खेल
अंतर्राष्ट्रीय महासंघ ने भारतीय निशानेबाजी लीग को आईएसएसएफ विंडो आवंटित की

नई दिल्ली, 8 मार्च। ओलंपिक खेल निशानेबाजी को नियंत्रित करने वाली वैश्विक संस्था, अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (आईएसएसएफ) ने अपने अंतर्राष्ट्रीय कैलेंडर में उद्घाटन भारतीय निशानेबाजी लीग (एसएलआई ) के लिए एक विंडो आवंटित की है, जो अब 24 नवंबर से 7 दिसंबर, 2025 तक आयोजित की जाएगी।
भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई ) ने पिछले साल नवंबर में भारतीय निशानेबाजी लीग की मेजबानी करने की अपनी मंशा की घोषणा की थी और अब इसे आईएसएसएफ से मान्यता मिलने के साथ ही यह लीग विश्व स्तरीय निशानेबाजी प्रतियोगिता होने का वादा करती है, जिसमें शीर्ष भारतीय निशानेबाज खेल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से मुकाबला करेंगे।
इस विकास से रोमांचित, एनआरएआई के अध्यक्ष, कलिकेश नारायण सिंह देव ने टिप्पणी की, “हम सभी बहुत उत्साहित हैं। आईएसएसएफ द्वारा अब एसएलआई को मान्यता दिए जाने और अपने आधिकारिक कैलेंडर में इसके लिए एक विंडो आवंटित किए जाने के साथ, यह अब आधिकारिक रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता है।
भारत की इस खेल में पहले से ही वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति है, इसलिए लीग की अनूठी प्रकृति के अलावा, इससे अधिकांश शीर्ष निशानेबाजों को लीग की ओर आकर्षित करने में मदद मिलेगी। पर्दे के पीछे बहुत काम चल रहा है, और यह हमें अब तक देखे गए सर्वश्रेष्ठ शूटिंग खेल तमाशे में से एक पेश करने के लिए और प्रेरित करता है।”
पिछले महीने, एनआरएआई ने एलेना नॉर्मन को एसएलआई के लिए सलाहकार और न्यू होराइजन्स अलायंस प्राइवेट लिमिटेड को अपनी वाणिज्यिक और विपणन एजेंसी के रूप में घोषित किया था। एनआरएआई देश के शीर्ष निशानेबाजों के साथ भारत की शूटिंग लीग का आयोजन कर रहा है, जिसमें शीर्ष विदेशी निशानेबाजों के साथ विभिन्न टीमों के लिए प्रतिस्पर्धा होगी।
यह लीग पेरिस ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में हाल ही में मिली सफलता के मद्देनजर देश में खेल को और बढ़ावा देने का एक प्रयास है।
राजनीति
राज ठाकरे की पहल और उद्धव हुए राजी, संदीप देशपांडे ने बताया, कैसे बनी ‘संयुक्त मार्च’ पर सहमति

मुंबई, 27 जून। महाराष्ट्र में 20 साल के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे राजनीतिक मंच साझा करेंगे। हिंदी भाषा के विरोध में दोनों नेताओं ने एक-दूसरे का साथ देते हुए संयुक्त मार्च का ऐलान किया है। इस फैसले की जानकारी शिवसेना-यूबीटी के नेता संजय राउत की तरफ से दी गई। फिलहाल, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता संदीप देशपांडे ने संयुक्त मार्च को लेकर बनी सहमति के बारे में बताया है।
मनसे नेता संदीप देशपांडे ने कहा, “राज ठाकरे ने सामने आकर संजय राउत को फोन किया। उन्होंने एक ही मार्च निकालने के लिए कहा। मार्च की तारीख को लेकर मतभेद जरूर था, उसे दूर कर 5 जुलाई को मार्च निकालने पर सहमति बनी है।”
देशपांडे ने कहा कि 5 जुलाई की रैली मराठी गौरव के लिए है, राज या उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में नहीं। उन्होंने कहा, “ये जो संयुक्त मार्च 5 जुलाई को निकलने वाला है, ये न तो राज ठाकरे का मार्च है और न ही उद्धव ठाकरे का है। ये मार्च मराठी मानुष का है। इसे संयुक्त महाराष्ट्र की लड़ाई पार्ट-2 कहेंगे।”
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का फैसला लिया था। सबसे पहले राज ठाकरे ने फैसले का विरोध शुरू किया। गुरुवार को उन्होंने 7 जुलाई को मुंबई में मार्च निकालने की घोषणा की। उसके बाद उद्धव ठाकरे की तरफ से उस मार्च को समर्थन दिया गया। हालांकि, साथ ही उद्धव ठाकरे ने 7 जुलाई को अपना आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया।
इसी बीच, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को जानकारी दी कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों का एकजुट मार्च होगा। 5 जुलाई को दोनों नेता संयुक्त मार्च करेंगे।
संयुक्त मार्च पर मनसे नेता देशपांडे ने कहा कि जब-जब मराठी भाषा पर आक्रमण होगा, तब-तब सभी मराठी एक साथ आकर सबक सिखाएंगे। इस तरह का संदेश देशभर में जाना चाहिए।
उन्होंने बीजेपी पर उत्तर भारतीय वोट हासिल करने के लिए हिंदी-मराठी मुद्दों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। देशपांडे ने कहा, “बीजेपी को राजनीति करने की आदत है। हिंदी-मराठी भाषा विवाद निकाला किसने? उत्तर भारतीयों का वोट पाने के लिए हिंदी शक्ति का निर्णय लिया गया। हम पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं।”
अंतरराष्ट्रीय
सर्वसम्मति से चलता है एससीओ, राजनाथ का दस्तावेज पर हस्ताक्षर न करना सही फैसला: जयशंकर

नई दिल्ली, 27 जून। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की तरफ से ‘मॉक पार्लियामेंट’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शिरकत की। उन्होंने एससीओ समिट, आपातकाल के दौर और ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह का एससीओ समिट में दस्तावेज पर साइन नहीं करना सही फैसला है।
जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एससीओ समिट पर कहा, “एससीओ का गठन आतंकवाद से लड़ने के उद्देश्य से किया गया था। जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रक्षा मंत्रियों की बैठक में गए और दस्तावेज पर चर्चा हुई, तो एक देश ने कहा कि वे इसमें आतंकवाद का उल्लेख नहीं चाहते। राजनाथ सिंह का सही मत था कि बिना आतंकवाद के उल्लेख के ( वो भी तब जब संगठन का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है) वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। एससीओ सर्वसम्मति से चलता है, इसलिए राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कहा कि अगर बयान में आतंकवाद का उल्लेख नहीं होगा, तो हम उस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने इमरजेंसी पर बात करते हुए कहा, “मैंने मॉक पार्लियामेंट में इमरजेंसी से जुड़े अपने विचार साझा किए। जिस दौरान देश में इमरजेंसी की घोषणा की गई थी, उस समय मेरी उम्र 20 साल के आसपास थी। हमें युवा पीढ़ी को बताना होगा कि आपातकाल के क्या नुकसान थे? उस दौर में किस तरह से मीडिया पर हमला किया गया। लोकतंत्र और संविधान की हत्या की गई और इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि को बिगाड़ा गया। हम सभी लोगों को इमरजेंसी पर जरूर विचार करना चाहिए। मैंने युवाओं से कहा कि आपातकाल इसलिए लगाया गया, क्योंकि एक परिवार के हित को राष्ट्र हित से आगे रखा गया। आज राष्ट्र के हित को प्राथमिकता दी जाती है।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “संविधान हाथ में रखकर घूमने से कुछ नहीं होता है। संविधान मन में होना चाहिए। कांग्रेस के डीएनए में इमरजेंसी है। आज वो संविधान की बात करते अच्छे नहीं लगते हैं।”
जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सभी दलों के एकजुट होने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, “मुझे बहुत गर्व महसूस होता है, जब मैं शशि थरूर, सुप्रिया सुले, कनिमोझी, संजय झा, जय पांडा, रविशंकर प्रसाद और श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को देखता हूं। जब मैं सभी दलों को एकजुट होकर विश्व पटल पर राष्ट्रीय हित में बोलते देखता हूं, उन्हें ये कहते सुनता हूं कि आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है और जब सब एक सुर में कहते हैं हमें आतंक के खिलाफ अपनी रक्षा का अधिकार है, तो मेरे लिए वो गर्व का क्षण होता है।”
उन्होंने कहा, “हर देश में जहां भी प्रतिनिधिमंडल गया, उन्हें बताया गया कि सबसे प्रभावशाली बात यह थी कि सभी दल एकजुट होकर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। यह हमारे लिए एक महान क्षण था।”
अपराध
दिल्ली: बवाना में कुख्यात गैंगस्टर मंजीत महाल के भांजे की हत्या, पुलिस ने जताई गैंगवार की आशंका

नई दिल्ली, 27 जून। दिल्ली में सरेआम कुख्यात गैंगस्टर मंजीत महाल के भांजे की हत्या कर दी गई है। दिल्ली के बवाना थाना क्षेत्र में शुक्रवार सुबह हत्या की घटना को अंजाम दिया गया। मृतक की पहचान मंजीत महाल के भांजे दीपक के रूप में हुई, जो सुबह टहलने के लिए निकला था। इस घटना में हत्याकांड में गैंगवार का संदेह जताया जा रहा है।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि घटना सुबह करीब 7 से 8 बजे के बीच की है। दो हमलावर बाइक पर सवार होकर आए और दीपक पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। उन्होंने कई राउंड फायर किए थे। मौके पर ही दीपक की मौत हो गई। दीपक को निशाना बनाकर हमला किया गया, जिसमें उसकी बेटी भी घायल हो गई। हमले के समय दीपक के साथ मॉर्निंग वॉक पर उसकी बेटी भी थी। गोलीबारी में उसकी बेटी के हाथ में चोट आई है। हालांकि वो खतरे से बाहर है।
पुलिस ने बताया कि दीपक को 7-8 घाव लगे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक गोलियों की सही संख्या का पता नहीं चलेगा।
जांच में सामने आया है कि दीपक की हत्या करने के बाद हमलावर आगे की ओर बढ़े थे, लेकिन वो फिर वापस लौटकर आए और दोबारा भी दीपक को गोली मारी। उसके बाद दोनों हमलावर मौके से फरार हो गए। पुलिस के मुताबिक, मृतक दीपक कुख्यात गैंगस्टर मंजीत महाल का भांजा था, हालांकि उसकी खुद की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं थी।
घटना में पुलिस को संदेह है कि ये हत्या इलाके में चल रही गैंगवार का हिस्सा हो सकती है। पुलिस ने बताया कि दो हमलावरों में से एक की पहचान कर ली गई है और उसकी तलाश की जा रही है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद ही ये स्पष्ट हो सकेगा कि हत्या के पीछे असल वजह क्या थी।
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