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मणिपाल सिग्ना में एलआईसी की हिस्सेदारी से स्वास्थ्य बीमा बाजार को बढ़ावा मिलेगा : जेपी मॉर्गन

नई दिल्ली, 1 अप्रैल। जेपी मॉर्गन की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस में 40-49 प्रतिशत हिस्सेदारी का संभावित अधिग्रहण स्वास्थ्य बीमा बाजार को नया आकार देने में अहम होगा।
ब्रोकरेज के अनुसार एलआईसी के लिए संभावित अधिग्रहण एक रणनीतिक कदम होने की उम्मीद है। जिसके तहत एलआईसी अपने नए स्वास्थ्य उद्यम को बढ़ाने के लिए 1.4 मिलियन व्यक्तिगत एजेंटों के अपने एजेंसी वितरण नेटवर्क का लाभ उठाएगा।
ब्रोकरेज ने कहा, “एलआईसी की तुलना में मणिपाल सिग्ना के छोटे आकार के बावजूद, अधिग्रहण से अगले कुछ वर्षों में पर्याप्त मूल्य मिलने की उम्मीद है।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एलआईसी इंडिया मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस, एक स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमाकर्ता, में हिस्सेदारी हासिल करने के अंतिम चरण में है।
3,500-3,700 करोड़ रुपये के इस सौदे में एलआईसी के पास मणिपाल सिग्ना की 40-49 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जिसका स्वामित्व वर्तमान में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप और 49 प्रतिशत हिस्सेदारी सिग्ना होल्डिंग ओवरसीज के पास है।
जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का मानना है कि स्वास्थ्य बीमा बाजार में एलआईसी का प्रवेश बड़ा कदम साबित होगा, क्योंकि इसका उद्देश्य मार्केट शेयर हासिल करना है।
हालांकि, एलआईसी के लिए मुख्य चुनौती हेल्थ लॉस रेशियो को मैनेज करना होगा, जो इस उद्यम की सफलता सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कारक है।
कुल स्वास्थ्य बीमा उद्योग में 1.4 प्रतिशत और स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में 4.7 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ मणिपाल सिग्ना ने आशाजनक वृद्धि दिखाई है।
एलआईसी ने उद्योग की बहसों के बावजूद अपने कवरेज का विस्तार करना जारी रखा है। बीमाकर्ता ने वित्त वर्ष 2025 के पहले 11 महीनों के दौरान ग्रुप ईयरली रिन्यूएबल प्रीमियम में 28.29 प्रतिशत और व्यक्तिगत प्रीमियम में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
एलआईसी का फरवरी 2025 तक कुल प्रीमियम संग्रह 1.90 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष से 1.90 प्रतिशत अधिक है।
केवल फरवरी में, एलआईसी ने इंडिविजुअल सेगमेंट में 12.02 लाख पॉलिसी जारी की, जबकि ग्रुप ईयरली रिन्यूएबल कैटेगरी में 1,430 पॉलिसी और योजनाएं दर्ज की गईं। सभी श्रेणियों में, एलआईसी की कुल पॉलिसियों की संख्या इस महीने 12.04 लाख रही।
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शेयर बाजार की गिरावट में नई लिस्टेड कंपनियों का निकला दम, 50 प्रतिशत अपने इश्यू प्राइस से भी नीचे

नई दिल्ली, 2 अप्रैल। भारतीय शेयर बाजार में पिछले साल सितंबर से शुरुआत हुई गिरावट में नई लिस्टेड आधी से अधिक कंपनियों के शेयर प्राइस अपने इश्यू प्राइस से नीचे फिसल गए हैं।
पिछले वित्त वर्ष में करीब 78 कंपनियों के आईपीओ आए थे, जिन्होंने संयुक्त रूप से 1.6 लाख करोड़ रुपये का फंड जुटाया था। इनमें से करीब 34 कंपनियों के शेयर अपने इश्यू प्राइस से नीचे आ चुके हैं। वहीं, 10 शेयर जो कि डिस्काउंट पर लिस्ट हुए थे, अभी भी इश्यू प्राइस के नीचे कारोबार कर रहे हैं।
इसके अलावा, बाकी के 24 शेयर जो उच्चतम स्तर पर खुले थे, अपनी बढ़त खो चुके हैं।
गोदावरी बायोरिफाइनरीज, कैरारो इंडिया और वेस्टर्न कैरियर्स इंडिया के शेयर अपने इश्यू प्राइस से 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं।
सरस्वती साड़ी डिपो, टॉलिन्स टायर्स, श्री तिरुपति बालाजी एग्रो ट्रेडिंग, एक्मे फिनट्रेड, इकोस इंडिया मोबिलिटी एंड हॉस्पिटैलिटी, सुरक्षा डायग्नोस्टिक और बाजार स्टाइल रिटेल के शेयर अपने इश्यू प्राइस से 40 से 50 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहे हैं।
इन आईपीओ में करीब 10 ऐसे शेयर हैं, जिनकी लिस्टिंग मजबूत हुई थी, लेकिन उन्होंने सभी लिस्टिंग गेन खो दी है, इसमें ममता मशीनरी, बजाज हाउसिंग फाइनेंस, यूनिकॉमर्स ई-सॉल्यूशंस, यूनिमेक एयरोस्पेस एंड मैन्युफैक्चरिंग और डी डेवलपमेंट इंजीनियर्स का नाम शामिल है।
गिरावट के बाद भी कुछ आईपीओ ने निवेशकों को लिस्टिंग गेन के अतिरिक्त भी रिटर्न दिया है। इसमें केआरएन हीट एक्सचेंजर और रेफ्रिजरेशन, भारती हेक्साकॉम, क्वाड्रेंट फ्यूचर टेक और ओरिएंट टेक्नोलॉजीज का नाम शामिल है।
खास बात यह है कि इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) को लेकर लोगों में रुझान बढ़ा है। वित्त वर्ष 24 में हर आईपीओ को औसत 64 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था, जो कि वित्त वर्ष 22 में 16 गुना था।
सेंसेक्स सितंबर के 85,978.25 उच्चतम स्तर से करीब 10 प्रतिशत नीचे फिसल गया है। बीते छह माह में बीएसई सूचकांक में 7.5 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
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वित्त वर्ष 2024-25 में हुई 13 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री

नई दिल्ली, 2 अप्रैल। हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2024-25 में देश में 13 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है। यह दिखाता है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को लोग तेजी से अपना रहे हैं।
भारी उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 11,49,334 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन (ई-2डब्ल्यू) बेचे गए, जो वित्त वर्ष 2023-24 में बेची गई 9,48,561 यूनिट्स की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है।
इसके अलावा, बीते वित्त वर्ष में 1,59,235 यूनिट्स तिपहिया वाहनों की बिक्री हुई है, जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष में हुई 1,01,581 यूनिट्स की बिक्री से 57 प्रतिशत अधिक है।
केंद्र सरकार की ओर से पिछले साल सितंबर में पीएम ई-ड्राइव स्कीम की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य देश में ईवी मैन्युफैक्चरिंग और ईवी इकोसिस्टम को बढ़ाना था।
इस योजना का परिव्यय 10,900 करोड़ रुपये है। यह योजना 31 मार्च, 2026 तक चलेगी।
मंत्रालय द्वारा 01.04.2024 से 30.09.2024 तक छह महीने की अवधि के लिए कार्यान्वित की गई इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (ईएमपीएस) 2024 को पीएम ई-ड्राइव योजना में शामिल कर लिया गया है।
मंत्रालय ने बताया, “वित्त वर्ष 2024-25 में पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत 10,10,101 ई-दोपहिया वाहन, 1,22,982 ई-तिपहिया वाहन, पोर्टल पर पंजीकृत किए गए हैं। इस वित्त वर्ष 2024-25 में दस लाख से अधिक ईवी की बिक्री हुई है।”
केंद्रीय भारी उद्योग और स्टील मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत वैश्विक स्तर पर सस्टेनेबल मोबिलिटी की ओर अग्रसर है। 10 लाख से अधिक ईवी वाहनों की बिक्री की उपलब्धि एमएचआई की प्रमुख योजनाओं की सफलता का प्रमाण है, जिसमें फेम, ईएमपीएस और पीएम ई-ड्राइव शामिल हैं। यह उपलब्धि स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।”
ऑटो सेक्टर के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से देश की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आ रहा है और यह तेजी से सस्टेनेबिलिटी और एडवांस मैन्युफैक्चरिंग की ओर बढ़ रही है।
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आधार फेस ऑथेंटिकेशन से हुए 130 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन : केंद्र सरकार

नई दिल्ली, 2 अप्रैल। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के द्वारा विकसित किए गए आधार फेस ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन से ट्रांजैक्शन में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है और इस सिस्टम के जरिए हुए कुल लेनदेन में से 78 प्रतिशत अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में दर्ज किए गए हैं।
आधार फेस ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन को अक्टूबर 2022 में शुरू किया गया था। इसके माध्यम से अब तक करीब 130.5 करोड़ लेनदेन हो चुके हैं, जिसमें से 102 करोड़ वित्त वर्ष 2024-25 में दर्ज किए गए हैं।
आईटी मंत्रालय ने बयान में कहा कि इसका बढ़ता उपयोग दिखाता है कि लोग इसे तेजी से अपना रहे हैं और आधार नंबर धारकों को इससे फायदा हो रहा है।
अकेले जनवरी-मार्च अवधि में करीब 39.5 करोड़ फेस ऑथेंटिकेशन ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड किए गए थे। इसमें से अकेले मार्च में 15.25 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए हैं, जो इसकी तेजी से बढ़ती लोकप्रियता को दिखाता है।
मंत्रालय ने कहा, “यह उपलब्धि फिनटेक, फाइनेंस और दूरसंचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में इस नए बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिस्टम के प्रति बढ़ते विश्वास और स्वीकृति को दिखाती है।”
कई सरकारी सेवाएं लक्षित लाभार्थियों तक लाभ की सुचारू डिलीवरी के लिए इसका उपयोग कर रही हैं। साथ ही, पीएम आवास (शहरी), पीएम ई-ड्राइव, पीएम-जेएवाई, पीएम उज्ज्वला, पीएम किसान, पीएम इंटर्नशिप सहित कई प्रमुख योजनाओं में आधार फेस ऑथेंटिकेशन का उपयोग किया जा रहा है।
मौजूदा समय में सरकारी और निजी क्षेत्र की 102 संस्थाएं आधार फेस ऑथेंटिकेशन का उपयोग कर रही हैं।
यह एआई-आधारित मोडैलिटी एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर काम करती है। यह किसी भी वीडियो रीप्ले अटैक और असामाजिक तत्वों द्वारा स्टैटिक फोटो ऑथेंटिकेशन प्रयासों के खिलाफ सुरक्षित है।
मंत्रालय ने कहा कि यह ऑथेंटिकेशन मोडैलिटी उपयोगकर्ताओं को केवल फेस स्कैन के साथ अपनी पहचान सत्यापित करने में सक्षम बनाता है, जिससे यूजर्स को वेरिफिकेशन में आसानी होती है और साथ ही इसमें कड़े सुरक्षा मानकों को बनाए रखा जाता है।
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