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Tuesday,20-May-2025
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भारत-नेपाल संबंध : देउबा-मोदी मुलाकात के बाद क्या लौट आएगी आपसी संबंधों की गर्माहट

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नेपाल और भारत के बीच परेशानियों और बकाया मुद्दों में से एक सीमा विवाद है, जिसने कुछ समय के लिए काठमांडू और नई दिल्ली के बीच बड़ी गलतफहमियां पैदा कर दी थीं। दरअसल, साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारत ने कालापानी में अपनी सैना तैनात कर दी थी, जिस पर ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के तत्कालीन शासकों के बीच सुगौली संधि (1816) के बाद से नेपाल का कब्जा था। इसका ठीक से पता नहीं है कि ये नेपाल सरकार का निर्णय था या भारत ने कालापानी में अपनी सेना रखने की अनुमति मांगी थी, लेकिन इसका सामरिक महत्व है, क्योंकि यह नेपाल, भारत और चीन के बीच स्थित है।

जब भारत ने नवंबर 2019 के पहले सप्ताह में अपने नए राजनीतिक मानचित्र का अनावरण किया, तब कालापानी विवाद फिर से शुरू हो गया और नेपाल ने इस मुद्दे को हल करने के लिए बातचीत के लिए भारत में राजनयिकों को भेजकर निर्णय का विरोध किया। भारत ने तब कहा था कि इस मामले को कूटनीतिक तरीके से सुलाझाया जाना चाहिए।

भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हिमालय में लिपुलेख के माध्यम से एक नई 8 किमी लंबी सड़क का उद्घाटन करने के बाद यह मुद्दा तीव्र हो गया, जिसे नेपाल भी अपना क्षेत्र मानता है। तब तत्कालीन के.पी. शर्मा ओली सरकार ने सड़क के विस्तार का विरोध किया और भारत पर नेपाल के साथ पूर्व परामर्श के बिना यथास्थिति को बदलने का आरोप लगाया।

सड़क भारत को तिब्बत से जोड़ने और मानसरोवर जाने के इच्छुक भारतीय तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए थी। नेपाल ने भारत और चीन के बीच लिपुलेख के रास्ते सड़क का विस्तार करने के 2015 के फैसले का पहले ही विरोध किया था।

भारत और चीन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान लिपुलेख के माध्यम से व्यापार गलियारे विकसित करने का फैसला किया था, लेकिन नेपाल सरकार ने इसका विरोध किया था।

साल 2020 में राजनाथ सिंह ने नई सड़क का उद्घाटन किया, तब यह मुद्दा फिर से तेज हो गया।

लिपुलेख के रास्ते सड़क बनाने के भारत के एकतरफा फैसले का विरोध करते हुए नेपाल ने भारत में कुछ राजनयिक भेजे और समझौते के लिए बातचीत की मांग की। लेकिन तब भारत ने कोरोना महामारी के कारण बातचीत को टाल दिया था।

भारत की प्रतिक्रिया के बाद ओली सरकार ने कालापानी और लिपुलेख को अपने क्षेत्र में शामिल करते हुए नेपाल के एक नए राजनीतिक मानचित्र का अनावरण किया। फिर, दोनों पक्षों के बीच ‘काटरेग्राफिक युद्ध की स्थिति’ बन गई थी।

नेपाल सरकार ने संशोधित आधिकारिक नक्शा जारी किया, जिसमें भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है। तब भारत के विदेश मंत्रालय के तत्कालीन प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, ‘यह एकतरफा कार्य ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं है।’

इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि, प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की हाल की भारत यात्रा के दौरान सीमा विवाद तीन साल के अंतराल के बाद फिर से सामने आया। उन्होंने मोदी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान इस मुद्दे को उठाया।

मशहूर नेपाल के मानचित्रकार और सर्वेक्षण विभाग के पूर्व महानिदेशक बुद्धि नारायण श्रेष्ठ ने आईएएनएस को बताया कि “अब भारत के साथ आगे की बातचीत के लिए दरवाजा खुल गया है, जिस तरह से हमारे प्रधानमंत्री ने भारत के साथ इस मामले को उठाया है, हमें उम्मीद है कि जल्द ही कुछ प्रगति होगी।”

नई दिल्ली में हैदराबाद हाउस में 2 अप्रैल को देउबा और मोदी के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने सीमा मामलों पर चर्चा की और मैंने उनसे (मोदी) स्थापित तंत्र के माध्यम से उन्हें हल करने का आग्रह किया।”

भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि सीमा मुद्दे को सुलझाने पर आम सहमति बनी है। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर ‘संक्षिप्त चर्चा’ हुई।

उन्होंने कहा, “दोनों पक्षों को हमारे करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंधों को ध्यान में रखते हुए चर्चा और बातचीत करने की जरूरत है। ऐसे मुद्दों पर राजनीतिकरण से बचने की जरूरत है।”

लेकिन देउबा-मोदी वार्ता के बाद जारी किए गए एक भारतीय बयान में हालांकि इस मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई थी।

सुस्ता और कालापानी में सीमा रेखा से निपटने के लिए नेपाल और भारत के पास विदेश सचिव और तकनीकी स्तर पर तंत्र हैं। सुस्ता और कालापानी को छोड़कर नेपाल और भारत के साथ सीमा कार्यो को पूरा करने के लिए एक अलग सीमा कार्य समूह (बीडब्ल्यूजी) भी अनिवार्य है।

श्रेष्ठ ने कहा कि देउबा की यात्रा से द्विपक्षीय वार्ता के द्वार खुल गए हैं और दोनों पक्षों के लिए मौजूदा तंत्र को पुनर्जीवित करना बेहतर मौका है।

उन्होंने आगे कहा, “नेपाल और भारत के प्रधानमंत्रियों ने 2014 में सीमा विवाद से निपटने और उसे दूर करने के लिए विदेश सचिव स्तर पर एक तंत्र स्थापित किया था। उन्हें विवाद को सुलझाने के लिए तकनीकी स्तर से प्रतिक्रिया और इनपुट प्राप्त करने के लिए कहा गया था। अब समय आ गया है कि नेपाल और भारत सीमा विवाद के समाधान के लिए विदेश सचिव स्तर के तंत्र को पुनर्जीवित करें।”

नेपाल और भारत के बीच नवंबर 2019 में संबंध बिगड़ने लगे, जब दिल्ली ने अपने क्षेत्र में कालापानी सहित एक नया नक्शा जारी किया।

जैसे ही विवाद फिर से शुरू हुआ, तब श्रृंगला ने नवंबर 2020 के अंत में नेपाल की यात्रा की थी और तत्कालीन विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने जुलाई 2021 में भारत की यात्रा की थी। लेकिन दोनों यात्राएं तनाव को कम नहीं कर सकीं।

इस साल जनवरी में फिर से भारतीय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई एक टिप्पणी ने नेपाल में एक नया हंगामा खड़ा कर दिया।

उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने घोषणा की थी कि उनकी सरकार ने लिपुलेख तक एक सड़क का विस्तार किया है और इसे और आगे बढ़ाने की योजना है।

नेपाल के राजनीतिक दलों ने मोदी के बयान पर नाराजगी जताते हुए इसे गैर-जरूरी बताया और उन्होंने मांग की कि देउबा सरकार भारत को जवाब दे।

मुख्य विपक्षी सीपीएन-यूएमएल ने भारत के साथ इस मुद्दे को उठाने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना की, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन ने भारत के बयान पर आपत्ति जताई।

नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने 16 जनवरी को कहा कि सरकार इस तथ्य के बारे में दृढ़ और स्पष्ट है कि महाकाली नदी के पूर्व में लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्र नेपाल का अभिन्न अंग है।

उन्होंने कहा था कि नेपाल सरकार भारत सरकार से नेपाली क्षेत्र से होकर जाने वाली किसी भी सड़क के एकतरफा निर्माण/विस्तार को रोकने का अनुरोध कर रही है।

उन्होंने आगे कहा, “नेपाल सरकार दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की भावना के अनुसार राजनयिक चैनलों के माध्यम से ऐतिहासिक संधियों और समझौतों, तथ्यों, मानचित्रों और साक्ष्य के आधार पर सीमा मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

नेपाली राजनयिकों और अधिकारियों का कहना है कि नेपाल और भारत के बीच हालिया घटनाक्रम जहां दोनों पक्षों ने विवाद को सुलझाने के लिए अपनी उत्सुकता दिखाई है, ये स्वागत योग्य है, लेकिन इसमें कुछ और समय लग सकता है।

नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का ने भी कहा कि मोदी और देउबा मौजूदा सीमा विवाद को मौजूदा तंत्र, बातचीत और कूटनीति के जरिए सुलझाने और उसका समाधान करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने आगे कहा, “बातचीत के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने सीमा मुद्दों पर भी चर्चा की और दोनों नेता मौजूदा तंत्र के माध्यम से और बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ऐसे मुद्दों को हल करने पर सहमत हुए।”

प्रधानमंत्री देउबा द्वारा सार्वजनिक रूप से अपने भारतीय समकक्ष से द्विपक्षीय तंत्र की स्थापना के माध्यम से सीमा मुद्दे को हल करने का आग्रह करने के बाद खड़का का बयान महत्वपूर्ण है।

नेपाल के पूर्व राजदूत और दो प्रधानमंत्रियों के पूर्व विदेश नीति सलाहकार दिनेश भट्टराई ने आईएएनएस को बताया कि कम से कम शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को यह अहसास है कि सीमा विवादों को सुलझाना चाहिए और लंबे समय तक अधर में नहीं रहना चाहिए।

उन्होंने कहा, चूंकि भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि इस मुद्दे को संबोधित किया जाना चाहिए। यह दर्शाता है कि भारत ने विवाद को स्वीकार कर लिया है।

भट्टराई ने कहा, “इस मुद्दे को मेज पर लाया गया है और दोनों पक्षों को बैठकर सौहार्दपूर्ण समाधान खोजना चाहिए। इसमें कुछ और समय लग सकता है। हमें कई बार बैठक करनी पड़ सकती है और शायद इसे हल करने के लिए बातचीत में सालों लग सकते हैं लेकिन दोनों पक्षों को स्थिति को भड़काना नहीं चाहिए क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इससे कूटनीतिक तरीकों और तंत्रों से निपटा जाना चाहिए।”

अपराध

दहिसर पश्चिम में 2 परिवारों के बीच हिंसक झड़प में 3 की मौत

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मुंबई: रविवार को दहिसर पश्चिम में दो परिवारों के बीच झगड़े के दौरान तीन लोगों की कथित तौर पर हत्या कर दी गई। मृतकों की पहचान हामिद शेख (49), राम गुप्ता (50) और अरविंद गुप्ता (23) के रूप में हुई है। घटना दहिसर पश्चिम के गणपत पाटिल नगर में हुई। शेख और गुप्ता परिवार एक ही इलाके में रहते हैं और उनके बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। रविवार को एक बार फिर दोनों परिवारों के बीच हथियारों से मारपीट हुई, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों की मौत हो गई।

एमएचबी पुलिस क्रॉस-मर्डर केस दर्ज करने की प्रक्रिया में है। मुख्य आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, क्योंकि वह फिलहाल घायल है।

पुलिस के मुताबिक, गणपत पाटिल नगर एक झुग्गी बस्ती है, जहां शेख और गुप्ता दोनों परिवार रहते हैं। 2022 में अमित शेख और राम गुप्ता ने एक-दूसरे के खिलाफ मारपीट का क्रॉस केस दर्ज कराया था। तब से दोनों परिवारों के बीच दुश्मनी चल रही है।

रविवार को शाम करीब साढ़े चार बजे गणपत पाटिल नगर की गली नंबर 14 के पास सड़क पर विवाद हो गया, जहां राम गुप्ता नारियल की दुकान चलाते हैं। कथित तौर पर शराब के नशे में धुत हामिद शेख मौके पर पहुंचा और राम से बहस करने लगा। इसके बाद दोनों पक्षों ने अपने बेटों को बुला लिया।

गुप्ता अपने बेटों अमर गुप्ता, अरविंद गुप्ता और अमित गुप्ता के साथ तथा हामिद नसीरुद्दीन शेख अपने बेटों अरमान हामिद शेख और हसन हामिद शेख के साथ मिलकर हाथापाई और धारदार हथियारों से हिंसक झड़प में शामिल हो गए। झड़प में राम गुप्ता और अरविंद गुप्ता की मौत हो गई, जबकि अमर गुप्ता और अमित गुप्ता घायल हो गए। हामिद शेख की भी मौत हो गई और उनके बेटे अरमान और हसन शेख घायल हो गए।

शवों को कांदिवली पश्चिम के शताब्दी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस क्रॉस-मर्डर केस दर्ज करने की प्रक्रिया जारी रखे हुए है। घायल होने के कारण आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

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राजनीति

प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, यह सरकार का नहीं बल्कि पार्टी का होना चाहिए फैसला : अभिषेक बनर्जी

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कोलकाता, 19 मई। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न देशों में सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को भेजने के फैसले को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस के बाद अब टीएमसी ने भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों के चुने जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि हमारी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह हमारी पार्टी का फैसला है। केंद्र सरकार एकतरफा फैसला नहीं कर सकती है।

टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से सोमवार को कोलकाता एयरपोर्ट पर मीडिया ने सवाल पूछा कि क्या टीएमसी ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से केंद्र के बहुदलीय राजनयिक मिशन से बाहर निकलने का विकल्प चुना है। इसका जवाब देते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा, “मुझे नहीं पता कि आपको यह जानकारी कहां से मिली। मैं यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, जिसका उद्देश्य देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आतंकवाद का मुकाबला करना है, टीएमसी केंद्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी। हमें किसी भी प्रतिनिधिमंडल के जाने से कोई समस्या नहीं है। हालांकि, हमारी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह हमारी पार्टी का फैसला है। केंद्र सरकार एकतरफा फैसला नहीं कर सकती कि किस पार्टी से कौन जाएगा।”

उन्होंने कहा, “अगर कोई प्रतिनिधिमंडल जा रहा है, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। जिस तरह से पाकिस्तान भारत में शांति को बाधित करने के लिए आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं। इसे वैश्विक मंच पर उठाया जाना चाहिए। लेकिन, हमारी पार्टी से कौन जाएगा, यह तय करना हमारी पार्टी का काम है। मैं आज विदेश मामलों की स्थायी समिति की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहा हूं। मुझे पार्टी ने उस समिति में नामित किया था। जैसे भाजपा तय कर सकती है कि उनकी तरफ से कौन जाएगा, वैसे ही तृणमूल तय करेगी कि हमारी तरफ से कौन जाएगा। इसके अलावा डीएमके, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी का कौन सदस्य प्रतिनिधिमंडल में जाएगा, यह पार्टी को ही तय करना चाहिए।”

अभिषेक बनर्जी ने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार को इस मुद्दे पर सभी पार्टियों से बात करनी चाहिए थी और उसके बाद ही प्रतिनिधिमंडल को तय करना चाहिए था। हालांकि, मैं साफ कर देना चाहता हूं कि टीएमसी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित किसी भी तरह के विषय का कोई बायकॉट नहीं किया है। मेरा मानना है कि जब देश की बात आती है तो वहां राजनीति नहीं होनी चाहिए।

केंद्र सरकार ने विदेश जाने वाले सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों में शामिल सभी सदस्यों के नाम तय कर दिए हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान को भी जगह मिली है।

सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों की कमान सात अलग-अलग नेताओं को दी गई है, ये प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों और अन्य प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेंगे और देश की आतंकवाद विरोधी नीति, सैन्य कार्रवाइयों और ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देंगे।

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महाराष्ट्र

मुंबई पुलिस ने ड्रग तस्कर गिरोह पर कार्रवाई करते हुए मुंबई और नवी मुंबई से ड्रग तस्करों को गिरफ्तार किया, 13 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग्स जब्त की गई

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मुंबई: मुंबई आरसीएफ पुलिस स्टेशन के एंटी-नारकोटिक्स सेल और आतंकवाद विरोधी दस्ते (एएनटीएस) ने एक संयुक्त अभियान चलाकर आरसीएफ से एक ड्रग तस्कर को गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान पुलिस ने उसके पास से 45 ग्राम एमडी बरामद किया। आरसीएफ पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद मुंबई पुलिस ने जांच की और ड्रग तस्करों का पर्दाफाश हुआ। पुलिस ने नवी मुंबई और मुंबई से पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 6 किलोग्राम एमडी जब्त किया, जिसकी कुल कीमत 13.37 करोड़ रुपये बताई गई है। यह एक बड़ा ड्रग रैकेट था जिसका पुलिस ने पर्दाफाश किया और अब आरोपियों से पूछताछ की जा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि वे और कितने लोगों के संपर्क में थे और मुंबई में ड्रग्स कहां से लाए जाते थे। यह कार्रवाई मुंबई पुलिस आयुक्त देविन भारती, संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और डीसीपी नुनाथ ढोले के निर्देश पर की गई। मुंबई पुलिस ने ड्रग तस्करों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है।

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