अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान ने लगातार 12वें दिन किया संघर्ष विराम का उल्लंघन, भारतीय सेना ने दिया जवाब

जम्मू, 6 मई। पाकिस्तानी सेना के कारण नियंत्रण रेखा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। यहां 12वें दिन भी पाकिस्तान की सैन्य चौकियों द्वारा संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया। पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा के पार से गोलीबारी की।
भारतीय सेना के मुताबिक 05-06 मई की रात, पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला, पुंछ, राजौरी, मेंढर, नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर के आसपास के इलाकों में गोलीबारी की। यह गोलीबारी नियंत्रण रेखा के पार से पाकिस्तान सेना की चौकियों द्वारा बिना उकसावे के छोटे हथियारों से की गई। भारतीय सेना ने इस गोलीबारी का उचित जवाब दिया।
पाकिस्तान न केवल नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी कर रहा है, बल्कि पाकिस्तान से जुड़े साइबर हैकर्स ने भारतीय वेबसाइट्स पर भी निशाना साधा है। पाकिस्तानी साइबर हमलावरों ने भारत में रक्षा और सशस्त्र बलों से जुड़ी वेबसाइटों पर साइबर अटैक के जरिए संवेदनशील डेटा चुराने की कोशिश की है। पाकिस्तानी हैकर्स के ट्विटर अकाउंट “पाकिस्तान साइबर फोर्स” के माध्यम से यह दावा किया गया है कि उन्होंने भारतीय मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) और मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान से संवेदनशील जानकारी प्राप्त कर ली है।
इस दावे से यह संकेत मिलता है कि हमलावरों ने रक्षा कर्मियों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारियां और लॉगिन क्रेडेंशियल्स तक पहुंच बनाई हो। भारत के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और एजेंसियों ने तुरंत प्रभावी कदम उठाते हुए कार्रवाई की है। जम्मू-कश्मीर स्थित पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और उसके बाद नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति के बीच पाकिस्तान साइबर हैकर्स को भी आगे कर रहा है।
इस बीच भारत संयम से लेकिन उचित कार्रवाई कर रहा है। भारत को वैश्विक समुदाय का भी साथ मिल रहा है। इसी कड़ी में जापान के रक्षामंत्री सोमवार को भारत पहुँचे। उन्होंने यहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात में जापान के रक्षा मंत्री ने भारत को पूर्ण समर्थन की बात कही।
सोमवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जापान के रक्षामंत्री जनरल नाकातानी के बीच यह महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। नई दिल्ली में हुई इस मुलाकात के दौरान जापानी रक्षामंत्री ने भारत को अपना समर्थन दिया। उन्होंने बताया कि जापान भारत के साथ खड़ा है। भारत और जापान के रक्षा मंत्रियों की इस महत्वपूर्ण बैठक में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की भी चर्चा हुई।
जापान के रक्षामंत्री नाकातानी ने पहलगाम हमले के मामले में भारत के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। जापान के रक्षा मंत्री से हुई इस मुलाकात के उपरांत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्हें नई दिल्ली में जापान के रक्षा मंत्री जनरल नाकातानी से मिलकर बहुत खुशी हुई। भारत जापान के साथ विशेष, रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी रखता है। द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत और जापान ने रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा की है।
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान : स्वात नदी में अचानक आई बाढ़ में 18 पर्यटक बह गए, 7 लोगों की मौत

इस्लामाबाद, 27 जून। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में स्वात नदी में शुक्रवार को अचानक आई बाढ़ में महिलाओं और बच्चों सहित 18 पर्यटक बह गए, जिससे सात लोगों की मौत हो गई।
स्थानीय मीडिया के अनुसार यह घटना फिजागत क्षेत्र में घटी, जहां दो परिवारों के सदस्य नदी किनारे नाश्ता कर रहे थे, तभी अचानक जलस्तर बढ़ने से कई लोग बह गए। बचाव अभियान के दौरान तीन व्यक्तियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
एक बचाव अधिकारी ने बताया कि हमें सुबह करीब आठ बजे इन लोगों के डूबने की सूचना मिली। बाईपास पर मेहमान आए हुए थे, जो नदी के किनारे बैठे थे। इन लोगों को पानी के रिलीज होने की जानकारी नहीं थी।
घटना की पुष्टि करते हुए स्वात के डिप्टी कमिश्नर शहजाद महबूब ने बताया कि सात लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। अचानक आई बाढ़ के कारण कई जगहों पर करीब 73 लोग फंसे हुए हैं। बचाव अभियान में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं।
एक पर्यटक ने बताया कि उसके परिवार के 10 सदस्य बह गए, जिनमें से एक महिला का शव बरामद हो गया। नौ बच्चों की तलाश अभी भी जारी है।
परिवार के सदस्य के हवाले से स्थानीय मीडिया ने बताया कि हम चाय-नाश्ता कर रहे थे और बच्चे नदी के पास सेल्फी लेने चले गए। उस समय नदी में ज्यादा पानी नहीं था। घटना की सूचना मिलने के कई घंटे बाद बचाव अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक बच्चे नदी में बह चुके थे।
इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें महिलाएं और बच्चे नदी में फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं।
इस बीच, प्रत्यक्षदर्शियों ने स्थानीय अधिकारियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे घोर लापरवाही बताते हुए आरोप लगाया कि वीडियो में फंसे पर्यटक लगभग दो घंटे तक बिना किसी सहायता के कारण बह गए। उन्होंने दावा किया कि मदद के लिए बेताब चीख-पुकार के बावजूद, तत्काल बचाव प्रयास शुरू नहीं किया गया।
रिपोर्टों से पता चलता है कि पीड़ित पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के निवासी थे।
अंतरराष्ट्रीय
सर्वसम्मति से चलता है एससीओ, राजनाथ का दस्तावेज पर हस्ताक्षर न करना सही फैसला: जयशंकर

नई दिल्ली, 27 जून। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की तरफ से ‘मॉक पार्लियामेंट’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शिरकत की। उन्होंने एससीओ समिट, आपातकाल के दौर और ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह का एससीओ समिट में दस्तावेज पर साइन नहीं करना सही फैसला है।
जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एससीओ समिट पर कहा, “एससीओ का गठन आतंकवाद से लड़ने के उद्देश्य से किया गया था। जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रक्षा मंत्रियों की बैठक में गए और दस्तावेज पर चर्चा हुई, तो एक देश ने कहा कि वे इसमें आतंकवाद का उल्लेख नहीं चाहते। राजनाथ सिंह का सही मत था कि बिना आतंकवाद के उल्लेख के ( वो भी तब जब संगठन का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है) वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। एससीओ सर्वसम्मति से चलता है, इसलिए राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कहा कि अगर बयान में आतंकवाद का उल्लेख नहीं होगा, तो हम उस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने इमरजेंसी पर बात करते हुए कहा, “मैंने मॉक पार्लियामेंट में इमरजेंसी से जुड़े अपने विचार साझा किए। जिस दौरान देश में इमरजेंसी की घोषणा की गई थी, उस समय मेरी उम्र 20 साल के आसपास थी। हमें युवा पीढ़ी को बताना होगा कि आपातकाल के क्या नुकसान थे? उस दौर में किस तरह से मीडिया पर हमला किया गया। लोकतंत्र और संविधान की हत्या की गई और इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि को बिगाड़ा गया। हम सभी लोगों को इमरजेंसी पर जरूर विचार करना चाहिए। मैंने युवाओं से कहा कि आपातकाल इसलिए लगाया गया, क्योंकि एक परिवार के हित को राष्ट्र हित से आगे रखा गया। आज राष्ट्र के हित को प्राथमिकता दी जाती है।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “संविधान हाथ में रखकर घूमने से कुछ नहीं होता है। संविधान मन में होना चाहिए। कांग्रेस के डीएनए में इमरजेंसी है। आज वो संविधान की बात करते अच्छे नहीं लगते हैं।”
जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सभी दलों के एकजुट होने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, “मुझे बहुत गर्व महसूस होता है, जब मैं शशि थरूर, सुप्रिया सुले, कनिमोझी, संजय झा, जय पांडा, रविशंकर प्रसाद और श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को देखता हूं। जब मैं सभी दलों को एकजुट होकर विश्व पटल पर राष्ट्रीय हित में बोलते देखता हूं, उन्हें ये कहते सुनता हूं कि आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है और जब सब एक सुर में कहते हैं हमें आतंक के खिलाफ अपनी रक्षा का अधिकार है, तो मेरे लिए वो गर्व का क्षण होता है।”
उन्होंने कहा, “हर देश में जहां भी प्रतिनिधिमंडल गया, उन्हें बताया गया कि सबसे प्रभावशाली बात यह थी कि सभी दल एकजुट होकर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। यह हमारे लिए एक महान क्षण था।”
अंतरराष्ट्रीय
युद्ध विराम के बाद नहीं दिखे अयातुल्ला अली खामेनेई, उठने लगे सवाल

नई दिल्ली, 26 जून। इजरायल-ईरान संघर्ष का पटाक्षेप युद्ध विराम से हो गया। इस सबके बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की अनुपस्थिति को लेकर विदेशी मीडिया में हलचल तेज है और कई तरह के सवाल पूछे जाने लगे हैं।
मिडिया ने इशारों-इशारों में बात कही तो इजरायली मीडिया ने भी सवाल पूछना शुरू कर दिया। मिडिया के अनुसार ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को बीते एक सप्ताह से न तो सार्वजनिक रूप से देखा गया, और न ही उनसे कोई बात हुई है। ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम के बावजूद खामेनेई अब तक सामने नहीं आए हैं। ‘द टाइम्स ऑफ इजरायल’ ने भी इस खबर को प्रमुखता से उठाया है।
दावा किया जा रहा है कि ईरान-इजरायल के बीच 13 जून से संघर्ष बढ़ गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक तभी खामेनेई को छिपा लिया गया था। आशंका जताई जा रही है कि खामेनेई संभवत: अभी भी छिपे हैं। उन्हें इस बात का डर है कि यरुशलम उनकी हत्या की कोशिश कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक अयातुल्ला अली खामेनेई की स्थिति को लेकर कोई अपडेट नहीं मिला है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या खामेनेई अभी भी जो कुछ चल रहा है उस पर शायद करीबी नजर बनाए हुए हैं। आर्टिकल के मुताबिक जब एक इंटरव्यू के दौरान खामेनेई के आर्काइव ऑफिसर मेहदी फजाएली से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “हम सभी को प्रार्थना करनी चाहिए। सर्वोच्च नेता की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोग अपना काम अच्छी तरह से कर रहे हैं। ईश्वर की इच्छा से, हमारे लोग अपने नेता के बगल में जीत का जश्न मना सकते हैं।”
एक और वजह से संदेह पैदा हो रहा है। दरअसल, तेहरान में, सप्ताहांत में अमेरिका और इजरायल विरोधी रैली के दौरान महिलाओं को खामेनेई की तस्वीरें पकड़े देखा गया और ये देश के सर्वोच्च अधिकारी की ओर से किसी सार्वजनिक निर्देश या संदेश के अभाव में यह एक दुर्लभ घटना है। ईरानी अखबारों में भी इसे लेकर फिक्र जताई गई है।
खामेनेई की सुरक्षा ईरान की स्पेशल सिक्योरिटी ‘सेपाह-ए-वली-ए-अम्र’ के हवाले है, जिसमें करीब 12 हजार बॉडीगार्ड्स रहते हैं। इन सभी की जिम्मेदारी अलग-अलग होती है।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अब 86 साल के हो गए हैं। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि खामेनेई को सत्ता से हटाने की कोशिशें भी चल रही हैं। ईरान का उदारवादी समूह मानता है कि खामेनेई की नीतियों ने ही ईरान को इजरायल के साथ संघर्ष में फंसाया है।
हालांकि, ईरान में फिलहाल ऐसा कोई संगठित विपक्ष नहीं है, जो खामेनेई शासन को सीधे चुनौती दे सके। विपक्षी समूह ‘मुजाहिदीन-ए-खल्क कमजोर’ पड़ चुका है।
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