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आईफोन 16ई एप्पल के लिए भारत में मील का पत्थर होगा साबित: विशेषज्ञ
नई दिल्ली, 20 फरवरी। उद्योग विशेषज्ञों ने गुरुवार को कहा कि एप्पल द्वारा भारत में अपने विकास की गति को बनाए रखने और विकसित बाजारों में मांग को फिर से बढ़ाने के लिए आईफोन 16ई का लॉन्च एक महत्वपूर्ण कदम है।
एप्पल ने हाल ही में आईफोन 16ई की घोषणा की है, जो आईफोन 16 लाइनअप का एक नया प्रोडक्ट है।
यह ज्यादा किफायती मूल्य पर पावरफुल कैपेबिलिटी प्रदान करता है।
यह फोन ए18 चिप की इंडस्ट्री-लीडिंग एफिशिएंसी और एप्पल द्वारा डिजाइन किए गए पहले सेलुलर मॉडेम के साथ फास्ट, स्मूद परफॉर्मेंस और बेहतरीन बैटरी लाइफ के साथ लाया गया है।
साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के अनुसार, प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट में भारत में सालाना आधार पर 36 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखी गई, जबकि सुपर-प्रीमियम (50,000 रुपये से 1,00,000 रुपये) और उबर-प्रीमियम (1,00,000 रुपये से ऊपर) सेगमेंट में क्रमशः 10 प्रतिशत और 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
अब हर पांच डिवाइस में से लगभग एक प्रीमियम स्मार्टफोन है, जो कंज्यूमर की कटिंग-एज टेक्नोलॉजी और लाइफस्टाइल-ऑरिएंटेड वरीयता से जुड़ा है।
2024 की चौथी तिमाही में एप्पल ने पहली बार भारत में टॉप पांच स्मार्टफोन ब्रांडों में प्रवेश किया, जिसने सालाना आधार पर 72 प्रतिशत वृद्धि और 11 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल की।
साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के वीपी-इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप, प्रभु राम ने कहा, “यह लेटेस्ट आईफोन 16ई एप्पल के लिए एक मील का पत्थर है, जो कंपनी को अपने एंड-टू-एंड प्लेटफॉर्म पर पूर्ण नियंत्रण की दिशा में एक कदम और करीब लाता है, जो कि हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को निर्बाध रूप से इंटीग्रेट करता है।”
उन्होंने कहा कि आईफोन एसई में एप्पल के इन-हाउस सेलुलर मॉडेम को शामिल करना एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है, जो अपकमिंग आईफोन 17 सीरीज और उससे आगे की सीरीज के लिए एप्पल की मालिकाना मॉडेम टेक्नोलॉजी के लिए व्यापक बदलाव की नींव रखता है।
राम ने मीडिया से बातचीत में कहा, “भारत एप्पल की लंबे समय की विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना हुआ है। ठीक वैसे ही जैसे चीन पिछले दशक में था। हालांकि भारत में एप्पल के लिए अभी भी शुरुआती दिन हैं, लेकिन इसके चल रहे रिटेल विस्तार, मार्केटिंग प्रयास और अफोर्डेबिलिटी पहल शहरी और आकांक्षी भारत में विकास के लिए पर्याप्त गुंजाइश प्रदान करती हैं।”
काउंटरपॉइंट रिसर्च में मोबाइल डिवाइस और इकोसिस्टम के शोध निदेशक तरुण पाठक के अनुसार, नया आईफोन 16ई प्रभावशाली है।
पाठक ने मीडिया को बताया, “कैमरे जैसे कुछ प्रमुख खरीद निर्णय कारकों में, आईफोन 16 बेस अभी भी एक आकर्षक विकल्प साबित होता है।
भारत में प्रीमियम सेगमेंट ईएमआई खरीद से जुड़ा है, जिसमें 10 में से 5 यूजर्स अपने डिवाइस खरीदने के लिए फाइनेंसिंग चुनते हैं।”
आईफोन 16ई 128जीबी, 256जीबी और 512जीबी स्टोरेज क्षमता में उपलब्ध होगा। इस नए फोन की शुरुआती कीमत 59,900 रुपये है। आईफोन 16ई दो मैट फिनिश कलर काला और सफेद में उपलब्ध होगा। शुक्रवार से प्री-ऑर्डर शुरू होंगे और 28 फरवरी से उपलब्धता शुरू होगी।
व्यापार
सेंसेक्स मामूली तेजी के साथ बंद, मिडकैप और स्मॉलकैप में हुई खरीदारी

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मुंबई, 3 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 39.78 अंक या 0.05 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 83,978.49 और निफ्टी 41.25 अंक या 0.16 प्रतिशत की मजबूती के साथ 25,763.35 पर था।
लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप में अधिक तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 461.50 अंक या 0.77 प्रतिशत की मजबूती के साथ 60,287.40 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 132.60 अंक या 0.72 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,513.40 पर था।
सेक्टोरल आधार पर ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, मेटल, रियल्टी, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और कमोडिटीज इंडेक्स हरे निशान में थे। हालांकि, आईटी और एफएमसीजी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए।
सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल, इटरनल (जोमैटो), एसबीआई, भारती एयरटेल, सन फार्मा, कोटक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, ट्रेंट, इन्फोसिस, अल्ट्राटेक सीमेंट और एक्सिस बैंक टॉप गेनर्स थे। मारुति सुजुकी, आईटीसी, टीसीएस, एलएंडटी, बीईएल, टाइटन, टेक महिंद्रा, एनटीपीसी, एचयूएल और बजाज फिनसर्व टॉप लूजर्स थे।
जानकारों ने कहा कि मुनाफवसूली के कारण बाजार हल्की तेजी के साथ बंद हुआ। सरकारी बैंकिंग शेयरों ने मजबूत प्रदर्शन जारी रखा। वहीं, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम होने के कारण आईटी शेयरों में गिरावट हुई।
डॉलर की मजबूती के कारण रुपए का प्रदर्शन कमजोर रहा और 0.06 पैसे कमजोर होकर 88.76 पर बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली ने भी रुपए पर दबाव बनाने का काम किया है।
जानकारों का कहना है कि रुपया 88.45-89.25 की रेंज में रह सकता है।
भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत हल्की गिरावट के साथ हुई। सुबह 9:19 पर सेंसेक्स 126 अंक या 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83,811 और निफ्टी 20 अंक या 0.08 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 25,688 पर था।
व्यापार
भारत में करीब 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को एआई से नौकरी खोने का डर : रिपोर्ट

मुंबई, 3 नवंबर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते चलन के कारण भारत में 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को अगले तीन से पांच वर्षों में नौकरी खोने का डर है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय कर्मचारी काम पर एआई के बढ़ते असर के साथ कैसे तालमेल बिठा रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि पूरे भारत में 54 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि उनकी ऑर्गनाइजेशन अभी एआई इम्प्लीमेंटेशन के पायलट या इंटरमीडिएट स्टेज पर हैं। यह ज्यादा टेक-पावर्ड और कुशल काम के माहौल की ओर लगातार हो रही तरक्की को दिखाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से चार कर्मचारियों को लगता है कि एआई अगले तीन से पांच सालों में उनकी जगह ले सकता है। यह डर किसी एक खास ग्रुप तक सीमित नहीं है, बल्कि हर स्तर के कर्मचारियों में है।
रिपोर्ट के अनुसार, एआई की वजह से अपनी नौकरी जाने को लेकर चिंतित कम से कम 40 परसेंट कर्मचारी अपनी मौजूदा कंपनी को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। यह एचआर डिपार्टमेंट और सीनियर लीडरशिप के लिए एक जरूरी और गंभीर मुद्दा है।
ग्रेट प्लेस टू वर्क, इंडिया के सीईओ, बलबीर सिंह ने कहा, “जैसे-जैसे अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ऑर्गनाइजेशन एआई को लागू करने में आगे बढ़ रहे हैं, लीडर्स ऐसे हाई-इम्पैक्ट एआई स्ट्रेटेजी बना रहे हैं जो इंसानी क्षमताओं को बढ़ाते हैं। अभी जिन रुकावटों पर ध्यान देने की जरूरत है, वह ऑर्गनाइजेशनल रेसिस्टेंस, साथ ही कर्मचारियों की तैयारी है।”
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके अलावा, जिन कंपनियों ने अभी तक एआई को नहीं अपनाया है, उनमें लगभग 57 प्रतिशत कर्मचारियों ने इनसिक्योर महसूस किया, जबकि एआई अपनाने के एडवांस्ड स्टेज वाली कंपनियों में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत है।
राष्ट्रीय समाचार
भारत में अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ीं, पीएमआई 59.2 रहा

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नई दिल्ली, 3 नवंबर: भारत में अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी देखी गई है, जिससे एचएसबीसी मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) बढ़कर 59.2 हो गया है, जो कि सितंबर में 57.7 पर था। यह जानकारी एसएंडपी ग्लोबल की ओर से सोमवार को जारी किए गए डेटा में दी गई।
मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में बढ़त की वजह मजबूत घरेलू मांग, जीएसटी सुधार, उत्पादकता में वृद्धि और उच्च तकनीकी निवेश था।
एचएसबीसी में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट, प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अक्टूबर में बढ़कर 59.2 हो गया है, जो कि इससे पहले के महीने में 57.7 पर था। बीते महीने मजबूत मांग ने आउटपुट को बढ़ावा दिया। इससे नौकरियों के अवसर पैदा हुए और कंपनियों को नए ऑर्डर मिले।
उन्होंने आगे कहा कि इनपुट की कीमतों में अक्टूबर में नरमी देखी गई है। हालांकि, औसत बिक्री मूल्य में वृद्धि हुई है, इसकी वजह मैन्युफैक्चरर्स की ओर से अतिरिक्त लागत को ग्राहकों को पास करना था।
डेटा के मुताबिक, मजबूत मांग, विज्ञापन और हाल में लागू हुए जीएसटी सुधार के कारण अक्टूबर में नए ऑर्डर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। ग्रोथ सितंबर के मुकाबले अधिक तेज थी, और फैक्ट्री आउटपुट भी तेजी से बढ़ा। एक्सपेंशन रेट अगस्त के लेवल के बराबर था, जो पिछले पांच सालों में सबसे मजबूत लेवल में से एक था।
जब भी पीएमआई 50 से ऊपर होता है तो यह आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि को दिखाता है। इसके 50 से नीचे होने पर गतिविधियों में गिरावट होती है। वहीं, 50 की रीडिंग का मतलब है कोई बदलाव नहीं।
अक्टूबर में अधिकतक सेल्स ग्रोथ घरेलू मार्केट से हुई, जबकि एक्सपोर्ट ऑर्डर धीमी गति से बढ़े। हालांकि भारतीय सामानों की विदेशी मांग में सुधार हुआ, लेकिन यह इस साल अब तक सबसे कमजोर रही।
रिपोर्ट के अंत में बताया गया कि मैन्युफैक्चरर्स भविष्य के कारोबार को लेकर आशावादी बने हुए है। इसकी वजह जीएसटी सुधार से बढ़ती मांग, क्षमता विस्तार और मजबूत मार्केटिंग के प्रयास हैं।
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