अंतरराष्ट्रीय
श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप करना चाहेगा भारत

पहला मैच जीत के बाद भारत की नजर श्रीलंका के खिलाफ 2-0 से स्वीप करने की होगी, जब दोनों टीम शनिवार से यहां डे-नाइट खेले जाने वाले दूसरे और अंतिम टेस्ट में भिड़ेंगे। मोहाली में पहले टेस्ट में एक पारी और 222 रनों से बड़ी जीत ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप तालिका में भारत की पांचवीं स्थिति को मजबूत किया, लेकिन वे बेंगलुरु में जीत के साथ आगे बढ़ना चाहेंगे।
कोलकाता में बांग्लादेश (नवंबर 2019) और अहमदाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ (फरवरी 2021) मैचों के बाद, यह घर पर भारत का तीसरा डे-नाइट गुलाबी गेंद टेस्ट होगा। भारत ने ये दोनों टेस्ट तीन दिन के अंदर जीते थे।
हालांकि भारत ने पिछला मैच आसानी से जीत लिया, लेकिन गुलाबी गेंद का टेस्ट कई प्रकार की चुनौतियां पेश करता है और मेजबान टीम को जीतने के लिए कड़ी मेहनत करने पड़ेगी। रोहित-शर्मा की अगुवाई वाली टीम टेस्ट चैंपियनशिप के दूसरे सीजन के इस मोड़ पर घरेलू परिस्थिति में हार बर्दाश्त नहीं कर सकती है और इससे उन्हें अपनी तीव्रता बनाए रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
रोहित शर्मा, मयंक अग्रवाल, विराट कोहली और श्रेयस अय्यर की पसंद, जिन्होंने पिछले मैच में शुरुआत की, लेकिन उन्हें बड़ी पारी में बदलने में नाकाम रहे, अपने बल्ले से बड़ा प्रभाव डालने की कोशिश करेंगे।
दूसरी ओर ऋषभ पंत, रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन के निचले क्रम की तिकड़ी, जिन्होंने बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया था, अपनी शानदार फॉर्म को जारी रखना चाहेंगे।
भारत ने मोहाली में पहले टेस्ट में तीन स्पिनर और दो तेज गेंदबाज खेले थे। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अलग-अलग परिस्थितियों को देखते हुए गुलाबी गेंद के मैच के लिए टीम की रणनीति में बदलाव हो सकता है।
भारत के उपकप्तान जसप्रीत बुमराह ने उल्लेख किया कि टीम प्रबंधन आज के अभ्यास सत्र के बाद प्लेइंग इलेवन के बारे में फैसला करेगा।
बुमराह ने कहा, “हमने कल पिच पर एक नजर डाली थी, लेकिन बहुत कुछ कहना जल्दबाजी होगा, क्योंकि आज वह दिन है जब हम अभ्यास सत्र के लिए जाएंगे। उसके बाद हमारे पास एक स्पष्ट विचार होगा कि क्या हम मैच में तीन तेज गेंदबाजों या तीन स्पिनरों के साथ जाना चाहते हैं।”
कोलकाता में पहले गुलाबी गेंद के टेस्ट में भारतीय स्पिनरों को फायदा नहीं हुआ था, जबकि अगले एक (अहमदाबाद) में अक्षर, अश्विन और वाशिंगटन सुंदर की तिकड़ी ने 20 में से 19 विकेट चटकाए थे।
भारत ने टीम में एक बदलाव किया है, जिसमें कुलदीप यादव की जगह अक्षर पटेल को शामिल किया गया है। पटेल, जो आखिरी बार नवंबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले थे, अपनी चोट के साथ-साथ कोविड-19 से उबर चुके हैं और जयंत यादव के स्थान पर प्लेइंग इलेवन में जगह बना सकते हैं।
उधर, संघर्ष कर रही श्रीलंका टीम को मैच से पहले ही झटका लगा है। पहली पारी में नाबाद 61 रनों के साथ मेहमान टीम के लिए शीर्ष स्कोर करने वाले पथुम निसानका चोट के कारण दूसरे टेस्ट से बाहर हो गए हैं।
इस बीच, मोहाली में पहले टेस्ट से बाहर हुए दुष्मंथा चमीरा भी चयन के लिए उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि वह चोट से उबर रहे हैं। श्रीलंका के कप्तान दिमुथ करुणारत्ने के अनुसार, चमीरा के कार्यभार को टी20 विश्व कप तक प्रबंधित किया जा रहा था, जो इस साल अक्टूबर में होने वाला है और तेज गेंदबाज अपने ठीक होने के बाद अंतरिम अवधि में केवल सीमित ओवरों के मैचों के लिए उपलब्ध होगा।
पहले मैच में एम्बुलडेनिया को मिली सफलता को देखते हुए श्रीलंका एक और बाएं हाथ के स्पिनर प्रवीण जयविक्रमा को आजमाने के लिए तैयार है, जिनके पास अब तक तीन टेस्ट मैचों में दो बार पांच विकेट और कुल 18 विकेट शामिल हैं। टेस्ट श्रीलंका के लिए सुरंगा लकमल का अंतिम मैच होगा और इस अनुभवी गेंदबाज को यादगार विदाई देने की उम्मीद कर रहे होंगे।
दोनों टीमें इस प्रकार हैं-
भारतीय टीम : रोहित शर्मा (कप्तान), प्रियांक पांचाल, मयंक अग्रवाल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, हनुमा विहारी, शुभमन गिल, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), केएस भरत, रवींद्र जडेजा, जयंत यादव, आर अश्विन, सौरभ कुमार, मोहम्मद सिराज, उमेश यादव, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह (उपकप्तान) और अक्षर पटेल।
श्रीलंका टीम : दिमुथ करुणारत्ने (कप्तान), लाहिरू थिरिमाने, धनंजय डी सिल्वा (उपकप्तान), कुसल मेंडिस, एंजेलो मैथ्यूज, दिनेश चांदीमल, चरित असलंका, निरोशन डिकवेला (विकेटकीपर), चमिका करुणारत्ने, लाहिरू कुमारा, सुरंगा लकमल, विश्व फर्नांडो, जेफरी वेंडरसे, प्रवीण जयविक्रेमा और लसिथ एम्बुलडेनिया।
अंतरराष्ट्रीय
काबुल में देर रात सिलसिलेवार धमाके, पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ा

काबुल, 10 अक्टूबर : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार देर रात हुए सिलसिलेवार धमाकों की घटना के बाद तनाव नाटकीय रूप से बढ़ गया है। आशंका जताई जा रही है कि ये विस्फोट बिना उकसावे के सीमा पार से किए गए हवाई हमलों का नतीजा थे।
कथित तौर पर ये विस्फोट पूर्वी काबुल के डिस्ट्रिक्ट 8 से शुरू हुए, जो प्रमुख सरकारी सुविधाओं और आवासीय क्षेत्रों का केंद्र है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना के दौरान आसमान से विमानों की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
सिलसिलेवार धमाकों के बाद से इलाके में दहशत का माहौल देखा जा रहा है। भले ही विस्फोटों के पीछे का सटीक स्रोत और उद्देश्य का अभी तक पता नहीं चल सका, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स में हवाई हमलों की आशंका जताई गई है।
उल्लेखनीय है कि यह घटना पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की ओर से नेशनल असेंबली में दिए गए एक तीखे बयान के कुछ ही घंटों बाद हुई। इस दौरान ख्वाजा आसिफ ने राजनयिक संयम में कमी का संकेत देते हुए कहा था, “बस, अब बहुत हो गया। हमारा धैर्य जवाब दे चुका है। अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद असहनीय है।”
नेशनल असेंबली में आसिफ ने पाकिस्तानी अधिकारियों की पिछली काबुल यात्रा को याद किया था। उस दौरान अफगान अधिकारियों ने कथित तौर पर पाकिस्तान को निशाना बनाकर की जा रही आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ आश्वासन देने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर किसी भी हमले की पुष्टि नहीं की है, लेकिन आसिफ की टिप्पणियों के समय और उसके बाद काबुल में हुए विस्फोटों ने सैन्य कार्रवाई की आशंकाओं को और बढ़ा दिया है।
इस बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर, पाकिस्तान के इस्लामाबाद और रावलपिंडी शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अचानक ठप कर दी गई हैं। पाक अधिकारियों ने इसे लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
बलूच प्रतिनिधि मीर यार बलूच ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा, “हम काबुल में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जो पाकिस्तान की ओर से किया गया है। अगर अफगानिस्तान बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र (स्वायत्त) राष्ट्र के रूप में मान्यता दे, तो पाकिस्तान और उसकी सेना की ओर से की जा रही आतंकवादी गतिविधियों को कुछ ही हफ्तों में समाप्त किया जा सकता है।”
जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, आगे सैन्य वृद्धि की संभावना को लेकर आशंकाएं बढ़ रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय
गाजा युद्धविराम वार्ता जारी, हमास ने रखीं दो प्रमुख मांगें

बीजिंग, 8 अक्टूबर : मिस्र के शर्म अल-शेख में फिलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) और इजरायल के बीच युद्धविराम वार्ता का एक नया दौर आयोजित हुआ।
इस वार्ता के दौरान हमास ने दो प्रमुख मांगें रखीं। पहली, गाजा पट्टी पर इजरायली कब्जे का स्थायी अंत, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गारंटी होनी चाहिए। दूसरी, इजरायली बंदियों की रिहाई को इजरायली सेना की पूर्ण वापसी से जोड़ा जाए।
हमास के प्रमुख वार्ताकार खलील हया ने कहा कि हमास प्रतिनिधिमंडल मिस्र एक स्पष्ट लक्ष्य के साथ पहुंचा है, संघर्ष को तत्काल और स्थायी रूप से समाप्त करना तथा एक पारस्परिक कार्मिक विनिमय समझौते तक पहुंचना।
उन्होंने कहा कि हमास युद्ध समाप्त करने के लिए ‘सभी जिम्मेदारियां लेने को तैयार है’, लेकिन ‘इजरायल हत्याएं और नरसंहार जारी रखे हुए है’, जिससे वार्ता में प्रगति मुश्किल हो रही है।
खलील हया के अनुसार, हालिया इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के दौरान इजरायल ने गाजा पट्टी में युद्धविराम के अपने वादे का दो बार उल्लंघन किया है, जिससे हमास के लिए उस पर भरोसा करना कठिन हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल को गाजा पट्टी पर अपना कब्जा हमेशा के लिए समाप्त करना होगा और इस दिशा में अमेरिका तथा क्षेत्रीय देशों को सच्ची गारंटी देनी चाहिए ताकि युद्धविराम स्थायी रूप से लागू हो सके।
अंतरराष्ट्रीय
7 अक्टूबर: हमास ने इजरायल के ऊपर दागे तीन हजार से ज्यादा रॉकेट, दो साल बाद भी ताजा हैं नरसंहार के जख्म

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर : हमास और और इजरायल के बीच जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के 20 सूत्रीय प्लान पर चर्चा होनी है। बता दें, गाजा में इस संघर्ष के शुरू होने की वजह 7 अक्टूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल पर किया गया हमला है। इजरायल पर हमास के हमले को दो साल होने जा रहे हैं।
7 अक्टूबर 2023 को हमास की ओर से इजरायल पर हुए हमले में करीब 1200 से ज्यादा लोग मारे गए। इसके अलावा 250 के करीब लोगों को हमास आतंकियों ने बंधक बना लिया। मरने वालों में महिला, बच्चे और बूढ़ों समेत कुछ विदेशी लोग भी शामिल थे। वहीं इसमें 300 से ज्यादा इजरायली सैनिक भी शामिल थे।
हमास के 7 अक्टूबर के हमले की भयावहता आज भी मन को झकझोर देती है। सामने आईं तस्वीरों और रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला अत्यंत क्रूर और अमानवीय था। आतंकियों ने आम नागरिकों को बर्बरता से मारा।
हमास ने इजरायल पर 4,300 से अधिक रॉकेट दागे। आतंकियों ने इजरायल में घुसपैठ कर भारी तबाही मचाई। माना जाता है कि महज छह घंटों के अंदर हमास ने इजरायल को ऐसा गहरा आघात पहुंचाया जिसकी टीस लंबे समय तक महसूस की जाएगी। इस हमले की बर्बरता के कारण यह निश्चित तौर पर वैश्विक इतिहास में सबसे क्रूर आतंकी घटनाओं से एक के रूप में याद किया जाता है।
इस हिंसक घटना के बाद इजरायल ने गाजा में अपना ऑपरेशन शुरू किया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास को जड़ से मिटाने की कसम खाई। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हमास के लड़ाके गाजा छोड़कर नहीं जाते हैं, तो वह इस शहर को नक्शे से मिटा देंगे।
7 अक्टूबर को हमास के हमले का जवाब इजरायल ने देना शुरू किया और गाजा में भारी तबाही मची। इजरायली डिफेंस फोर्स के सैनिकों ने ग्राउंड से लेकर हवाई ऑपरेशन चलाकर हमास के ठिकानों को एक-एक कर तबाह करना शुरू किया।
धीरे-धीरे इजरायल के सैनिक गाजा के अंदर घुस गए और हमास के कई शीर्ष नेतृत्व को मौत के घाट उतार दिया। इजरायल और हमास की लड़ाई में फिलिस्तीनी नागरिकों का भयंकर नुकसान हुआ।
इस हमले के दो साल पूरे होने पर इजरायल वॉर रूम की ओर से लिखा गया, “7 अक्टूबर, 2023 को, हमास और अन्य आतंकवादियों ने दक्षिणी और मध्य इजरायल में नागरिकों पर 3,000 से ज्यादा रॉकेट दागे। उसी समय, आतंकवादियों ने गाजा से दक्षिणी इजरायल पर हमला किया और 0-91 वर्ष की आयु के 40 से ज्यादा देशों के लगभग 1,200 लोगों का नरसंहार किया। 251 लोगों को बंधक बना लिया गया; उनमें से 47 अभी भी गाजा में बंदी हैं, साथ ही 2014 में मारे गए और अपहृत एक इजरायली का शव भी मौजूद है।”
इजरायली मीडिया ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया कि युद्ध शुरू होने से अब तक 1,152 सुरक्षाकर्मी मारे गए, जिनमें आईडीएफ सैनिक, इजरायली पुलिस अधिकारी, शिन बेट और जेल सेवा कर्मी, और इजरायल, गाजा, लेबनान और पश्चिमी तट में तैनात स्थानीय सुरक्षा दस्तों के सदस्य शामिल हैं। लगभग 42 प्रतिशत शहीद 21 वर्ष से कम आयु के थे, जिनमें से अधिकांश अनिवार्य सैन्य सेवा में कार्यरत युवा थे, और 141 शहीद 40 वर्ष से अधिक आयु के थे, जो शहीदों की विस्तृत आयु सीमा को दर्शाता है।
भारी संख्या में फिलिस्तीनी लोग मारे गए, बूढ़े हों या बच्चे, किसी को खाने के लिए रोटी तक नहीं मिल पा रही। हाल ही में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट साझा की, इस रिपोर्ट के अनुसार अब तक 66,005 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 168,162 लोग घायल हुए।
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