राजनीति
राहुल ने दुबे एनकाउंटर मामले में तंज कसते हुए कहा, कई जवाबों से बेहतर है खामोशी
New Delhi: Congress leader Rahul Gandhi addresses a special party briefing via video conferencing in New Delhi during the fourth phase of the nationwide lockdown imposed to mitigate the spread of coronavirus, on May 26, 2020. (Photo: IANS)
पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार पर खूंखार अपराधी विकास दुबे के कथित एनकाउंटर को लेकर तंज कसते हुए कहा कि खामोशी कई जवाबों से बेहतर है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मुठभेड़ में सच्चाई का पता लगाने और अपराधियों को संरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा जांच की मांग की है।
राहुल गांधी ने हिंदी में किए गए एक ट्वीट में कहा, “कई जवाबों से अच्छी है खामोशी उसकी, न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।”
उनकी यह टिप्पणी शुक्रवार सुबह उत्तर प्रदेश एसटीएफ अधिकारियों द्वारा मध्य प्रदेश से कानपुर लाए जा रहे दुबे को एक कथित मुठभेड़ में मार गिराए जाने के बाद सामने आई है।
वहीं दूसरी ओर प्रियंका गांधी ने भी योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने हिंदी में किए गए एक ट्वीट में कहा, “उप्र की कानून-व्यवस्था बदतर हो चुकी है। राजनेता-अपराधी गठजोड़ प्रदेश पर हावी है। कानपुर कांड में इस गठजोड़ की सांठ-गांठ खुलकर सामने आई। कौन-कौन लोग इस तरह के अपराधी की परवरिश में शामिल हैं- ये सच सामने आना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज से पूरे कांड की न्यायिक जांच होनी चाहिए।”
प्रियंका गांधी ने दो मिनट का विडियो जारी कर कहा, “सारा देश देख रहा है कि भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश को अपराध प्रदेश में बदल डाला है। उत्तर प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर (कानून व्यवस्था) बिगड़ चुका है। इस स्थिति में विकास दुबे जैसे अपराधी फल-फूल रहे हैं। इनके बड़े-बड़े व्यापार हैं, खुले आम अपराध करते हैं, कोई रोकने वाला नहीं है।”
प्रियंका ने आगे कहा, “पूरा प्रदेश इस बात को जानता है कि इनका संरक्षण राजनीतिक सोर्सेस से होता है। इनका काम जो सत्ता में हैं, उनके संरक्षक से होता है। सब देख रहे हैं और सब जान रहे हैं। अब विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद, जो आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं उनके परिवार को हम किस तरीके से भरोसा दिला सकते हैं कि उन्हें न्याय मिल रहा है।”
प्रियंका गांधी ने कहा, “कांग्रेस पार्टी की यह मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज द्वारा एक न्यायिक जांच हो। जो पूरे कानपुर कांड की जांच करके जो असलियत है वो जनता के सामने रखे। जिन्होंने विकास दुबे जैसे अपराधी की परवरिश की, उसे पाला-पोसा, उनकी असलियत सामने आए। जब तक असलियत सामने नहीं आएगी, राजनेता और अपराधियों के बीच सांठ-गांठ सामने नहीं आएगा, तब तक न्याय नहीं मिलेगा।”
इसके पहले प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट करके विकास दुबे को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “अपराधी तो खत्म, लेकिन अपराधी को संरक्षण देने वालों का क्या?”
पुलिस द्वारा बताया जा रहा है कि जब दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लेकर आया जा रहा था तो कानपुर के पास उनकी गाड़ी पलट गई, जिसके बाद दुबे ने कथित रूप से भागने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस से हुई मुठभेड़ में दुबे मारा गया।
मुठभेड़ के बाद दुबे को हैलट अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में ले जाया गया था। कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) दिनेश कुमार ने कहा कि डॉक्टरों ने विकास दुबे की मौत की पुष्टि की है।
दुबे जिस वाहन में था, उसमें सवार दो अन्य पुलिस कर्मी भी इसके पटलने के कारण घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि जैसे ही गैंगस्टर वाहन से बाहर निकल तो उसने कथित रूप से एसटीएफ टीम से एक पिस्तौल छीन ली और पुलिस पर गोली चलाने की कोशिश की। जवाबी गोलीबारी में वह बुरी तरह घायल हो गया। दुबे को सीने में तीन और हाथ में एक गोली लगी।
पिछले सात दिनों में कथित पुलिस मुठभेड़ों में दुबे गिरोह के पांच सदस्य मारे जा चुके हैं।
राजनीति
मध्य प्रदेश: हंगामे के साथ विधानसभा सत्र की शुरुआत, कांग्रेस विधायकों ने अनोखा विरोध-प्रदर्शन किया

भोपाल, 1 दिसंबर: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में फल सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत सहित अन्य मामलों को लेकर कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में अनोखा प्रदर्शन किया। कांग्रेस विधायक सोमवार को बच्चों के पुतले लेकर पहुंचे विधानसभा पहुंचे।
मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ और कांग्रेस के विधायक आक्रामक नजर आए। पहले ही दिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने प्रदेश में बच्चों पर बढ़ते अत्याचार, कफ सिरप पीने से हुई मासूम बच्चों की मौत और सरकारी उपेक्षा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस विधायकों ने अनोखा सांकेतिक प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान विधायक अपने साथ मासूम बच्चों के पुतले लेकर पहुंचे और सरकार को कटघरे में खड़ा किया। एक कांग्रेस की महिला विधायक ‘पूतना’ का रूप रखकर पहुंची, जिसे भाजपा सरकार की नीतियों और लापरवाही का प्रतीकात्मक रूप बताया गया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, “सरकार बच्चों के मामले में भी संवेदनशील नहीं है। छिंदवाड़ा में कई परिवारों के घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए और माताओं की गोद सूनी हो गई, लेकिन पूतना बनी सरकार को स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी और समीक्षा करने की फुर्सत तक नहीं है। अस्पतालों में ऐसी बदइंतजामी है कि बच्चों को चूहे भी काट लेते हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस विषय पर चर्चा करने, जवाब देने और जिम्मेदारी तय करने से लगातार बच रही है। उमंग सिंघार ने आगे कहा कि यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हालत और सरकार की प्राथमिकताओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न है। जनता जानना चाहती है कि आखिर सरकार मासूमों की जान से खिलवाड़ होने पर भी खामोश क्यों है?
कांग्रेस विधायकों ने साफ कहा कि भाजपा सरकार की लापरवाही अब असहनीय हो चुकी है। जब सवाल मासूमों के जीवन का हो, तो विपक्ष चुप नहीं बैठेगा।
राजनीति
सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार: जगदंबिका पाल

नई दिल्ली, 1 दिसंबर: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार से हो गई। इस सत्र में विपक्ष मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मुद्दा उठा सकता है, जिस पर हंगामे के आसार हैं। इस बीच भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, “सरकार चर्चा के लिए तैयार है। पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर ने ऑल-पार्टी मीटिंग में कहा है कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन चर्चा तभी होगी जब वे प्रपोज करेंगे और स्पीकर मंजूरी देंगे। अगर वे सदन में हंगामा करते हैं और वेल में जमा होते हैं, तो वे एसआईआर पर चर्चा नहीं चाहते, वे कार्यवाही रोकना चाहते हैं। वे एसआईआर पर क्या चर्चा चाहते हैं?”
उन्होंने विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा, “मैं विपक्ष को चुनौती देता हूं। अगर एसआईआर के साथ कोई समस्या है, तो उन्हें चुनाव आयोग से संपर्क करना चाहिए। अगर कोई असली समस्या होती, तो बिहार में भाजपा की सरकार नहीं बनती।”
भाजपा सांसद ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) शासित पश्चिम बंगाल में एसआईआर पर हो रहे हंगामे को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग ने बताया है कि बीएलओ पर दबाव न डालें। लेकिन, बंगाल में कुछ जगहों पर टीएमसी के कार्यकर्ता कथित तौर पर बीएलओ पर दबाव डाल रहे हैं, जिससे ये सुसाइड और सिक्योरिटी के खतरे हो रहे हैं।”
भाजपा सांसद डॉ. के. लक्ष्मण ने कहा, “एसआईआर कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि चुनाव आयोग एक स्वायत्त संस्था है। राहुल गांधी, जो अक्सर वोट चोरी की बात करते हैं, मतदाता सूची के शुद्धीकरण का मुद्दा उठने पर दोहरे मापदंड क्यों अपना रहे हैं? वे इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोगों ने उन्हें नकार दिया है। एसआईआर करने में क्या गलत है?”
वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने एसआईआर की समयसीमा बढ़ाने पर कहा, “निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष पारदर्शितापूर्ण सूची बनाने के लिए एक बड़ा अभियान छेड़ा है। यह उत्तर प्रदेश सहित देश के 12 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहा है। तारीख बढ़ने से मतदाता आराम से अपना गणना पपत्र जमा कर सकेंगे। इससे गणनाकर्मियों को भी सुविधा मिलेगी।”
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई लोकल ट्रेन अपडेट: मध्य रेलवे की सेवाएं बाधित, 30-40 मिनट की देरी की सूचना; यात्रियों ने शिकायतों की बाढ़ ला दी

LOCAL TRAIN
मुंबई: मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क को हफ़्ते की एक और मुश्किल शुरुआत का सामना करना पड़ा क्योंकि सोमवार सुबह मध्य रेलवे की सेवाएँ लगभग 30 मिनट की देरी से चलीं, जिससे व्यस्त समय में हज़ारों दफ़्तर जाने वाले लोग फँस गए। इस व्यापक व्यवधान का सटीक कारण तुरंत पता नहीं चल पाया है, हालाँकि बाद में रेलवे अधिकारियों ने एक स्पष्टीकरण जारी किया।
देरी सुबह-सुबह शुरू हुई और जल्द ही सेंट्रल लाइन की कई सेवाओं में एक श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया शुरू हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि प्लेटफॉर्म पर भीड़भाड़ हो गई, ट्रेनें धीमी गति से चलने लगीं और रोज़ाना यात्रा करने वाले उन यात्रियों में निराशा बढ़ गई जो काम के सिलसिले में नेटवर्क पर बहुत ज़्यादा निर्भर रहते हैं।
परेशान यात्रियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वरिष्ठ अधिकारियों और मध्य रेलवे के ट्विटर हैंडल को टैग करते हुए स्थिति को उजागर किया। कई यात्रियों ने इसे लगातार जारी समस्या और खराब रखरखाव बताया।
एक यूजर ने लिखा, “@Central_Railway ट्रैक और रेक का ठीक से रखरखाव नहीं कर रहा है। यह रोज़ाना होने वाली देरी और मुंब्रा जैसी घटनाओं से साफ़ ज़ाहिर होता है। कल रात, CSMT से ठाणे जाने वाली एक ट्रेन 51 मिनट लेट हो गई। इसे कैसे समझाया जा सकता है?” एक अन्य यात्री ने एक तस्वीर शेयर की जिसमें एक ट्रेन 56 मिनट देरी से चल रही थी और सवाल किया, “क्या मध्य रेलवे प्रशासन को शर्म नहीं आती?”
लोकल ट्रेन ट्रैकिंग ऐप, एम-इंडिकेटर, जो एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला ऐप है, से शेयर किए गए स्क्रीनशॉट्स में सेंट्रल लाइन पर कई ट्रेनें अपने निर्धारित समय से, कुछ तो 30 मिनट से भी ज़्यादा देरी से चल रही हैं। एक यूज़र ने कई रेलवे अधिकारियों को टैग करते हुए लिखा, “सेंट्रल सबअर्बन रेलवे एक मज़ाक बन गया है जिससे बच्चे भी ऊब चुके हैं। बदलापुर-अंबरनाथ जाने वाली लगभग हर ट्रेन हर दिन 20 मिनट की देरी से चलती है। यह वाकई निराशाजनक है।”
बढ़ती शिकायतों और एक वायरल यात्री पोस्ट के जवाब में, मध्य रेलवे ने मुंबई मंडल के वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक (कोचिंग) के माध्यम से एक्स के माध्यम से एक स्पष्टीकरण जारी किया। बयान में कहा गया है, “हम समय की पाबंदी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं; हालाँकि, चेन खींचने और अतिक्रमण जैसी समस्याओं के कारण लोकल ट्रेनें देरी से चल रही हैं। ये व्यवधान अक्सर समग्र समय-सारिणी पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। हमें हुई असुविधा के लिए खेद है।”
स्पष्टीकरण के बावजूद, कई यात्रियों ने रेलवे अधिकारियों से कड़े निवारक उपाय और बेहतर संचार की माँग की है। उनका कहना है कि सोमवार की समस्याएँ कोई एकाध घटना नहीं, बल्कि बार-बार होने वाली घटनाएँ बन गई हैं। मुंबई की लोकल ट्रेनें शहर की जीवन रेखा हैं, इसलिए यात्री आने वाले दिनों में बेहतर समयपालन और कार्यदिवसों में ज़्यादा विश्वसनीय संचालन की उम्मीद कर रहे हैं।
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