व्यापार
लाल निशान में खुला भारतीय शेयर बाजार, सेंसेक्स-निफ्टी की सुस्त रही शुरुआत
share market
मुंबई, 30 अक्टूबर: भारतीय बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी गुरुवार के कारोबारी दिन सुस्त शुरुआत के साथ लाल निशान में खुले। शुरुआती कारोबार में निफ्टी फार्मा, ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर्स में बिकवाली देखी जा रही थी।
अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट कटौती का असर भारतीय शेयर बाजार पर देखने को नहीं मिला। फेड चेयरमैन ने अमेरिकी इकोनॉमी को स्थिर बनाए रखने के लिए उम्मीद के मुताबिक पॉलिसी रेट पर फैसला लिया। ताजा कटौती के बाद अमेरिका में ब्याज दरें 3.75 प्रतिशत से 4 प्रतिशत के दायरे में आ गई हैं।
सुबह करीब 9 बजकर 40 मिनट पर सेंसेक्स 355.57 अंक या 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 84,641.56 पर कारोबार कर रहा था। वहीं, निफ्टी 113.65 अंक या 0.44 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,940.25 स्तर पर बना हुआ था।
कारोबारी सत्र की शुरुआत में निफ्टी बैंक 199.55 अंक या 0.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,185.70 पर था। वहीं, निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 151.50 अंक या 0.25 प्रतिशत की गिरावट के बाद 59,997.55 पर कारोबार कर रहा था। दूसरी ओर, निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 12.20 अंक या 0.0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,475.35 स्तर पर था।
बाजार जानकारों ने कहा कि टेक्निकल फ्रंट पर निफ्टी तब तक साइडवेज-टू-बुलिश बना रहेगा जब तक इंडेक्स 25,900–26,000 के सपोर्ट जोन से ऊपर बना रहता है। ऊपर की ओर तुरंत रेजिस्टेंस 26,100–26,200 के आसपास है और इस रेंज से ऊपर लगातार मूव होने पर शॉर्ट टर्म में 26,300–26,400 की तरफ बढ़त का रास्ता खुल सकता है।
इस बीच सेंसेक्स पैक में भारती एयरटेल, सनफार्मा, आईटीसी, टाटा स्टील, इटरनल, इंफोसिस और पावरग्रिड टॉप लूजर्स थे। वहीं, एलएंडटी, बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व टॉप गेनर्स रहे।
एशियाई बाजारों की बात करें तो जकार्ता, सोल, जापान, चीन, हांगकांग के बाजार हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। केवल बैंकॉक लाल निशान में कारोबार कर रहा था।
अमेरिकी बाजारों की बात करें तो आखिरी कारोबारी दिन डाउ जोंस 0.16 प्रतिशत या 74.37 अंक की गिरावट के बाद 47,632.00 पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.30 अंक की मामूली गिरावट के बाद 6,890.59 स्तर और नैस्डेक 0.55 प्रतिशत या 130.98 अंक की तेजी के बाद 23,958.47 पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) 29 अक्टूबर को शुद्ध विक्रेता रहे और उन्होंने 2,540.16 करोड़ रुपए के भारतीय शेयर बेचे। दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) इसी कारोबारी दिन शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 5,692.81 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदारी की।
व्यापार
भारत के निर्यात को बेहतर बनाने के लिए हम सस्टेनेबल ग्रोथ के नए रास्ते खोलने के लिए प्रतिबद्ध : पीयूष गोयल

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने अलग-अलग सेक्टर्स के एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में भारत की निर्यात को बढ़ाने से जुड़ी रणनीतियों पर चर्चा की गई।
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मैंने अलग-अलग सेक्टर के एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईपीसी) और इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ एक मीटिंग की अध्यक्षता की, जिसका फोकस भारत के एक्सपोर्ट ग्रोथ को बढ़ाने की रणनीतियों पर था।”
केंद्रीय मंत्री गोयल ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि चर्चा के मुख्य बिंदुओं में अधिक मार्केट एक्सेस के लिए एफटीए का इस्तेमाल करना, वैल्यू एडिशन बढ़ाना, मार्केट डाइवर्सिफिकेशन का विस्तार करना और सेक्टोरल तालमेल को मजबूत करना शामिल था।
उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, “हम भारत के निर्यात को बेहतर बनाने के लिए क्वालिटी-ड्रिवन और सस्टेनेबल ग्रोथ के नए रास्ते खोलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
इसी कड़ी में, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच इस वर्ष अप्रैल-सितंबर के दौरान कुल निर्यात (मर्चेंडाइस और सर्विस) 413.30 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, जबकि बीते वर्ष 2024 की अप्रैल-सितंबर अवधि में यह 395.71 बिलियन डॉलर था।
वहीं, सितंबर में भारत का कुल निर्यात (मर्चेंडाइस और सर्विस) 67.20 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, जो सितंबर 2024 की तुलना में 0.78 प्रतिशत की सकारात्मक बढ़त को दिखाता है।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री गोयल ने न्यूजीलैंड के व्यापार और निवेश मंत्री टॉड मैक्ले के साथ एक प्रोडक्टिव वर्चुअल मीटिंग की। उन्होंने मैक्ले के साथ हुई इस मीटिंग को लेकर जानकारी साझा की।
उन्होंने एक दूसरे पोस्ट में लिखा, “हमने अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करने और एफटीए पर बातचीत को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।”
केंद्रीय मंत्री गोयल ने बताया कि इस मीटिंग में दोनों देशों के लिए लाभदायक और दूरदर्शी फ्रेमवर्क बनाने पर फोकस किया गया।
उन्होंने कहा, “मैं हमारी पार्टनरशिप को मजबूत करने और अहम सेक्टरों में आपसी ग्रोथ के लिए नए मौकों को तलाशने के लिए उत्सुक हूं।”
आपदा
भारत की आर्थिक उन्नति देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती पर निर्भर : नीति आयोग के सीईओ

मुंबई, 29 अक्टूबर: नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत की आर्थिक उन्नति देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती पर निर्भर करती है, लेकिन क्रमिक परिवर्तन काफी नहीं होंगे।
नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब ने ‘रिइमेजनिंग मैन्युफैक्चरिंग : इंडियाज रोडमैप टू ग्लोबल लीडरशिप इन एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग’ रोडमैप की पेशकश रखी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह रोडमैप 2035 तक एक एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बनने के लिए निर्णायक और समयबद्ध मार्ग निर्धारित करता है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह रोडमैप हमारे मैन्युफैक्चरिंग डीएनए में सटीकता, मजबूती और सस्टेनेबिलिटी के लिए फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट करते हुए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी ‘मेड इन इंडिया’ पहचान का निर्माण करता है।”
इस अवसर पर मौजूद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अगर देश को तीव्र वृद्धि हासिल करनी है, तो यह सामान्य व्यवसाय से संभव नहीं है।
उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, “फ्रंटियर टेक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का संगम है। इस संगम के मैन्युफैक्चरिंग में प्रवेश से ऑटोमेशन, दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।”
इस रोडमैप में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग का 25 प्रतिशत से अधिक योगदान, 10 करोड़ से अधिक रोजगार सृजन और 2035 तक भारत को एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग के टॉप तीन ग्लोबल हब में स्थान दिलाने की परिकल्पना की गई है, जो कि देश के 2047 तक विकसित बनने की यात्रा में मील का पत्थर हैं।
नीति आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, रोडमैप में चेतावनी दी गई है कि अगर भारत उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में प्रमुख फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को नहीं अपनाता है तो देश अवसरों से चूक जाएगा, जिससे 2035 तक 270 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2047 तक एडिशनल मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हानि होने की संभावना है।
नीति फ्रंटियर टेक हब, विकसित भारत के लिए एक एक्शन टैंक है। यह एक्शन टैंक सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के 100 से अधिक विशेषज्ञों के सहयोग से 20 से अधिक प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तनकारी विकास और सामाजिक विकास के लिए 10-वर्षीय रोडमैप तैयार कर रहा है। यह हब 2047 तक एक समृद्ध, मजबूत और तकनीकी रूप से उन्नत भारत की नींव रख रहा है।
व्यापार
शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों ने वित्त वर्ष 2026 की सितंबर तिमाही में लोन ग्रोथ में 11.3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की

BANK
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर: शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों ने वित्त वर्ष 2026 की सितंबर तिमाही में नेट एंडवांसेज में सालाना आधार पर 11.3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की। यह बढ़ोतरी रिटेल और एमएसएमई लेंडिंग में तेजी के कारण दर्ज की गई। यह जानकारी बुधवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटेल और एमएसएमई सेगमेंट में क्रेडिट ग्रोथ फिर से शुरू हो गई है, हालांकि फास्टर लेंडिंग रेट ट्रांसमिशन और धीमी डिपॉजिट रीप्राइसिंग के कारण मार्जिन पर दबाव रहा।
शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों में पब्लिक सेक्टर बैंकों ने एडवांसेज में सालाना आधार पर 14.5 प्रतिशत की मजबूत ग्रोथ दर्ज की, जबकि प्राइवेट सेक्टर बैंकों ने 9.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की।
इस बीच, पब्लिक सेक्टर बैंकों में डिपॉजिट में 11 प्रतिशत और प्राइवेट बैंकों में 10 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। टर्म डिपॉजिट में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई इसलिए करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट रेश्यो 37.4 प्रतिशत हो गया, जो कि ठीक एक वर्ष पहले 38.5 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में स्थिर लोन ग्रोथ के बीच हल्के एनआईएम दबाव के साथ स्थिर प्रदर्शन किया। इसे त्योहारों से जुड़ी गाड़ियों की मांग, जीएसटी रेट कट और बढ़े हुए बॉन्ड यील्ड का सपोर्ट मिला।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट 9.32 प्रतिशत रहा, जबकि एवरेज यील्ड 8.80 प्रतिशत दर्ज की गई। जो कि रेट कट के बाद तेज लोन रीप्राइसिंग को दिखाता है।
केयरएज रेटिंग्स का अनुमान है कि फेस्टिव खर्च, जीएसटी लाभ और बढ़ते क्रेडिट कार्ड और कंज्यूमर-ड्यूरेबल लिंक्ड प्रोडक्ट्स के कारण वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में लोन की मांग मजबूत होगी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों के लिए इस तिमाही में सालाना आधार पर नेट इंटरेस्ट मार्जिन 21 बेसिस पॉइंट घटकर 3.13 प्रतिशत रह गया।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, इस गिरावट का मुख्य कारण डिपॉजिट रेट में धीमे एडजस्टमेंट की तुलना में लेंडिंग रेट में कटौती का तेजी से ट्रांसमिशन और अधिक यील्ड वाले सेगमेंट में कम क्रेडिट ग्रोथ बताया।
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