अंतरराष्ट्रीय
टी20 विश्व कप से पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत बेहतर प्लेइंग इलेवन की करेगा तलाश
भारतीय क्रिकेट टीम टी20 विश्व कप से पहले एक बेहतर प्लेइंग इलेवन के लिए अपनी खोज जारी रखेगी, जब वे पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन आईएस बिंद्रा स्टेडियम में यहां मंगलवार को तीन मैचों की सीरीज के पहले टी20 मुकाबले में एक मजबूत ऑस्ट्रेलियाई टीम से भिड़ेंगे।
हाल ही में संपन्न हुए एशिया कप 2022 में भारत के खराब अभियान ने कुछ गंभीर सवाल खड़े किए थे, लेकिन चयनकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के लिए लगभग एक ही टीम चुनी है।
इसी तरह के चेहरों की निरंतरता से पता चलता है कि कप्तान रोहित शर्मा, मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और चयनकर्ताओं ने अभी तक पैनिक बटन नहीं दबाया है और आगामी मैचों में खिलाड़ियों के बेहतर करने पर भरोसा किया है।
हालांकि, टीम प्रबंधन अभी भी कुछ मुद्दों को ठीक करने और अपने सर्वश्रेष्ठ संभावित ग्यारह को अंतिम रूप देने के लिए कुछ और चीजों को आजमाने की कोशिश करेगा।
जहां तक बल्लेबाजी का सवाल है, शीर्ष चार में रोहित शर्मा, केएल राहुल, विराट कोहली और सूर्यकुमार यादव शामिल हैं, और हार्दिक पांड्या अपनी ऑलराउंड क्षमता के साथ, एक निश्चित शॉट हिटर भी हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि विकेटकीपर के रूप में कौन खेलेगा- ऋषभ पंत या दिनेश कार्तिक?
एशिया कप के दौरान, कार्तिक ने भारत की पहली पसंद के विकेटकीपर के रूप में शुरूआत की, लेकिन ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की चोट ने टीम प्रबंधन को बाएं हाथ के पंत को लाने के लिए मजबूर कर दिया, जो आश्वस्त नहीं दिख रहे थे।
बीच के ओवरों में बाएं हाथ के बल्लेबाज का उपयोग करने का विचार बाएं हाथ के स्पिनर का मुकाबला करना था और ऑस्ट्रेलिया के पास एश्टन एगर भी ऐसा ही गेंदबाज हैं। इसलिए, पंत को कार्तिक पर वरीयता मिल सकती है, जो अपने फिनिशिंग कौशल के लिए जाने जाते हैं।
चोटिल जडेजा की जगह अक्षर पटेल को मौका मिला। दीपक हुड्डा, जो कुछ ओवर गेंदबाजी कर सकते हैं और कप्तान को एक अतिरिक्त विकल्प देते हैं, उन्हें एशिया कप में खेलने का मौका मिला, लेकिन उन्हें गेंदबाजी में बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया।
इसके अलावा, हुड्डा की सफलता ज्यादातर शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में आई है लेकिन उन्हें दुबई में बड़े टूर्नामेंट में पारी खत्म करने का काम दिया गया था।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या द्रविड़ और रोहित अक्षर की हरफनमौला क्षमता पर भरोसा दिखाते हैं या फिर हुड्डा के साथ जाते हैं।
दूसरी ओर जसप्रीत बुमराह और हर्षल पटेल की वापसी से भारत के गेंदबाजी आक्रमण को मजबूती मिलेगी। बुमराह और हर्षल दोनों चोटों के कारण एशिया कप 2022 से चूक गए थे और वे तीन मैचों की श्रृंखला के दौरान अपनी छाप छोड़ने में उत्सुक होंगे।
पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ बैक-टू-बैक मैचों में महंगे होने के बाद, भुवनेश्वर कुमार ने अफगानिस्तान के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के साथ अपने एशिया कप अभियान को उच्च स्तर पर समाप्त किया, और वह इसे जारी रखने की उम्मीद करेंगे।
टीम इंडिया उमेश यादव को भी मौका दे सकती है, जिन्होंने टीम में मोहम्मद शमी की जगह ली है। अक्षर के अलावा युजवेंद्र चहल और रविचंद्रन अश्विन जैसे स्पिन विकल्प हैं।
कुल मिलाकर, पहले मैच में भारत की प्लेइंग इलेवन विश्व कप के लिए उनकी सोच और दृष्टिकोण पर थोड़ी स्पष्टता देगी।
इस बीच, आरोन फिंच की अगुवाई वाली ऑस्ट्रेलिया भारत में पूरी तीन मैचों की टी20 सीरीज के लिए चोटों के कारण मिशेल स्टार्क, मार्कस स्टोइनिस और मिशेल मार्श को मिस करेगा।
अपने प्रमुख खिलाड़ियों को याद करने के बावजूद, टी20 विश्व कप के मौजूदा चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के पास एक संतुलित टीम है। पांच विशेषज्ञ बल्लेबाज, पांच ऑलराउंडर और पांच स्पेशलिस्ट गेंदबाज और विजेता टीम की तरह दिखते हैं।
हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान आरोन फिंच का फॉर्म उनके लिए एक बड़ी चिंता का विषय है और भारत इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगा।
वहीं सबकी निगाहें बेहद प्रतिभाशाली टिम डेविड पर भी होंगी। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में पले-बढ़े डेविड ने सिंगापुर के लिए 14 ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले।
पूरी दुनिया में फ्रेंचाइजी लीग में अपना नाम बनाने के बाद, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने हार्ड-हिटर को नीलामी में 8.25 करोड़ में मुंबई इंडियंस ने पिछले साल खरीदा था।
कप्तान आरोन फिंच, स्टीव स्मिथ, ग्लेन मैक्सवेल, पैट कमिंस, जोश हेजलवुड और केन रिचर्डसन जैसे खिलाड़ियों ने भारत में यह जानने के लिए पर्याप्त समय बिताया है कि शीर्ष स्तर पर सफल होने के लिए क्या करना पड़ता है।
दोनों टीमें इस प्रकार हैं-
भारत: रोहित शर्मा (कप्तान), केएल राहुल (उपकप्तान), विराट कोहली, सूर्यकुमार यादव, दीपक हुड्डा, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), दिनेश कार्तिक (विकेटकीपर), हार्दिक पांड्या, आर अश्विन, युजवेंद्र चहल, अक्षर पटेल, भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, हर्षल पटेल, दीपक चाहर और जसप्रीत बुमराह।
ऑस्ट्रेलिया: सीन एबॉट, एश्टन एगर, पैट कमिंस, टिम डेविड, नाथन एलिस, एरोन फिंच (कप्तान), कैमरन ग्रीन, जोश हेजलवुड, जोश इंगलिस, ग्लेन मैक्सवेल, केन रिचर्डसन, डेनियल सैम्स, स्टीव स्मिथ, मैथ्यू वेड और एडम जम्पा।
अंतरराष्ट्रीय
भारत ने अफगानिस्तान को फिर से भेजी मदद, जीवनरक्षक चिकित्सीय सहायता काबुल पहुंची

काबुल, 28 नवंबर : भारत हमेशा से अफगानिस्तान के लिए मजबूती से खड़ा रहा है। समय-समय पर मदद की खेप भेजता है। भारत ने निरंतर समर्थन को दोहराते हुए, शुक्रवार को अफगानिस्तान को 73 टन जीवनरक्षक दवाइयों, टीकों और आवश्यक पोषक सप्लीमेंट्स की खेप भेजी। यह सहायता अफगान स्वास्थ्य प्रणाली की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से काबुल पहुंचाई गई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, “अफगानिस्तान के स्वास्थ्य प्रयासों को मजबूती देते हुए भारत ने 73 टन जीवनरक्षक दवाइयां, टीके और आवश्यक सप्लीमेंट्स तत्काल चिकित्सा जरूरतों के लिए काबुल पहुंचाए हैं। अफगान लोगों के प्रति भारत का अटूट समर्थन जारी है।”
पिछले सप्ताह नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और अफगानिस्तान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी के बीच मुलाकात हुई थी। बैठक में व्यापार, संपर्क और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर विस्तृत चर्चा हुई।
जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अज़ीज़ी से मुलाकात कर खुशी हुई। व्यापार, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। अफगान जनता के विकास और कल्याण के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।”
इससे पहले भी भारत ने अफगानिस्तान के भूकंप प्रभावित परिवारों की मदद के लिए खाद्य सामग्री भेजी थी। बाल्ख, समनगन और बगलान प्रांतों में आए विनाशकारी भूकंप में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।
10 अक्टूबर को भारत ने अतिरिक्त खाद्य सहायता भी भेजी थी। उसी दिन विदेश मंत्री जयशंकर की अफगान समकक्ष मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से नई दिल्ली में मुलाकात हुई। बैठक में विकास सहयोग, व्यापार, अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता व स्वतंत्रता, आपसी संपर्क और क्षमता निर्माण जैसे मुद्दों पर वार्ता हुई।
जयशंकर ने मुत्ताकी की भारत यात्रा को “द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम” बताया और अफगानिस्तान को पांच एम्बुलेंस सौंपने की घोषणा भी की।
भारत की यह मानवीय सहायता अफगानिस्तान के लिए हाल के महीनों में की गई कई निरंतर मददों की नवीनतम कड़ी है, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और जन-संपर्क आधारित रिश्तों को मजबूत करती है।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान ने तीसरे देश के जरिए नहीं भेजा अमेरिका को कोई मैसेज, खामेनेई बोले-झगड़े बढ़ा रहा अमेरिका

तेहरान, 28 नवंबर : हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की। ट्रंप से मुलाकात के पहले क्राउन प्रिंस को ईरान की एक चिट्ठी मिली थी। इस चिट्ठी को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस चिट्ठी में अमेरिका के लिए एक मैसेज था। हालांकि, ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इन सभी दावों को मनगढ़ंत बताया है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार खामेनेई ने गुरुवार रात को टीवी पर दिए गए संदेश में मीडिया के इन सभी दावों को खारिज कर दिया। अफवाह थी कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सऊदी क्राउन प्रिंस को उनके यूएस दौरे से पहले जो मैसेज भेजा था, वह वॉशिंगटन के लिए था।
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा, “वे अफवाहें फैला रहे हैं कि ईरानी सरकार ने किसी तीसरे देश के जरिए अमेरिका को मैसेज भेजा है, जो सरासर झूठ है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेजेशकियन की चिट्ठी में कहा गया कि ईरान टकराव नहीं चाहता है। उसका मकसद क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करना है और वह कूटनीति के जरिए न्यूक्लियर विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है, बशर्ते उसके अधिकारों की गारंटी हो।
खामेनेई ने अपने भाषण के दौरान इजरायल के हमलों और अपराधों में अमेरिका के समर्थन की कड़ी आलोचना की। ईरानी सुप्रीम ने अमेरिका पर अपनी रणनीति और रिसोर्स के फायदे के लिए झगड़ों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर, ईरानी अधिकारियों ने पहले ही इस बात को साफ कर दिया था कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को जो चिट्ठी दी गई, वह सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर थी।
तेहरान और वॉशिंगटन ने इसी साल अप्रैल और जून के बीच ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और अमेरिकी बैन पर बातचीत की थी। दोनों पक्षों के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच राउंड की बातचीत हुई। इसके बाद छठे राउंड की बातचीत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उससे पहले ही इजरायल ने ईरान में कई जगहों पर अचानक हमले कर दिए।
इस हमले में ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिक और सीनियर कमांडर मारे गए। इसके बाद ईरान ने मिसाइल और ड्रोन से जवाबी कार्रवाई की।
22 जून को अमेरिकी सेना ने नतांज, फोर्डो और इस्फहान में ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया। ईरान ने अगले दिन कतर में अमेरिकी अल उदीद एयर बेस को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद ईरान और इजरायल के बीच 24 जून से सीजफायर लागू हुआ।
अंतरराष्ट्रीय
ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनिया को राहत? अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आज हो सकता है आखिरी फैसला!

नई दिल्ली, 6 नवंबर : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के साथ वैश्विक व्यापार जगत में उथल-पुथल मच गई। ट्रंप के टैरिफ को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही, जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि इसपर आखिरी फैसला भी आज आ जाए। वहीं, दूसरी ओर पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।
5 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई शुरू हुई, जिसमें अधिकांश जजों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए।
निचली फेडरल कोर्ट ने इससे पहले टैरिफ के मामले में फैसला सुनाया था कि ट्रंप के पास अमेरिका के कई व्यापारिक साझेदारों से आयात पर टैरिफ लगाने और कनाडा, चीन और मैक्सिको के उत्पादों पर फेंटानिल टैरिफ लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है। निचले कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बता दें, टैरिफ को लेकर करीब ढाई घंटे से ज्यादा कोर्ट में बहस चली। कोर्ट ने ट्रंप सरकार के टैरिफ के फैसले पर सवाल उठाए। जस्टिस सोनिया सोतोमयोर ने कहा, “आप कहते हैं कि टैरिफ टैक्स नहीं हैं, लेकिन वास्तव में वे टैक्स ही हैं। वे अमेरिकी नागरिकों से पैसा, राजस्व कमा रहे हैं।”
इस पर सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने कहा, “मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, यह एक नियामक टैरिफ है, टैक्स नहीं। यह सच है कि टैरिफ से राजस्व बढ़ता है और यह केवल आकस्मिक है।”
इसके अलावा जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा, “अगर मैं सही नहीं हूं तो मुझे सुधारें, लेकिन यह तर्क किसी भी देश के किसी भी उत्पाद पर, किसी भी मात्रा में, किसी भी अवधि के लिए टैरिफ लगाने की शक्ति के लिए दिया जा रहा है।”
जस्टिस रॉबर्ट्स की इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने तर्क दिया कि आईईईपीए राष्ट्रपति को इमरजेंसी की स्थिति के दौरान ‘आयात को विनियमित करने’ की इजाजत देता है।
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल के तर्क से जस्टिस एमी कोनी बैरेट सहमत नहीं थीं। उन्होंने सॉयर से कहा, “क्या आप संहिता में ऐसे किसी दूसरे स्थान या इतिहास में किसी दूसरे समय का जिक्र कर सकते हैं, जहां ‘आयात को विनियमित करना’ वाक्यांश का उपयोग टैरिफ लगाने का अधिकार देने के लिए किया गया हो?”
इसके अलावा, जस्टिस बैरेट ने कहा कि अगर कांग्रेस भविष्य में आपातकालीन टैरिफ पर किसी भी सीमा को मंजूरी देना चाहती है, तो उसे राष्ट्रपति के वीटो को पार करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।
जस्टिस बैरेट ने पूछा, “अगर कांग्रेस कहती है, ‘अरे, हमें यह पसंद नहीं है, इससे राष्ट्रपति को आईईईपीए के तहत बहुत ज्यादा अधिकार मिल जाते हैं,’ तो उसे आईईईपीए से उस टैरिफ शक्ति को वापस लेने में बहुत मुश्किल होगी, है ना?”
हालांकि, कोर्ट की तरफ से मामले में अब तक आखिरी फैसला सामने नहीं आया है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ वाले फैसले पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं।
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