राजनीति
गोशालाओं की ‘दयनीय’ स्थिति को लेकर प्रियंका ने योगी सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में गौशालाओं की स्थिति ‘दयनीय’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार गौशालाओं की स्थिति में सुधार के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है।
प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर पोस्ट किया, “मुख्यमंत्री ब्रज जा रहे हैं जो गौ सेवा के लिए प्रेरणा है और उम्मीद है कि वह गौशालाओं की स्थिति में सुधार के लिए कुछ करेंगे। पांच साल से हालत दयनीय है और सरकार इसके लिए कोई पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है।”
उन्होंने गौशालाओं की स्थिति पर समाचार पत्रों की रिपोर्टों को भी टैग किया।
जुलाई में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को राज्य के सभी गौशालाओं का पूर्ण प्री-मानसून निरीक्षण करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने अधिकारियों से मवेशियों के लिए हरे चारे और भूसे सहित अन्य चीजों की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा था।
उन्होंने कहा था कि जिस आश्रय गृह में कुप्रबंधन के कारण गाय की मौत की सूचना है, वहां संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
9 जून, 2020 को, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने गोहत्या रोकथाम (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी थी।
अध्यादेश के अनुसार, पहले अपराध के लिए, एक व्यक्ति को 1 लाख रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक का जुर्माना या एक से सात साल तक की जेल हो सकती है। जबकि दूसरे अपराध के लिए व्यक्ति को 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है और 5 लाख रुपये तक जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
अपराध
बैंक धोखाधड़ी मामला : सीबीआई ने फरार आरोपी दिनेश गहलोत को किया गिरफ्तार

CRIME
नई दिल्ली, 23 अगस्त। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में फरार घोषित आरोपी दिनेश डी. गहलोत को गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई की इस कार्रवाई को काफी अहम माना जा रहा है।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला 31 मई 2004 को दर्ज किया गया था, जिसमें दिनेश डी. गहलोत पर बैंक ऑफ बड़ौदा से जाली दस्तावेजों के जरिए हाउसिंग लोन लेकर धोखाधड़ी करने का आरोप था। जांच पूरी होने के बाद 30 अप्रैल 2007 को उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। हालांकि, दिनेश ने कोर्ट में पेश होने या समन/वारंट का जवाब देने से इनकार कर दिया और 2024 से फरार था। इसके बाद गहलोत के खिलाफ कई गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे। 9 दिसंबर 2024 को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने उसके खिलाफ प्रोक्लेमेशन वारंट जारी किया था।
सीबीआई ने बताया कि दिनेश बार-बार अपना ठिकाना बदलता था और स्थानीय लोगों से अपनी असली पहचान छिपाकर कम संपर्क रखता था, जिससे उसकी तलाश मुश्किल हो रही थी।
सीबीआई ने आधुनिक तकनीक और डिजिटल ट्रैकिंग डेटाबेस का इस्तेमाल कर उसकी लोकेशन का पता लगाया। गहन जांच और स्थानीय पूछताछ के बाद सीबीआई ने दिनेश को नोएडा से 20 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया। उसे मुंबई की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे तकनीक-आधारित खुफिया प्लेटफार्मों का एकीकरण और जांच अधिकारियों के लगातार तथा समन्वित प्रयासों से लंबे समय से फरार अपराधियों को खोजने और पकड़ने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की परिचालन क्षमता को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच ने कांदिवली में 60 करोड़ रुपये के अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया; 943 फर्जी बैंक खातों का खुलासा, 12 गिरफ्तार

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच (यूनिट 2) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए, भारत भर में बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी में शामिल एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सैकड़ों फर्जी बैंक खातों के ज़रिए अवैध लाभ कमा रहा था। जाँच में 60.82 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़े 943 बैंक खातों का पता चला है और अब तक 12 संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
यह घोटाला मुंबई के कांदिवली स्थित दो फर्मों—’डीजी सर्ज कंसल्टेंसी’ और ‘प्रिटिट लॉजिस्टिक्स’—की आड़ में चल रहा था। अधिकारियों ने बताया कि दोनों कंपनियाँ साइबर अपराधियों के लिए बैंक खाते खोलने का माध्यम थीं। एक गुप्त सूचना के आधार पर, अपराध शाखा ने 12 अगस्त को इन फर्मों पर छापा मारा और वैभव पटेल, सुनील कुमार पासवान, अमनकुमार गौतम, खुशबू सुंदरजाला और रितेश बांदेकर समेत प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने 2 लैपटॉप, 25 मोबाइल फ़ोन, 25 बैंक पासबुक, 30 चेकबुक, 46 एटीएम कार्ड, स्वाइप मशीन और विभिन्न दूरसंचार कंपनियों के 104 सिम कार्ड ज़ब्त किए। समता नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और 3(5) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। आगे की जाँच के बाद, 12 और गिरफ़्तारियाँ की गईं।
यह गिरोह एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध नेटवर्क का हिस्सा था। उन्होंने ₹7,000-₹8,000 में बैंकिंग क्रेडेंशियल खरीदे, इन जानकारियों का इस्तेमाल करके खाते खोले और उन्हें धोखेबाजों को मुहैया कराया, जिन्होंने डिजिटल अरेस्ट स्कीम, निवेश धोखाधड़ी और फर्जी ई-कॉमर्स सौदों जैसे घोटाले किए। इन घोटालों से प्राप्त अवैध धन को इन फर्जी खातों के माध्यम से भेजा जाता था।
ज़ब्त किए गए लैपटॉप के डेटा विश्लेषण से पता चला कि गिरोह ने 943 बैंक खाते बनाए थे। इनमें से 181 खाते साइबर धोखाधड़ी में सक्रिय रूप से इस्तेमाल किए जा रहे थे, और देश भर में 339 शिकायतों से जुड़े थे—जिनमें मुंबई में 16, महाराष्ट्र भर में 46 और अन्य राज्यों से 277 शिकायतें शामिल थीं।
पुलिस ने पुष्टि की है कि विभिन्न साइबर धोखाधड़ी योजनाओं के तहत इन खातों के माध्यम से 60.82 करोड़ रुपये निकाले गए। इनमें से 1.67 करोड़ रुपये मुंबई के मामलों से जुड़े हैं। 10.57 करोड़ रुपये महाराष्ट्र से संबंधित धोखाधड़ी से निकाले गए।
राष्ट्रीय समाचार
122 करोड़ का न्यू इंडिया बैंक घोटाला : हिरेन भानु और पत्नी गौरी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस की तैयारी

मुंबई, 23 अगस्त। 122 करोड़ रुपए के कथित घोटाले के मामले में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु, उनकी पत्नी और बैंक की कार्यवाहक उपाध्यक्ष गौरी भानु के खिलाफ मुंबई पुलिस रेड कॉर्नर नोटिस की तैयारी कर रही है। मुंबई की एस्प्लेनेड कोर्ट दोनों के खिलाफ घोषित अपराधी का नोटिस जारी कर चुकी है। इसके बाद, मुंबई पुलिस अपनी कार्रवाई में जुट गई है।
मुंबई पुलिस ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने हिरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु के खिलाफ पहले ही चार्जशीट दाखिल करने के बाद दूसरी बार गैर-जमानती वारंट जारी किया था, क्योंकि घोटाले के उजागर होने से पहले ही दोनों आरोपी विदेश फरार हो गए थे।
मुंबई पुलिस का कहना है कि अब कोर्ट की ओर से घोषित अपराधी नोटिस जारी होने के बाद ईओडब्ल्यू रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी करने का अनुरोध करने की तैयारी कर रही है। इंटरपोल की मदद से यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें करीब एक महीने का समय लग सकता है।
मुंबई के एस्प्लेनेड कोर्ट ने अप्रैल में हिरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु को 122 करोड़ रुपए के गबन मामले में भगोड़ा अपराधी घोषित किया। इसी समय, अदालत ने पुलिस को मामले में पांच आरोपियों की 167.85 करोड़ रुपए कीमत की 21 संपत्तियों को कुर्क करने की भी अनुमति दी थी। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) इस मामले में बैंक के पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता और पूर्व सीईओ अभिमन्यु भोन समेत 8 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
घोटाले का खुलासा होने के बाद हिरेन भानु अपनी पत्नी के साथ देश छोड़कर चले गए। हालांकि, हिरेन भानु ने खुद को निर्दोष बताते हुए गिरफ्तार वरिष्ठ अधिकारी हितेश मेहता पर 122 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होने का आरोप लगाया था। अपने बयान में हिरेन भानु ने खुलासा किया था कि मेहता ने फरवरी में बैंक के प्रभादेवी मुख्यालय में आरबीआई के अधिकारियों के पहली बार पहुंचने पर एक फोन कॉल के दौरान अपराध स्वीकार किया था।
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