अंतरराष्ट्रीय
न्यायाधीश ने एसईसी को अदालत में वापस लाने के लिए मस्क के अनुरोध को किया खारिज
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के अवैतनिक निपटान निधि के बारे में अपने आरोपों को संबोधित करने के लिए प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) को अदालत में मजबूर करने का अनुरोध एक संघीय न्यायाधीश द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है। द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में एक अदालती फाइलिंग में, यूएस डिस्ट्रिक्ट जज एलिसन नाथन ने कहा कि यह ‘अस्पष्ट’ था कि मस्क क्या अनुरोध कर रहे थे।
मस्क ने एसईसी पर उन्हें और उनकी कंपनी को ‘अंतहीन, निराधार जांच’ के अधीन करने का आरोप लगाया है और आरोप लगाया है कि एजेंसी 2018 के समझौते के अनुसार टेस्ला शेयरधारकों को 40 मिलियन डॉलर जुर्माना राशि वितरित करने की अपनी प्रतिबद्धता की अनदेखी कर रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एसईसी ने जवाब दिया कि वह अभी भी धन आवंटित करने की योजना विकसित कर रहा है।
नाथन ने एक सम्मेलन के लिए मस्क के अनुरोध को यह तर्क देते हुए खारिज कर दिया कि यदि वह धन के वितरण पर एक समय सीमा लागू करना चाहते हैं, तो उन्हें एक अनुरोध करने के लिए एक प्रस्ताव दायर करने की आवश्यकता है।
नाथन ने लिखा, “अन्यथा, न्यायालय उस समय सीमा को लागू नहीं कर सकता जो वर्तमान में मौजूद नहीं है।”
नाथन ने कथित रूप से जानकारी लीक करने के लिए एसईसी को जवाबदेह ठहराने के मस्क के प्रयासों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मस्क की टीम ‘इस अनुरोध को सही ठहराने के लिए कोई विशिष्ट तथ्य या कानूनी अधिकार’ पेश करने में विफल रही।
जज की फाइलिंग ब्रेकिंग न्यूज की ऊंची एड़ी के जूते पर आती है कि मस्क और उनके भाई किम्बल मस्क संभावित अंदरूनी व्यापार के लिए एसईसी द्वारा जांच कर रहे हैं।
टेस्ला को निजी तौर पर लेने के बारे में 2018 के ट्वीट के बाद से मस्क एसईसी के साथ युद्ध में है, कुख्यात रूप से ‘फंडिंग सिक्योर’ घोषित कर रहे हैं।
मस्क द्वारा ट्वीट भेजे जाने के बाद, एसईसी ने एक जांच शुरू की, अंतत: निष्कर्ष निकाला कि मस्क ने टेस्ला को निजी लेने की अपनी योजना के बारे में निवेशकों को गुमराह किया।
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश का माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अच्छा संकेत नहीं: शशि थरूर

नई दिल्ली, 20 दिसंबर : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में जाने-माने मीडिया हाउस पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता जताई। साथ ही, बिगड़ते सुरक्षा हालात के बीच खुलना और राजशाही में भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन में वीजा सेवाओं को जबरन बंद करने की भी निंदा की।
कट्टरपंथी इस्लामी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में अशांति की एक नई लहर देखने को मिली है। हादी 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान चर्चा में आए थे, जिसके कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटना पड़ा था।
इस हत्या के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। ढाका समेत देश के कई हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आई हैं।
इंकलाब मंचो नेता हादी की मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं और भीड़ ने प्रमुख मीडिया संगठनों और बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष विरासत से जुड़ी जगहों को निशाना बनाया है। मीडिया संस्थानों में आगजनी और तोड़फोड़ की खबरों ने देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा कर दी है।
इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि प्रेस पर हमले लोकतांत्रिक मूल्यों की बुनियाद पर हमला हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “बांग्लादेश से आ रही खबरों से मैं बहुत चिंतित हूं। प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों पर टारगेट करके भीड़ के हमले और आगजनी सिर्फ दो मीडिया हाउस पर हमला नहीं हैं। ये प्रेस की आजादी और एक बहुलवादी समाज की नींव पर हमला हैं।”
कांग्रेस सांसद ने सीनियर एडिटर्स समेत पत्रकारों की सुरक्षा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वे एडिटर महफूज अनम और बढ़ते मुश्किल हालात में काम कर रहे दूसरे मीडिया प्रोफेशनल्स की भलाई को लेकर चिंतित हैं।
अशांति के बीच, भारत को सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए बांग्लादेश में दो वीजा एप्लीकेशन सेंटर बंद करने पड़े। राजशाही में ‘जुलाई 36 मंच’ नाम के एक ग्रुप ने भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन की ओर मार्च निकाला। जुलूस डिप्लोमैटिक मिशन की ओर बढ़ा, लेकिन पुलिस के दखल के बाद उसे बीच में ही रोक दिया गया।
खुलना में भी इसी तरह के प्रदर्शनों की खबरें आईं, जिसके बाद अधिकारियों ने दोनों जगहों पर वीजा से जुड़े काम रोक दिए। थरूर ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि सेवाओं को रोकने के दूरगामी परिणाम होंगे।
उन्होंने कहा कि बढ़ते सुरक्षा खतरों के कारण खुलना और राजशाही में भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन में वीजा सेवाओं को जबरन बंद करना एक बड़ा झटका है। इस रुकावट का सीधा असर उन छात्रों, मरीजों और परिवारों पर पड़ रहा है, जिन्हें आखिरकार सीमा पार आने-जाने में सामान्य स्थिति की झलक दिख रही थी।
बांग्लादेश में 12 फरवरी, 2026 को राष्ट्रीय चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में थरूर ने चेतावनी दी कि हिंसा और असहिष्णुता का यह माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
कांग्रेस नेता ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए देश में स्थिरता और लोकतांत्रिक निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कदम भी बताए। निर्णायक कार्रवाई की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “पत्रकारों की सुरक्षा: पत्रकारों को अपने दफ़्तर जलते समय अपनी जान बचाने के लिए घबराए हुए मैसेज पोस्ट नहीं करने चाहिए। भीड़तंत्र को हावी नहीं होने देना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि लोगों के बीच अहम संबंधों को बनाए रखने के लिए डिप्लोमैटिक सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। निशाना बनाई गई एम्बेसी और कॉन्सुलेट को अतिरिक्त सुरक्षा दी जानी चाहिए।
शांति बहाल करने की जरूरत पर जोर देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर देश को लोकतंत्र की किसी भी झलक के साथ इस बदलाव से बचना है, तो भीड़तंत्र की जगह रचनात्मक बातचीत होनी चाहिए। अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस को यह सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व करना चाहिए।
थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश में शांति का महत्व उसकी सीमाओं से कहीं ज्यादा है। पूरे दक्षिण एशिया के लिए देश में स्थिरता बहुत जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि हम शांति की वापसी और एक सुरक्षित माहौल की उम्मीद करते हैं, जहां लोगों की आवाज हिंसा और धमकी से नहीं, बल्कि वोट के जरिए सुनी जाए।
व्यापार
बीएसई ने निवेशकों को फर्जी निवेश सलाह से बचने की चेतावनी दी

SHARE MARKET
मुबंई, 18 दिसंबर: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने गुरुवार को निवेशकों को चेतावनी दी है कि वह सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप और फोन कॉल के जरिए आ रहे अनजान निवेश संदेशों से सावधान रहें।
एक्सचेंज ने बताया कि कुछ लोग ‘ए-1 लिमिटेड’ नाम की कंपनी में सोशल मीडिया पर निवेश करने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहें।
बीएसई ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि निवेशक ऐसी किसी भी सलाह पर भरोसा न करें जो व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, एसएमएस, कॉल या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए दी जा रही हो। ऐसी सलाह देने वाले लोग न तो बीएसई से जुड़े हैं और न ही उन्हें निवेश की अनुमति है। निवेशकों को ऐसे लोगों के झांसे में आने से बचना चाहिए।
देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज ने निवेशकों को यह भी चेतावनी दी कि सोशल मीडिया पर ज्यादा या गारंटीड रिटर्न देने के दावे अकसर झूठे होते हैं। यूट्यूब, टेलीग्राम, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और एक्स (पहले ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म पर कई लोग ऐसे दावे करते हैं, जिससे निवेशक ठगे जा सकते हैं।
इससे पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने भी निवेशकों को पांच लोगों — कृष्णम राजू, प्रतिबान, पूजा शर्मा, अमन और एम अमित — के बारे में चेतावनी दी थी। एनएसई के अनुसार, यह लोग यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए निवेश की अनधिकृत सलाह दे रहे थे।
एनएसई ने बताया कि यह लोग निवेशकों से उनका लॉगिन आईडी और पासवर्ड मांगते थे और गारंटीड रिटर्न का दावा करते थे। ये लोग ‘प्रॉफिट ट्रेडिंग’, ‘ट्रेड रूम ऑफिशियल’ और ‘प्रॉफिट मैक्सिमाइजर्स’ जैसे यूट्यूब चैनलों के जरिए काम कर रहे थे और गैरकानूनी तरीके से ट्रेडिंग कराते थे।
एनएसई ने निवेशकों को सलाह दी कि शेयर बाजार में किसी भी ऐसे व्यक्ति या योजना पर भरोसा न करें जो स्टॉक मार्केट में सुनिश्चित रिटर्न का वादा करे, क्योंकि ऐसा करना कानून के खिलाफ है।
राजनीति
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया कर सकता है दमदार वापसी : एसबीआई रिपोर्ट

नई दिल्ली, 17 दिसंबर: चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया दमदार वापसी कर सकता है और डॉलर के मुकाबले इसकी वैल्यू में इजाफा देखने को मिल सकता है। यह जानकारी एसबीआई रिसर्च की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
एसबीआई रिसर्च ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता और भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील में देरी के कारण डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट देखने को मिली है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के व्यापार आंकड़ों से पता चलता है कि उसने लंबे समय तक चलने वाली अनिश्चितता, अधिक संरक्षणवाद और श्रम आपूर्ति में आए झटकों से निपटने में काफी मजबूती दिखाई है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ.सौम्या कांती घोष ने कहा, “जियोपोलिटिकल रिस्क इंडेक्स अप्रैल 2025 से कम हुआ है और अप्रैल-अक्टूबर 2025 अवधि के लिए इंडेक्स की मौजूदा औसत वैल्यू अपने दशकीय स्तर से ऊपर है। यह इंडेक्स दिखाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं भारतीय रुपए पर कितना दबाव डाल रही हैं।”
घोष ने आगे कहा कि रुपया अभी अपने गिरावट के दौर में है और जल्द यह इससे बाहर निकलेगा।
डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का सिलसिला देखा जा रहा है। रुपया अपने मनोवैज्ञानिक स्तर 90 को पार कर चुका है और 91 के स्तर पर पहुंच गया है।
हालांकि, गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूत वृद्धि देखने को मिली है। यह 90.25 पर पहुंच गया है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रुपए में मौजूदा गिरावट (दिनों की संख्या के हिसाब से) सबसे तेज है। एक साल से भी कम समय में, रुपया प्रति डॉलर 85 से गिरकर 90 पर आ गया है।
2 अप्रैल, 2025 को अमेरिका द्वारा दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद से भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5.7 प्रतिशत (प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक) गिर गया है।
हालांकि, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के कारण बीच-बीच में इसमें तेजी भी देखने को मिली है।
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