व्यापार
आईफोन 12 का उत्पादन जुलाई से शुरू होगा : रिपोर्ट
एप्पल जून के अंत तक आईफोन 12 सीरीज के लिए ईटीवी (इंजीनियरिंग वेलिडेसन एंड टेस्टिंग) के दूसरे चरण को पूरा करने की योजना बना रहा है। आईफोन 12 अपने इस सीरीज का उत्पादन जुलाई से शुरू करेगा।
डीजीटाइम की रिपोर्ट के अनुसार, आईफोन 12 के सभी मॉडल का उत्पादन अगले महीने से शुरू होगा, लेकिन अभी यह तय नहीं हुआ है कि इसकी लॉन्चिंग कब होगी।
इस साल आईफोन 12 लाइनअप में एप्पल दो स्मार्टफोन लॉन्च करेगा, आईफोन प्रो मॉडल जिसमें 6.1 इंच और 6.5 इंच डिस्प्ले में आएगा, वहीं नॉन प्रो मॉडल में 5.4 और 6.1 इंच डिस्प्ले होगा।
विश्लेषक मिंग-ची कुओ ने कहा कि आईफोन 12 मॉडल – आईफोन 12 प्रो और आईफोन 12 प्रो मैक्स दोनों स्मार्टफोन में 5जी सपोर्ट करेगा।
एप्पल की आईफोन सीरीज की लॉन्चिंग सितंबर में होना था, लेकिन कोरोनाावायरस के चलते इसे दो महीने टाल दिया गया है। अब कंपनी इसे नवंबर में लॉन्च कर सकती है ।
इन्वेस्टमेंट बैंक कोवेन की एक रिपोर्ट के अनुसार, एप्पल की दूसरी तिमाही प्रोडक्शन 3.5 करोड़ यूनिट होने की उम्मीद है, जो पहली तिमाही से 5 प्रतिशत कम है और पिछले साल की इस अवधि की तुलना में 13 प्रतिशत कम है।
राष्ट्रीय समाचार
पारदर्शिता का सीधा प्रभाव डेवलपमेंट पर भी पड़ता है : वित्त मंत्री

नई दिल्ली, 2 दिसंबर: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि भारत में टैक्स मामलों में पारदर्शिता हमेशा एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म से कहीं आगे रही है। यह इकोनॉमिक गवर्नेंस के फेयरनेस और जिम्मेदारी पर आधारित होने के सिद्धांत को दर्शाता है।
18वीं ग्लोबल फोरम प्लेनरी मीटिंग में वित्त मंत्री ने कहा कि जब व्यक्ति या कंपनियां अपना फेयर शेयर पे करते हैं और जब चोरी को प्रभावी ढंग से रोका जाता है, तो समाज अधिक मजबूत और बराबर बनता है। इसी भरोसे ने हमारे कानूनी और एन्फोर्समेंट फ्रेमवर्क को आकार देने का काम किया है।
वित्त मंत्री ने कहा, “गैर-कानूनी पैसे के लेन-देन और अनडिस्क्लोज्ड विदेशी संपत्ति के खिलाफ हमारे कानून इसी सोच को दिखाते हैं और साथ ही रिक्वेस्ट पर जानकारी आदान-प्रदान करना और ऑटोमैटिक जानकारी आदान-प्रदान के स्टैंडर्ड में हमारी भागीदारी भी यही दिखाती है।”
उनके अनुसार, पारदर्शिता का सीधा प्रभाव डेवलपमेंट पर भी पड़ता है। पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ सर्विस और वेलफेयर प्रोग्राम घरेलू संसाधनों पर निर्भर करते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “पारदर्शिता के साथ जुटाया गया हर रुपया और डॉलर जिंदगियों को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि जब देश की संपत्ति वैध टैक्स से बचती है तो इससे न केवल राजस्व में कमी आती है बल्कि डेवलपमेंट में भी कमी आती है। विकासशील देशों के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रभाव है।
उन्होंने बताया कि टैक्स पे करने को लेकर सुधार क्लैरिटी, सिंपलिफिकेशन और टैक्स पेयर्स के साथ विश्वसनियता बनाने की कोशिशों से आया है।
टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में हमने साझा की जानकारियों को कम्प्लायंस और रिस्क के एनालिसिस के साथ जोड़ने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा, “टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता हमें जानकारी को समय पर और अच्छे तरीकों से समझने का मौका दे रही है। इनोवेशन को हमेशा जिम्मेदारी के साथ चलना चाहिए। यह वह बैलेंस है, जो सिस्टम को मजबूती और विश्वसनीयता प्रदान करता है।
वित्त मंत्री के अनुसार, “आगे देखते हुए कई नई चुनौतियां हैं, जिनके लिए साथ मिलकर काम करने की जरूरत होगी। अर्थव्यवस्था का डिजिटलाइजेशन, नए फाइनेंशियल प्रोडक्टस का उभरना और बेनेफिशियल ऑनरशिप के बढ़ते स्ट्रक्चर के लिए अलग-अलग अधिकार क्षेत्रों के बीच लगातार सहयोग की जरूरत है।”
व्यापार
लाल निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार, निफ्टी 26,150 स्तर से नीचे कर रहा कारोबार

मुंबई, 2 दिसबंर: भारतीय बेंचमार्क सूचकांक कारोबारी हफ्ते के दूसरे दिन मंगलवार को लाल निशान में खुले। शुरुआती कारोबार में निफ्टी फाइनेंशियल सर्विस, मेटल और रियलिटी सेक्टर्स में बिकवाली देखी जा रही थी।
सुबह 9 बजकर 36 मिनट पर सेंसेक्स 248.33 अंक या 0.29 प्रतिशत की गिरावट के बाद 85,393.57 स्तर पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी 62.55 अंक या 0.24 प्रतिशत की गिरावट के बाद 26,113.20 स्तर पर बना हुआ था।
निफ्टी बैंक 140.10 अंक या 0.23 प्रतिशत की गिरावट के साथ 59,541.25 स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं, निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 152.90 अंक या 0.25 प्रतिशत की बढ़त के बाद 61,196.30 स्तर पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 50.75 अंक या 0.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,823.95 स्तर पर था।
बाजार के जानकारों ने कहा, “‘ऐसा लगता है कि मार्केट नए रिकॉर्ड हाई के आसपास कंसोलिडेट हो रहा है और इसके बाद नए हाई पर पहुंचेगा। नए हाई के लिए फंडामेंटल सपोर्ट है, जैसा कि मजबूत जीडीपी आंकड़े और नवंबर में ऑटो सेल्स जैसे लीडिंग इंडिकेटर्स में दिखता है।”
उन्होंने आगे कहा कि रुपए में लगातार कमजोरी एक रुकावट बन रही है, जो एफआईआई फ्लो को प्रभावित कर रही है। भारत और अमेरिका के बीच एक फेयर ट्रेड डील रुपए की कमजोरी को रोक सकती है।
इस बीच सेंसेक्स पैक में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इटरनल, बजाज फिनसर्व और टाटा स्टील टॉप लूजर्स थे। वहीं, एशियन पेंट्स, इंफोसिस, भारती एयरटेल, एसबीआई और मारुति सुजुकी टॉप गेनर्स थे।
एशियाई बाजारों में चीन और बैंकॉक लाल निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि जकार्ता, हांगकांग, सोल और जापान हरे निशान में बने हुए थे।
अमेरिकी बाजार आखिरी कारोबारी दिन लाल निशान में बंद हुए। डाउ जोंस 0.90 प्रतिशत या 427.09 अंक की गिरावट के बाद 47,289.33 पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.53 प्रतिशत या 36.46 अंक के नुकसान के बाद 6,812.63 स्तर और नैस्डेक 0.38 प्रतिशत या 89.76 अंक की गिरावट के बाद 23,275.92 पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) 1 दिसंबर को शुद्ध विक्रेता रहे और उन्होंने 1,171.31 करोड़ रुपए के भारतीय शेयर बेचे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) इस कारोबारी दिन शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 2,558.93 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदारी की।
व्यापार
भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री ने दर्ज करवाई शानदार बढ़त

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर: भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री शानदार बढ़त का एक और दौर दर्ज करवाने में सफल रही और कुल नए ऑडर्स और आउटपुट ट्रेंड से अधिक रेट पर बढ़े। सोमवार को जारी एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) नवंबर में 50.0 के न्यूट्रल मार्क और इसके लॉन्ग-रन एवरेज 54.2 से काफी ऊपर रहा।
एसएंडपी ग्लोबल की ओर से जारी डेटा के अनुसार, नवंबर में एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 56.6 दर्ज किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अक्टूबर में 59.2 दर्ज किया गया था। नवंबर के नए आंकड़ों ने फरवरी के बाद से ऑपरेटिंग कंडीशन में सबसे धीमे सुधार को दिखाया।
नए एक्सपोर्ट ऑर्डर एक वर्ष से अधिक समय में सबसे कम रफ्तार से बढ़े। सेल्स में हल्की बढ़ोतरी ने खरीदारी की मात्रा और नई नौकरियों में वृद्धि को कम कर दिया, जबकि आउटपुट की संभावनाओं को लेकर पॉजिटिव सेंटिमेंट 2022 के मध्य के बाद अपने सबसे निचले लेवल पर आ गया। नवंबर में महंगाई दर कम हुई, जबकि इनपुट लागत 9 महीनों और सेलिंग चार्ज आठ महीनों में सबसे धीमी दर से बढ़े।
एचएसबीसी में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट, प्रांजुल भंडारी ने कहा, “भारत के फाइनल नवंबर पीएमआई ने दर्शाया कि अमेरिकी टैरिफ की वजह से मैन्युफैक्चरिंग विस्तार की गति धीमी हुई। नए एक्सपोर्ट ऑर्डर पीएमआई 13 महीनों के निचले स्तर पर आ गए।”
उन्होंने आगे कहा कि फ्यूचर आउटपुट के लिए अनुमान बताते हैं कि बिजनेस कॉन्फिडेंस में नवंबर में बड़ी गिरावट आई, जो कि टैरिफ के प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं को दिखाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मैन्युफैक्चरर्स ने ऑर्डर बुक वॉल्यूम में काफी बढ़ोतरी दर्ज की, जिसकी वजह प्रतिस्पर्धी कीमतें, मांग का सकारात्मकर ट्रेंड और क्लाइंट्स की बढ़ती दिलचस्पी रहे। हालांकि, मार्केट की चुनौतीपूर्ण स्थितियों, प्रोजेक्ट शुरू होने में देरी और फर्मों के बीच प्रतिस्पर्धा की रिपोर्ट्स के बीच ओवरऑल ग्रोथ रेट नौ महीने के सबसे निचले लेवल पर आ गई।
हालांकि कंपनियों का कहना है कि इंटरनेशनल सेल्स का ट्रेंड अच्छा बना हुआ है, जो अफ्रीका, एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट में क्लाइंट्स को अच्छी सेल्स दिखाता है।
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