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Wednesday,16-April-2025
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मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्म विभूषण से सम्मानित रामोजी राव के निधन पर शोक व्यक्त किया

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नई दिल्ली: मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ईनाडु मीडिया समूह के अध्यक्ष और रामोजी फिल्म सिटी के संस्थापक रामोजी राव के निधन पर शोक व्यक्त किया।

एक्स पर एक पोस्ट में, मोदी ने कहा कि रामोजी राव का निधन बेहद दुखद है क्योंकि उन्होंने पत्रकारिता और फिल्म उद्योग में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।

पोस्ट में कहा गया, “वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय मीडिया में क्रांति ला दी। उनके समृद्ध योगदान ने पत्रकारिता और फिल्म जगत पर एक अमिट छाप छोड़ी है। अपने उल्लेखनीय प्रयासों के माध्यम से, उन्होंने मीडिया और मनोरंजन जगत में नवाचार और उत्कृष्टता के लिए नए मानक स्थापित किए।”

उन्होंने कहा, “रामोजी राव गारू भारत के विकास को लेकर बेहद भावुक थे। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनकी बुद्धिमत्ता से लाभ उठाने के कई अवसर मिले। इस कठिन समय के दौरान उनके परिवार, दोस्तों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।” .

टीडीपी सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ने रामोजी राव के निधन पर दुख व्यक्त किया

तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ने भी राव के निधन पर दुख व्यक्त किया।

“एक साधारण परिवार में जन्मे और असाधारण उपलब्धियाँ हासिल करने वाले रामोजी राव की मृत्यु से बहुत दुख हुआ। एक अक्षर योद्धा के रूप में, रामोजी ने तेलुगु राज्यों और देश के लिए कई सेवाएँ प्रदान कीं। उनका निधन न केवल देश के लिए एक बड़ी क्षति है। नायडू ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, तेलुगु लोगों के लिए बल्कि देश के लिए भी। समाज के कल्याण के लिए अथक प्रयास करने की उनकी प्रसिद्धि शाश्वत है।

“मीडिया के क्षेत्र में रामोजी का एक अनोखा युग था। कई चुनौतियों और समस्याओं को पार करते हुए रामोजी राव ने जिस तरह बिना हार माने मूल्यों के साथ संगठन को चलाया वह हर किसी के लिए प्रेरणा है। अपनी एक दशक लंबी यात्रा में रामोजी राव ने हमेशा इसके लिए काम किया है।” लोगों और समाज के कल्याण के लिए वह मीडिया उद्योग में शिखर पर थे और हम इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि वह अब नहीं रहे।”

नायडू ने राव को समस्याओं से लड़ने में एक प्रेरणा बताया और उनके दशकों पुराने सहयोग को याद किया।

“मैं रामोजी राव के साथ 4 दशकों तक जुड़ा रहा। अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहने का उनका तरीका मुझे उनके करीब ले आया। समस्याओं से लड़ने में वह मेरे लिए एक प्रेरणा हैं। अच्छी नीतियां प्रदान करने में रामोजी के सुझाव और सलाह हमेशा महत्वपूर्ण रहे।” नायडू ने कहा, ”रामोजी के निधन पर उनके परिवार के सदस्यों और ईनाडु ग्रुप ऑफ कंपनीज के कर्मचारियों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। मैं प्रार्थना करता हूं कि रामोजी राव की आत्मा को शांति मिले।”

टीडीपी महासचिव ने रामोजी राव के निधन पर शोक व्यक्त किया

टीडीपी महासचिव और नायडू के बेटे नारा लोकेश ने भी राव के निधन पर शोक व्यक्त किया।

“रामोजी समूह की कंपनियों के प्रमुख रामोजी राव का निधन तेलुगु समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। मैं एक सार्वजनिक पक्षपाती और लेखन के अथक योद्धा को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। रामोजीराव, जिन्होंने अपने जीवन के अंत तक प्रतिबद्धता के साथ काम किया जनहिता के रूप में जीवन ही हमारा मार्गदर्शक है, रामोजी राव ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आंदोलन की भावना के साथ काम किया,” उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा।

रामोजी राव के बारे में

राव का शनिवार तड़के तेलंगाना के हैदराबाद के स्टार अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे.
राव की विरासत विशाल है, जिसमें कई सफल व्यावसायिक उद्यम और मीडिया प्रोडक्शन शामिल हैं। उनके नेतृत्व में ईनाडु तेलुगु मीडिया में एक बड़ी ताकत बन गया।

उनके अन्य व्यावसायिक उपक्रमों में फिल्म प्रोडक्शन हाउस उषा किरण मूवीज, फिल्म वितरण कंपनी मयूरी फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स, वित्तीय सेवा फर्म मार्गादार्सी चिट फंड और होटल श्रृंखला डॉल्फिन ग्रुप ऑफ होटल्स शामिल हैं। वह टेलीविजन चैनलों के ईटीवी नेटवर्क के प्रमुख भी थे। 2016 में, उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण मिला।

राष्ट्रीय समाचार

वक्फ परिषद के गठन में हिंदू सदस्यों की भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा, गुरुवार को फिर सुनवाई

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नई दिल्ली, 16 अप्रैल। वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने मुस्लिम पक्ष और संशोधन समर्थक दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान विभिन्न संशोधित धाराओं जैसे कि धारा 3, 9, 14, 36 और 83 पर विशेष चर्चा हुई।

मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि इन संशोधनों से उनके संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन हुआ है। उनका कहना था कि संशोधन उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है।

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल और अधिनियम के समर्थकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन पूरी तरह संविधान सम्मत हैं और इनमें मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की कोई बात नहीं है।

सुनवाई के दौरान माननीय न्यायालय ने अपने प्रारंभिक अवलोकन में यह कहा कि अधिकांश संशोधन संविधान के अनुरूप प्रतीत होते हैं। हालांकि, न्यायालय ने ‘यूजर’ की परिभाषा पर स्पष्टता मांगी है। इसके अलावा, वक्फ परिषद के गठन में हिंदू सदस्यों की भूमिका को लेकर भी कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है।

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल और हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं से इन दोनों मुद्दों पर विशेष रूप से सहायता और स्पष्टीकरण देने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर 2 बजे होगी।

इससे पहले मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस अहम मामले में वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें रखनी शुरू कीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस की शुरुआत की, जिसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें पेश कीं।

अधिवक्ता सिंघवी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि देशभर में करीब आठ लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से चार लाख से अधिक संपत्तियां ‘वक्फ बाई यूजर’ के तौर पर दर्ज हैं। उन्होंने इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि जब वे दिल्ली हाईकोर्ट में थे, तब उन्हें बताया गया था कि वह जमीन वक्फ संपत्ति है। उन्होंने कहा, “हमें गलत मत समझिए, हम यह नहीं कह रहे हैं कि सभी वक्फ बाई यूजर संपत्तियां गलत हैं।”

इसके साथ ही बुधवार को दोनों पक्षों के बीच बहस जारी रही और सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दो बजे फिर से सुनवाई का समय दिया है।

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राष्ट्रीय समाचार

वक्फ पर सर्वोच्च न्यायालय में बहस, सीजेआई बोले- आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष, यह सभी पर लागू

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suprim court

नई दिल्ली, 16 अप्रैल। वक्फ कानून को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस अहम मामले में वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें रखनी शुरू कीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस की शुरुआत की, जिसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें पेश कीं।

सिब्बल ने अनुच्छेद 26 का जिक्र किया। फिर कहा अगर मुझे वक्फ बनाना है तो मुझे सबूत देना होगा कि मैं 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं, अगर में मुस्लिम ही जन्मा हूं तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा पर्सनल लॉ यहां पर लागू होगा। अगर वक्फ बनाने वाला कागजात देता है तो वक्फ कायम रहेगा। इस पर सीजीआई ने कहा अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है और ये सभी समुदायों पर लागू होता है।

वहीं, अधिवक्ता सिंघवी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि देशभर में करीब आठ लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से चार लाख से अधिक संपत्तियां ‘वक्फ बाई यूजर’ के तौर पर दर्ज हैं। उन्होंने इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि जब वे दिल्ली हाईकोर्ट में थे, तब उन्हें बताया गया था कि वह जमीन वक्फ संपत्ति है। उन्होंने कहा, “हमें गलत मत समझिए, हम यह नहीं कह रहे हैं कि सभी वक्फ बाई यूजर संपत्तियां गलत हैं।”

बहस के दौरान सिंघवी ने यह भी कहा कि उन्हें यह तक सुनने में आया है कि संसद भवन की जमीन भी वक्फ की है। उन्होंने कोर्ट से पूछा कि क्या अयोध्या केस में जो फैसले दिए गए, वे इस मामले में लागू नहीं होते? उन्होंने संशोधित वक्फ अधिनियम पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की और कहा कि जब तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक संशोधन लागू नहीं किया जाना चाहिए।

इस बीच, अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने भी कहा कि अधिनियम की धारा 3(आर) के तीन पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। खासकर इस बात पर कि ‘इस्लाम का पालन करना’ यदि आवश्यक धार्मिक अभ्यास माना जाता है, तो इसका प्रभाव नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर भी पड़ सकता है। अहमदी ने कहा कि यह अस्पष्टता पैदा करता है ।

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राजनीति

लोगों को जोड़ने वाली कर्म की राजनीति से ही सभी की भलाई संभव : मायावती

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लखनऊ, 16 अप्रैल। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में दोनों राज्यों में पार्टी संगठन की समीक्षा की गई।

बैठक में बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि डबल इंजन की भाजपा सरकार सर्वसमाज के करोड़ों गरीब बहुजनों के समुचित हित, कल्याण एवं विकास के हिसाब से कार्य न करके, सपा सरकार की तरह ही, केवल कुछ क्षेत्र व समूह विशेष के लोगों के लिए ही समर्पित है और वैसा ही दिखना भी चाहती है, जिससे यूपी का बहु-अपेक्षित व अति-प्रतीक्षित विकास प्रभावित हो रहा है। जबकि, बसपा की सभी चारों सरकारों में सर्वसमाज को न्याय दिलाने और विकास में उचित भागीदार बनाने के साथ-साथ कानून द्वारा कानून का राज सख्ती से स्थापित करके खासकर करोड़ों दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, किसानों और बेरोजगारों आदि अन्य उपेक्षितों के हितों की रक्षा, सुरक्षा व उन्हें न्याय दिलाने पर विशेष बल दिया गया था, जिससे यहां हर तरफ अमन चैन का माहौल था। इसलिए यूपी और उत्तराखंड भाजपा सरकार को भी धर्म को कर्म के बजाय कर्म को धर्म मानकर कार्य करने का सही संवैधानिक दायित्व निभाना जरूरी है, जिसमें ही जन व देशहित पूरी तरह से निहित है।

उन्होंने कहा कि वैसे तो बहुजनों में भी खासकर दलित समाज के वोटों के स्वार्थ की खातिर बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को उनकी जयंती आदि पर याद करने की होड़ सी लगी रही है, किंतु ऐसे समय में भी उनकी प्रतिमाओं का अनादर व उनके अनुयायियों को प्रताड़ित करने और हत्या आदि की वारदातें यह साबित करती हैं कि इन बीएसपी विरोधी पार्टियों में बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के प्रति आदर-सम्मान, निष्ठा व ईमानदारी राजनीति से प्रेरित छलावा है।

बैठक में “ट्रंप टैरिफ गेम” को लेकर पूरी दुनिया में मची आर्थिक खलबली और उथलपुथल का संज्ञान लेते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि दुनिया की सबसे विशाल आबादी वाला विकासशील देश होने के नाते भारत के करोड़ों गरीब व पिछड़े बहुजनों की महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की विशेष समस्याएं व चिंताएं हैं, जिसका सरकार को अपनी नीति बनाते समय जरूर खास ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही, ऐसे अकस्मात आए नए आर्थिक चुनौतियों का सामना करते समय भारत को अपने आत्म-सम्मान पर किसी प्रकार की कोई आंच नहीं आने देना चाहिए, यही सरकार से जन अपेक्षा है।

उन्होंने आगे कहा कि देश व खासकर उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्य में भी द्वेष व विभाजन की संकीर्ण राजनीति खत्म होनी चाहिए तथा लोगों को जोड़ने वाली कर्म की राजनीति के जरिए जन व देशहित में कार्य करना जरूरी है।

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