
नई दिल्ली, 17 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘मोदी स्टोरी’ के तहत उनके साथ अपनी राजनीतिक यात्रा, उनके विचारों, अनुशासन, गहन ज्ञान और चुनौतियों को स्वीकार करने के साहस पर विस्तार से बात की। राजनाथ सिंह ने पीएम मोदी के नेतृत्व, संगठनात्मक कौशल और उनकी संवेदनशीलता की जमकर सराहना की।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि जब मुरली मनोहर जोशी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब नरेंद्र मोदी ने भारत यात्रा के दौरान कन्वीनर की जिम्मेदारी निभाई थी। झांसी में उनकी मुलाकात मोदीज जी से हुई। मोदी जी की भाषण शैली और विषय प्रस्तुति ने उन्हें प्रभावित किया। राजनाथ सिंह ने कहा, “उस समय मेरे मन में यह भाव आया कि अगर भाजपा की लीडरशिप में कोई एक फ्यूचर है तो मोदी जी हैं।”
2006 में जब राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब भी उनकी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ कई मुलाकातें हुईं। ‘मोदी स्टोरी’ में रक्षा मंत्री ने बताया, “राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनके सुझाव बहुत उपयोगी और सटीक होते थे। संगठन के दृष्टिकोण से उनके विचार हमेशा प्रासंगिक रहे।”
उन्होंने पीएम मोदी के अनुशासन की सराहना करते हुए एक घटना का जिक्र किया, जब चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद मोदी जी अशोका रोड स्थित उनके आवास पर आए और कहा, “अध्यक्ष जी, मैं अपना रिपोर्ट कार्ड देने आया हूं। मैंने आपके दिए कैंपेन का काम पूरा कर लिया है।”
राजनाथ सिंह ने बताया कि मोदी जी ने मुख्यमंत्री बनने से पहले ही एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कई विदेशी यात्राएं कीं और विश्व को समझने की उनकी ललक बचपन से थी।
उन्होंने कहा, “मुझे यह बाद में पता चला था कि उन्होंने कई विदेशी यात्राएं मुख्यमंत्री बनने से पहले ही कर ली थीं। तब वे संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। एक सामान्य व्यक्ति के रूप में उन्होंने दुनिया के कई देशों का दौरा किया। समाज और दुनिया को समझने की उनकी ललक, मुझे लगता है कि ये बचपन से रही है।”
रक्षा मंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी के साहस और संवेदनशीलता की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें कभी किसी चुनौती से घबराते या डरते नहीं देखा। उनकी काल्पनिक क्षमता और संवेदनशीलता अद्भुत है। किसी दर्दनाक घटना पर उनकी आंखों में आज भी आंसू आ जाते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मोदी जी की अथक परिश्रम की क्षमता और नेतृत्व ‘दैवीय कृपा’ का परिणाम है।
राजनाथ ने कहा, “उन्हें किसी चुनौती से घबराते हुए मैंने कभी नहीं देखा है। मुझे लगता है कि उनके ऊपर ‘दैवीय कृपा’ है। बिना ईश्वर की कृपा से यह क्षमता ऐसे ही नहीं आती है। घबराते हुए और डरते हुए मैंने कभी मोदी जी को नहीं देखा है। वे काल्पनिक क्षमता के भी अद्भुत धनी हैं। उतने ही संवेदनशील हैं।”
रक्षा मंत्री ने ‘मोदी स्टोरी’ में बताया कि 2013 में जब नरेंद्र मोदी जी को चुनाव समिति का अध्यक्ष और बाद में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया, तब 17-18 राज्यों में उनके साथ मेरे दौरे हुए। उनके सुझावों ने चुनाव प्रचार को प्रभावी और सफल बनाया। राजनाथ सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि मोदी की कहानियां और किस्से सुनकर आज भी आनंद की अनुभूति होती है।
आखिर में राजनाथ सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि भगवान ने सोच-समझकर उन्हें इस धरती पर भेजा है। उनकी अथक परिश्रम की क्षमता, संवेदनशीलता और नेतृत्व बिना ईश्वरीय कृपा के संभव नहीं है।”
महाराष्ट्र
मुंबई रोहित आर्य एनकाउंटर की जांच में नई जानकारियां सामने आईं… रोहित ने मराठी कलाकारों से वीडियो मंगवाए थे और 80 बच्चों को चुना था

मुंबई आरए स्टूडियो में बंधक बनाए जाने के मामले ने मुंबई को हिलाकर रख दिया। रोहित आर्या ने बकाया पैसों के लिए पवई स्थित स्टूडियो में छोटे बच्चों को बंधक बना लिया था। पुलिस ने उन्हें तो बचा लिया, लेकिन रोहित आर्या मुठभेड़ में मारा गया। इस मामले में कई मराठी कलाकारों से पूछताछ की जाएगी और मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया है। बंधक मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं।
रोहित आर्या मुठभेड़: रोहित आर्या से मिलने वाले ‘कलाकारों’ की भी जाँच चल रही है।
पिछले हफ़्ते, गुरुवार, 30 अक्टूबर को दोपहर में मुंबई में बड़ा हंगामा हुआ। मुंबई आरए में कुछ छोटे बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को बंधक बना लिया गया था। शिक्षा विभाग के काम के बाद, रोहित आर्या नाम के एक व्यक्ति ने बकाया भुगतान के लिए कुछ बच्चों को ऑडिशन के लिए बुलाया था और उसने कुछ बच्चों को बंधक बनाकर कई माँगें कीं। इसके बाद, पुलिस ने शौचालय में घुसकर 17 बच्चों समेत कुल 19 लोगों को बचाया। और मुठभेड़ के दौरान रोहित आर्या को गोली मार दी गई।
इस बंधक नाटक ने न केवल मुंबई बल्कि पूरे महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया है और इस मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। मुठभेड़ में मारे गए रोहित आर्य की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी हाल ही में सामने आई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि रोहित आर्य की मौत गोली लगने से हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गोली की प्रकृति को देखते हुए उसके बचने की कोई संभावना नहीं थी। इस बीच, इस मामले में एक और खुलासा हुआ है। पवई स्थित आरए स्टूडियो, जहां इस बंधक नाटक रोहित आर्य ने कुछ ऑडिशन दिए थे, मराठी जगत के कुछ प्रसिद्ध अभिनेताओं ने दौरा किया था। वरिष्ठ अभिनेता गिरीश ओक, अभिनेत्री उर्मिला कोठारे, मनाल कपूर, स्वप्निल जोशी, तेजा प्रधान, अंकश जोशी जैसे कई कलाकार स्टूडियो में मौजूद थे। अब इस मामले में उन अभिनेताओं से भी पूछताछ की जाएगी जो रोहित के संपर्क में थे या शूटिंग में हिस्सा लेने वाले थे बताया गया है कि रोहित आर्या के संपर्क में रहे सभी लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे। मिली जानकारी के अनुसार, स्टूडियो में बच्चों को बंधक बनाने की योजना को अंजाम देने से पहले रोहित ने काफी तैयारी की थी। उसने शॉर्ट फिल्म के लिए सैकड़ों बाल कलाकारों के वीडियो मंगवाए और उनमें से 80 का चयन किया। इसके बाद उसने 35, 20 और अंत में 17 बाल कलाकारों के लिए चार दिन की कार्यशाला आयोजित की। मिली जानकारी के अनुसार, इन चार दिनों के दौरान कलाकार मनल कपूर, स्वप्निल जोशी, तेजा श्री प्रधान, अंकश जोशी स्टूडियो आए और लौट गए, इसलिए अब इन सभी कलाकारों से पूछताछ की जाएगी।
रचिता जाधव से भी संपर्क किया गया।
बताया गया है कि अभिनेत्री रचिता जाधव को भी उसी रॉ स्टूडियो में बुलाया गया था। रोहित ने दिखावा किया कि वह एक फिल्म करना चाहता है और उसके लिए एक ऑडिशन रखा गया था। इसी साजिश के तहत उसने अभिनेत्री रचिता जाधव से भी संपर्क किया। उसने उसे फोन किया, मैं एक फिल्म कर रहा हूं, उसने पूछा कि क्या तुम इसमें काम करोगी। जब वह मान गई, तो रोहित ने उसे स्टूडियो बुलाया और मिलने का समय भी तय किया। लेकिन उसी दौरान रुचिता के घर पर एक मेडिकल इमरजेंसी आ गई, जिसके कारण रोहित ने बताया कि वह स्टूडियो नहीं आ सकती। इसलिए रोहित और रुचिता की मुलाक़ात नहीं हो पाई।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई में खौफनाक वारदात, खाना नहीं लाने पर टैक्सी ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या

मुंबई, 4 नवंबर: मुंबई के साकीनाका थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है, जो मामूली विवाद से शुरू होकर हत्या तक पहुंच गया। खाना नहीं लाने पर चार टैक्सी ड्राइवर ने अपने ही साथी की पीट-पीटकर हत्या कर दी। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अन्य तीन आरोपी फरार हैं।
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले पांच ड्राइवर मुंबई में रहकर टैक्सी चलाने का काम करते थे। सभी साकीनाका क्षेत्र में एक ही कमरे में किराए पर रहते थे और आपस में रिश्तेदार भी थे। रोजाना बारी-बारी से इनमें से कोई एक सभी के लिए खाना लाने का काम करता था।
घटना वाले दिन जावेद खान (42) की बारी थी कि वह सबके लिए खाना लाए, लेकिन किसी वजह से वह खाना नहीं ला सका। इसी बात को लेकर उसके साथियों शबाज खान और उसके पिता व दोनों चाचा से कहासुनी हो गई। मामूली कहासुनी धीरे-धीरे झगड़े में बदल गई। गुस्से में आए आरोपियों में से एक ने कमरे में रखा डंडा उठाया और जावेद के सिर पर वार कर दिया। इसके बाद बाकी तीनों ने भी उसे बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया।
सिर पर गंभीर चोट लगने से जावेद खान की मौके पर ही मौत हो गई। वारदात के बाद चारों आरोपी अपनी-अपनी टैक्सियां लेकर फरार हो गए। आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद साकीनाका पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इस घटना ने इलाके में सनसनी फैला दी है।
पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की और चार आरोपियों में से एक को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं, जिनकी मदद से बाकी तीनों आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस का कहना है कि चारों आरोपी आपस में रिश्तेदार हैं और सभी प्रतापगढ़ के एक ही गांव के रहने वाले हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
गनपाउडर प्लॉट: जब तहखाने से बरामद हुआ ‘बारूद’ और हुआ एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश

नई दिल्ली, 4 नवंबर: ‘गनपाउडर प्लॉट’ ब्रिटेन के इतिहास का ऐसा अध्याय है जो अगर सफल होता तो संसद धूल में मिल गई होती। ये घटना 1605 की है। 5 नवंबर की सुबह लंदन की सर्द हवा में एक साजिश की बू थी। ब्रिटिश संसद के तहखाने से अचानक 36 बैरल बारूद बरामद हुए और उसी के साथ ब्रिटेन के इतिहास की दिशा बदल गई। यह था गनपाउडर प्लॉट, यानी “बारूद की साजिश”-एक ऐसा प्रयास जिसने इंग्लैंड के राजा, सरकार और कैथोलिक धर्म के संबंधों को हमेशा के लिए बदल दिया।
यह षड्यंत्र किंग जेम्स प्रथम के खिलाफ रची गई थी। उस दौर में इंग्लैंड में कैथोलिक्स पर अत्याचार हो रहे थे और देश पर प्रोटेस्टेंट शासन था। कई कैथोलिक गुट यह मानते थे कि अगर संसद को उड़ा दिया जाए और राजा की हत्या हो जाए, तो देश में दोबारा उनका शासन लौट सकता है। इस योजना का नेतृत्व रॉबर्ट केट्सबी ने किया था, जबकि जिस नाम ने इतिहास में जगह बनाई वह था ‘गाइ फॉक्स’ , जो बारूदों की रखवाली करने वाला सैनिक था।
4 नवंबर की रात, फॉक्स संसद के नीचे स्थित तहखाने में तैयारियों में लगा था। लेकिन गुप्त सूचना मिलने पर वहां छापा पड़ा और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने साथियों के नाम बताए, और जल्द ही पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया। अगर यह साजिश सफल होती, तो उस दिन इंग्लैंड की संसद, राजा और अभिजात वर्ग सब खत्म हो सकते थे।
फॉक्स और उसके साथियों को राजद्रोह के आरोप में मौत की सजा दी गई। लेकिन उनकी असफलता ने ब्रिटेन को एक प्रतीक दे दिया — हर 5 नवंबर को बोनफायर नाइट या गाई फॉक्स नाइट के रूप में मनाया जाता है, जब लोग आतिशबाजी करते हैं और “रिमेम्बर, रिमेम्बर द फिफ्थ ऑफ नवंबर…” की पंक्तियां गाते हैं। यह न केवल उस साजिश की याद है, बल्कि सत्ता, धर्म और विद्रोह के उस संघर्ष की भी याद दिलाती है जिसने इंग्लैंड के राजनीतिक इतिहास को आकार दिया।
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