राष्ट्रीय समाचार
आयकर कानून की पुरानी ‘खिचड़ी’ व्यवस्था के सरलीकरण के लिए सरकार ला रही न्यू इनकम टैक्स बिल

नई दिल्ली, 3 फरवरी। देश में 1961 का इनकम टैक्स कानून अभी भी चल रहा है। आम बजट 2025-26 को संसद के पटल पर रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अब एक नए इनकम टैक्स लॉ की देश को जरूरत है और इसके लिए सदन में एक बिल इसी सत्र में रखा जाएगा। ऐसे में देश में नए इनकम टैक्स कानून के लिए एक समीक्षा कमेटी बनाई गई थी।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान यह ऐलान किया था कि अब 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री होगी। इसके साथ ही नए इनकम टैक्स बिल का भी ऐलान किया। जिसको लेकर घोषणा की गई कि इसी बजट सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा। तब वित्त मंत्री ने सदन में कहा था कि यह नया बिल टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के लिए लिया गया है।
सरकार की तरफ से 1961 के इसी इनकम टैक्स कानून के तहत नई टैक्स रिजीम लागू की गई थी। सरकार ने 2024-25 के बजट में यह कहा था कि देश में इनकम टैक्स को बदलने की जरूरत है।
अब सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से कमेटी की सिफारिश पर नए इनकम टैक्स का बिल पूरी तरह से तैयार कर दिया गया है। ऐसे में जब नया इनकम टैक्स कानून पारित होगा तो यह कानून 1961 के इनकम टैक्स कानून की जगह लेगा।
सरकार के सूत्रों की मानें तो यह नया इनकम टैक्स एक्ट 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से बनाया जा रहा है। इस तकनीक के दौर में टैक्सपेयर को काफी चीजें खुद करना होता है। ऐसे में लोगों के लिए इस इनकम टैक्स में ऐसा बदलाव होगा जो सामान्य मानवीय को अच्छी तरह से समझ में आ सके। यह सिस्टम इतना सरल बनाने की कोशिश है कि लोगों को इसमें कोई परेशानी न हो।
सूत्रों की मानें तो 6 फरवरी को यह बिल संसद के पटल पर रखा जाएगा। इसके साथ ही इस बिल के सरलीकरण को ऐसे समझा जा सकता है कि पुराने आयकर कानून में लगभग 6 लाख के करीब शब्द हैं जो इस नए बिल में 3 लाख के करीब रह जाएंगे और यह करदाताओं को समझने के लिए भी आसान होगा।
सूत्रों की मानें तो नए इनकम टैक्स की भाषा को सरल बनाने पर भी सरकार काम कर रही है। दरअसल अभी जो इनकम टैक्स रूल है उसमें एक कोट में किसी चीज की व्याख्या अलग होती है, दूसरे में अलग। यानी यह कानून पूरी तरह से खिचड़ी की तरह बन गया है। सूत्रों के अनुसार इनकम टैक्स का जो वर्तमान मूल कानून है उसमें हर बार कोई न कोई चीज जोड़ी जाती रही। इस तरह इसमें सैकड़ों बार बदलाव किया गया। ऐसे में अब देश के लिए नए इनकम टैक्स कानून की जरूरत पड़ी।
भारतीय संसद ने आयकर अधिनियम पारित किया था, जो 1 अप्रैल 1962 को लागू हुआ था। तब से इसी कानून में बार-बार संशोधन कर नई चीजें जोड़ी जा रही थीं। जो कई मायनों में बेहद पेचीदा हो गया था। अब इसके सरलीकरण की प्रक्रिया के तहत इस नए कानून को बनाने की जरूरत सरकार को महसूस हुई ताकि लोगों को यह बेहद आसानी से समझ में आए। सूत्रों की मानें तो इसके लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है वह काफी सरल और लोगों के लिए समझने के लिए आसान होगा।
वहीं सूत्रों की मानें तो लोगों को इस बात का भी अंदेशा है कि नए इनकम टैक्स रूल्स के लागू हो जाने के बाद कहीं पुरानी टैक्स रिजीम को तो सरकार समाप्त नहीं कर देगी। लेकिन, सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से ऐसी कोई सोच अभी सामने नहीं आई है। सरकार भी यह मानती है कि 78 प्रतिशत के करीब टैक्सपेयर अभी तक नई टैक्स रिजीम में शिफ्ट कर चुके हैं। फिर भी सूत्र बताते हैं कि सरकार पुरानी टैक्स रिजीम को लेकर कोई ज्यादा छेड़छाड़ करने के मूड में नहीं है।
दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो सरकारी योजनाओं पर सरकार लोगों की निवेश को लेकर निर्भरता भी कम करने का प्रयास कर रही है ताकि लोग अन्य जगहों पर ज्यादा निवेश करें और इससे सामान्य जन को ज्यादा फायदा मिल सके। ऐसे में म्यूचुअल फंड, एसआईपी से लेकर शेयर मार्केट तक के ऑप्शन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसके साथ ही टैक्सपेयर को इतना बड़ा रिलीफ देने के पीछे भी सूत्रों के अनुसार सरकार की मंशा यह है कि बाजार में क्रयदारी बढ़े और इससे बाजार की गति में परिवर्तन हो और इसका भी सीधा लाभ अर्थव्यवस्था की सेहत को होगा।
राजनीति
लखनऊ : लोकबंधु अस्पताल में लगी आग, 200 मरीज विभिन्न अस्पतालों में शिफ्ट

लखनऊ, 14 अप्रैल। उत्तर प्रदेश की राजधानी के लखनऊ में सोमवार को रात्रि लोकबंधु अस्पताल में आग लग गई। आग दूसरे तल पर थी। जब तक मरीज समझ पाते तब वह बढ़ती चली गई। हालांकि घटना में अभी तक कोई हताहत नहीं हुआ है।
घटना की सूचना मिलते ही उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक मौके पर पहुंचे है। उन्होंने बताया कि 200 मरीजों को विभिन्न अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि मरीजों को केजीएमयू, बलरामपुर और सिविल में भर्ती कराया गया है। जो गंभीर मरीज है उन्हें केजीएमयू के आईसीयू में भर्ती करवाया गया है। शेष को सिविल और बलरामपुर में भर्ती किया गया है। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है। सभी को रेस्क्यू कर लिया गया है। आग बुझाने का काम फायर बिग्रेड कर रही है। आग लगने के कारण बिजली को काट दिया गया है।
जनरेटर के माध्यम से आग बुझाने का काम और रोशनी की गई है। अधिकारी भी मौके पर हैं। दो सौ मरीज को शिफ्ट किया गया है। अस्पताल में कोई मरीज नहीं है। सभी मरीजों के परिजनों से बात कर रहे हैं। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि थाना कृष्णा नगर को सूचना मिली कि लोकबंधु अस्पताल में आग लगी है। सूचना मिलते ही फायर बिग्रेड और सिविल पुलिस पर्याप्त मात्रा में पहुंची है। आग पर काबू पा लिया गया है।
अस्पताल में भर्ती लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और उन्हें अस्पतालों में इलाज लिए भेजा गया है। आग के कारण का पता लगाया जा रहा है। अस्पताल कर्मचारियों ने सीएमएस व अन्य अधिकारियों को आग की सूचना दी। इसके बाद फायर ब्रिगेड लो बुलाया गया। हर तरफ चीख पुकार मच गई। डॉक्टर, नर्स, अस्पताल कर्मी व तीमारदार जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे।
लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय शंकर त्रिपाठी का कहना है कि आग सोमवार रात करीब 10 बजे लगी थी। अभी तक की छानबीन में आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। स्थिति नियंत्रण में है। अभी तक कोई हताहत नहीं है।
सूचना निदेशक शिशिर सिंह ने बताया कि लोक बंधु अस्पताल में लगी आग का मुख्यमंत्री योगी ने संज्ञान लिया और फ़ोन पर अधिकारियों से घटना की पूरी जानकारी। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे।
राजनीति
बाबा साहेब के विचारों को साकार कर रहे सीएम योगी, ‘समता-सम्मान’ की राह पर बढ़ा उत्तर प्रदेश

लखनऊ, 14 अप्रैल। योगी सरकार की दलित उत्थान से संबंधित योजनाएं सामाजिक न्याय के आदर्शों को साकार करती दिख रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीते आठ वर्षों में राज्य सरकार ने शिक्षा, स्वरोजगार, सामाजिक सुरक्षा और सम्मान जैसे क्षेत्रों में जो ठोस कदम उठाए हैं, वह दलित समाज को न केवल बराबरी का हक दिला रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी प्रेरक साबित हो रहे हैं।
योगी सरकार ने बाबा साहेब के ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’ के मंत्र को धरातल पर उतारने का संकल्प लेते हुए प्रदेश के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए सौ सर्वोदय विद्यालयों की स्थापना की है, जिसमें अनुसूचित जाति के लिए 60 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। इन विद्यालयों में 2.65 लाख बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है। छात्रों को यूनिफॉर्म, किताबें, स्टेशनरी और टैबलेट जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं, जिससे शिक्षा का स्तर सुधरा है और नामांकन दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
योगी सरकार ने मिर्जापुर के मड़िहान में संचालित जय प्रकाश नारायण सर्वोदय (बालिका) विद्यालय में जेईई और नीट के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की है। साथ ही टीसीएस, खान अकादमी, एम्बाइब आदि संस्थानों से एमओयू कर तकनीकी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की है। इसके अलावा, योगी सरकार अनुसूचित जनजाति के बच्चों को कक्षा 6 से 12 तक गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान किए जाने के उद्देश्य से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय संचालित कर रही है, जिसमें 1,440 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
बीते 8 वर्षों में योगी सरकार ने अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए भी शिक्षा को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई है। इनके लिए अनुसूचित जाति पूर्वदशम के 33,38,180 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति से लाभान्वित किया गया है, वहीं दशमोत्तर के लिए 88,61,997 लाभार्थियों को योगी सरकार ने छात्रवृत्ति योजना के तहत लाभ प्रदान किया है। दलित व अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने छात्रवृत्ति योजनाओं में भारी निवेश किया है। वित्त वर्ष 2025-26 में अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पूर्वदशम एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना हेतु 968 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
योगी सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में पिछड़े वर्गों के विकास को भी प्राथमिकता दी है। पिछड़ा वर्ग पूर्वदशम एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत 2,825 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, पिछड़े वर्ग के निर्धन परिवारों की बेटियों की शादी में आर्थिक सहायता के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। युवाओं के कौशल विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए पिछड़े वर्ग के बेरोजगार युवक-युवतियों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिलाने हेतु 35 करोड़ रुपए की राशि प्रस्तावित की गई है। इससे प्रदेश के हजारों युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
2017 से सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने जनजाति कल्याण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। पीएम-जनमन के अंतर्गत पीवीटीजी को शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, पक्के मकान, सड़कें, पेयजल, दूरसंचार, सोलर लाइट आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। प्रदेश की बुक्सा जनजाति के सभी 815 परिवारों को योजना से लाभ देकर उनकी सामाजिक सुरक्षा और विकास सुनिश्चित किया गया है। साथ ही 42 वनग्राम को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित कर उनका विकास किया गया है।
स्वरोजगार के क्षेत्र में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं वित्त विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से अब तक 1.08 लाख दलित युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा है। साथ ही उनकी उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 955.49 करोड़ रुपए स्वीकृत कर करीब 1.20 लाख दलितों को ऋण सहायता देकर आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया गया है। इनमें अधिकांश लाभार्थियों को 50 प्रतिशत अनुदान के साथ लोन मिला है।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत 1,951 दलित बहुल गांवों में 93,400 विकास कार्य कराए गए हैं। सोलर लाइट, शौचालय, पेयजल, सड़क और सार्वजनिक सुविधाओं के निर्माण से इन गांवों की तस्वीर बदली है। इनमें रहने वाले करीब 19 लाख वंचितों को इसका लाभ मिला।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के आंकड़े यह स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के लिए यह योजना कितनी प्रभावशाली साबित हुई है। अब तक इस योजना का सबसे अधिक लाभ दलित वर्ग ने उठाया है, जिसमें 2.20 लाख से अधिक गरीब परिवारों की बेटियों की शादी कराई गई है। वहीं, पिछड़े वर्ग के 1.30 लाख परिवार और अल्पसंख्यक वर्ग के 40,000 से अधिक परिवार इस योजना के लाभार्थी बने हैं। बाबा साहेब के विचारों को समर्पित ये योजनाएं न केवल दलित समाज का सामाजिक और आर्थिक उत्थान कर रही हैं, बल्कि उन्हें गरिमा और आत्मसम्मान के साथ जीने का आधार भी दे रही हैं।
राजनीति
मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में मदरसों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर रजवी ने उठाए सवाल

बरेली, 14 अप्रैल। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के मदरसों के खिलाफ राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे अभियान पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कृत्य इंसाफ का गला घोंटना है।
शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने सोमवार को अपने जारी एक बयान में कहा कि संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपनी संस्थाएं खोलने, संचालन करने, शिक्षा देने के लिए खुली इजाजत दी है। अब ऐसी सूरत में मध्य प्रदेश के मदरसे पर बुलडोजर चलाना, उत्तराखंड सरकार का मदरसों को बंद करना संविधान के विरुद्ध कदम है। हुकूमत का कोई हक नहीं बनता कि वह मदरसों में बुलडोजर चलाए या उन्हें बंद करें। यह कदम इंसाफ का गला घोंटने वाला है। यह वही मदरसे हैं जिन्होंने 1857 से लेकर 1947 तक की जंगों में आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मौलाना ने उत्तराखंड सरकार से कहा है कि हल्द्वानी स्थित सील किए गए 13 मदरसों को फौरी तौर पर खोला जाए, अगर इन मदरसों में कागजात की कमी या बेहतर अंदाज में शिक्षा नहीं हो रही है, तो उसे दुरुस्त कराया जा सकता है, मगर मदरसों को बंद करने का आदेश देना सरासर इंसाफ का गला घोटना है।
मौलाना ने प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जिन मदरसों को बगैर पंजीकरण के संचालन का आरोपी बनाया गया है, वे पहले से ही सोसाइटी एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत हैं, अब रह गई बात मान्यता की तो मान्यता देने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है, और जिला प्रशासन मदरसों की मान्यता में लापरवाही से काम करता है। करप्शन के चक्कर और मोटी रकम मांगने की वजह से मदरसों के संचालक मजबूत पैरवी नहीं कर पाते हैं।
मौलाना ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार अगर इसी तरह अल्पसंख्यकों की संस्थाओं के खिलाफ कार्य करती रहेगी, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए नारे ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ पर भरोसा कायम करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
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