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भारत में वित्त वर्ष 2026 में हवाईअड्डे पर यात्रियों की संख्या रिकॉर्ड 440-450 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान
नई दिल्ली, 10 अप्रैल। भारत में हवाईअड्डे पर कुल यात्रियों की संख्या वित्त वर्ष 2026 में लगभग 7-9 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 440-450 मिलियन के नए उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
वित्त वर्ष 2026 में राजस्व में भी लगभग 18-20 प्रतिशत (ऑन-ईयर) की वृद्धि होने की संभावना है, जो यात्रियों की संख्या में निरंतर सुधार, दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाईअड्डों पर टैरिफ में वृद्धि और गैर-वैमानिकी राजस्व में वृद्धि की वजह से रहेगी।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में इस क्षेत्र के डेट कवरेज मेट्रिक्स के 5 गुना से अधिक ब्याज कवर और डेट सर्विस कवरेज रेश्यो (डीएससीआर) के 3.5 गुना से अधिक होने के साथ सहज रहने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2025 में अंतरराष्ट्रीय यातायात में 11 प्रतिशत और घरेलू यातायात में 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
नए गंतव्यों के लिए कनेक्टिविटी में सुधार, घरेलू क्षेत्र में अवकाश और व्यावसायिक यात्रा में निरंतर वृद्धि, साथ ही टियर-II शहरों और प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए हवाई संपर्क में सुधार के बीच अंतरराष्ट्रीय यात्रा में लगातार वृद्धि से निरंतर स्वस्थ विकास गति को बढ़ावा मिला।
आईसीआरए के कॉरपोरेट रेटिंग्स के सेक्टर हेड विनय कुमार जी. ने कहा, “स्वस्थ अंतरराष्ट्रीय पर्यटन गतिविधि के साथ-साथ नए गंतव्यों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से अंतर्राष्ट्रीय यातायात घरेलू यातायात वृद्धि से आगे निकल रहा है। वित्त वर्ष 2026 में भी विकास की गति बरकरार रहने की संभावना है, जिसमें क्रमशः अंतरराष्ट्रीय और घरेलू यातायात में 7-11 प्रतिशत और 6-8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की उम्मीद है।”
अंतरराष्ट्रीय यातायात में स्वस्थ वृद्धि हवाई अड्डा क्षेत्र के लिए अच्छी खबर होगी, क्योंकि यह घरेलू यातायात की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक लाभदायक है।
एयरपोर्ट ऑपरेटरों के प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए, कुमार ने कहा कि स्वस्थ लाभप्रदता मार्जिन के साथ, कुछ प्रमुख हवाई अड्डों पर पूंजीगत व्यय कार्यक्रम के व्यावसायीकरण के साथ उच्च ब्याज व्यय और ऋण चुकौती के बावजूद, वित्त वर्ष 2026 में डेट कवरेज मेट्रिक्स के बेहतर बने रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाईअड्डा संचालकों की क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहने का अनुमान है।
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सेंसेक्स मामूली तेजी के साथ बंद, मिडकैप और स्मॉलकैप में हुई खरीदारी

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मुंबई, 3 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 39.78 अंक या 0.05 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 83,978.49 और निफ्टी 41.25 अंक या 0.16 प्रतिशत की मजबूती के साथ 25,763.35 पर था।
लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप में अधिक तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 461.50 अंक या 0.77 प्रतिशत की मजबूती के साथ 60,287.40 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 132.60 अंक या 0.72 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,513.40 पर था।
सेक्टोरल आधार पर ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, मेटल, रियल्टी, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और कमोडिटीज इंडेक्स हरे निशान में थे। हालांकि, आईटी और एफएमसीजी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए।
सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल, इटरनल (जोमैटो), एसबीआई, भारती एयरटेल, सन फार्मा, कोटक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, ट्रेंट, इन्फोसिस, अल्ट्राटेक सीमेंट और एक्सिस बैंक टॉप गेनर्स थे। मारुति सुजुकी, आईटीसी, टीसीएस, एलएंडटी, बीईएल, टाइटन, टेक महिंद्रा, एनटीपीसी, एचयूएल और बजाज फिनसर्व टॉप लूजर्स थे।
जानकारों ने कहा कि मुनाफवसूली के कारण बाजार हल्की तेजी के साथ बंद हुआ। सरकारी बैंकिंग शेयरों ने मजबूत प्रदर्शन जारी रखा। वहीं, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम होने के कारण आईटी शेयरों में गिरावट हुई।
डॉलर की मजबूती के कारण रुपए का प्रदर्शन कमजोर रहा और 0.06 पैसे कमजोर होकर 88.76 पर बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली ने भी रुपए पर दबाव बनाने का काम किया है।
जानकारों का कहना है कि रुपया 88.45-89.25 की रेंज में रह सकता है।
भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत हल्की गिरावट के साथ हुई। सुबह 9:19 पर सेंसेक्स 126 अंक या 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83,811 और निफ्टी 20 अंक या 0.08 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 25,688 पर था।
व्यापार
भारत में करीब 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को एआई से नौकरी खोने का डर : रिपोर्ट

मुंबई, 3 नवंबर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते चलन के कारण भारत में 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को अगले तीन से पांच वर्षों में नौकरी खोने का डर है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय कर्मचारी काम पर एआई के बढ़ते असर के साथ कैसे तालमेल बिठा रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि पूरे भारत में 54 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि उनकी ऑर्गनाइजेशन अभी एआई इम्प्लीमेंटेशन के पायलट या इंटरमीडिएट स्टेज पर हैं। यह ज्यादा टेक-पावर्ड और कुशल काम के माहौल की ओर लगातार हो रही तरक्की को दिखाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से चार कर्मचारियों को लगता है कि एआई अगले तीन से पांच सालों में उनकी जगह ले सकता है। यह डर किसी एक खास ग्रुप तक सीमित नहीं है, बल्कि हर स्तर के कर्मचारियों में है।
रिपोर्ट के अनुसार, एआई की वजह से अपनी नौकरी जाने को लेकर चिंतित कम से कम 40 परसेंट कर्मचारी अपनी मौजूदा कंपनी को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। यह एचआर डिपार्टमेंट और सीनियर लीडरशिप के लिए एक जरूरी और गंभीर मुद्दा है।
ग्रेट प्लेस टू वर्क, इंडिया के सीईओ, बलबीर सिंह ने कहा, “जैसे-जैसे अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ऑर्गनाइजेशन एआई को लागू करने में आगे बढ़ रहे हैं, लीडर्स ऐसे हाई-इम्पैक्ट एआई स्ट्रेटेजी बना रहे हैं जो इंसानी क्षमताओं को बढ़ाते हैं। अभी जिन रुकावटों पर ध्यान देने की जरूरत है, वह ऑर्गनाइजेशनल रेसिस्टेंस, साथ ही कर्मचारियों की तैयारी है।”
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके अलावा, जिन कंपनियों ने अभी तक एआई को नहीं अपनाया है, उनमें लगभग 57 प्रतिशत कर्मचारियों ने इनसिक्योर महसूस किया, जबकि एआई अपनाने के एडवांस्ड स्टेज वाली कंपनियों में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत है।
राष्ट्रीय समाचार
भारत में अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ीं, पीएमआई 59.2 रहा

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नई दिल्ली, 3 नवंबर: भारत में अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी देखी गई है, जिससे एचएसबीसी मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) बढ़कर 59.2 हो गया है, जो कि सितंबर में 57.7 पर था। यह जानकारी एसएंडपी ग्लोबल की ओर से सोमवार को जारी किए गए डेटा में दी गई।
मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में बढ़त की वजह मजबूत घरेलू मांग, जीएसटी सुधार, उत्पादकता में वृद्धि और उच्च तकनीकी निवेश था।
एचएसबीसी में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट, प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अक्टूबर में बढ़कर 59.2 हो गया है, जो कि इससे पहले के महीने में 57.7 पर था। बीते महीने मजबूत मांग ने आउटपुट को बढ़ावा दिया। इससे नौकरियों के अवसर पैदा हुए और कंपनियों को नए ऑर्डर मिले।
उन्होंने आगे कहा कि इनपुट की कीमतों में अक्टूबर में नरमी देखी गई है। हालांकि, औसत बिक्री मूल्य में वृद्धि हुई है, इसकी वजह मैन्युफैक्चरर्स की ओर से अतिरिक्त लागत को ग्राहकों को पास करना था।
डेटा के मुताबिक, मजबूत मांग, विज्ञापन और हाल में लागू हुए जीएसटी सुधार के कारण अक्टूबर में नए ऑर्डर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। ग्रोथ सितंबर के मुकाबले अधिक तेज थी, और फैक्ट्री आउटपुट भी तेजी से बढ़ा। एक्सपेंशन रेट अगस्त के लेवल के बराबर था, जो पिछले पांच सालों में सबसे मजबूत लेवल में से एक था।
जब भी पीएमआई 50 से ऊपर होता है तो यह आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि को दिखाता है। इसके 50 से नीचे होने पर गतिविधियों में गिरावट होती है। वहीं, 50 की रीडिंग का मतलब है कोई बदलाव नहीं।
अक्टूबर में अधिकतक सेल्स ग्रोथ घरेलू मार्केट से हुई, जबकि एक्सपोर्ट ऑर्डर धीमी गति से बढ़े। हालांकि भारतीय सामानों की विदेशी मांग में सुधार हुआ, लेकिन यह इस साल अब तक सबसे कमजोर रही।
रिपोर्ट के अंत में बताया गया कि मैन्युफैक्चरर्स भविष्य के कारोबार को लेकर आशावादी बने हुए है। इसकी वजह जीएसटी सुधार से बढ़ती मांग, क्षमता विस्तार और मजबूत मार्केटिंग के प्रयास हैं।
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