अंतरराष्ट्रीय समाचार
गाजा छोड़ कर जाने वाले फिलिस्तीनियों की मदद करेगी इजरायली सेना, रक्षा मंत्री का ऐलान

तेल अवीव, 6 फरवरी : इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने गुरुवार को गुरुवार को कहा कि उन्होंने सेना को एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया है, जिससे गाजा पट्टी छोड़ने के इच्छुक फिलिस्तीनियों की क्षेत्र से बाहर जाने में मदद की जा सके। उनका यह बयान राष्ट्रपति ट्रंप की इस घोषणा पर आया कि अमेरिका गाजा पर नियंत्रण करने, वहां रहने वाले को पुनर्स्थापित करने और इस क्षेत्र का विकास करने का लक्ष्य रखता है।
कैट्ज ने एक्स पर कहा, “इस योजना में भूमि क्रॉसिंग के जरिए बाहर निकलने के विकल्प शामिल होंगे, साथ ही समुद्र और हवाई मार्ग से प्रस्थान के लिए विशेष व्यवस्था भी शामिल होगी।”
इजरायली मंत्री ने कहा, “स्पेन, आयरलैंड, नॉर्वे और अन्य देश, जिन्होंने गाजा में इजरायल की कार्रवाइयों पर झूठा आरोप लगाया, कानूनी रूप से गाजा के लोगों को अपने क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति देने के लिए बाध्य हैं। अगर वे मना करते हैं तो उनका पाखंड उजागर हो जाएगा। इस बीच, कनाडा जैसे देश, जिनके पास एक संरचित आव्रजन कार्यक्रम है, ने पहले गाजा के निवासियों को लेने की इच्छा व्यक्त की। कनाडा जैसे देश, जिनके पास एक आव्रजन कार्यक्रम है, ने पहले भी गाजा निवासियों को स्वीकार करने की इच्छा व्यक्त की है।”
कैट्ज ने लिखा, “गाजा के लोगों को आवागमन और प्रवास की स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए, जैसा कि दुनिया में हर जगह प्रचलित है। मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की साहसिक पहल का स्वागत करता हूं, जो गाजा में रहने वाले उन लोगों के लिए व्यापक अवसर पैदा कर सकती है जो छोड़ना चाहते हैं।”
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान का समर्थन किया जिसमें गाजा पट्टी के पुनर्निर्माण के लिए वहां से फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव शामिल है। उन्होंने इस योजना को ‘असाधारण’ बताया।
रिपोर्ट के मुताबिक नेतन्याहू ने अमेरिकी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बुधवार को कहा, “यह पहला अच्छा विचार है जो मैंने सुना है। यह एक उल्लेखनीय विचार है। मुझे लगता है कि इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए और लागू किया जाना चाहिए – क्योंकि यह सभी के लिए एक अलग भविष्य बनाएगा।”
बता दें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध से तबाह गाजा पट्टी पर कब्ज़ा करेगा और फ़िलिस्तीनियों को कहीं और बसाए जाने के बाद इसे आर्थिक रूप से विकसित करेगा। उन्होंने मंगलवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिना कोई विशेष जानकारी दिए अपनी आश्चर्यजनक योजना का खुलासा किया।
हालांकि जब इस बयान पर हंगामा हुआ तो व्हाइट हाउस ने बाद में सफाई दी। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन का लक्ष्य केवल फिलिस्तीनियों को ‘अस्थायी रूप से’ हटाना है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
इजरायली हमलों के बाद अमेरिकी दौरे पर कतर के प्रधानमंत्री, करेंगे डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात

TRUMP
वाशिंगटन, 13 सितंबर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप न्यूयॉर्क में कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से मिलेंगे। यह मुलाकात दोहा में इजरायली हवाई हमले के कुछ ही दिनों बाद हो रही है, जिसमें हमास के नेताओं को निशाना बनाया गया था। स्थानीय मीडिया ने इसकी जानकारी दी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के भी इस बैठक में शामिल होने की उम्मीद है।
मीडिया के हवाले से बताया कि कतर के प्रधानमंत्री शुक्रवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ लगभग एक घंटे की बातचीत के बाद न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुए।
व्हाइट हाउस में हुई बैठक को “काफी सकारात्मक” बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करने में कतर की भूमिका और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग समझौते पर चर्चा की।
एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी साथ में डिनर करेंगे, जिसमें ट्रंप के एक शीर्ष सलाहकार, अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ भी शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी मंगलवार को हुए इजरायली हमले के बाद कतर की ओर से बुलाई गई इमरजेंसी अरब समिट से ठीक पहले अमेरिका दौरे पर गए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें हमले के स्थान को लेकर बहुत दुख हुआ है और उन्होंने फोन पर कतर के नेताओं को आश्वासन दिया कि ऐसी घटना दोबारा उनके देश की जमीन पर नहीं होगी।
कतर ने इजरायल पर शांति की संभावनाओं को तोड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। कतर ने कहा कि वह इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम वार्ता में मध्यस्थ
अंतरराष्ट्रीय समाचार
आईटी शेयरों में तेजी से सेंसेक्स 330 अंक चढ़ा, निफ्टी 24,500 स्तर के ऊपर

मुंबई, 1 सितंबर: भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों ने सोमवार को सप्ताह की शुरुआत बढ़त के साथ की। शुरुआती कारोबार में आईटी और पब्लिक सेक्टर बैंक के शेयरों में तेजी रही।
अमेरिकी कोर्ट के एक फैसले से मार्केट सेंटीमेंट को बल मिला, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अवैध थे, लेकिन अक्टूबर के मध्य तक उन्हें बरकरार रखा जाएगा। इसके अलावा, जून तिमाही के अनुमान से बेहतर जीडीपी आंकड़ों से भी बाजार में तेजी आई।
सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 335 अंक या 0.42 प्रतिशत बढ़कर 80,144 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 104.30 अंक या 0.43 प्रतिशत बढ़कर 24,531 पर पहुंच गया।
ब्रॉड-कैप सूचकांकों ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया। निफ्टी मिडकैप 100 में 0.85 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.70 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
सेक्टोरल फ्रंट पर, निफ्टी आईटी सूचकांक 1.59 प्रतिशत की बढ़त के साथ शीर्ष प्रदर्शन करने वाला सूचकांक रहा। निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सूचकांक में 0.98 प्रतिशत की तेजी आई। निफ्टी मेटल और पीएसयू बैंक सूचकांक क्रमशः 0.78 और 0.79 प्रतिशत की बढ़त में रहे। दूसरी ओर, निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक ने 0.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।
निफ्टी पैक में टेक महिंद्रा, टीसीएस, हीरो मोटोकॉर्प, एचसीएल टेक और ट्रेंट टॉप गेनर्स रहे। इस बीच, जियो फाइनेंशियल 1.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ टॉप लूजर रहा, इसके बाद टॉप लूजर्स की लिस्ट में रिलायंस, एचयूएल, मारुति सुजुकी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का स्थान रहा।
चॉइस ब्रोकिंग के मंदार भोजने ने कहा, “निफ्टी 50 अपने 100-डीईएमए से नीचे कारोबार कर रहा है, जो एक कमजोर रुझान दर्शाता है और अगर यह 24,350 से नीचे चला जाता है तो और अधिक गिरावट का जोखिम है। मुख्य समर्थन 24,350 और 24,150 पर हैं, जबकि प्रतिरोध 24,600-24,800 पर है।”
विश्लेषकों को यह भी उम्मीद है कि ट्रंप के मनमाने व्यवहार के जवाब में चीन, भारत और रूस एकजुट होंगे, जिससे वैश्विक शक्ति समीकरण और व्यापार प्रभावित होंगे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी अदालत का यह फैसला कि ट्रंप के टैरिफ अवैध हैं, एक बड़ी घटना है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला बेहद अहम है।
उन्होंने आगे कहा, “घरेलू स्तर पर, भारत की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो उम्मीद से कहीं बेहतर है। ऐसा प्रतीत होता है कि बजट में दिए गए राजकोषीय प्रोत्साहन और एमपीसी द्वारा दिए गए मौद्रिक प्रोत्साहन का असर अब दिखने लगा है। प्रस्तावित जीएसटी सुधार आने वाली तिमाहियों में विकास को गति दे सकते हैं।”
शुक्रवार को अमेरिकी बाजार लाल निशान में बंद हुए, जहां डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि नैस्डैक में 1.15 प्रतिशत और एसएंडपी 500 में 0.64 प्रतिशत की गिरावट आई।
एशियाई बाजारों में सप्ताह की शुरुआत मिली-जुली रही। चीन का शंघाई सूचकांक 0.48 प्रतिशत और शेन्जेन सूचकांक 0.52 प्रतिशत की बढ़त में रहे। जापान का निक्केई 2.03 प्रतिशत की गिरावट में रहा, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 2.02 प्रतिशत की तेजी में रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.83 प्रतिशत की गिरावट में रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अगस्त में भारतीय शेयरों से 34,993 करोड़ रुपए निकाले, जो इस वर्ष की उनकी सबसे बड़ी गिरावट थी, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ झटकों और जून तिमाही की कमजोर आय से सेंटीमेंट प्रभावित हुआ था।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ खत्म कर सकते हैं : ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 18 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत खत्म करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को वापस लेना या नाटो में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है।
ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यदि चाहें तो रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकते हैं, या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब ओबामा के समय (12 साल पहले) की तरह क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ बेहद महत्वपूर्ण वार्ता की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए जेलेंस्की को रूस की कुछ शर्तों पर सहमत होना होगा।
इन शर्तों में दो मुख्य बातें हैं: यूक्रेन क्रीमिया रूस को दे दे (जिसे रूस ने 2014 में अपने साथ मिला लिया था) और कभी नाटो में शामिल न हो। ये वही शर्तें हैं जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए रखी हैं।
यूरोपीय नेता, जो सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस जा रहे हैं, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप इस मुलाकात में जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं ताकि वे पुतिन की अलास्का शिखर सम्मेलन में रखी शर्तों को मान लें।
वे ट्रंप से यह जानना चाहते हैं कि शांति समझौते में रूस क्या छोड़ सकता है और भविष्य में अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या भूमिका निभाएगा।
ट्रंप ने जेलेंस्की को भेजे अपने संदेश के बाद लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है!!!”
यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस की यात्रा में शामिल होंगे।
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