अंतरराष्ट्रीय
क्रिकेट में वापसी के बाद ‘डायनामाइट’ बनकर उभरे हार्दिक पांड्या : रोहित शर्मा

दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप ग्रुप-ए मैच में पांच विकेट से जीत हासिल की। भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वह इस पल का इंतजार कर रहे थे। दो गति वाली पिच पर 148 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को आखिरी छह ओवरों में 59 रन चाहिए थे, जहां टीम को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि, पांड्या जैसा बल्लेबाज जब क्रीज पर मौजूद हो तो टीम की सारी मुश्किलें जमींदोज हो जाती हैं।
पांड्या ने 19वें ओवर में तीन चौके लगाकर टीम को जीत की राह पर ले गए। उन्होंने कुल 17 गेंदों पर 33 रन बनाए, जो कि नबाद रहे। वहीं, रवींद्र जडेजा ने 29 गेंदों पर 35 रन की पारी खेली और दोनों के बीच 29 गेंदों पर 52 रन की साझेदारी हुई।
अगर गेंदबाजी की बात करें तो पांड्या ने अपने चार ओवरों में 25 रन देकर 3 विकेट झटके, जबकि वरिष्ठ तेज गेंदबाज भुवनेश्वर ने 4 ओवर में 4 विकेट झटककर 26 रन दिए। वहीं, गेंदबाजों ने पाकिस्तान को 147 रन पर आउट कर दिया। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह ने शेष दो विकेट लिए।
रोहित ने मैच के बाद कहा, “हम जानते थे कि टीम मैच जीत सकती है। हमें विश्वास था और जब आपके पास यह विश्वास है, तो ये चीजें हो सकती हैं। यह लोगों को स्पष्टता देने के बारे में है, ताकि वे अपनी भूमिका अच्छी तरह से जान सके। हां, भारतीय गेंदबाजों ने पिछले एक साल में काफी लंबा सफर तय किया है और उन्होंने अलग-अलग परिस्थितियों में अच्छी तरह से अनुकूलित किया है।”
रोहित ने पांड्या की हरफनमौला क्षमताओं की बहुत प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “जब से हार्दिक ने वापसी की है, तब से वे अपनी शानदार फॉर्म में हैं। जब वह टीम का हिस्सा नहीं थे, तो उन्होंने अपने शरीर और अपने फिटनेस पर ध्यान दिया। उनकी बल्लेबाजी की गुणवत्ता हम सभी जानते हैं और उन्होंने वापसी के बाद अपने आप को डायनामाइट में बदला है।”
पाकिस्तान के कप्तान बाबर आजम भी पांड्या की हरफनमौला क्षमताओं से हैरान थे, जबकि उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी टीम वास्तविक ओवरों से 10 से 15 रन कम थी। जिस तरह से हमने पारी की शुरुआत की वह शानदार रही, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया।
अंतरराष्ट्रीय
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भूटान के पीएम सेरिन तोबके से की मुलाकात, जलविद्युत और व्यापार पर हुई चर्चा

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर : भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भूटान के प्रधानमंत्री सेरिन तोबके से मुलाकात की। विदेश सचिव मिस्री 3 अक्टूबर को अपने भूटान दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने पीएम तोबके के साथ जलविद्युत से लेकर व्यापार और लोगों के बीच संबंधों को लेकर चर्चा की।
भूटान में भारतीय दूतावास की तरफ से ‘एक्स’ पर इस मुलाकात की तस्वीरें साझा कर लिखा, “प्रगति और विकास के लिए एक साथ। नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा को बनाए रखते हुए, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने विशेष और बहुआयामी द्विपक्षीय साझेदारी के संपूर्ण पहलुओं पर चर्चा के लिए 3 अक्टूबर 2025 को भूटान का दौरा किया।”
दूतावास ने आगे लिखा कि अपनी यात्रा के दौरान, विदेश सचिव ने महामहिम नरेश से मुलाकात की और भूटान के प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री से मुलाकात की।
वहीं भूटान के पीएम ने भी अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, “मुझे कल भारत सरकार के विदेश सचिव, महामहिम विक्रम मिस्री से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने भूटान और भारत के बीच संपर्क, जलविद्युत, लोगों के बीच संबंधों और व्यापार एवं वाणिज्य सहित विभिन्न पारस्परिक हितों पर चर्चा की।”
बता दें, भारत और भूटान के बीच रेलवे कनेक्शन की शुरुआत होने जा रही है। इसे लेकर सोमवार, 29 सितंबर को भारत सरकार ने 69 किलोमीटर और 20 किलोमीटर लंबी दो सीमा पार रेलवे परियोजनाओं की घोषणा की। यह रेल लाइन भूटान को असम और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों से जोड़ेंगी। 69 किलोमीटर लंबी कोकराझार (असम)-गेलेफू (भूटान) और 20 किलोमीटर लंबी बनारहाट (पश्चिम बंगाल)-समत्से (भूटान) रेल लाइन की लागत 3,456 करोड़ रुपये और 577 करोड़ रुपये होगी।
यह घोषणा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संयुक्त रूप से की। बाद में, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार और भूटान के विदेश सचिव ओम पेमा चोडेन ने रेल संपर्क स्थापित करने के लिए एक औपचारिक अंतर-सरकारी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
बता दें, इस समय भूटान में कोई रेल नेटवर्क नहीं है। गेलेफू और समत्से लाइन पड़ोसी देश में इस तरह की पहली परियोजना होगी। भूटान के साथ भारत के ऐतिहासिक रूप से शांतिपूर्ण संबंधों को देखते हुए, इन दोनों रेल परियोजनाओं से इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच संबंधों में मजबूती आने और पूरे क्षेत्र में व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय
ऑस्ट्रेलिया में घर पाना हुआ मुश्किल, 66,117 लोग लाइन में लगे, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

सिडनी, 1 अक्टूबर : ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में लोगों को रहने के लिए घरों ढूंढने में परेशानी आ रही है। बुधवार को एक रिपोर्ट सामने आई, जिसके अनुसार लोगों को रहने के लिए यहां घर लेना बहुत मुश्किल हो चुका है।
द काउंसिल टू होमलेस पर्सन (सीएचपी) नाम के एनजीओ ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इसके अनुसार विक्टोरिया में मार्च 2025 तक सरकार द्वारा समर्थित सामाजिक आवास के लिए 66,117 लोग वेटिंग लिस्ट में थे। बता दें, ये आंकड़ा 2024 की तुलना में 7.4 प्रतिशत ज्यादा है।
इसमें कहा गया है कि विक्टोरिया में सामाजिक आवास का अनुपात, जो उन लोगों के लिए आरक्षित है, जो सामान्य बाजार मूल्य पर आवास का खर्च नहीं उठा सकते, 3 प्रतिशत है – जो ऑस्ट्रेलिया के आठ राज्यों और क्षेत्रों में सबसे कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विक्टोरिया में पारिवारिक हिंसा की वजह से हर महीने 13 हजार लोग बेघर सहायता सेवाओं का सहारा लेते हैं, और 10,000 से ज्यादा लोग हर महीने आवास की सामर्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण बेघर सहायता सेवाओं का सहारा लेते हैं।
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में 33,467 विक्टोरियावासियों को विशेषज्ञ बेघर सेवाओं से सहायता मिल रही थी, जो जुलाई 2017 से 9.7 प्रतिशत ज्यादा है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, विक्टोरिया जनसंख्या के हिसाब से ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जहां मार्च तक 70.5 लाख निवासी थे – जो राष्ट्रीय जनसंख्या का 25.6 प्रतिशत है।
सीएचपी रिपोर्ट में तीन प्रमुख सिफारिशें की गईं, जिनमें राज्य सरकार से हर साल कम से कम 4,000 नए सामाजिक आवास बनाने, बेघर होने की रोकथाम के लिए निवेश बढ़ाने और संकटकालीन आवास एवं बेघर सेवाओं के लिए धन जुटाने का आह्वान किया गया।
सीएचपी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेबोरा डि नताले ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “विक्टोरिया में हर दिन, हजारों लोगों को किराया चुकाने, हिंसा से बचने या बेघर होने के बीच असंभव विकल्पों का सामना करना पड़ता है।”
रिपोर्ट के अनुसार, आवास की सामर्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण विशेषज्ञ बेघर सेवाओं का उपयोग करने वाले सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों में से एक-तिहाई से ज्यादा विक्टोरिया में रहते हैं, लेकिन आवास और बेघर सेवाओं में राज्य सरकार का निवेश राष्ट्रीय औसत से कम है।
अंतरराष्ट्रीय
फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान में तेजी लाए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय : संयुक्त राष्ट्र में चीनी प्रतिनिधि

बीजिंग, 30 सितंबर : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में 29 सितंबर को फिलिस्तीन और अन्य अधिकृत अरब क्षेत्रों में मानवाधिकार की स्थिति पर एक सामान्य बहस आयोजित की गई।
इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र जिनेवा कार्यालय और स्विट्जरलैंड में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में चीन के स्थायी प्रतिनिधि छन श्य्वी ने भाग लिया और चीन की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीन मुद्दे के समाधान में तेजी लाने का आह्वान किया।
छन श्य्वी ने जोर देकर कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का यह दौर दो वर्षों से चल रहा है, जिससे अभूतपूर्व मानवीय आपदा उत्पन्न हुई है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इजरायल अभी भी गाजा शहर पर कब्जा करने, जोर्डन नदी के पश्चिमी तटीय क्षेत्र पर अपने अतिक्रमण को तेज करने तथा कतर में शांति वार्ता की योजना बना रहे फिलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) के सदस्यों पर हवाई हमले करने की अपनी योजना को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये कार्यवाहियां अंतर्राष्ट्रीय कानून के मानदंडों का गंभीर उल्लंघन करती हैं, फिलिस्तीन और पड़ोसी देशों के लोगों के अस्तित्व और विकास के अधिकार का गंभीर उल्लंघन करती हैं, और मध्य पूर्व की स्थिरता को सीधे प्रभावित करती हैं।
चीनी प्रतिनिधि ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान को बहुत महत्व देने और इसमें तेजी लाने, गाजा में व्यापक युद्ध विराम को बढ़ावा देने, ‘दो-राज्य समाधान’ को पुनर्जीवित करने और मध्य पूर्व में शांति तथा स्थिरता बनाए रखने का आह्वान किया।
छन श्य्वी ने पुष्टि की कि चीन फिलिस्तीनी लोगों के न्यायोचित मुद्दे का दृढ़ता से समर्थन करता है और वैश्विक सुरक्षा पहल और वैश्विक शासन पहल को लागू करने तथा फिलिस्तीन मुद्दे के शीघ्र व्यापक, न्यायोचित और स्थायी समाधान को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
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