अंतरराष्ट्रीय
मोईन अली ने अपनी क्रिकेट यात्राओं को लेकर किया खुलासा

चेन्नई सुपर किंग्स के हरफनमौला खिलाड़ी मोईन अली ने अपनी क्रिकेट यात्रा में संघर्षों को लेकर खुलासा करते हुए कहा कि जिस कठिन हालात में उन्होंने खेलना शुरू किया, उसके बारे में सोचने मात्र से आज उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मोईन ने सीएसके के साथ आईपीएल 2021 सीजन में यूएई में अपना चौथा खिताब हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं, इंग्लैंड के लिए अपने सफेद गेंद वाले करियर को बेहतर करने के लिए टेस्ट क्रिकेट छोड़ दिया, जबकि वर्तमान में आईपीएल 2022 उनके लिए खराब सीजन रहा है।
वहीं, महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली टीम के लिए आईपीएल 2022 सीजन समय से पहले समाप्त हो गया, तो मोईन ने अपने प्रारंभिक वर्षों में उनके द्वारा सामना किए गए संघर्षों के बारे में खुलकर बातचीत की, साथ ही उन्होंने कहा कि खेल के लिए दृढ़ संकल्प और जुनून ने उन्हें बाधाओं को दूर करने में कैसे मदद की।
उन्होंने खुलासा किया कि उनके परिवार के पास एक पाउंड भी नहीं होते थे, जिससे उन्हें सैंडविच या खीरे पर जीवित रहने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
34 वर्षीय आॅलराउंडर ने कहा, ‘‘मेरे पिताजी में क्रिकेट को लेकर बहुत बड़ा जुनून था। उनके जुड़वां भाई भी थे। परिवार में हम पांच थे। मुझे बस याद है कि जब मैं आठ साल का था। तब मैंने पार्क में अपने भाइयों के साथ खेलना शुरू किया और मुझे लगा कि वे भी बेहतर हो रहे हैं। इसलिए, जब मैं 19 साल का था, तब मैंने एक ट्रायल दिया और फिर मैंने पहली बार किसी के साथ हार्ड बॉल से क्रिकेट खेला।’’
मोईन ने कहा, ‘‘यह शुरुआत थी, जब मैं जल्द ही कम उम्र में काउंटी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और साथ ही खेल से प्यार करते हुए अच्छा कर रहा था, लेकिन क्रिकेट मेरे पिताजी का जुनून था और हम बस इसे खेलते चले गए।’’
मोईन ने कहा कि उनके पिता को बहुत मुश्किल से अपना काम और बच्चों को काउंटी खेलों के लिए ले जाना पड़ता था, यह कहते हुए कि कभी-कभी वह पेट्रोल और कभी-कभी भोजन का खर्च नहीं उठा सकते थे।
मोईन ने आगे कहा, ‘‘मेरे संघर्ष में यह सिर्फ मेरे पिताजी और चाचा ही नहीं थे। मेरी मां और चाची भी कपड़े तैयार में मदद करती थी, ताकि सब कुछ समय पर हो जाए। यह बहुत-बहुत कठिन समय था, लेकिन हमारे लिए सबसे अच्छा समय था।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘यह उन कई कहानियों में से एक थी, जहां आर्थिक रूप से हम वास्तव में संघर्ष कर रहे थे। मेरे चाचा और पिताजी अगले मैच के लिए मुर्गियां बेचते थे। मेरे पास एक समय में अपने पैड भी नहीं थे। मैं अभ्यास के लिए अपने पिता के दोस्त के बेटे के पैड का उपयोग करता था। इसलिए, बहुत कठिन लेकिन आश्चर्यजनक दिन थे। मैं बहुत जल्दी पेशेवर खिलाड़ी बन गया और चीजें बेहतर और बेहतर होती चली गईं।”
क्रिकेट के मैदान पर मोईन तेजी से उठे, पहले एक सीम-गेंदबाजी आॅलराउंडर के रूप में शुरुआत करते हुए एक कोच के आग्रह पर आॅफ-स्पिन गेंदबाज बन गए, जिससे उनकी पीठ की समस्या भी दूर हो गई।
उन्होंने आगे कहा, “मेरे लिए हर दिन खेलना सामान्य बात थी। मुझे नहीं पता था कि पेशेवर होना क्या होता है। मुझे लगा कि यह जीवन में हर दिन खेलना होगा और मेरे पिताजी ने कहा, 13 से 15 तक तुम अपने क्रिकेट को दो साल दो। स्कूल के बाद, हम प्रशिक्षण लेते थे और हम बाहर पार्क में खेलने जाते थे।’’
उन्होंने आगे बताया, ‘‘हम बहुत मुश्किल हालात में रहते थे, क्योंकि जहां हम रहते थे, वहां आए दिन लड़ाई-झगड़े होते रहते थे। लेकिन मैं सिर्फ क्रिकेट खेलना चाहता था और उसी को आगे बढ़ाते चला गया।’’
अंतरराष्ट्रीय
अवामी लीग समर्थकों ने संयुक्त राष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किया, पार्टी से प्रतिबंध हटाने की मांग

संयुक्त राष्ट्र, 20 मई। बांग्लादेश में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में उसके समर्थकों ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करे कि देश में लोकतंत्र फिर से कायम हो।
यूएसए अवामी लीग के अध्यक्ष सिद्दीक रहमान ने कहा, “मोहम्मद यूनुस की गैरकानूनी सरकार ने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि यह एक कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई पार्टी है।”
उन्होंने कहा कि अगर चुनाव संयुक्त राष्ट्र की मंशा के मुताबिक सभी को साथ लेकर कराए जाने हैं, तो अवामी लीग से प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए और उसे चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकतंत्र बहाल हो।
रहमान ने कहा कि भले ही यूनुस को नोबेल पुरस्कार मिला हो, लेकिन अब वह एक तानाशाह बन गए हैं। वह बिना चुनाव के सरकार चला रहे हैं और उन्होंने एक चुनी हुई वैध सरकार को हटा दिया है।
विरोध प्रदर्शन में बोलने वालों ने कहा कि अमेरिका को बांग्लादेश में लोकतंत्र फिर से बहाल करने की मांग करनी चाहिए।
यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पिछले सप्ताह बांग्लादेश चुनाव आयोग ने पार्टी का पंजीकरण रद्द कर दिया, जिससे वह चुनाव में भाग लेने के लिए अयोग्य हो गई।
बांग्लादेश ने चुनाव की तारीख तय नहीं की है।
विरोध प्रदर्शन के आयोजक प्रदीप कर ने कहा कि उन्होंने अपनी मांगों के साथ संयुक्त राष्ट्र को एक पत्र सौंपा है।
उन्होंने कहा कि शेख हसीना ‘वैध प्रधानमंत्री हैं’, जबकि यूनुस ने “जमात-ए-इस्लामी और आतंकवादियों” की मदद से सत्ता हासिल की है।
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तानी ड्रोन के निशाने पर थे निर्दोष नागरिक, भारतीय सेना ने मार गिराया

नई दिल्ली, 10 मई। भारतीय सेना की वायु रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के हमले को नाकाम कर दिया है। पाकिस्तान ने हमला ड्रोन के जरिए शनिवार की सुबह किया। हालांकि, पहले से सतर्क भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान की एक नहीं चली और उसके ड्रोन जमीन पर औंधे मुंह गिरे।
बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान की सेना ने विस्फोटकों से भरे ड्रोन भारतीय आबादी क्षेत्र में भेजे थे। इनका मकसद पंजाब में सामान्य नागरिकों के ठिकानों पर हमला करना था। पाकिस्तान के ड्रोन भारत में ज्यादा से ज्यादा सामान्य नागरिकों को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। लेकिन, पाकिस्तान के नापाक मंसूबे को भारतीय सेना ने पूरी तरह से विफल कर दिया।
रक्षा अधिकारियों ने बताया कि शनिवार तड़के सुबह लगभग पांच बजे, पाकिस्तानी सेना ने सीमा पार पंजाब के अमृतसर की ओर कई कामिकेज ड्रोन भेजे। कामिकेज ड्रोन एक खतरनाक आत्मघाती मानव रहित हवाई वाहन होते हैं। ये ड्रोन विस्फोटक के साथ उड़ान भरते हैं। पेलोड यानी विस्फोटक समेत ड्रोन अपने लक्ष्य से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
पाकिस्तानी सेना द्वारा भेजे गए इन ड्रोनों का लक्ष्य भारत में अमृतसर की घनी आबादी वाले रिहायशी इलाकों पर हमला करना था। हालांकि, भारतीय सेना की वायु रक्षा प्रणाली की सतर्कता और तेज प्रतिक्रिया के चलते, ये ड्रोन भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते ही कुछ ही क्षणों में पहचान लिए गए। सेना की वायु रक्षा प्रणाली ने इन्हें ट्रैक किया और तुरंत ही नष्ट कर दिया।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सीमा क्षेत्र में तैनात त्वरित प्रतिक्रिया वाली वायु रक्षा तोपों का उपयोग कर गनर्स ने इन ड्रोनों को हवा में ही मार गिराया। इन पाकिस्तानी ड्रोन का मलबा अमृतसर के रिहायशी इलाकों में नहीं गिरा और कोई जनहानि नहीं हुई।
रक्षा जानकार बताते हैं कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि इन ड्रोनों में उच्च विस्फोटक सामग्री थी। पाकिस्तानी ड्रोन में मौजूद इस विस्फोटक सामग्री का उद्देश्य निर्दोष नागरिकों को अधिकतम क्षति पहुंचाना था। यह पाकिस्तान की ओर से उकसावे की एक नई और गंभीर हरकत मानी जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय
जम्मू एयरफोर्स बेस पर विस्फोट की खबर निकली झूठी, पाकिस्तान के फेक दावों की खुली पोल

नई दिल्ली, 9 मई। पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमा पर लगातार हमले की कोशिश जारी है, लेकिन भारतीय सेना की तरफ से भी पाकिस्तानी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। इस बीच, सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक दावों के साथ पोस्ट भी शेयर किए जा रहे हैं। ऐसी ही एक पोस्ट में दावा किया गया कि जम्मू एयरफोर्स बेस पर विस्फोट हुआ है, लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और ही है।
पीआईबी फैक्ट चेक ने जम्मू एयरफोर्स बेस पर विस्फोट के पाकिस्तान के दावों की पोल खोल दी है। पीआईबी के फैक्ट चेक में पुष्टि हुई है कि जिस तस्वीर को जम्मू एयरफोर्स बेस का बताया जा रहा है, वह तस्वीर साल 2021 में काबुल एयरपोर्ट पर हुए ब्लास्ट की है।
पीआईबी फैक्ट चेक ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर बताया, “भारत में जम्मू एयरफोर्स बेस पर कई विस्फोटों के झूठे दावों के साथ एक पुरानी तस्वीर प्रसारित की जा रही है। पीआईबी फैक्ट चेक में पता चला है कि यह तस्वीर अगस्त 2021 में काबुल एयरपोर्ट पर हुए विस्फोट की है। उस समय की एक रिपोर्ट का लिंक भी शेयर किया गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “गलत सूचना के झांसे में न आएं। शेयर करने से पहले हमेशा पुष्टि करें।”
इससे पहले, पीआईबी फैक्ट चेक ने पाकिस्तान द्वारा गुजरात के हजीरा पोर्ट पर हमले की झूठी खबरों का भी खंडन किया था।
पीआईबी ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि वीडियो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ खूब वायरल हो रही है कि गुजरात के हजीरा पोर्ट पर हमला हुआ है। लेकिन, यह इससे जुड़ा हुआ वीडियो नहीं है। यह वीडियो तेल टैंकर विस्फोट को दर्शा रहा है और 7 जुलाई 2021 की है। इस वीडियो को शेयर न करें।
पीआईबी फैक्ट चेक में एक और वीडियो के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें दावा किया जा रहा था कि यह जालंधर पर ड्रोन स्ट्राइक का वीडियो है। जबकि यह वीडियो फॉर्म फायर का है। इस वीडियो को शेयर न करने की अपील की गई है।
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