अपराध
न्यायिक हिरासत में भेजा गया सिकंदराबाद हिंसा का मास्टरमाइंड
यहां की एक रेलवे अदालत ने शनिवार को सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन हिंसा मामले के कथित मास्टरमाइंड अवुला सुब्बा राव को दो सप्ताह की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में निजी डिफेंस कोचिंग सेंटरों की एक श्रृंखला के मालिक सुब्बा राव और उनके तीन सहयोगियों को भी रेलवे पुलिस ने अदालत में पेश किया।
बाद में उन्हें चंचलगुडा सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।
पुलिस के अनुसार, सेना की भर्ती के लिए केंद्र सरकार की हाल ही में घोषित योजना अग्निपथ के खिलाफ सिकंदराबाद स्टेशन पर 17 जून को हुई हिंसा के पीछे एक पूर्व सैनिक सुब्बा राव मास्टरमाइंड है।
सुब्बा राव, जो साईं रक्षा अकादमी के निदेशक हैं, ने कथित तौर पर सेना में नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को हिंसा का सहारा लेने के लिए उकसाया।
पिछले कुछ दिनों से उनसे पूछताछ करने के बाद, पुलिस ने उन्हें शुक्रवार को हिरासत में ले लिया और उन्हें उनके सहयोगी मल्ला रेड्डी, शिवा और बी. सी. रेड्डी के साथ अदालत के समक्ष पेश किया।
एक अधिकारी ने कहा कि उन पर रेलवे अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की कई अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार, सेना में चिकित्सा सहायक के पद से सेवानिवृत्त हुए सुब्बा राव उस दिन हैदराबाद में व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे, जब स्टेशन पर हिंसा हुई थी।
पुलिस अधीक्षक अनुराधा ने कहा कि सुब्बा राव एक दिन पहले आंध्र प्रदेश के नरसरावपेट से हैदराबाद पहुंचे थे और बाहरी इलाके में बोडुप्पल में एक लॉज में रुके थे।
उन्होंने कथित तौर पर व्हाट्सएप ग्रुप ‘हकीमपेट आर्मी सोल्जर्स’ पर पोस्ट किया था कि वह रेलवे स्टेशन पर हिंसा के लिए हर संभव मदद करेंगे।
एसपी ने कहा, “सुब्बा राव ने अपने सहयोगियों से युवाओं को सिकंदराबाद स्टेशन लाने के लिए कहा था।”
मास्टरमाइंड ने कथित तौर पर रेलवे स्टेशन पर गड़बड़ी पैदा करने के लिए साईं रक्षा अकादमी में प्रशिक्षित युवाओं को 35,000 रुपये का भुगतान भी किया।
पुलिस जांच से पता चला कि शिव और मल्ला रेड्डी ने हिंसा में भाग लिया और सुब्बा राव को मोबाइल फोन पर इसके बारे में सूचित किया। मास्टरमाइंड ने लॉज में टेलीविजन पर हिंसा के ²श्य भी देखे।
पुलिस ने कहा कि सुब्बा राव ने हिंसा की योजना इसलिए बनाई थी, क्योंकि उन्हें डर था कि अग्निपथ योजना से उनकी अकादमी को नुकसान होगा। उन्होंने सोचा कि हिंसा पैदा करके केंद्र सरकार को इस योजना को वापस लेने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि हिंसा के बाद सुब्बा राव ने व्हाट्सएप से अपना संदेश हटाकर सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश की।
सुब्बा राव ने कथित तौर पर अपने कोचिंग संस्थान और अन्य निजी कोचिंग सेंटरों में प्रशिक्षित सेना की नौकरी के उम्मीदवारों को हिंसा का सहारा लेने के लिए उकसाया।
घटना के एक दिन बाद, उन्हें आंध्र प्रदेश में पुलिस ने हिरासत में लिया था और उन्हें चार दिन पहले हैदराबाद लाया गया।
आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के रहने वाले राव ने 2015 में साई रक्षा अकादमी की शुरूआत की थी। उन्होंने हाल ही में सिकंदराबाद में अपनी अकादमी की एक और शाखा खोली थी।
अग्निपथ का विरोध कर रहे सैकड़ों युवकों ने 17 जून को सिकंदराबाद स्टेशन पर हंगामा किया था। उन्होंने ट्रेन के डिब्बों और इंजनों में आग लगा दी, परिवहन का सामान जला दिया, स्टेशन में तोड़फोड़ की और रेलवे की अन्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रेलवे पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए।
पुलिस पहले ही हिंसा के सिलसिले में 55 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें साईं रक्षा अकादमी में प्रशिक्षित सेना की नौकरी के इच्छुक उम्मीदवार शामिल हैं।
अपराध
अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्दीकी की बड़ी रिमांड, 14 दिन की ईडी हिरासत में भेजा गया

COURT
नई दिल्ली, 1 दिसंबर: अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को साकेत कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
जावेद अहमद सिद्दीकी से पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे होने की संभावनाएं हैं।
बता दें कि इससे पहले भी जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी की 13 दिनों की हिरासत में भेजा गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) शीतल चौधरी प्रधान ने 20 नवंबर को जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी रिमांड पर भेजने का आदेश दिया था।
अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा था कि ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किया है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाना चाहिए।
यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद को 19 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए आतंकी हमले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
यूनिवर्सिटी की तरफ से किए जा रहे कथित फर्जी मान्यता और भ्रामक दावों की पड़ताल में एक बड़ा खुलासा हुआ था।
रिमांड नोट के अनुसार, इस संस्था ने कथित तौर पर पिछले कई सालों में छात्रों को भ्रमित कर न सिर्फ एडमिशन लिए, बल्कि भारी भरकम रकम भी वसूली है। आईटीआर के विश्लेषण से यह भी पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2024-25 तक यूनिवर्सिटी ने करोड़ों रुपए की आय दिखाई थी।
ईडी की जांच में सामने आया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में क्रमश: 30.89 करोड़ और 29.48 करोड़ रुपए को स्वैच्छिक योगदान यानी वॉलंटरी कंट्रीब्यूशन बताया गया था, लेकिन 2016-17 के बाद इनकम को सीधे मेन ऑब्जेक्ट या एजुकेशनल रेवेन्यू के रूप में दिखाया जाने लगा था।
जांच में पता चला कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 24.21 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 80.01 करोड़ रुपए की आय दर्ज की गई थी। कुल मिलाकर कथित तौर पर फर्जी मान्यता के नाम पर लगभग 415.10 करोड़ रुपए की रकम हासिल की गई थी।
एजेंसियों का दावा है कि यूनिवर्सिटी ने झूठे दावों और भ्रामक प्रैक्टिस के जरिए छात्रों के विश्वास, भविष्य और उम्मीदों के साथ खिलवाड़ किया है। इस मामले में ईडी की जांच दिल्ली पुलिस की एफआईआर से शुरू हुई, जिसके आधार पर अब मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी पड़ताल जारी है।
अपराध
दिल्ली ब्लास्ट मामले में बड़ी कार्रवाई, एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में 10 ठिकानों पर की छापेमारी

नई दिल्ली, 1 दिसंबर: दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट मामले में जांच अब और तीव्र हो गई है। सोमवार सुबह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में 10 स्थानों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया। यह छापेमारी पुलवामा, शोपियां और आसपास के कई इलाकों में की गई, जिसका उद्देश्य सबूत जुटाना और ब्लास्ट से जुड़े व्यक्तियों की भूमिका खंगालना है।
जांच एजेंसी ने शोपियां में मुफ्ती इरफान अहमद वागे के घर और पुलवामा में डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. मुअज्जमिल शकील और अमीर राशिद के घरों पर छापे मारे। सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी डिजिटल सबूत, दस्तावेज और किसी तरह की आपत्तिजनक सामग्री की तलाश कर रही है।
शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों की एनआईए हिरासत 10 दिनों के लिए बढ़ा दी। गिरफ्तार चार आरोपियों में डॉ. मुअज्जमिल शकील, डॉ. शहीन सईद, मुफ्ती इरफान अहमद वागे और डॉ. अदील अहमद राथर के नाम शामिल हैं।
अदालत से अनुमति मिलने के बाद सभी आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट से एनआईए मुख्यालय ले जाया गया, जहां उनसे गहन पूछताछ जारी है।
10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास स्थित रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के करीब एक कार अचानक विस्फोट से उड़ गई थी। शाम 6:52 बजे हुए इस धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घटनास्थल पर कारों के मलबे और क्षत-विक्षत शवों से पूरा इलाका दहल गया था।
जांच में सामने आया कि इस हमले को ‘व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क’ ने अंजाम दिया, जिसका संबंध आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से बताया गया। धमाके से पहले ही कई राज्यों में गिरफ्तारियां हो चुकी थीं और ‘इंटरस्टेट मॉड्यूल’ के सुराग मिलने लगे थे।
एनआईए ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। ब्लास्ट वाली कार डॉ. उमर मोहम्मद चला रहा था। ये कार आमिर राशिद अली के नाम रजिस्टर्ड थी, जो अब जांच एजेंसी की कस्टडी में है।
आरोपियों में शामिल डॉ. शकील पुलवामा, डॉ. राथर अनंतनाग, वागे शोपियां और डॉ. शाहीन सईद लखनऊ से ताल्लुक रखता है।इन लोगों ने हमले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई।
वहीं आरोपी जसीर बिलाल वानी ने आतंकवादी को टेक्निकल मदद दी और शोएब ने कथित तौर पर उमर को पनाह दी और ब्लास्ट से कुछ समय पहले लॉजिस्टिक मदद दी, जिन्हें पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है।
एनआईए की लगातार जारी छापेमार कार्रवाई से साफ है कि एजेंसी इस पूरे मॉड्यूल को जड़ों तक तोड़ने के लिए अब और तेज कदम उठा रही है।
अपराध
पंजाब: सीबीआई कोर्ट ने 7.8 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड केस में सात आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई

चंडीगढ़, 29 नवंबर: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कोर्ट ने पंजाब के साहिबजादा अजीत सिंह नगर में 7.8 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड मामले में सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई है।
मामले के मुख्य आरोपियों मनीष जैन और रमेश कुमार जैन को तीन साल की कठोर कारावास (आरआई) और प्रत्येक पर 35,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया, जबकि अन्य आरोपियों रचना जैन, भूपिंदर सिंह, प्रतीपाल सिंह, संजीव कुमार जैन और अनीता जैन को तीन साल की जेल की सजा और प्रत्येक पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
यह मामला 4 नवंबर 2016 को बैंक ऑफ़ बड़ौदा की शिकायत पर दर्ज किया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि मनीष ट्रेडर्स के पार्टनर मनीष जैन, रमेश कुमार जैन और कांता जैन ने बैंक के कुछ अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर 7.83 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया। सीबीआई की जांच में सामने आया कि इस साजिश के तहत बैंक को गलत तरीके से बड़ी राशि का नुकसान पहुंचाया गया।
जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने 28 जून 2017 को इस मामले में सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने सभी सबूतों और गवाहों की सुनवाई के बाद दोषियों को सजा सुनाई।
सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में साजिश के तहत बैंक को हानि पहुंचाना और फर्जीवाड़ा करना आरोपियों का मुख्य उद्देश्य था। अदालत ने मामले की पूरी जांच और चार्जशीट के आधार पर फैसला सुनाया और सभी दोषियों को सजा के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया।
इस मामले में दोषियों को दी गई सजा तीन साल की है, लेकिन जुर्माना और कड़ी निगरानी के कारण आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की संभावना भी बनी हुई है। सीबीआई ने कहा है कि वे भविष्य में भी ऐसे मामलों में सख्त और निष्पक्ष जांच जारी रखेंगे।
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