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Thursday,20-November-2025
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मनसे नेता संदीप देशपांडे पर हमले के आरोप में मुंबई पुलिस ने दो को हिरासत में लिया

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Sandeep Deshpande

मुंबई पुलिस ने राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता संदीप देशपांडे पर छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क में सुबह की सैर के दौरान हुए हमले के सिलसिले में दो लोगों को हिरासत में लिया है। अधिकारियों ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी। शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे हुए हमले के तुरंत बाद, मुंबई पुलिस विभाग ने एक रिपोर्ट दर्ज की और इस घटना की जांच के लिए कम से कम छह टीमों का गठन किया, जिसने एक बड़ा राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया। भांडुप उपनगर में शनिवार को पहचाने और पकड़े गए दो संदिग्धों पर शून्य करने से पहले पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से भी स्कैन किया।

देशपांडे को रॉड से पीटा
देशपांडे का कथित रूप से एक आरोपी द्वारा पीछा किया गया था और रॉड और क्रिकेट स्टंप से पीटा गया था, जिसे उन्होंने बाद में घटनास्थल से भागने से पहले फेंक दिया था। उनके हाथ और पैर में फ्रैक्चर सहित गंभीर चोटें आईं, और उन्हें पास के हिंदुजा अस्पताल में लाया गया, जहां उनका इलाज किया गया और कुछ घंटे बाद एक हाथ को गोफन में डालकर छुट्टी दे दी गई। देशपांडे ने बिना किसी का नाम लिए कहा, “मैं इस हमले से डरा हुआ नहीं हूं। हर कोई जानता है कि इसके पीछे कौन है।” पार्टी के एक नेता संतोष धूरी ने कहा कि हमले का मकसद स्पष्ट नहीं था, लेकिन यह सुनियोजित था, क्योंकि माना जाता है कि हमलावर लगभग चार थे, चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे और देशपांडे को अलग-थलग करने और घातक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए हथियारों के साथ तैयार होकर आए थे। एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे, उनके बेटे अमित और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने देशपांडे के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के लिए अस्पताल और बाद में उनके घर का दौरा किया, जो विभिन्न मुद्दों पर अपने उग्र विचारों के लिए जाने जाते थे।

सुनियोजित ढंग से हमला किया
पार्टी के एक नेता, संतोष धूरी ने कहा कि हमले का उद्देश्य स्पष्ट नहीं था, लेकिन यह सुनियोजित था क्योंकि अपराधियों, जिनकी संख्या चार मानी जाती है, ने चेहरे पर नकाब पहन रखा था और देशपांडे को अलग-थलग करने और मारने के लिए हथियारों से लैस थे। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे, उनके बेटे अमित और अन्य शीर्ष नेता देशपांडे के स्वास्थ्य की जांच के लिए अस्पताल और फिर उनके आवास गए। देशपांडे विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं।

अपराध

इस्लाम में खुदकुशी हराम, मासूमों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाह : असदुद्दीन ओवैसी

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हैदराबाद, 19 नवंबर: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली ब्लास्ट के मुख्य आरोपी उमर नबी के एक पुराने वीडियो पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

वीडियो में उमर सुसाइड बॉम्बिंग को ‘शहादत’ और ‘गलत समझा गया अमल’ बता रहा है। ओवैसी ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “इस्लाम में खुदकुशी सख्त हराम है और मासूम लोगों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाह है। सुसाइड बॉम्बिंग को ‘शहादत’ कहना इस्लाम का अपमान है। यह किसी भी तरह ‘गलत समझा गया’ नहीं है। यह पूरी तरह आतंकवाद है और देश के कानून के खिलाफ जघन्य अपराध है।”

उन्होंने आगे केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए आतंकी हमले को रोकने में विफल रहने की जिम्मेदारी लेने की बात कही। उन्होंने कहा, “पार्लियामेंट में गृह मंत्री अमित शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन महादेव’ का हवाला देते हुए दावा किया था कि पिछले छह महीनों में एक भी स्थानीय कश्मीरी युवक आतंकी संगठन में शामिल नहीं हुआ। फिर यह नया आतंकी मॉड्यूल कहां से पैदा हो गया?”

उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे संवेदनशील शहर में आईईडी प्लांट करने वाला यह ग्रुप खुफिया एजेंसियों की नाक के नीचे कैसे तैयार हुआ? इसका पता न लगा पाने की जिम्मेदारी कौन लेगा?

दिल्ली ब्लास्ट को लेकर जांच जारी है। अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसके कारण वो भी जांच के दायरे में हैं। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्दीकी को 13 दिन की हिरासत में लिया है, जिसमें कई खुलासे होने की संभावना है। सिद्दीकी को आतंकी हमले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में लिया गया है।

ईडी ने जावेद अहमद सिद्दीकी को मंगलवार देर रात दिल्ली की साकेत कोर्ट में पेश किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) शीतल चौधरी प्रधान ने बुधवार रात करीब एक बजे जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी रिमांड पर भेजने का आदेश पारित किया।

अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किया है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाना चाहिए।

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दिल्ली ब्लास्ट मामला: मुंबई में तीन संदिग्ध हिरासत में लिए गए, पूछताछ जारी

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मुंबई, 18 नवंबर: दिल्ली में कार ब्लास्ट मामले के आरोपी से जुड़े तीन व्यक्तियों को मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया है। अधिकारियों के अनुसार, विशेष टीम द्वारा गुप्त अभियान में इन लोगों को शहर के अलग-अलग स्थानों से पकड़ा गया। पूछताछ के बाद इन्हें आगे की जांच के लिए दिल्ली भेजा जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि हिरासत में लिए गए लोग सोशल मीडिया ऐप के माध्यम से ब्लास्ट केस के मुख्य आरोपी के संपर्क में थे। पुलिस का कहना है कि ये व्यक्ति भी ठीक उसी तरह संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, जैसे इस मॉड्यूल के दो प्रमुख आरोपी डॉ. उमर मोहम्मद और डॉ. मुज़म्मिल। राज्य के कई जिलों में भी इसी तरह की जांच जारी है।

सोमवार को सूत्रों ने बताया कि जांच में एन्क्रिप्टेड बातचीत और हथियार सप्लाई के सबूत मिले हैं, जो एक बेहद संगठित आतंकी नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं। यह नेटवर्क उस मॉड्यूल से जुड़ा है जिसमें डॉ. उमर मोहम्मद की मौत 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट में हुई। इस धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे।

सूत्रों के अनुसार, उमर ने करीब तीन महीने पहले सिग्नल ऐप पर एक एन्क्रिप्टेड ग्रुप बनाया था, जिसका नाम विशेष कैरेक्टरों से रखा गया था ताकि निगरानी से बचा जा सके। इस समूह में उसने मुज़म्मिल, आदिल राथर, मुज़फ्फर राथर और मौलवी इरफान अहमद वागे को जोड़ा था। यही चैनल आंतरिक समन्वय का मुख्य माध्यम था।

जांच में तब अहम मोड़ आया जब डॉ. शाहीन शाहिद की कार से एक असॉल्ट राइफल और पिस्तौल बरामद हुई। माना जा रहा है कि ये हथियार उमर ने ही 2024 में इरफ़ान को सौंपे थे। शाहीन पहले भी इरफ़ान के कमरे में मुज़म्मिल के साथ इन हथियारों को देख चुका था। संदेह है कि मॉड्यूल के संचालन के लिए सबसे ज़्यादा फंडिंग शाहीन ने ही की।

अब तक के प्रमाणों से स्पष्ट है कि मॉड्यूल के भीतर एक तय पदानुक्रम और ज़िम्मेदारियों का बंटवारा था। तीन डॉक्टर उमर, मुज़म्मिल और शाहीन मुख्य रूप से आर्थिक मदद जुटाते थे, जिसमें मुज़म्मिल प्रमुख भूमिका में था। इरफ़ान की जिम्मेदारी कश्मीरी युवाओं की भर्ती थी। उसी ने गिरफ्तार दो युवकों आरिफ़ निसार डार उर्फ़ साहिल और यासिर उल अशरफ को नेटवर्क में शामिल किया था।

जांचकर्ताओं ने कई बार हथियारों के इधर-उधर ले जाए जाने की घटनाएं भी रिकॉर्ड की हैं। अक्टूबर 2023 में आदिल और उमर एक मस्जिद में इरफ़ान से मिले थे और एक बैग में छिपी राइफल लेकर वहां पहुंचे थे। बैरल साफ करने के बाद वे लौट गए। नवंबर में आदिल फिर इरफ़ान के घर एक राइफल लेकर पहुंचा। उसी दिन मुज़म्मिल और शाहीन भी वहां पहुंचे। हथियार इरफ़ान के पास रखा गया और अगले दिन आदिल उसे लेने लौटा।

यह नेटवर्क फरीदाबाद के उस मॉड्यूल से जुड़ा पाया गया है, जिसे 9 नवंबर को तब उजागर किया गया था जब पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. मुज़म्मिल के किराए के कमरों से 2,900 किलो विस्फोटक और गोला-बारूद जब्त किया था।

10 नवंबर को लाल किले के पास जिस कार में विस्फोट हुआ, उसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े दूसरे डॉक्टर उमर चला रहा था। इसी घटना के बाद मॉड्यूल की गहरी जांच शुरू हुई और कई राज्यों में छापेमारी तेज कर दी गई है और जांच जारी है।

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मुंबई: नवाब मलिक को बड़ा झटका, कोर्ट ने डिस्चार्ज याचिका खारिज की, आज तय होंगे आरोप

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मुंबई, 18 नवंबर: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ा झटका लगा है। पीएमएलए की एक विशेष अदालत ने मलिक और उनकी कंपनी की ओर से दायर डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि 18 नवंबर को आरोप तय करने की प्रक्रिया के दौरान सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद रहें। इस फैसले के बाद नवाब मलिक को मंगलवार को कोर्ट में पेश होना है।

मलिक की कंपनी ‘मलिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ की ओर से डिस्चार्ज याचिका दायर की गई थी। कंपनी की ओर से कहा गया कि ईडी का पूरा मामला अंदाजों और अनुमान पर आधारित है, क्योंकि जिस समय कथित अवैध सौदा हुआ, उस समय कंपनी का अस्तित्व ही नहीं था।

कोर्ट ने कंपनी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मामले में पर्याप्त प्राथमिक सबूत मौजूद हैं। कोर्ट ने कहा कि शुरुआती जांच से यह स्पष्ट होता है कि नवाब मलिक ने डी-कंपनी से जुड़ी हसीना पारकर, सलीम पटेल और आरोपी सरदार खान के साथ मिलकर कुर्ला स्थित एक कीमती प्लॉट को अवैध रूप से कब्जे में लिया और फिर उसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए वैध बनाने की कोशिश की। इस प्लॉट में 16 करोड़ रुपए की अपराध से अर्जित धन शामिल बताया गया है।

पूर्व मंत्री ने कोर्ट से यह प्रक्रिया 6 हफ्ते तक टालने की गुहार लगाई थी। उनका कहना था कि बॉम्बे हाई कोर्ट में उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई होनी है, इसलिए फैसला आने तक निचली अदालत को इंतजार करना चाहिए। उनके वकील तारक सैयद का दावा है कि ईडी ने कई ऐसे दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किए हैं जो आरोपी के पक्ष में हैं। उनका कहना था कि यदि सभी दस्तावेज पेश किए जाएं तो आरोप तय करने की स्थिति ही नहीं बनती।

हालांकि, स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सुनील गोंसाल्वेस ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले पर कोई स्टे नहीं दिया है, इसलिए निचली अदालत की सुनवाई रोकी नहीं जा सकती।

कोर्ट ने ईडी की दलीलें मानते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों का त्वरित निपटारा अनिवार्य है। ऐसे में कोर्ट स्वयं से मामला स्थगित नहीं कर सकती। इस आधार पर नवाब मलिक की मांग खारिज कर दी गई।

बता दें कि ईडी ने नवाब मलिक को फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की मदद से मुंबई के कुर्ला में लगभग तीन एकड़ की जमीन को गलत तरीके से कब्जे में लिया। इस सौदे में 16 करोड़ रुपए की अपराध से जुड़ी रकम शामिल होने का आरोप है। फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया गया है।

इस मामले में मलिक के साथ दो कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है। मई 2022 से प्रक्रिया जारी है, लेकिन औपचारिक तौर पर आरोप तय नहीं हो पाए थे। अब अदालत के आदेश के बाद 18 नवंबर को सभी आरोपियों पर आरोप तय किए जाएंगे।

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