अंतरराष्ट्रीय समाचार
पाक सेना प्रमुख ने भारत को दी चेतावनी, बालाकोट प्रतिक्रिया की दिलाई याद
पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत को खुली चेतावनी देते हुए दावा किया है कि उनका देश ‘पांचवीं पीढ़ी या हाइब्रिड युद्ध’ जीतने में सफल हो जाएगा।
रावलपिंडी स्थित जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) में रविवार को रक्षा दिवस और शहीद दिवस के उपलक्ष्य पर एक समारोह को संबोधित करते हुए बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान को देश और उसके सशस्त्र बलों को बदनाम करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “हम उस चुनौती का सामना कर रहे हैं, जो हम पर पांचवीं पीढ़ी या हाइब्रिड युद्ध के रूप में लगाया गया (थोपा) है। इसका उद्देश्य देश और उसके सशस्त्र लड़ाकों को बदनाम करना और अराजकता फैलाना है।”
बाजवा ने कहा, “हम इस खतरे से अच्छी तरह परिचित हैं। हम निश्चित रूप से राष्ट्र के सहयोग से इस युद्ध को जीतने में सफल होंगे।”
भारत का नाम लिए बिना खुली और स्पष्ट चेतावनी देते हुए बाजवा ने कहा कि अगर युद्ध थोपा गया तो पाकिस्तान हर आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब देगा।
उन्होंने कहा, “मैं अपने देश और दुनिया को संदेश देना चाहता हूं कि पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है, लेकिन अगर हम पर युद्ध थोपा जाता है, तो हम हर आक्रामकता का जवाब देंगे।”
पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने कहा, “हम दुश्मन के नापाक इरादों को हराने के लिए हमेशा तैयार हैं।”
भारत पर निशाना साधते हुए, बाजवा ने कहा कि 1965 में पाकिस्तान ने भारत को हराया था।
उन्होंने भारत द्वारा 2019 बालाकोट एयर स्ट्राइक (हवाई हमला) की पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को भी याद दिलाया, जिसमें कहा गया कि देश की प्रतिक्रिया पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा पाकिस्तान की ओर से बालाकोट एयर स्ट्राइक को विफल करने का दावा भी किया।
बाजवा ने कहा, “हम पूरी दुनिया और विशेष रूप से अपने क्षेत्र में शांति चाहते हैं। अफगानिस्तान में शांति प्रयासों में पाकिस्तान की अहम भूमिका है, लेकिन हमारे पड़ोसी भारत ने हमेशा की तरह गैर जिम्मेदाराना रुख अपनाया है।”
दोनों देशों के बीच कश्मीर के लंबे समय से चल रहे विवाद का उल्लेख करते हुए जनरल बाजवा ने कहा, “भारत ने अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करते हुए, एक बार फिर क्षेत्र में शांति के लिए खतरा पैदा कर दिया है।”
अंतरराष्ट्रीय समाचार
सऊदी अरब में भारी बारिश, मक्का और मदीना में सड़कें पानी से लबालब, ट्रैफिक जाम में फंसे लोग
रियाद, 7 जनवरी। सऊदी अरब के जेद्दा शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों सहित मक्का और मदीना के अधिकांश इलाकों में सोमवार को भारी बारिश, तूफान और ओलावृष्टि हुई।
पर्यावरण, जल और कृषि मंत्रालय के अनुसार, बदर प्रांत के अल-शफ़ियाह में सबसे ज़्यादा 49.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, उसके बाद जेद्दा के अल-बसातीन में 38 मिमी बारिश दर्ज की गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मदीना में पैगंबर की मस्जिद के केंद्रीय हरम क्षेत्र में 36.1 मिमी और क्यूबा मस्जिद के पास 28.4 मिमी बारिश शामिल है।
सड़कें और चौराहे बारिश के पानी से भर गए, जिससे मक्का, जेद्दा और मदीना शहरों में राजमार्गों और सड़कों पर यातायात बाधित हुआ।
राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (एनसीएम) ने जनता से अधिकारियों की ओर से जारी की गई सलाह और चेतावनियों का सख्ती से पालन करने की अपील ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
जेद्दा में किंग अब्दुलअजीज इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने पैसेंजर से एयरपोर्ट पर जाने से पहले अपने संबंधित एयर कैरियर से संपर्क करने और उड़ान कार्यक्रम अपडेट की जांच करने की अपील की।
एनसीएम के प्रवक्ता हुसैन अल-कहतानी ने कहा कि जेद्दा प्रांत में मध्यम से भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य भर के क्षेत्रों में बारिश की स्थिति अभी भी जारी है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
नेपाल-तिब्बत सीमा पर भूकंप से तबाही, मृतकों की संख्या बढ़कर हुई 53
नई दिल्ली, 7 जनवरी। मंगलवार सुबह नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र में 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आने से कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और 62 लोग घायल हो गए। मीडिया रिपोट्स में यह दावा किया गया।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) ने पुष्टि की है कि भूकंप सुबह 6:35 बजे (आईएसटी) आया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.86 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.51 डिग्री पूर्व में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। स्थान की पहचान नेपाल की सीमा के पास शिज़ांग (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) के रूप में की गई है।
मीडिया ने बताया कि शिज़ांग शहर में बड़ी तबाही हुई, कई लोगों की मौत हुई जबकि कई अन्य घायल हो गए।
शिगाजे (शिगात्से) में डिंगरी के चांगसुओ टाउनशिप के टोंगलाई गांव में, कथित तौर पर कई घर ढह गए।
भूकंप के झटके पूरे उत्तर भारत में भी महसूस किए गए। बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में इसका भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए। भारत में अब तक किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
शुरुआती भूकंप के बाद दो झटके महसूस किए गए। पहला सुबह 7:02 बजे (आईएसटी) 4.7 तीव्रता का झटका दर्ज किया गया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.60 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.68 डिग्री पूर्व पर, 10 किलोमीटर की गहराई पर था और दूसरा 4.9 तीव्रता का भूकंप सुबह 7:07 बजे (आईएसटी) आया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.68 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.54 डिग्री पूर्व पर, 30 किलोमीटर की गहराई पर था।
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने भूकंप का स्थान नेपाल-तिब्बत सीमा के पास लोबुचे से 93 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में बताया। लोबुचे काठमांडू से लगभग 150 किलोमीटर पूर्व और एवरेस्ट बेस कैंप से 8.5 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में खुम्बू ग्लेशियर के पास स्थित है।
नेपाल, एक अत्यधिक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है जहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं, भूकंप के लिए कोई अजनबी नहीं है। यह टेक्टोनिक गतिविधि, जो हिमालयी क्षेत्र का निर्माण करती है, अक्सर अलग-अलग परिमाण की भूकंपीय घटनाओं का कारण बनती है।
नेपाल और प्रभावित भारतीय क्षेत्रों के अधिकारी सतर्क हैं और स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। भूकंप ने ऐतिहासिक रूप से विनाशकारी भूकंपीय गतिविधि के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में चिंताओं को फिर से जगा दिया है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
नेपाल-तिब्बत सीमा पर 7.1 तीव्रता के भूकंप से 32 लोगों की मौत
नई दिल्ली, 7 जनवरी। नेपाल-तिब्बत सीमा पर मंगलवार को आए 7.1 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई और 38 घायल हो गए। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह जानकारी सामने आई है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) ने बताया कि भूकंप सुबह 6:35 बजे आया। जिसका केंद्र अक्षांश 28.86 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.51 डिग्री पूर्व में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप का केंद्र नेपाल सीमा के पास शिजांग (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) में स्थित था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, भूकंप के कारण जिजांग शहर में 32 लोग मारे गए तथा 38 अन्य घायल हो गए।
इसके अतिरिक्त, शिगाजे के डिंगरी के चांगसुओ कस्बे में स्थित टोंगलाई गांव में कई मकान ढहने की खबरें आईं, जिसे शिगात्से के नाम से भी जाना जाता है।
भूकंप से बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में भी झटके महसूस किए गए।
इसके कुछ ही समय बाद इस क्षेत्र में दो और भूकंप के झटके दर्ज किए गए। सुबह 7:02 बजे 4.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.60 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.68 डिग्री पूर्व में 10 किलोमीटर की गहराई पर था।
कुछ ही मिनट बाद, सुबह 7:07 बजे 4.9 तीव्रता का एक और भूकंप 28.68 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 87.54 डिग्री पूर्वी देशांतर पर 30 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया।
बिहार के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग घबराकर अपने घरों और अपार्टमेंट से बाहर निकल आए। हालांकि, अभी तक किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की खबर नहीं है।
नेपाल भूकंपीय दृष्टि से सक्रिय क्षेत्र है, जहां भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराती हैं। हिमालय में टेक्टोनिक गतिविधि के कारण देश में अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, भूकंप नेपाल-तिब्बत सीमा के पास लोबुचे से 93 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में आया। खुंबू ग्लेशियर के पास स्थित लोबुचे, काठमांडू से लगभग 150 किलोमीटर पूर्व में और एवरेस्ट बेस कैंप से 8.5 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
भूकंपीय गतिविधि ने इस क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है। नेपाल और भारत के प्रभावित हिस्सों में अधिकारी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
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