व्यापार
भारत का निर्यात चालू वित्त वर्ष में छू सकता है 800 अरब डॉलर का आंकड़ा
नई दिल्ली, 8 फरवरी। भारत का निर्यात चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) में 800 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है। इसकी वजह देश के सभी सेक्टरों में मजबूत आर्थिक गतिविधि होना है। यह जानकारी सरकार द्वारा दी गई।
यूनियन कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्टर, पीयूष गोयल ने कहा कि निर्यात तेजी से बढ़ रहा है और पिछले चार सालों में इसमें काफी वृद्धि हुई है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा,”हम पहली बार 800 अरब डॉलर से अधिक निर्यात के साथ वित्तीय वर्ष समाप्त करेंगे।”
हालांकि, घरेलू स्तर पर उपलब्धता की कमी और उच्च मांग के कारण पेट्रोलियम उत्पाद, कोकिंग कोयला, दालें और खाद्य तेल जैसे कुछ उत्पादों का आयात करना जरूरी हैं। घरेलू खपत बढ़ने के साथ आयात में वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है।
मंत्री के मुताबिक, उन क्षेत्रों में उत्पादन इकाइयां स्थापित करने और स्थापित करने में कुछ वर्ष लगेंगे।
वैश्विक बाजार में विभिन्न श्रेणियों में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ने के कारण, देश का कुल निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 778 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में यह 466 बिलियन डॉलर था, जो कि 67 प्रतिशत की भारी वृद्धि है।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, विश्व व्यापारिक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी भी 1.66 प्रतिशत से बढ़कर 1.81 प्रतिशत हो गई, जिससे देश रैंकिंग में 20वें से 17वें स्थान पर पहुंच गया। यह उपलब्धि तब हासिल हुई जब सरकार ने निर्यात वृद्धि को बनाए रखने और तेज करने के लिए कई पहल लागू की हैं।
देश ने शीर्ष 10 वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में अपनी रैंक बनाए रखने या सुधारने के साथ कई प्रमुख उत्पाद श्रेणियों के निर्यात में तेज वृद्धि दर्ज की है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर पर देश के रणनीतिक फोकस के प्रभावशाली परिणाम मिले हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
सऊदी अरब और अमेरिका के बीच अब तक की सबसे बड़ी डील, परमाणु समझौते से लेकर एफ-35 पर लगी मुहर

नई दिल्ली, 19 नवंबर: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) अमेरिकी दौरे पर पहुंचे और मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। बता दें, करीब 7 साल बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने अमेरिका का दौरा किया। दोनों देशों के बीच कई ऐतिहासिक समझौते हुए।
व्हाइट हाउस में क्राउन प्रिंस और अमेरिकी राष्ट्रपति ने मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर भी हस्ताक्षर किया। दोनों देशों ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी पर एक संयुक्त घोषणा को मंजूरी दी है।
बता दें, एमबीएस से मुलाकात से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को घोषणा की थी कि यूएस सऊदी अरब को एफ-35एस फाइटर जेट बेचेगा। सऊदी अरब की मांग पर अमेरिका उसे 48 एफ-35एस फाइटर जेट देगा। दोनों देशों ने करीब 300 अमेरिकी टैंक की डिलीवरी पर मुहर लगाई है।
व्हाइट हाउस के बयान के अनुसार, उन्होंने असैन्य परमाणु ऊर्जा, एक महत्वपूर्ण खनिज ढांचे और एक एआई समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर समझौतों के अलावा अमेरिका-सऊदी रणनीतिक रक्षा समझौते (एसडीए) पर भी हस्ताक्षर किए।
बता दें, अब तक केवल इजरायल को ही एफ-35एस मिलने की अनुमति थी। हालांकि, अब सऊदी अरब के साथ इस डील से ये तस्वीर बदलने वाली है। वहीं इसे लेकर जब ट्रंप से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि इजरायल को इस डील के बारे में पहले से जानकारी है। सऊदी अरब और इजरायल दोनों ही अमेरिका के अच्छे दोस्त हैं।
वहीं, सऊदी अरब का अमेरिका में निवेश 600 बिलियन डॉलर से बढ़कर 1 ट्रिलियन डॉलर होने जा रहा है। क्राउन प्रिंस ने खुद इसकी जानकारी दी है। बता दें, अमेरिकी पत्रकार जमाल खरगोशी की 2018 में हुई हत्या के बाद से अमेरिका और सऊदी के बीच सबकुछ ठीक नहीं था। हालांकि, अब अमेरिकी राष्ट्रपति सऊदी के साथ संबंधों को सुधारने पर जोर दे रहे हैं।
क्राउन प्रिंस के स्वागत में आयोजित भव्य डिनर पार्टी के दौरान ट्रंप ने सऊदी को मेजर नॉन-नाटो एलाय (महत्वपूर्ण गैर-नाटो सहयोगी) घोषित कर दिया। अमेरिका ने अब तक यह दर्जा सिर्फ 19 देशों को दे रखा है।
व्यापार
भारतीय शेयर बाजार सपाट खुला, आईटी स्टॉक्स में खरीदारी

मुंबई, 19 नवंबर: वैश्विक बाजार से मिलेजुले संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत बुधवार के कारोबारी सत्र में सपाट हुई। सुबह 9:28 पर सेंसेक्स 29 अंक की मामूली तेजी के साथ 84,702 और निफ्टी 2 अंक की बढ़त के साथ 25,911 पर था।
शुरुआती कारोबार में बाजार के कुछ सेगमेंट्स में बड़ी तेजी देखने को मिल रही है। निफ्टी आईटी इंडेक्स 1.11 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। इसके अलावा, ऑटो, मेटल और सर्विसेज हरे निशान में थे
दूसरी तरफ पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, रियल्टी, एनर्जी, इन्फ्रा और कमोडिटीज इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
लार्जकैप और स्मॉलकैप में मिलाजुला कारोबार हो रहा है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 50 अंक या 0.08 प्रतिशत की तेजी के साथ 60,872 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 31 अंक की मामूली कमजोरी के साथ 18,123 पर था।
सेंसेक्स पैक में इन्फोसिस, एचयूएल, टीसीएस, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा स्टील और अल्ट्राटेक सीमेंट गेनर्स थे। एचडीएफसी बैंक, बीईएल, पावर ग्रिड, सन फार्मा, आईटीसी, बजाज फिनसर्व, एलएंडटी, एशियन पेंट्स, इटरनल और एक्सिस बैंक लूजर्स थे।
बाजार के जानकारों का कहना है कि किसी बड़े संकेत के मौजूद न होने के कारण भारतीय शेयर बाजार आने वाले समय में एक सीमित दायरे में रहेंगे। बाजार में निवेशकों को चुनिंदा सेक्टर में गिरावट पर खरीदारी की रणनीति को अपनाना चाहिए और अधिक वैल्यूएशन वाले लार्ज, मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स से दूर रहना चाहिए।
वैश्विक बाजारों में भी मिलाजुला कारोबार हो रहा था। टोक्यो और जकार्ता हरे निशान में थे, जबकि सोल, हांगकांग और शंघाई लाल निशान में थे।
कच्चे तेल में भी कमजोरी बनी हुई है। डब्ल्यूटीआई क्रूड 0.36 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60.45 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड 0.35 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 64.66 डॉलर प्रति बैरल पर था।
व्यापार
दूसरी तिमाही के आंकड़ों में दिखेगा फेस्टिव सीजन का असर, जीडीपी वृद्धि दर करीब 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान: एसबीआई रिसर्च

GDP
नई दिल्ली, 18 नवंबर: फेस्टिव सीजन के चलते भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत के करीब रह सकती है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
एसबीआई रिसर्च की ओर से संकलित किए गए डेटा में बताया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती निवेश गतिविधियां बढ़ने, ग्रामीण स्तर पर खपत बढ़ने और सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत वृद्धि से मिल रही है।
इस ट्रेंड को संरचनात्मक सुधारों जैसे जीएसटी 2.0 से सपोर्ट मिल रहा है, जिसने फेस्टिव डिमांड को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
एसबीआई रिसर्च ने बताया कि अधिकतर आर्थिक संकेतक अब तेजी दिखा रहे हैं। कृषि, उद्योग, सेवाओं और उपभोग से जुड़े 50 प्रमुख संकेतकों में से 83 प्रतिशत ने दूसरी तिमाही में सुधार दिखाया, जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत पर था।
रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.5-8 प्रतिशत के बीच रह सकती है और जीवीए ग्रोथ करीब 8 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि आने वाली तिमाही में व्यापक स्तर पर ग्रोथ मजबूत रहने का अनुमान है। सितंबर से अक्टूबर तक चलने वाले फेस्टिव सीजन मांग को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। वहीं, जीएसटी की दरों में कटौती और मजबूत ई-कॉमर्स गतिविधियों ने ग्राहक खर्च को बढ़ाने में मदद की है।
क्रेडिट और डेबिट कार्ड लेनदेन के आंकड़ों ने ऑटो, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान और यात्रा जैसी श्रेणियों में मजबूत वृद्धि दिखाई।
मध्यम श्रेणी के शहरों में खर्च में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई, जबकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में महानगरों ने बढ़त दर्ज की।
रिपोर्ट के अनुसार, “डेबिट कार्ड से की गई खरीदारी में किराना और सुपरमार्केट की वस्तुओं का बड़ा योगदान रहा।”
रिपोर्ट में पाया गया कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से अधिकांश प्रमुख उपभोग श्रेणियां अत्यधिक लचीली हो गई हैं, जिसका अर्थ है कि उपभोक्ताओं ने कम कर दरों पर मजबूत प्रतिक्रिया दी।
केवल वस्त्र क्षेत्र में कम लचीलापन दिखा। एसबीआई रिसर्च का अनुमान है कि एक सामान्य भारतीय उपभोक्ता अब अपने उपभोग व्यय पर प्रति माह लगभग 7 प्रतिशत की बचत कर सकता है, और जैसे-जैसे अधिक आंकड़े उपलब्ध होंगे, यह लाभ और भी बढ़ सकता है।
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