राजनीति
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन और दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के बीच समझौता

स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन के बीच एक अहम समझौता हुआ। मंगवार को यह समझौता हुआ। इससे दोनों विश्वविद्यालय आपस में ज्ञान का आदान-प्रदान, खेल विज्ञान, स्टाफ और छात्र विनिमय के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार के अवसरों का पता लगाने में सहयोग करेंगे। साथ ही, स्पोर्ट्स मैन-पॉवर के लिए नए पाठ्यक्रम और कैरियर का विकास करेंगे, जिससे दोनों देशों में खेल के इकोसिस्टम में सुधार हो। इस अवसर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, यूके यूनिवर्सिटीज के अंतर्राष्ट्रीय निदेशक विविएन्ने स्टर्न और ब्रिटिश काउंसिल इंडिया के कंट्री डायरेक्टर बारबरा विकम, दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की कुलपति कर्णम मल्लेश्वरी के अलावा भारत और यूके के सीनियर एजुकेशन लीडर समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के उपरांत सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं समझता हूं कि यह केवल मेरे दिल में ही नहीं, बल्कि भारत के हर नागरिक के दिल में यह बात टिस करती है कि 130 करोड़ लोगों का हमारा यह देश है। हमारे देश के लोगों में इतनी प्रतिभा और हुनर है। जब हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों में जाते हैं, तो 130 करोड़ लोगों का देश होने के बाद भी हम लोग चंद मेडल ही जीतने में कामयाब हो पाते हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए हमने कई लोगों से चर्चा की और उस सपने को पूरा करने के लिए हम लोगों ने दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाई है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे आज भी याद है कि दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की कुलपति कर्णम मल्लेश्वरी जब पहली बार मुझसे मिलने के लिए आईं, तो मैंने उनको एक ही बात कही थी कि हम आपके बहुत बड़े प्रशंसक हैं। अब आप यूनिवर्सिटी में प्रशासक की भूमिका में आ रही हैं। जब आप यूनिवर्सिटी की कुलपति बन जाएंगी, तो आपको भारत के हर नागरिक का सपना पूरा करना है।
इस दौरान ब्रिटिश काउंसिल इंडिया के कंट्री डायरेक्टर बारबरा विकम ने कहा कि यह एथलेटिक्स में करियर बनाने के इच्छुक छात्रों के लिए अत्यधिक फायदेमंद रहेगा। शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण में दिल्ली के लंबे समय से भागीदार के रूप में हम यूके के साथ दूरदर्शी उच्च शिक्षा सहयोग करके बहुत खुश हैं। भारत में चल रहे यूके एचई सेक्टर प्रतिनिधिमंडल के दौरान हम ऐसे कार्यक्रमों की उम्मीद कर रहे हैं, जो शिक्षण और सीखने की गुणवत्ता को समृद्ध करेंगे। इससे छात्रों और दिल्ली के युवाओं को बेहतर अवसर मिलेंगे।
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन (यूईएल) अपनी मजबूत ओलंपिक और पैरालंपिक विरासत के साथ ब्रिटेन में खेल का सबसे महत्वाकांक्षी और सबसे बेहतर विश्वविद्यालय है। यूईएल का कहना है कि विजन 2028 की रणनीति के तौर पर हम खेल को सीखने की आवश्यक शर्त के रूप में देखते हैं। हम खेल के सभी स्तरों पर गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं। हमारे विशेष कार्यक्रमों से लेकर क्लबों तक यह सुनिश्चित करते हैं, क्योंकि फिटनेस सभी के लिए है। खेल को बढ़ावा देने के लिए अब हम दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े है, जो भारत के साथ हमारे गहरे और महत्वपूर्ण संबंधों के चलते हमारे लिए एक विशेष समझौता है।
उल्लेखनीय है कि यूके के इंटरनेशनल एजुकेशन चैंपियन स्टीव स्मिथ और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बीच दुबई (दिसंबर 2021) व लंदन (मई 2022) में ब्रिटिश काउंसिल द्वारा हुई बातचीत के माध्यम से साझेदारी हुई है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 25 मई 2022 को लंदन में यूईएल परिसर में सुविधाओं को देखने और मॉडल को गहराई से समझने के लिए दौरा किया था।
राजनीति
जयंती विशेष: गणेश घोष, एक क्रांतिकारी जिसने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए

नई दिल्ली, 21 जून। गणेश घोष एक क्रांतिकारी और राजनेता थे। आजादी के बाद वे कई बार विधायक, सांसद रहे और देश के नीति निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
गणेश घोष का जन्म चटगांव में एक बंगाली कायस्थ परिवार में 22 जून 1900 को हुआ था। अब यह क्षेत्र बांग्लादेश में पड़ता है। विद्यार्थी जीवन में ही वे स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे। 1922 की गया कांग्रेस में जब बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो गणेश घोष और उनके साथी अनंत सिंह ने नगर का सबसे बड़ा विद्यालय बंद करा दिया था। इन दोनों युवकों ने चिटगाँव की सबसे बड़ी मज़दूर हड़ताल की भी अगुवाई की।
1922 में उन्होंने कलकत्ता के बंगाल टेक्निकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया। वह चटगांव युगांतर पार्टी के सदस्य रहे। 18 अप्रैल 1930 को सूर्य सेन और अन्य क्रांतिकारियों के साथ चटगांव शस्त्रागार छापे में उन्होंने भाग लिया था। इस वजह से उन्हें चटगांव से भागना पड़ा। वह हुगली के चंदननगर में रहने लगे। कुछ ही दिन के बाद पुलिस कमिश्नर चार्ल्स टेगार्ट ने चंदननगर के उनके घर पर हमला कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उस गिरफ्तारी अभियान के समय पुलिस ने उनके एक युवा साथी क्रांतिकारी जीबन घोषाल उर्फ माखन को मार डाला था।
पुलिस ने गणेश घोष को गिरफ्तार करने के बाद उन पर मुकदमा किया और 1932 में पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में भेज दिया। स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया और अपने जीवन के लगभग 27 वर्ष जेल में बिताए। 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद गणेश भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के साथ जुड़ गए। 1952, 1957 और 1962 में बेलगछिया से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए। 1967 में कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार के रूप में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए। 1971 की लोकसभा में वे फिर से कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। इस बार उन्हें एक युवा नेता के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
यह युवा नेता कोई और नहीं, प्रिय रंजन दास मुंशी थे। सिर्फ 26 साल की उम्र में दास ने गणेश घोष को हराया था। गणेश घोष की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1994 को कोलकाता में हुई थी।
महाराष्ट्र
ईरानी नेता अयातुल्ला खुमैनी की स्मृति को सलाम: अबू आसिम आज़मी

मुंबई: मुंबई महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा कि भाजपा के दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फिलिस्तीन की आजादी का समर्थन किया था और उस पर जुल्म और अत्याचार का विरोध किया था, लेकिन आज देश इजरायल परस्त है। उन्होंने इजरायल-ईरान युद्ध की स्थिति पर ईरान का समर्थन किया और ईरान के लिए दुआ की और कहा कि अल्लाह उसे उत्पीड़ितों के लिए कार्य क्षेत्र में सफलता प्रदान करे। मैं यही प्रार्थना करता हूं। अबू आसिम आजमी ने ईरानी धर्मगुरु और नेता अयातुल्ला खुमैनी के साहस और समर्थन को सलाम किया और कहा कि ईरान जुल्म के खिलाफ खड़ा है, इसलिए हम उसके लिए दुआ करते हैं।
आजमी ने कहा कि जिस तरह से भारतीय नागरिकों को ईरान से भारत लाया गया है, उसी तरह इजरायल में युद्ध के शिकार हुए भारतीयों को भी उनके वतन वापस लाया जाना चाहिए। आजमी ने कर्नाटक सरकार द्वारा हाउसिंग सोसाइटियों में मुसलमानों को 15% आरक्षण देने के फैसले का भी स्वागत किया और कहा कि अगर हाउसिंग सोसाइटियों में 15% आरक्षण दिया जाता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यहां सभी को समान न्याय और अधिकार का अधिकार है।
महाराष्ट्र
हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे को भुगतान करने का आदेश दिया

मुंबई: हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को बड़ा झटका दिया है। मुंडे को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता, भोजन और भरण-पोषण देने का आदेश दिया है। मुंबई हाईकोर्ट ने धनंजय मुंडे को चार सप्ताह के भीतर गुजारा भत्ता का 50 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया है। पत्रकारों से बात करते हुए करुणा मुंडे ने मुंडे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुंडे अच्छे हैं लेकिन उनका दलाल गिरोह उन्हें गुमराह कर रहा है। करुणा मुंडे ने इस फैसले का स्वागत किया है। पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का मामला बांद्रा फैमिली कोर्ट में चल रहा था। करुणा ने मुंडे से गुजारा भत्ता मांगा था। मुंडे से 2 लाख रुपये गुजारा भत्ता मांगा गया था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मुंडे को बड़ा झटका दिया है। बांद्रा कोर्ट ने कई महीने पहले करुणा शर्मा को 1 लाख 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था अगस्त 2022 से जून 2025 या 34 महीने की अवधि के लिए कुल 43 लाख 75 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है और चार सप्ताह के भीतर 21 लाख 87 हजार 500 रुपये यानी 50% राशि बांद्रा कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है। करुणा मुंडे ने धनंजय मुंडे पर परेशान करने और धमकाने और उनके मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो भेजने का भी गंभीर आरोप लगाया है।
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