राजनीति
इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘2024 विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर बहुत आश्वस्त’; मुस्लिम अल्पसंख्यक पर बत्तखों का सवाल

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साक्षात्कार में कहा कि जो लोग उनकी सरकार पर संदेह करते हैं वे भी “गलत साबित होंगे”। उन्होंने कहा, “1947 में, जब भारत स्वतंत्र था, तब चले गए अंग्रेजों ने भारत के भविष्य के बारे में बहुत ही भयानक भविष्यवाणियां कीं। लेकिन हमने देखा है कि वे सभी भविष्यवाणियां और पूर्व धारणाएं झूठी साबित हुई हैं।” विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद दिए गए एक साक्षात्कार में वह आमने-सामने और लिखित प्रतिक्रियाओं के माध्यम से पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे, जब भाजपा जश्न मना रही थी। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन से अंश लिखित प्रतिक्रियाएँ थे और कौन से अंश सीधे प्रधानमंत्री के समक्ष रखे गए थे। प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि वह आम चुनावों में भी “जीत के प्रति बहुत आश्वस्त” थे। उन्होंने कहा, “आज भारत के लोगों की आकांक्षाएं 10 साल पहले की आकांक्षाओं से बिल्कुल अलग हैं।”
“उन्हें एहसास है कि हमारा देश उड़ान भरने के कगार पर है। वे चाहते हैं कि इस उड़ान में तेजी लाई जाए, और वे जानते हैं कि इसमें तेजी लाने के लिए सबसे अच्छी पार्टी वही है जो उन्हें यहां तक लेकर आई है।” गौरतलब है कि मुस्लिम अल्पसंख्यक पर पूछे गए सवाल को प्रधानमंत्री मोदी टाल गए। जब उनसे पूछा गया कि भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक का क्या भविष्य है, तो मोदी ने इसके बजाय भारतीय पारसियों की आर्थिक सफलता की ओर इशारा किया, जिन्हें वह “भारत में रहने वाले धार्मिक सूक्ष्म-अल्पसंख्यक” के रूप में वर्णित करते हैं। मोदी एक प्रतिक्रिया में कहते हैं, ”दुनिया में कहीं भी उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद, उन्हें भारत में एक सुरक्षित आश्रय मिल गया है, वे खुशी से और समृद्ध होकर रह रहे हैं।” यह देश के लगभग 200 मिलियन मुसलमानों का कोई सीधा संदर्भ नहीं है।” इससे पता चलता है कि भारतीय समाज स्वयं किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक के प्रति भेदभाव की कोई भावना नहीं है।”
प्रधानमंत्री ने एक सवाल को हंसकर टाल दिया. अपने आलोचकों पर मोदी सरकार की कथित कार्रवाई के बारे में एक सवाल पर काफी देर तक हंसी आई। मोदी कहते हैं, “पूरा पारिस्थितिकी तंत्र है जो हमारे देश में उपलब्ध स्वतंत्रता का उपयोग संपादकीय, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया, वीडियो, ट्वीट्स आदि के माध्यम से हर दिन हम पर ये आरोप लगाने के लिए कर रहा है।” उन्हें ऐसा करने का अधिकार है. लेकिन दूसरों को तथ्यों के साथ जवाब देने का समान अधिकार है।” साक्षात्कार के दौरान अन्यत्र, प्रधान मंत्री मोदी ने कहा, “हमारे आलोचक अपनी राय और उन्हें व्यक्त करने की स्वतंत्रता के हकदार हैं। हालांकि, ऐसे आरोपों के साथ एक बुनियादी मुद्दा है, जो अक्सर आलोचना के रूप में सामने आते हैं,” उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के स्वास्थ्य पर चिंताओं के बारे में कहा। उन्होंने कहा, ”ये दावे न केवल भारतीय लोगों की बुद्धिमत्ता का अपमान करते हैं, बल्कि मूल्यों के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को भी कम आंकते हैं। विविधता और लोकतंत्र।”
यह पूछे जाने पर कि भ्रष्टाचार, प्रशासनिक बाधाएं और युवाओं के बीच कौशल की कमी चीन की आर्थिक प्रगति को दोहराने में बाधा बन रही है, मोदी ने जवाब दिया, “यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल नहीं कर पाता अगर ऐसा होता आपने जिन मुद्दों पर प्रकाश डाला है वे सुझाए गए अनुसार व्यापक थे। अक्सर ये चिंताएं धारणाओं से उत्पन्न होती हैं और धारणाओं को बदलने में कभी-कभी समय लगता है।” जब उनका ध्यान बेरोजगारी पर भारत के आंकड़ों के अपर्याप्त होने और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के अनुसार, 9 प्रतिशत पर चल रहा था, की ओर जाता है, तो मोदी “इसके बजाय आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण द्वारा एकत्र किए गए बेरोजगारी के आंकड़ों का हवाला देते हैं, जो मोदी कहते हैं , “बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट की ओर इशारा करता है।” “उत्पादकता और बुनियादी ढांचे के विस्तार जैसे विभिन्न प्रदर्शन मापदंडों का मूल्यांकन करते समय, यह स्पष्ट हो जाता है कि एक विशाल और युवा राष्ट्र, भारत में रोजगार सृजन वास्तव में तेज हो गया है।”
राजनीति
राजद और कांग्रेस को पहचान चुकी बिहार की जनता, बनेगी एनडीए की सरकार: केशव प्रसाद मौर्य

पटना, 21 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा एक ढांचा है और उसकी समर्थक कांग्रेस ने पूरे देश का शोषण किया है।
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि आरजेडी और कांग्रेस की संस्कृति ही शोषण और भ्रष्टाचार पर आधारित है। ये दोनों पार्टियां लुटेरी हैं, जो गरीबों, किसानों, गांवों, देश और बिहार का शोषण करती हैं। तेजस्वी यादव ने बिहार और कांग्रेस ने देश को लूटा। इनकी यही परिपाटी है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष पिछले 20 साल से सत्ता से बाहर है और 2047 तक सत्ता में वापसी की उनकी कोई संभावना नहीं है। एनडीए ने पहले प्रचार अभियान रोक दिया था, लेकिन अब जनता के उत्साह और समर्थन के साथ हम जीत की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि जनता का समर्थन लगातार बढ़ रहा है और एनडीए सुशासन और रामराज की स्थापना की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। बिहार की जनता ने इस बार के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को चुनने का मन बना लिया है और यह बिहार के इतिहास में एनडीए की सबसे बड़ी जीत होगी।
उन्होंने विपक्षी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, “बिहार की जनता इन दलों को सबक सिखा रही है। राहुल गांधी 2029 और तेजस्वी यादव 2030 की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन बिहार की जनता ने 2025 में एनडीए को चुन लिया है।”
केशव प्रसाद मौर्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वह एनडीए के सर्वोच्च नेता हैं और बिहार उनकी सभाओं का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम जोरों पर हैं और तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बिहार में सुशासन के साथ-साथ रामराज की स्थापना हो रही है। एनडीए का लक्ष्य बिहार में विकास और सुशासन को और मजबूत करना है।”
राजनीति
बिहार चुनाव 2025: निर्वाचन आयोग ने प्रिंट विज्ञापनों के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर : भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 और आठ विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों के लिए प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं।
यह कदम निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। आयोग ने मतदान की तारीखें 6 नवंबर (गुरुवार) और 11 नवंबर (मंगलवार) तय की हैं, जो दो चरणों में होंगे। इन दिशानिर्देशों के तहत प्रचार के दौरान अनुचित प्रभाव को रोकने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं।
आयोग के अनुसार, कोई भी राजनीतिक दल, उम्मीदवार, संगठन या व्यक्ति मतदान के दिन और उससे एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकता, जब तक कि उसकी सामग्री को राज्य या जिला स्तर की मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) से पूर्व-प्रमाणन न मिले। बिहार में यह प्रतिबंध पहले चरण के लिए 5 और 6 नवंबर को, जबकि दूसरे चरण के लिए 10 और 11 नवंबर 2025 को लागू होगा। यह कदम मतदाताओं को गलत जानकारी से बचाने और निष्पक्ष माहौल बनाने के लिए उठाया गया है।
चुनाव आयोग के मुताबिक, जो लोग प्रिंट विज्ञापनों के लिए पूर्व-प्रमाणन चाहते हैं, उन्हें विज्ञापन प्रकाशन की प्रस्तावित तारीख से कम से कम दो दिन पहले एमसीएमसी में आवेदन करना होगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई विज्ञापन 6 नवंबर को छपना है, तो 4 नवंबर तक आवेदन जमा करना जरूरी है।
आयोग ने बताया कि राज्य और जिला स्तर पर एमसीएमसी को सक्रिय कर दिया गया है। ये समितियां विज्ञापनों की जांच तेजी से करेंगी और जल्द से जल्द निर्णय लेंगी ताकि प्रक्रिया में देरी न हो।
आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से इन नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बिहार में आगामी चुनावों को स्वच्छ और निष्पक्ष बनाने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस भी इन दिशानिर्देशों को लागू करने में सहयोग करेंगे। मतदाताओं से अपील की गई है कि वे जागरूक रहें और किसी भी अनुचित प्रचार की शिकायत तुरंत निर्वाचन आयोग से करें।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
अमेरिका ने 1 लाख डॉलर की एच-1बी वीजा फीस पर दी सफाई, मौजूदा वीजा धारक रहेंगे मुक्त

वॉशिंगटन, 21 अक्टूबर: विदेशी पेशेवरों को बड़ी राहत देते हुए अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने एच-1बी वीजा की 1 लाख डॉलर आवेदन फीस पर नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें कई छूटें और अपवाद शामिल किए गए हैं।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, जो लोग एफ-1 (छात्र) वीजा से एच-1बी वीजा श्रेणी में स्विच कर रहे हैं, उन्हें यह भारी शुल्क नहीं देना होगा। इसी तरह, अमेरिका के भीतर रहकर वीजा में संशोधन, स्थिति परिवर्तन या अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन करने वाले एच-1बी वीजा धारकों पर भी यह शुल्क लागू नहीं होगा।
इसके अलावा, मौजूदा एच-1बी वीजा धारकों को देश में आने-जाने पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। यह शुल्क केवल उन नए आवेदकों पर लागू होगा जो अमेरिका के बाहर हैं और जिनके पास मान्य एच-1बी वीजा नहीं है। नई आवेदन प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन भुगतान लिंक भी जारी किया गया है।
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब अमेरिकी वाणिज्य मंडल ने इस फैसले के खिलाफ ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा दायर किया है। संगठन ने इस फीस को “गैरकानूनी” बताते हुए कहा कि इससे अमेरिकी व्यवसायों पर “गंभीर आर्थिक असर” पड़ेगा और कंपनियों को या तो अपने श्रम खर्च में भारी बढ़ोतरी करनी पड़ेगी या फिर कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती कम करनी होगी।
ट्रंप प्रशासन के खिलाफ यह दूसरी बड़ी कानूनी चुनौती है। इससे पहले, श्रमिक संघों, शिक्षा विशेषज्ञों और धार्मिक संस्थाओं के समूह ने भी 3 अक्टूबर को मुकदमा दायर किया था।
ट्रंप ने 19 सितंबर को हस्ताक्षरित इस घोषणा पर कहा था कि इसका उद्देश्य “अमेरिकी नागरिकों को रोजगार का प्रोत्साहन देना” है। हालांकि, इस फैसले से मौजूदा वीजा धारकों में भ्रम की स्थिति बन गई थी कि क्या वे अमेरिका लौट पाएंगे या नहीं।
व्हाइट हाउस ने 20 सितंबर को आईएएनएस से कहा था कि यह “एक बार लिया जाने वाला शुल्क” है, जो केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा, न कि नवीनीकरण या मौजूदा वीजा धारकों पर।
बता दें कि 2024 में भारतीय मूल के पेशेवरों को कुल स्वीकृत एच-1बी वीजाओं में 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी मिली थी। इसका कारण था वीजा स्वीकृति में लंबित मामलों का भारी बैकलॉग और भारत से आने वाले उच्च कौशल वाले आवेदकों की बड़ी संख्या।
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