राजनीति
राष्ट्रपति उम्मीदवार पर भाजपा सर्वसम्मति के प्रयास में, नड्डा और राजनाथ करेंगे सभी दलों से बात

देश के शीर्ष संवैधानिक पद राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर भाजपा सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश में है। भाजपा ने इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी अपने वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी है। दरअसल, राजनाथ सिंह पूर्व में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके राजनाथ सिंह के संबंध सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से काफी अच्छे रहे हैं, इसलिए पार्टी ने उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर सभी दलों के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी है। जेपी नड्डा, वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और इस नाते वो देश के सभी राजनीतिक दलों की मंशा को बखूबी समझते हैं। इसलिए पार्टी ने इन दोनों नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वो एनडीए के घटक दलों के साथ-साथ, कांग्रेस समेत यूपीए के भी सभी घटक दलों के साथ बातचीत कर राष्ट्रपति उम्मीदवार पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करें। नड्डा और राजनाथ सिंह, एनडीए और यूपीए के घटक दलों के साथ ही देश के अन्य सभी राजनीतिक दलों और निर्दलीयों के साथ भी बातचीत कर राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर उनका मन टटोलने की कोशिश करेंगे।
भाजपा की कोशिश है कि देश के शीर्ष संवैधानिक पद के उम्मीदवार को लेकर राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति बनाई जाए, ताकि इस पद के लिए चुनाव के बिना ही निर्विरोध निर्वाचन कर देश और दुनिया में एक बेहतर राजनीतिक संदेश दिया जा सके। भाजपा का यह मानना है कि परंपरा के मुताबिक, केंद्र में प्रचंड बहुमत के साथ उनकी सरकार होने की वजह से सभी राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करना चाहिए।
बताय जा रहा है कि जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह, राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस समेत देश के सभी राजनीतिक दलों का मन टटोलने के साथ ही उन्हें एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए मनाने की भी कोशिश करेंगे।
भाजपा राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने बयान जारी कर बताया कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एनडीए और यूपीए के सभी घटक दलों के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों और निर्दलीयों के साथ भी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शीघ्र ही विचार-विमर्श की प्रक्रिया को शुरू करेंगे।
बता दें कि देश के नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव आयोग द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक, आवश्यकता पड़ने पर 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे और 21 जुलाई को मतगणना होगी।
वर्ष 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले, इस बार देश की विभिन्न विधानसभाओं में भाजपा और एनडीए के निर्वाचित विधायकों की संख्या में भले ही कमी दर्ज की गई हो, लेकिन 2017 की तुलना में लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा सांसदों की बढ़ी संख्या और गैर-एनडीए एवं गैर-यूपीए क्षेत्रीय दलों के समर्थन की उम्मीद के बल पर भाजपा का यह मानना है कि उसका उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत सकता है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 10,86,431 मतों में से फिलहाल भाजपा के पास आधे से थोड़ा कम मत हैं, लेकिन पार्टी को यह उम्मीद है कि ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन के बल पर वह एनडीए उम्मीदवार को आसानी से राष्ट्रपति बनवा सकती है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने अपनी तरफ से इस पर को लेकर सर्वसम्मति और निर्विरोध निर्वाचन के लिए आम राय कायम करने की कोशिश के तहत अपने दो महत्वपूर्ण नेताओं को सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
हालांकि, देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति और विरोधी दलों की तैयारी को देखेत हुए इस बात की उम्मीद कम ही नजर आ रही है कि विपक्षी दल भाजपा के प्रस्ताव पर सहमत हो सकते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति पद को लेकर चुनाव होना तो तय ही माना जा रहा है, लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि क्या विपक्षी दल आपस में एकजुट होकर एनडीए उम्मीदवार के विरोध में एक साझा उम्मीदवार उतार पाते हैं या नहीं? भाजपा को भी इस सवाल के जवाब का इंतजार है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र मराठी हिंदी विवाद: कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंदी-मराठी भाषाई विवाद पर साफ कर दिया है कि भाषाई भेदभाव और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। अगर कोई मराठी भाषा के नाम पर हिंसा भड़काता है या कानून अपने हाथ में लेता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी क्योंकि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मीरा रोड हिंदी मराठी हिंसा मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। मराठी और हिंदी भाषा के मामले में एक कमेटी बनाई गई है। इसकी सिफारिश पर छात्रों के लिए जो भी बेहतर होगा, सरकार उसे लागू करेगी। किसी के दबाव में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के लिए सिफारिश महाविकास अघाड़ी शासन के दौरान ही की गई थी, लेकिन अब यही लोग विरोध कर रहे हैं। जनता सब जानती है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा को 51 फीसदी मराठी वोट मिले हैं। भाषा के नाम पर हिंसा और भेदभाव बर्दाश्त नहीं की जा सकती। मराठी हमारे लिए गर्व का स्रोत है, लेकिन हम हिंदी का विरोध नहीं करते। अगर दूसरे राज्य में किसी मराठी व्यापारी को उनकी भाषा बोलने के लिए कहा जाए, तो क्या होगा? असम में उन्हें असमिया बोलने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
महाराष्ट्र
कई मॉल में आग लगने की घटनाओं के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने सभी मॉल का 90 दिन का ऑडिट कराने का आदेश दिया, उपयोगिता कटौती की चेतावनी दी

मुंबई: मुंबई के लिंक स्क्वायर मॉल (29 अप्रैल, 2025) और ड्रीम मॉल, भांडुप में बार-बार आग लगने की घटनाओं के मद्देनजर, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य भर में अग्नि सुरक्षा उल्लंघनों पर सख्त कार्रवाई करने की घोषणा की है। मंत्री उदय सामंत ने राज्य विधान परिषद को सूचित किया कि महाराष्ट्र के सभी मॉल का अग्नि ऑडिट 90 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
अग्नि सुरक्षा मानकों को पूरा न करने पर बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी जाएगी, ऐसा सामंत ने एमएलसी कृपाल तुमाने द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए चेतावनी दी। मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि आगे से अग्नि सुरक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सामंत ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है। ड्रीम मॉल, भांडुप सुरक्षा उल्लंघन के बाद बंद है। उन्होंने कहा कि सभी वर्ग ‘बी’, ‘सी’ और ‘डी’ नगर निगमों को मॉल में अग्नि सुरक्षा अनुपालन का सत्यापन शुरू करना चाहिए। जहां आवश्यक हो, महाराष्ट्र अग्नि निवारण और जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सत्र के दौरान विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सदस्यों अभिजीत वंजारी और मनीषा कायंडे के साथ मॉल को अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने में अनियमितताओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बांद्रा के लिंक स्क्वायर मॉल, ऑर्किड सेंट्रल मॉल (मुंबई सेंट्रल) और प्राइम मॉल (विले पार्ले) में आग लगने की घटनाओं सहित कई घटनाओं की ओर इशारा किया, जिससे इन परिसरों में अग्नि शमन प्रणालियों की कार्यक्षमता पर सवाल उठे।
विधान पार्षदों ने आरोप लगाया कि स्थानीय नगरपालिका अग्निशमन विभाग और नागरिक प्राधिकरण अग्नि सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में लापरवाह रहे हैं, और यह जानने की मांग की कि इन आग की घटनाओं के बाद क्या जांच की गई?, अग्नि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए क्या उपाय किए गए?, सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार पाए गए लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
एक लिखित उत्तर में, शहरी विकास विभाग (उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अधीन) ने पुष्टि की कि कई मॉलों में अग्निशमन प्रणालियाँ काम नहीं कर रही थीं, जिनमें शामिल हैं:
बांद्रा लिंक स्क्वायर मॉल, ड्रीम मॉल, भांडुप, ऑर्किड सेंट्रल मॉल, मुंबई सेंट्रल, प्राइम मॉल, विले पार्ले
बीएमसी ने इन मॉल के मालिकों के खिलाफ महाराष्ट्र अग्नि निवारण एवं जीवन सुरक्षा उपाय अधिनियम, 2006 के तहत कार्रवाई की है।
तब से, ऑर्किड सेंट्रल मॉल और प्राइम मॉल में अग्नि प्रणालियों को पुनः सक्रिय कर दिया गया है, ड्रीम मॉल और लिंक स्क्वायर मॉल में प्रणालियां निष्क्रिय बनी हुई हैं, जिसके कारण उन्हें लगातार बंद करना पड़ रहा है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
राज्य सरकार ने मॉल में अग्नि सुरक्षा की अनदेखी के आरोपों से इनकार किया और स्पष्ट किया कि कार्यात्मक अग्नि प्रणालियों को बनाए रखने और कानून के अनुसार अर्धवार्षिक अग्नि ऑडिट कराने की जिम्मेदारी मॉल मालिकों की है।
सरकार ने कहा कि मुंबई फायर ब्रिगेड आकस्मिक निरीक्षण करती है और नियमों का पालन न करने वाली संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
महाराष्ट्र
हिंदी मराठी विवाद आदेश की प्रति जलाने पर मामला दर्ज

मुंबई: मुंबई हिंदी भाषा को अनिवार्य करने संबंधी आदेश की प्रति जलाने के मामले में मुंबई पुलिस ने दीपक पवार, संतोष शिंदे, संतोष खरात, शशि पवार, योगिंदर सालुलकर, संतोष वीर समेत 200 से 300 कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन करने, निषेधाज्ञा और पुलिस अधिनियम का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया है। आरोपियों पर आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में धारा 189(2), 190,223, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता संतोष सूरज धुंडीराम खोत, 32 वर्ष की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है।
विवरण के अनुसार, 29 जून को दोपहर 2 से 3:30 बजे के बीच मराठी पाटकर सिंह से सटे बीएमसी रोड पर प्राथमिक शिक्षा में हिंदी यानी तीसरी भाषा को अनिवार्य करने के खिलाफ सरकारी आदेश की प्रति बिना अनुमति के जलाई गई और सरकारी आदेश का उल्लंघन किया गया। आरोपियों ने इस प्रदर्शन के लिए किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली थी और निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, इसकी पुष्टि मुंबई पुलिस ने की है। शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद मामला दर्ज किया गया है।
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