राजनीति
ममता का वार रूम : तृणमूल कैसे करेगी भाजपा के आक्रमण का सामना

पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री सुवेंदु अधिकारी के शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल होने के बाद, तृणमूल कांग्रेस ने भी नई रणनीति बना ली है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और उनके भरोसेमंद सिपहसालारों ने अब पार्टी और विधायक-सांसदों के बीच किसी भी तरह की संवादहीनता को दूर करने के लिए कमर कस ली है। इसकी कमान वरिष्ठ तृणमूल कांग्रेस नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री अरूप बिस्वास, पार्टी के लोकसभा सांसद सौगत राय, कल्याण बनर्जी और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को सौंपी गई है।
तृणमूल सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, सत्ताधारी पार्टी के अंदर मतभेदों को दूर करने के लिए ये नया कदम उठाया गया है।
तृणमूल से अब तक के सबसे बड़े पलायन के बीच पार्टी के राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर ने सोमवार सुबह ट्वीट किया, “मीडिया द्वारा हाइप बनाने के बावजूद, वास्तव में भाजपा पश्चिम बंगाल में दो अंकों का आंकड़ा पार करने के लिए भी संघर्ष करेगी .. कृपया इस ट्वीट को संभालकर रखें और अगर भाजपा इससे बेहतर करती है तो मैं अपनी जगह छोड़ दूंगा!”
तृणमूल को पहली सफलता पिछले हफ्ते तब मिली जब पार्टी के असंतुष्ट विधायक जितेंद्र तिवारी ने अपने इस्तीफे के 24 घंटे के अंदर यू-टर्न ले लिया और कहा कि वो तृणमूल के साथ ही रहेंगे।
तिवारी ने शुक्रवार देर रात दक्षिण कोलकाता के सुरुचि संघ क्लब में वरिष्ठ तृणमूल नेता अरूप बिस्वास और प्रशांत किशोर के साथ बंद दरवाजे के अंदर बैठक की, जिसके बाद उन्होंने स्वीकार किया, “यह मेरी गलती थी। कुछ गलतफहमियां थीं। मैंने जो भी कहा वह बिल्कुल गलत था। मुझे बताया गया कि ‘दीदी’ मेरे कार्यो से आहत हैं। मैं कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहता जिससे ‘दीदी’ आहत हों .. मैं व्यक्तिगत रूप से ममता दीदी से मिलूंगा और उनसे माफी मागूंगा।” तिवारी ने हालांकि कहा कि आसनसोल कई विकास कार्यो से वंचित रहा है।
तिवारी ने गुरुवार को आसनसोल नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने पश्चिम बर्धवान में तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी को अपना इस्तीफा सौंपा। आसनसोल के निवर्तमान मेयर विधानसभा में पांडाबेश्वर का प्रतिनिधित्व तो करते हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी विधायक की सीट नहीं छोड़ी।
अरूप बिस्वास ने कहा, “जितेंद्र तिवारी तृणमूल कांग्रेस के साथ हैं और रहेंगे। वो ममता बनर्जी के वफादार सिपाही के रूप में भाजपा के खिलाफ लड़ेंगे।”
तृणमूल कांग्रेस के सात मौजूदा विधायक, खास कर ममता के पूर्व विश्वस्त सहयोगी सुवेंदु अधिकारी और वाम मोर्चा और कांग्रेस के तीन अन्य विधायक शनिवार को मिदनापुर शहर में भाजपा में औपचारिक रूप से शामिल हो गए।
पाला बदलने वाले 10 विधायकों में सुवेंदु अधिकारी ही हैं, जिन्होंने विधानसभा को अपना इस्तीफा सौंपा। हालांकि तकनीकी आधार पर उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। अधिकारी को पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने सोमवार को सदन में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था।
तृणमूल के बर्धवान-पूर्व से लोकसभा सांसद सुनील मंडल, पूर्व मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी, उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार से पूर्व लोकसभा सदस्य दशरथ तिर्की के अलावा और कई विधायक और तृणमूल और दूसरे दलों के 15 पार्षदों और 20 जिलास्तरीय नेताओं ने भाजपा का दामन थामा।
गौरतलब है कि तृणमूल द्वारा स्थापित विभिन्न अल्पसंख्यक निकायों के छह नेता भी भगवा खेमे में शामिल हो गए।
सूत्रों ने कहा कि प्रशांत किशोर की टीम, अभिषेक बनर्जी और टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ’ब्रायन के साथ कड़ी मेहनत कर रही है, ताकि भाजपा और सेंध न लगा सके। हालांकि अटकलें लगाई जा रही हैं कि आने वाले दिनों में तृणमूल के कई बड़े दिग्गज नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल के कई सांसदों को लुभाने के लिए भाजपा से तीन महीने का समय मांगा है। राज्य भाजपा नेतृत्व ने यह भी कहा कि कई नेता पाला बदलने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
पिछले हफ्ते तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भाजपा के आक्रमण के मद्देनजर अपने दक्षिण कोलकाता स्थित कालीघाट निवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें पार्टी से पलायन रोकने की रणनीति पर चर्चा हुई।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, ममता ने कथित तौर पर अपने पार्टी सहयोगियों से कहा कि “डरने की कोई जरूरत नहीं” है। उन्होंने कहा कि लोग उनकी सरकार के साथ हैं। डोर-टू-डोर सरकारी अभियान को राज्य भर में अच्छी प्रतिक्रिया मिली और किसी को भी इस बात से परेशान नहीं होना चाहिए कि कौन पार्टी छोड़ रहा है, कौन नहीं। ये अच्छा है कि वे जा रहे हैं।
सूत्रों ने ये भी कहा कि पार्टी नेताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए सीएम ने सभी पार्टी सदस्यों से आगामी चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होने को कहा। उन्होंने कहा कि 2021 में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी निश्चित रूप से जीत हासिल करेगी, इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है।
तृणमूल ने एक बयान में कहा, “हमने छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाओं का आयोजन शुरू कर दिया है। विभिन्न मोहल्लों में स्थानीय स्तर के नेताओं की छोटी रैलियां भी हो रही हैं। इससे हमारे मतदाताओं के साथ एक बार फिर से जुड़ने में मदद मिलेगी।”
इससे पहले, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान ममता के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि जब तक चुनाव आएगा, तब तक सीएम अपनी पार्टी में अकेली बच जाएंगी। शाह ने मिदनापुर की एक रैली में कहा, “चुनाव आने तक दीदी, आप पार्टी में अकेली रह जाएंगी.. यह तो केवल शुरुआत है।”
2016 के पश्चिम बंगाल चुनावों में, तृणमूल ने अपना बहुमत बरकरार रखा था और 211 सीटें जीती थीं। विधानसभा में कुल 294 सीटें हैं।
महाराष्ट्र
वारिस पठान को पता है नितेश राणे क्या कर रहे हैं। नितेश राणे की पठान को धमकी

मुंबई: महाराष्ट्र भाजपा नेता और मंत्री नितेश राणे ने एक बार फिर मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला और कहा कि यह उनके पिता का पाकिस्तान और कराची नहीं, बल्कि हिंदू राष्ट्र और देव भाऊ की सरकार है। ऐसे में अगर कोई व्यवस्था और माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेगा, तो उसे जवाब दिया जाएगा। नितेश राणे ने एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधा और कहा कि जिस जगह ओवैसी की रैली हुई, वह अहमदनगर नहीं, बल्कि अहलिया नगर है। सरकार ने अहमदनगर और औरंगाबाद का नाम बदल दिया है, इसके बावजूद लोग अहमदनगर को अहलिया नगर और औरंगाबाद को छत्रपति संभाजी नगर कहने से बचते हैं। ऐसे लोग भारत के संविधान को नहीं, बल्कि शरिया को मानते हैं। उन्होंने कहा कि अगर ओवैसी राज्य का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेंगे, तो सरकार को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि उन्हें रैली करने की अनुमति दी जाए या नहीं, क्योंकि वह अपनी राजनीतिक रैली के लिए यहां आते हैं।
एडवोकेट वारिस पठान को धमकी देते हुए नितेश राणे ने कहा कि वारिस पठान जानते हैं कि नितेश राणे क्या हैं। उन्होंने कहा कि वारिस पठान समय और जगह तय कर लें, नितेश राणे ज़रूर आएंगे, तब पता चलेगा कि क्या होगा। नितेश राणे ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ उकसावे का परिचय देते हुए कहा कि जब हमारे देवी-देवताओं की मूर्ति का अपमान किया जाता है और हिंसा की जाती है, तब भाईचारा कहाँ चला जाता है और भारत का संविधान कहाँ चला जाता है? उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य की शांति भंग करने की कोशिश करता है, तो उसे पता होना चाहिए कि यहाँ देवेंद्र फडणवीस की हिंदुत्ववादी सरकार है।
राजनीति
महागठबंधन मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा और जीतेगा: मोहिबुल्लाह नदवी

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया ब्लॉक गठबंधन में सीट बंटवारे पर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इस बीच, समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने दावा किया है कि महागठबंधन मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा और जीत हासिल करेगा।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर जो भी मतभेद हैं, उन्हें जल्द सुलझा लिया जाएगा। महागठबंधन चुनावी मैदान में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि पर सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने हमें समाजवाद की विचारधारा दी। उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होकर हमारे नेता अखिलेश यादव समाज के सभी वर्गों तक इस विचारधारा को पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पूरा देश मुलायम सिंह यादव को याद कर रहा है। सभी लोग उनके परिवार और पार्टी के लिए दिल से दुआ कर रहे हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर दिए बयान पर मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि संविधान ने जाति व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। भारतीय होना हमारी सबसे बड़ी पहचान है।
सभी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। चाहे दलित समाज हो या वंचित समाज, सभी इस देश का हिस्सा हैं। जिन लोगों ने चीफ जस्टिस का अपमान करने की कोशिश की, वह सनातन का अपमान है। किसी को भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
बसपा प्रमुख मायावती द्वारा समाजवादी पार्टी पर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए नदवी ने कहा कि मायावती को इस समय दलितों के साथ खड़ा होना चाहिए था। बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान देश को दिया, वह आज खतरे में है। संविधान और उसकी विचारधारा को बचाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। मायावती को छोटी-मोटी बातों में उलझकर या झगड़ा करके अपने नजरिए से नहीं भटकना चाहिए।
मायावती ने अपनी रैली में भाजपा की तारीफ की थी और सपा पर कई आरोप लगाए थे, जिसमें दलितों से जुड़े स्मारकों के नाम बदलने की बात शामिल थी। इस पर नदवी ने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। बाबासाहेब का संविधान और उनकी विचारधारा समाजवाद से सबसे ज्यादा मेल खाती है। उत्तर प्रदेश में दलितों पर हुए अत्याचारों के खिलाफ समाजवादी पार्टी हमेशा खड़ी रही है।
राजनीति
बिहार में सीट बंटवारे पर महागठबंधन में असमंजस, कौन रखेगा हिमालय से ऊंचा सिर और समुद्र से गहरा दिल?

पटना, 10 अक्टूबर : बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन महागठबंधन के घटक दलों में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा है। मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री पद के चेहरों पर संशय की स्थिति है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने शुक्रवार को पटना में संसदीय दल की बैठक बुलाई तो कांग्रेस के नेता पप्पू यादव ने सीटों के लिए राजद को सुझाव दिया है कि उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए।
पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने सीट बंटवारे पर कहा, “सभी को बड़ा दिल करने की जरूरत है। हिमालय से ऊंचा सिर और समुद्र से गहरा दिल रखने की जरूरत है।” इससे पहले उन्होंने राजद को सुझाव दिया था कि पार्टी को बड़ा दिल दिखाते हुए 100 से कम सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।
पप्पू यादव ने पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री पद के लिए महागठबंधन में दावेदारी को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हम लोगों के लिए मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री कोई मुद्दा नहीं है। हम लोगों के लिए मुख्य मुद्दा है कि कैसे एनडीए सरकार को यहां से हटाया जा सके।”
इस बीच, बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने सीट बंटवारे पर प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा, “लालू प्रसाद यादव से मुलाकात नहीं हुई। मुलाकात का कार्यक्रम था, लेकिन अभी यह नहीं हुई है।”
वहीं कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा, “सीटों को लेकर बातचीत जारी है। वक्त आने पर फैसले के बाद में बता दिया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही सीट बंटवारे को लेकर ऐलान कर दिया जाएगा।
चुनाव के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अधीर रंजन चौधरी भी पटना पहुंचे हुए हैं। उन्होंने सीट बंटवारे पर कहा कि हमारी रोज बड़ी मीटिंग चल रही है। जल्द फैसला होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि सीट बंटवारे को लेकर कोई अंदरूनी झगड़ा नहीं है।
हालांकि, मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री फेस पर सवाल का जवाब दिए बगैर अधीर रंजन चौधरी निकल गए।
महागठबंधन में सीट बंटवारे पर कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा, “कोई भी पेच अटका नहीं है। हम लगातार बातचीत कर रहे हैं और सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा है। जल्दबाजी करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारे पास अभी पर्याप्त समय है।”
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