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Thursday,06-February-2025

राजनीति

मिल्कीपुर विधानसभा ने तोड़ा 2022 का रिकॉर्ड, उपचुनाव में 65.25 प्रतिशत मतदान

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लखनऊ, 6 फरवरी। उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर की जनता ने उपचुनाव में अपना 2022 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यहां मतदाताओं ने वोटों की बारिश की है। 2022 में हुए अब तक के सर्वाधिक 60.23 फीसद मतदान को पीछे छोड़ते हुए उपचुनाव में 65.35 फीसद मतदान हुआ। यह अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है।

चुनाव आयोग ने बताया कि मिल्कीपुर विधानसभा में सभी 414 मतदेय स्थलों में मतदान सकुशल संपन्न हुआ। मिल्कीपुर विधानसभा में अनुमानित मतदान 65.35 प्रतिशत हुआ है, जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां मतदान 60.23 फीसदी हुआ था।

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिलकर मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में धांधली को लेकर ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के पोलिंग एजेंटों को मतदान कक्ष से बाहर निकाल देने, पुलिस अधिकारियों द्वारा मतदाताओं की आईडी चेक करने, दर्जनों पोलिंग स्टेशनों पर भाजपा द्वारा फर्जी वोटिंग कराने, बीजेपी नेताओं द्वारा चार पहिया वाहनों के काफिले के साथ निर्वाचन क्षेत्र में घूम-घूम कर चुनाव को प्रभावित किये जाने की शिकायत की।

श्याम लाल पाल ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग को कई ज्ञापन देकर स्वतंत्र, निष्पक्ष, भयमुक्त चुनाव कराने की मांग की गई थी, लेकिन जिला प्रशासन-पुलिस प्रशासन ने निष्पक्ष चुनाव नहीं होने दिया है। उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव में सुबह सात बजे से बड़ी संख्या में शिकायतें आईं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी चुनाव में धांधली के वीडियो शेयर किए हैं। मिल्कीपुर भाजपा और सपा के लिए सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा की सीट बनी है।

यहां मतदाताओं ने जमकर अपने-अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सबसे ज्यादा मतदान का रिकॉर्ड बना। मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद के अयोध्या से सांसद बन जाने के बाद यह सीट रिक्त हुई थी। यहां पर उपचुनाव हुआ है। सपा ने यहां से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उतारा था। भाजपा ने चंद्रभानु को मैदान में उतारा है। इन दोनों उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है। दोनों दलों के बीच अपने अपने दावे किए जा रहे हैं। सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है। फैसला आठ फरवरी को होगा।

राष्ट्रीय समाचार

सीएम प्रमोद सावंत ने गोवा-प्रयागराज महाकुंभ स्पेशल ट्रेन को दिखाई हरी झंडी

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पणजी, 6 फरवरी। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने गोवा से प्रयागराज के लिए चलने वाली विशेष ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने गुरुवार सुबह करमाली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा, “मैंने गोवा सरकार की ओर से प्रयागराज के लिए एक ट्रेन को हरी झंडी दिखाई है। मैं सभी श्रद्धालुओं को बधाई देता हूं। 13 और 21 फरवरी को दो और ट्रेनें जाएंगी। अगर और लोग जाएंगे तो हम उनके लिए भी व्यवस्था करेंगे। मैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को महाकुंभ मेला 2025 में किए गए इंतजामों के लिए बधाई देता हूं। पीएम मोदी ने भी बुधवार को संगम में पवित्र डुबकी लगाई, मैं इसके लिए भी उन्हें बधाई देता हूं।”

बता दें कि महाकुंभ में बसंत पंचमी के दिव्य, भव्य अमृत स्नान को लेकर प्रयागराज रेलवे ने 300 से अधिक ट्रेनों का सफल संचालन किया था।

मेला प्राधिकरण के अनुमान के मुताबिक, बसंत पंचमी पर्व पर 2.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम स्नान किया था। प्रयागराज रेल मंडल ने तीर्थ यात्रियों के सुगम आवागमन के लिए बसंत पंचमी पर्व के दिन 106 मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया। इसके साथ ही लगभग 200 नियमित ट्रेनें भी शहर के सभी स्टेशनों से चलाई गईं, जिससे लाखों की संख्या में तीर्थयात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य स्टेशनों तक पहुंचाया गया।

13 जनवरी से प्रारंभ हुए महाकुंभ में अब तक वीवीआईपी मूवमेंट के बावजूद श्रद्धालुओं को संगम स्नान में कहीं कोई दिक्कत नहीं आ रही है। इसी का नतीजा है कि मात्र 24 दिनों में अब तक 39 करोड़ श्रद्धालु संगम में पावन डुबकी लगा चुके हैं।

बता दें कि इस बार का महाकुंभ इसलिए भी खास है, क्योंकि यह 144 साल बाद आया है। इसी के चलते लाखों श्रद्धालु रोजाना संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

चीनी डीपसीक एआई को ब्लॉक करने की हम बना रहे योजना : दक्षिण कोरिया

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सोल, 6 फरवरी। दक्षिण कोरिया के वित्त मंत्रालय ने चीनी एआई सेवा डीपसीक को ब्लॉक करने की योजना बनाई है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार, प्रतिबंध लगाने की योजना इसलिए बनाई गई है क्योंकि इससे अधिकारियों के बीच डेटा संग्रह लीक होने की चिंता बढ़ी है।

अधिकारी ने कहा, “देश और विदेश से डीपसीक के बारे में उठाई गई अनेक तकनीकी चिंताओं के कारण, हम बाहरी नेटवर्क से जुड़े पीसी पर इस सेवा तक पहुंच को अवरुद्ध करने की योजना बना रहे हैं।”

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय डीपसीक तक पहुंच को सीमित करने की व्यापक पहल का हिस्सा है, ताकि जनरेटिव एआई सेवाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी के संभावित लीक को रोका जा सके।

बुधवार को दक्षिण कोरिया के विदेश, व्यापार और रक्षा मंत्रालयों के कंप्यूटरों पर इस सेवा तक पहुंच प्रतिबंधित कर दी गई।

एकीकरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि मंत्रालय एआई सेवाओं (जाहिर तौर पर डीपसीक) तक पहुंच को अवरुद्ध करने की भी योजना बना रहा है।

अधिकारी ने कहा, “एकीकरण मंत्रालय ने (वर्ष 2023 से) राष्ट्रीय खुफिया सेवा और आंतरिक मंत्रालय के अनुरोध पर सभी जनरेटिव एआई में अघोषित आधिकारिक डेटा के इनपुट पर प्रतिबंध लगा दिया है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्रालय डीपसीक तक पहुंच को अवरुद्ध करेगा, अधिकारी ने सीधे तौर पर अपना नाम लिए बिना कहा, “हमारी योजना एक दिन के भीतर कदम उठाने की है, जिसमें डीपसीक तक पहुंच को अवरुद्ध करना भी शामिल है।”

पिछले महीने अपनी रिलीज के बाद से ही डीपसीक ने काफी ध्यान आकर्षित किया है, तथा प्रतिस्पर्धी सेवाओं की तुलना में अपेक्षाकृत कम लागत पर अपने उच्च प्रदर्शन से उद्योग विशेषज्ञों को प्रभावित किया है।

हालांकि, इसकी सुरक्षा और डेटा प्रबंधन प्रथाओं पर चिंताओं के कारण कई देशों ने इसकी जांच की है और इस सेवा पर प्रतिबंध लगाए हैं।

इससे पहले, विदेश और व्यापार मंत्रालयों ने उपयोगकर्ता डेटा संग्रह के बारे में चिंताओं के चलते चीनी एआई सेवा डीपसीक तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया था। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, बाहरी नेटवर्क से जुड़े मंत्रालय के कंप्यूटरों पर डीपसीक की सेवाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

ये दोनों मंत्रालय विदेशी मामलों और व्यापार से जुड़े संवेदनशील डेटा को संभालने वाले प्रमुख सरकारी विभागों में से हैं। इस कदम को सरकार के उन प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जो उन चिंताओं को सक्रिय रूप से दूर करने के लिए हैं, जिनमें कहा गया है कि अधिकारियों द्वारा जनरेटिव एआई सेवाओं का उपयोग करने के दौरान महत्वपूर्ण सरकारी डेटा से समझौता किया जा सकता है।

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राष्ट्रीय समाचार

अधिक सोडियम वाले नमक का उपयोग करना घातक, डब्ल्यूएचओ ने चेताया और विकल्प भी बताया

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नई दिल्ली, 6 फरवरी। अधिक सोडियम वाले नमक का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे लेकर चेताया है। इससे पहले भी संगठन ने गाइडलाइन जारी करके बताया था कि एक दिन में औसतन पांच ग्राम नमक ही खाना चाहिए।

सोडियम युक्त नमक के लिए डब्ल्यूएचओ ने नई गाइडलाइन जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह सुझाव भारतीयों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने लोगों से कम सोडियम वाले नमक को खाने की अपील की है। गाइडलाइन में खाने में सामान्य टेबल साल्ट की जगह पर पोटेशियम युक्त कम सोडियम वाले नमक के उपयोग की बात कही गई है। यह सिर्फ वयस्कों और स्वस्थ व्यक्तियों के लिए कहा गया है। वहीं, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किडनी से जुड़ी समस्याओं वाले लोगों को सामान्य नमक खाने की सलाह दी गई है।

नमक का इस्तेमाल न ज्यादा करना चाहिए और न ही कम करना चाहिए, इसका संतुलित इस्तेमाल करना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एक दिन में व्यक्ति को मात्र पांच ग्राम नमक खाना चाहिए, वहीं दो ग्राम प्रतिदिन सोडियम की खपत सही होती है। लेकिन भारत में लोग औसतन 10 ग्राम तक नमक को हर दिन खाते हैं। नमक का इस्तेमाल अधिक करने से कई सारी शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी डब्ल्यूएचओ की इस सिफारिश की तारीफ की है। उनका कहना है कि कम सोडियम युक्त नमक खाना भारतीय लोगों के लिए काफी उपयोगी है क्योंकि भारतीय स्वाद के मामले में समझौता करने से अमूमन बचते हैं और इस चक्कर में अधिक नमक का सेवन करते हैं।

बता दें कि अधिक नमक खाना कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। इससे ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी, हार्ट अटैक, दिल से जुड़ी कई अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अधिक नमक खाना किडनी, लिवर और खून पर भी असर डालता है। पेट और त्वचा की समस्या, डिहाइड्रेशन और हड्डियों के कमजोर होने की समस्याएं भी होने लगती हैं।

27 जनवरी 2025 को जारी किए गए दिशानिर्देश के मुताबिक लो सोडियम सॉल्ट सब्सटिट्यूट (एलएसएसएस) नियमित नमक का अच्छा विकल्प है। इनमें सामान्य नमक की तुलना में कम सोडियम होता है और अक्सर इसमें पोटेशियम क्लोराइड भी होता है ताकि सामान्य नमक जैसा स्वाद प्राप्त हो सके।

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