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Friday,18-April-2025
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महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘बेहतर सोशल मीडिया ट्रैकिंग से नागपुर हिंसा को रोकने में मदद मिल सकती थी’

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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि नागपुर हिंसा के दिन सोशल मीडिया पोस्ट पर अधिक प्रभावी तरीके से नजर रखी जानी चाहिए थी, क्योंकि इससे पुलिस को यह पता लगाने में मदद मिलती कि क्या योजना बनाई जा रही थी।

हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कोई खुफिया विफलता थी। उन्होंने कहा कि पुलिस की प्रतिक्रिया उचित थी और इसे अपर्याप्त नहीं कहा जा सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा, “कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में बंगाली भाषा में सामग्री थी, जो बांग्लादेश में भी बोली जाती है। यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या यह किसी बड़े डिजाइन का हिस्सा है।”

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर दोपहर में ही नज़र रखी जानी चाहिए थी (जिस दिन हिंसा भड़की)। नागपुर से ताल्लुक रखने वाले और गृह विभाग के प्रमुख मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उस तरह से नहीं किया गया जैसा किया जाना चाहिए था।

सोमवार शाम को नागपुर के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर पथराव और आगजनी की खबरें आईं। अफवाह थी कि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान पवित्र शिलालेखों वाली एक चादर जला दी गई। यह विरोध प्रदर्शन छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर किया गया था।

फडणवीस ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को एकत्र होने के लिए संदेश भेजे गए और इन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “हमारे पास क्षमता है, लेकिन आदत (सोशल मीडिया पोस्ट पर नजर रखने की) विकसित करने की जरूरत है। अगर उस दोपहर सोशल मीडिया पर अच्छी तरह से नजर रखी गई होती, तो हमें पता चल जाता (कि क्या योजना बनाई जा रही थी)।”

उन्होंने कहा कि हिंसा के दौरान समस्या मुख्य सड़कों पर नहीं बल्कि संकरी गलियों में थी।

फडणवीस ने पुलिस का बचाव करते हुए कहा, “पुलिस ने इन गलियों में जाने और स्थिति का सामना करने का साहस दिखाया। इसीलिए स्थिति बड़ी नहीं हुई।”

पुलिस ने पहले कहा था कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर पोस्ट और वीडियो सहित 140 से अधिक आपत्तिजनक सामग्री की पहचान की और रिपोर्ट की, जिनका उद्देश्य नागपुर हिंसा के संबंध में सांप्रदायिक अशांति भड़काना था।

सोमवार को नागपुर में हुई हिंसा के दौरान पुलिस उपायुक्त स्तर के तीन अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

नागपुर की एक अदालत ने मामले में 17 आरोपियों को 22 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान और पांच अन्य पर देशद्रोह और सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है।

यह पूछे जाने पर कि कौन ठाकरे – उद्धव या राज – उनके सबसे करीब है, फडणवीस ने कहा, “पिछले पांच सालों में, मेरा उद्धव जी से कोई संबंध नहीं था और मैं राज के संपर्क में हूं। (उद्धव के साथ) कोई लड़ाई नहीं है। अगर हम एक-दूसरे के सामने आते हैं, तो हम बात करते हैं लेकिन कोई संबंध नहीं बचा है।” उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ महायुति, जिसमें भाजपा, शिवसेना और एनसीपी शामिल हैं, बृहन्मुंबई नगर निगम सहित स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ लड़ेगी।

उन्होंने कहा, “एक या दूसरे नगर निकाय में गठबंधन काम नहीं कर सकता। लेकिन कुल मिलाकर संकल्प एक साथ चुनाव लड़ने का है।”

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नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

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नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।

स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।

सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।

अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

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जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

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जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।

पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।

कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।

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सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

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मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।

मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।

मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

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