राजनीति
दरक रहे दलित वोट बचाने की मायावती को सता रही चिंता

राज्यसभा चुनाव के दौरान हुई सियासी उठापटक का असर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के भविष्य की राजनीति पर भी पड़ने की संभावना है। वैसे तो राजनीति में कोई भी घटनाक्रम ज्यादा स्थाई नहीं होता है। लेकिन जिस तरह से बसपा सुप्रीमो मायावती सपा पर हमलावर हुई हैं, भाजपा के लिए अपनी सहानभूति दिखायी देती है।
यह उनके दरक रहे कोर दलित वोटर को बचाने की ओर संकेत कर रहे हैं।
यूपी में इन दिनों कांग्रेस से लेकर भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद तक बसपा के दलित वोटबैंक पर नजर गढ़ाए बैठे हैं। दूसरी तरफ बसपा के पुराने और दिग्गज नेता लगातार मायावती का साथ छोड़ रहे हैं। रही सही कसर अभी हाल में बसपा विधायकों की बगावत ने पूरी कर दी जो सपा से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं।
चन्द्रशेखर इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों के मुद्दे उठाकर काफी बढ़त लेने में लगे हैं। सहारनपुर के आस-पास के जिलों में उन्होंने दलितों के बीच अपनी अच्छी पैठ भी बनायी है। इनकी राजनीति जाटव वोट को लेकर आगे बढ़ रही है। बसपा ने कहा है कि सपा के साथ मायावती को कोई लाभ नहीं हुआ। दलित और यादव वोट बैंक गठबंधन के साथ ट्रान्सफर नहीं हुआ।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो यूपी में दलितों की आबादी करीब 22 प्रतिशत है। यह दो हिस्सों में है — एक, जाटव जिनकी आबादी करीब 14 फीसद है और मायावती की बिरादरी है। चंद्रशेखर भी इसी समाज से हैं। मायावती को इसी बात का भय है। मंडल आंदोलन में दलितों के जाटव वोट वाले हिस्से की राजनीति से बसपा मजबूत बनी है। ठीक वैसे ही जैसे ओबीसी में यादवों के समर्थन से सपा है।
उप्र में जाटव समुदाय बसपा का कोर वोट बैंक माना जाता है जबकि गैर-जाटव दलित वोटों की आबादी तकरीबन 8 फीसदी है। इनमें 50-60 जातियां और उप-जातियां हैं और यह वोट विभाजित होता है। हाल के कुछ वषों में दलितों का बसपा से मोहभंग होता दिखा है। दलितों का एक बड़ा धड़ा मायावती से कटा है। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में गैर-जाटव वोट भाजपा के पाले में खड़ा दिखा है, लेकिन किसी भी पार्टी के साथ स्थिर नहीं रहता है। इस वोट बैंक पर कांग्रेस और सपा की भी नजर है।
पिछले कई वषों में बसपा के लिए हालात बहुत कुछ बदले हैं। विधानसभा से लोकसभा तक की हार ने मायावती के दलित वोट बैंक की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिये हैं। ऐसे में मायावती को जातीय गणित ठीक करने के लिए बहुत सारी मशक्कत करनी पड़ रही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि मायावती को अपने दलित वोट बैंक की चिंता है। मायावती को पता है कि जाटव वोट अगर कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो गया तो इन्हें अपने पाले लाने में मुश्किल होगी। क्योंकि कांसीराम के पहले यही मूल वोट बैंक कांग्रेस का रहा है। उनहोंने बताया कि दलित युवाओं में चन्द्रशेखर की आजाद समाज पार्टी का पश्चिमी यूपी में युवाओं के बीच बोलबाला बढ़ रहा है। मायावती को बहुसंख्यक दलित के खिसकने का डर है। इसीलिए मायावती का भाजपा की ओर झुकाव बढ़ रहा है। लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन का उन्हें लाभ नहीं मिला है। मायावती को यूपी की राजनीति में अपना स्थान बनाने के लिए अपने दलित वोट को बचाना होगा। ऐसा देखा गया है कि भाजपा के साथ गठबंधन करने पर मूल दलित वोट कहीं और शिफ्ट नहीं होता है। भाजपा के साथ हिन्दू वोट तो हो सकता है। लेकिन जाटव वर्ग कहीं नहीं जाता है। उपजतियां पासी, धानुक, खाटिक, वाल्मिकी जरूर हिन्दू बनकर भाजपा में आ जाता है। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से मायावती को केन्द्र का दबाव रहता है।
राष्ट्रीय समाचार
कांग्रेस की मान्यता रद्द कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका

suprim court
नई दिल्ली, 22 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बिहार एसआईआर को लेकर अहम सुनवाई है। इससे ठीक पहले एक अहम जनहित याचिका ने कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा दी है। याचिकाकर्ता सतीश कुमार अग्रवाल ने चुनाव आयोग के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने वाली कांग्रेस की मान्यता रद्द कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल डाली है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी के आरोप बेहद गंभीर और गैर जिम्मेदाराना हैं। इन दोनों ने एक संवैधानिक संस्था की साख को ठेस पहुंचाने की कोशिश की है और ऐसे में न सिर्फ पार्टी की मान्यता रद्द हो बल्कि इनके दुष्प्रचार की जांच एसआईटी से कराई जाए।
दावा है कि कांग्रेस पार्टी ने संविधान के प्रति वफादारी की शपथ को तोड़ा है। याचिका में कुछ नियमों का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि कांग्रेस ने अपनी स्थापना के समय भारत के संविधान के प्रति निष्ठा बनाए रखने की शपथ ली थी। हालांकि, ईसीआई के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान इस शपथ का उल्लंघन करता है और आयोग के कार्यों को गैरकानूनी तरीके से बाधित करने की कोशिश कर रहा है।
नियमों का हवाला देते हुए पीआईएल कहती है- निर्वाचन आयोग को देशभर में मतदाता सूची तैयार करने और संशोधन करने का विशेष अधिकार प्राप्त है, जो प्रतिनिधित्व जनता अधिनियम, 1951 और इसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इस मामले में त्वरित सुनवाई की मांग उठाई है।
याचिकाकर्ता ने कांग्रेस के कुछ नेताओं के खिलाफ चलाए जा रहे ‘दुष्प्रचार’ की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराई जाए और उन पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
शुक्रवार को देश की शीर्ष अदालत चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू करेगी। यह इस बात की समीक्षा करेगी कि क्या मतदाता सूची के परीक्षण का काम बिहार में सही तरीके से किया जा रहा है।
राजनीति
महाराष्ट्र सरकार ने कृषि पहुंच मार्गों को मजबूत करने के लिए अध्ययन समूह का गठन किया

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने कृषि उत्पादों के परिवहन को आसान बनाने और मशीनीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि पहुँच मार्गों को मज़बूत करने हेतु एक अध्ययन समूह के गठन की घोषणा की है। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता में, राजस्व एवं वन विभाग द्वारा एक सरकारी प्रस्ताव के माध्यम से इस निर्णय को औपचारिक रूप दिया गया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे के नेतृत्व में अध्ययन समूह में जल संसाधन, लोक निर्माण, ग्रामीण विकास और वित्त जैसे विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। यह समूह मौजूदा सड़क योजनाओं, विशेष रूप से नागपुर, अमरावती और लातूर जिलों में, का विश्लेषण करेगा और सुधार, वित्तपोषण तंत्र और कार्यान्वयन रणनीतियों का प्रस्ताव देगा।
राजस्व मंत्री बावनकुले ने कहा, “इस पहल से ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में सुधार होगा, जिससे किसानों के लिए बाज़ारों तक पहुँचना और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाना आसान हो जाएगा। हम किसानों की चुनौतियों का समाधान करने और उनकी आजीविका में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
समूह सड़कों की गुणवत्ता में सुधार, अतिक्रमण हटाने, तथा वित्तीय घाटे को कम करने और फसल विविधीकरण को समर्थन देने के लिए सभी मौसमों में सुगमता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
राष्ट्रीय समाचार
बीएमसी ने मुंबई में पानी की गुणवत्ता में सुधार की रिपोर्ट दी: 2024-25 में अनुपयुक्त पेयजल के नमूनों में 0.46% की गिरावट

मुंबई: वर्ष 2024-25 के लिए पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट (ईएसआर) के अनुसार, बीएमसी की जल प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों से पता चलता है कि पिछले दो वर्षों से वार्ड-वार अनुपयुक्त जल नमूनों का प्रतिशत 0.46% पर बना हुआ है।
इसकी तुलना में, 2022-23 में यह आँकड़ा 0.99% था। बी वार्ड (डोंगरी, मस्जिद बंदर) में अनुपयुक्त जल नमूनों का अनुपात सबसे अधिक 3.2% दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष के 1.0% से काफ़ी ज़्यादा है।
पीने के पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, मुंबई भर में प्रतिदिन लगभग 150 से 180 पानी के नमूने एकत्र किए जाते हैं। मानसून के मौसम या आपातकालीन स्थितियों में, यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 250 नमूने तक पहुँच सकती है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग (पीएचडी) और हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग विभाग (एचई) शहर के 24 प्रशासनिक वार्डों में फैले सेवा जलाशयों और जल वितरण बिंदुओं से इन नमूनों को एकत्र करने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करते हैं।
इस प्रक्रिया की निगरानी स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी (एमओएच), सहायक अभियंता (जल कार्य – गुणवत्ता नियंत्रण), और रिसाव पहचान विभाग के कर्मचारी करते हैं। नमूने एकत्र होने के बाद, उन्हें पानी की सुरक्षा और अनुपालन का आकलन करने के लिए नियमित जीवाणु परीक्षण हेतु नगर विश्लेषक प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
ईएसआर 2024-25 में प्रस्तुत परीक्षण परिणामों के अनुसार, मुंबई के कई इलाकों में जल प्रदूषण में मामूली सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, एच/ईस्ट वार्ड (जिसमें सांताक्रूज़, खार और बांद्रा ईस्ट शामिल हैं) में 1.6% अनुपयुक्त जल नमूने दर्ज किए गए, जो पिछले वर्ष के 1.7% से मामूली सुधार है।
इसी तरह, ए वार्ड (जिसमें कोलाबा, कफ परेड और नरीमन पॉइंट शामिल हैं) में 2023-24 में 2.1% से 2024-25 में 1.5% की गिरावट देखी गई। हालाँकि, सभी क्षेत्रों में प्रगति नहीं देखी गई—टी वार्ड (मुलुंड) में अनुपयुक्त जल नमूनों में वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष 0.7% से बढ़कर इस वर्ष 1.0% हो गई।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों जैसे सी वार्ड (कालबादेवी), एन वार्ड (घाटकोपर, विद्याविहार) और पी नॉर्थ वार्ड (मालवणी, मढ़, मलाड) में दूषित जल के नमूनों का प्रतिशत शून्य पाया गया।
एक वरिष्ठ नगर निगम अधिकारी ने बताया, “प्रभावित क्षेत्रों में प्रदूषण के स्रोतों की पहचान और मरम्मत के लिए लक्षित अभियान चलाए गए, जिससे अनुपयुक्त पेयजल के प्रतिशत में कमी आई।” इस बीच, अनुपयुक्त जल नमूनों का सबसे कम कुल प्रतिशत 2021-22 में दर्ज किया गया, जो केवल 0.33% था।
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