अंतरराष्ट्रीय
2020 के सूखे के बाद 2021 में ओलम्पिक में पोडियम हासिल करना चाहेंगी भारतीय हॉकी टीमें

भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम ने साल 2020 की शुरुआत ओलम्पिक में पदक जीतने के लक्ष्य के साथ की थी ताकि 40 साल से चले आ रहे ओलम्पिक पदक के सूखे को खत्म किया जा सके, लेकिन कोविड-19 के कारण खेलों का महाकुंभ स्थगित हो गया जो अब 2021 में होना है।
भारत ने हॉकी में आखिरी स्वर्ण पदक मास्को 1980 ओलम्पिक में जीता था। इसके बाद भारतीय पुरुष टीम ने आठ ओलम्पिक खेले लेकिन पोडियम हासिल नहीं किया। रियो ओलम्पिक-2016 में भारतीय टीम आठवें स्थान पर रही थी।
इस साल अंतर्राष्ट्रीय महासंघ (एफआईएच) रैकिंग में भारतीय पुरुष टीम ने चौथा स्थान हासिल किया था और वह साल का अंत भी इसी स्थान पर रहते हुए कर रही है।
कोविड-19 के कारण हॉकी गतिविधियां रुकने से पहले भारतीय टीम ने एफआईएच प्रो हॉकी में पहली बार शिरकत की थी और विश्व की बेहतरीन टीमों के साथ छह मैच खेले थे जिसमें विश्व चैम्पियन बेल्जियम, ओलम्पिक रजत पदक विजेता नीदरलैंड्स और आस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत ने दो-दो मैच खेले थे।
नीदरलैंडस के खिलाफ भारतीय टीम ने पहले मैच में 5-2 से जीत हासिल की थी और दूसरे मैच में 3-3 से मैच ड्रॉ रहा था। बेल्जियम के खिलाफ भारत ने पहला मैच 2-1 से जीता था लेकिन दूसरा मैच 3-4 से हर गई थी। आस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को पहले मैच में 3-4 से हार मिली थी जबकि दूसरा मैच 2-2 से ड्रॉ रहा था।
इसके बाद खिलाड़ी भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के बेंगलुरू स्थित केंद्र में बायो सिक्योर वातावरण में रहे थे। यहां अगस्त में तालाबंदी में छूट दिए जाने के बाद खिलाड़ियों ने अभ्यास किया था।
इस दौरान हालांकि भारत के छह खिलाड़ी कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे। उनमें भारतीय पुरुष टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह, सुरेंदर कुमार, जसकरण सिंह, वरुण कुमार, कृष्णा पाठक के नाम शामिल हैं।
मनदीप ने अपने क्वारंटीन के अनुभव को लेकर कहा था, “हमने काफी पढ़ा सुना है कि यह वायरस काफी खतरनाक है। शुरुआती कुछ दिन दबाव वाले थे। मैं हालांकि एक पेशेवर हॉकी खिलाड़ी होने के नाते काफी मुश्किल मैच स्थितियों में रहा हूं, इसलिए मुझे ज्यादा दबाव महसूस नहीं हुआ।”
प्रो लीग में भारत अपने अभियान की दोबारा शुरुआत 10 और 11 अप्रैल से घर से बाहर अर्जेंटीना के खिलाफ करेगी। इसके बाद वह आठ और नौ मई को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ खेलेगी। इसके बाद स्पेन जाएगी जहां उसे 12 और 13 मई को मैच खेलने हैं। इसी महीने 18 और 19 मई को वह जर्मनी के खिलाफ खेलेगी और फिर 29 तथा 30 मई को भारत में न्यूजीलैंड का सामना करेगी।
मनप्रीत ने कहा कि लगातार मैच खेलना ओलम्पिक से पहले टीम के लिए काफी अच्छे हैं।
उन्होंने कहा, “अर्जेंटीना और ग्रेट ब्रिटेन के साथ होने वाले हमारे मैच में चार सप्ताह का गैप है, इसके बाद हम हर सप्ताह के अंत में लगातार मैच खेलेंगे। ओलम्पिक से पहले हम इसी तरह खेलने चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, “हम हमारे शरीर और दिमाग को परखना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि हम लगातार बड़े मैच कैसे खेलते हैं और दबाव कैसे झेलते हैं। यह ओलम्पिक से पहले हमारा अच्छा टेस्ट होगा।”
वहीं, महिला टीम ने 2016 में दूसरी बार ओलम्पिक खेल था और 12वें स्थान पर रही थी। पिछले साल टीम ने ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया था और टोक्यो में उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन ओलम्पिक स्थगित हो गए जो अब अगले साल 23 जुलाई से आठ अगस्त के बीच खेले जाएंगे।
महिला टीम विश्व रैंकिंग में नौवें स्थान पर है। उन्होंने पहली बार 2018 में नौवां स्थान हासिल किया था जो उनकी सर्वोच्च रैंकिंग है।
महिला टीम प्रो लीग में क्वालीफाई तो नहीं कर पाई। जनवरी में उन्होंने न्यूजीलैंड का दौरा किया जहां पांच प्रैक्टिस मैच खेले। रानी रामपाल की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड डेवलपमेंट स्कावयड को 4-0 से हराया। इसके बाद वह न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय टीम से दो मैच हार गई। इसके बाद भारत ने ग्रेट ब्रिटेन को 1-0 से हराया। दौरे के आखिरी मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को 3-0 से हरा दिया।
इस दौरे के बाद पुरुष टीम की तरह ही महिला टीम ने भी बेंगलुरू स्थित साई केंद्र में राष्ट्रीय शिविर में हिस्सा लिया और ओलम्पिक खेलों की तैयारी की।
भारतीय महिला टीम ओलम्पिक में अपने अभियान की शुरुआत विश्व चैम्पियन नीदरलैंड्स के खिलाफ करेगी। हालांकि हालिया दौर में भारतीय टीम ने किसी बड़े टूर्नामेंट में नीदरलैंड्स का सामना नहीं किया है, लेकिन वो जानती है कि डच टीम कैसा खेलती है।
टीम मुख्य कोच शुअर्ड मरेन और एनलिटिकल कोच जैनेके स्कोपमैन नीदरलैंड्स से ही हैं इसलिए दोनों टीम की खेलने की शैली से वाकिफ हैं।
टीम की उप-कप्तान सविता ने कहा, “हमने हालिया दौर में नीदरलैंड्स के खिलाफ नहीं खेला है, लेकिन हमने उनके मैच करीब से देखे हैं। टीम कैसे खेलती है इस बारे में हम कोच मरेन और जैनेके से बात करेंगे।”
उन्होंने कहा, “चूंकि दोनों कोच नीदरलैंड्स से ही हैं, उन्हें पता है कि टीम कैसे खेलती है। इसमें कोई शक नहीं है कि वह आक्रामक टीम है और तकनीकी तौर पर बेहद मजबूत। ओलम्पिक में हमारा पहला मैच काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा।”
अंतरराष्ट्रीय
काबुल में देर रात सिलसिलेवार धमाके, पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ा

काबुल, 10 अक्टूबर : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार देर रात हुए सिलसिलेवार धमाकों की घटना के बाद तनाव नाटकीय रूप से बढ़ गया है। आशंका जताई जा रही है कि ये विस्फोट बिना उकसावे के सीमा पार से किए गए हवाई हमलों का नतीजा थे।
कथित तौर पर ये विस्फोट पूर्वी काबुल के डिस्ट्रिक्ट 8 से शुरू हुए, जो प्रमुख सरकारी सुविधाओं और आवासीय क्षेत्रों का केंद्र है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना के दौरान आसमान से विमानों की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
सिलसिलेवार धमाकों के बाद से इलाके में दहशत का माहौल देखा जा रहा है। भले ही विस्फोटों के पीछे का सटीक स्रोत और उद्देश्य का अभी तक पता नहीं चल सका, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स में हवाई हमलों की आशंका जताई गई है।
उल्लेखनीय है कि यह घटना पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की ओर से नेशनल असेंबली में दिए गए एक तीखे बयान के कुछ ही घंटों बाद हुई। इस दौरान ख्वाजा आसिफ ने राजनयिक संयम में कमी का संकेत देते हुए कहा था, “बस, अब बहुत हो गया। हमारा धैर्य जवाब दे चुका है। अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद असहनीय है।”
नेशनल असेंबली में आसिफ ने पाकिस्तानी अधिकारियों की पिछली काबुल यात्रा को याद किया था। उस दौरान अफगान अधिकारियों ने कथित तौर पर पाकिस्तान को निशाना बनाकर की जा रही आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ आश्वासन देने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर किसी भी हमले की पुष्टि नहीं की है, लेकिन आसिफ की टिप्पणियों के समय और उसके बाद काबुल में हुए विस्फोटों ने सैन्य कार्रवाई की आशंकाओं को और बढ़ा दिया है।
इस बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर, पाकिस्तान के इस्लामाबाद और रावलपिंडी शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अचानक ठप कर दी गई हैं। पाक अधिकारियों ने इसे लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
बलूच प्रतिनिधि मीर यार बलूच ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा, “हम काबुल में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जो पाकिस्तान की ओर से किया गया है। अगर अफगानिस्तान बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र (स्वायत्त) राष्ट्र के रूप में मान्यता दे, तो पाकिस्तान और उसकी सेना की ओर से की जा रही आतंकवादी गतिविधियों को कुछ ही हफ्तों में समाप्त किया जा सकता है।”
जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, आगे सैन्य वृद्धि की संभावना को लेकर आशंकाएं बढ़ रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय
गाजा युद्धविराम वार्ता जारी, हमास ने रखीं दो प्रमुख मांगें

बीजिंग, 8 अक्टूबर : मिस्र के शर्म अल-शेख में फिलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) और इजरायल के बीच युद्धविराम वार्ता का एक नया दौर आयोजित हुआ।
इस वार्ता के दौरान हमास ने दो प्रमुख मांगें रखीं। पहली, गाजा पट्टी पर इजरायली कब्जे का स्थायी अंत, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गारंटी होनी चाहिए। दूसरी, इजरायली बंदियों की रिहाई को इजरायली सेना की पूर्ण वापसी से जोड़ा जाए।
हमास के प्रमुख वार्ताकार खलील हया ने कहा कि हमास प्रतिनिधिमंडल मिस्र एक स्पष्ट लक्ष्य के साथ पहुंचा है, संघर्ष को तत्काल और स्थायी रूप से समाप्त करना तथा एक पारस्परिक कार्मिक विनिमय समझौते तक पहुंचना।
उन्होंने कहा कि हमास युद्ध समाप्त करने के लिए ‘सभी जिम्मेदारियां लेने को तैयार है’, लेकिन ‘इजरायल हत्याएं और नरसंहार जारी रखे हुए है’, जिससे वार्ता में प्रगति मुश्किल हो रही है।
खलील हया के अनुसार, हालिया इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के दौरान इजरायल ने गाजा पट्टी में युद्धविराम के अपने वादे का दो बार उल्लंघन किया है, जिससे हमास के लिए उस पर भरोसा करना कठिन हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल को गाजा पट्टी पर अपना कब्जा हमेशा के लिए समाप्त करना होगा और इस दिशा में अमेरिका तथा क्षेत्रीय देशों को सच्ची गारंटी देनी चाहिए ताकि युद्धविराम स्थायी रूप से लागू हो सके।
अंतरराष्ट्रीय
7 अक्टूबर: हमास ने इजरायल के ऊपर दागे तीन हजार से ज्यादा रॉकेट, दो साल बाद भी ताजा हैं नरसंहार के जख्म

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर : हमास और और इजरायल के बीच जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के 20 सूत्रीय प्लान पर चर्चा होनी है। बता दें, गाजा में इस संघर्ष के शुरू होने की वजह 7 अक्टूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल पर किया गया हमला है। इजरायल पर हमास के हमले को दो साल होने जा रहे हैं।
7 अक्टूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल पर हुए हमले में करीब 1200 से ज्यादा लोग मारे गए। इसके अलावा 250 के करीब लोगों को हमास आतंकियों ने बंधक बना लिया। मरने वालों में महिला, बच्चे और बूढ़ों समेत कुछ विदेशी लोग भी शामिल थे। वहीं इसमें 300 से ज्यादा इजरायली सैनिक भी शामिल थे।
हमास के 7 अक्टूबर के हमले की भयावहता आज भी मन को झकझोर देती है। सामने आईं तस्वीरों और रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला अत्यंत क्रूर और अमानवीय था। आतंकियों ने आम नागरिकों को बर्बरता से मारा।
हमास ने इजरायल पर 4,300 से अधिक रॉकेट दागे। आतंकियों ने इजरायल में घुसपैठ कर भारी तबाही मचाई। माना जाता है कि महज छह घंटों के अंदर हमास ने इजरायल को ऐसा गहरा आघात पहुंचाया जिसकी टीस लंबे समय तक महसूस की जाएगी। इस हमले की बर्बरता के कारण यह निश्चित तौर पर वैश्विक इतिहास में सबसे क्रूर आतंकी घटनाओं से एक के रूप में याद किया जाता है।
इस हिंसक घटना के बाद इजरायल ने गाजा में अपना ऑपरेशन शुरू किया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास को जड़ से मिटाने की कसम खाई। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हमास के लड़ाके गाजा छोड़कर नहीं जाते हैं, तो वह इस शहर को नक्शे से मिटा देंगे।
7 अक्टूबर को हमास के हमले का जवाब इजरायल ने देना शुरू किया और गाजा में भारी तबाही मची। इजरायली डिफेंस फोर्स के सैनिकों ने ग्राउंड से लेकर हवाई ऑपरेशन चलाकर हमास के ठिकानों को एक-एक कर तबाह करना शुरू किया।
धीरे-धीरे इजरायल के सैनिक गाजा के अंदर घुस गए और हमास के कई शीर्ष नेतृत्व को मौत के घाट उतार दिया। इजरायल और हमास की लड़ाई में फिलिस्तीनी नागरिकों का भयंकर नुकसान हुआ।
इस हमले के दो साल पूरे होने पर इजरायल वॉर रूम की ओर से लिखा गया, “7 अक्टूबर, 2023 को, हमास और अन्य आतंकवादियों ने दक्षिणी और मध्य इजरायल में नागरिकों पर 3,000 से ज्यादा रॉकेट दागे। उसी समय, आतंकवादियों ने गाजा से दक्षिणी इजरायल पर हमला किया और 0-91 वर्ष की आयु के 40 से ज्यादा देशों के लगभग 1,200 लोगों का नरसंहार किया। 251 लोगों को बंधक बना लिया गया; उनमें से 47 अभी भी गाजा में बंदी हैं, साथ ही 2014 में मारे गए और अपहृत एक इजरायली का शव भी मौजूद है।”
इजरायली मीडिया ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया कि युद्ध शुरू होने से अब तक 1,152 सुरक्षाकर्मी मारे गए, जिनमें आईडीएफ सैनिक, इजरायली पुलिस अधिकारी, शिन बेट और जेल सेवा कर्मी, और इजरायल, गाजा, लेबनान और पश्चिमी तट में तैनात स्थानीय सुरक्षा दस्तों के सदस्य शामिल हैं। लगभग 42 प्रतिशत शहीद 21 वर्ष से कम आयु के थे, जिनमें से अधिकांश अनिवार्य सैन्य सेवा में कार्यरत युवा थे, और 141 शहीद 40 वर्ष से अधिक आयु के थे, जो शहीदों की विस्तृत आयु सीमा को दर्शाता है।
भारी संख्या में फिलिस्तीनी लोग मारे गए, बूढ़े हों या बच्चे, किसी को खाने के लिए रोटी तक नहीं मिल पा रही। हाल ही में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट साझा की, इस रिपोर्ट के अनुसार अब तक 66,005 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 168,162 लोग घायल हुए।
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