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सोने के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर।
 
												अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत लगातार सातवें दिन नये रिकॉर्ड स्तर पर रहने के कारण गुरुवार को घरेलू स्तर पर एमसीएक्स में इसके दाम सर्वकालिक उच्चतम स्तर 69,908 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गये।
एमसीएक्स पर जून का सोना वायदा सुबह के कारोबार में 69,868 रुपये प्रति 10 ग्राम पर खुला। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमती धातु के 2,323.70 डॉलर प्रति औंस के उच्च स्तर पर पहुंचने की खबर के बाद यह 69,908 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया।
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, ताजा उछाल बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के भाषण के बाद आया, जिसमें उन्होंने निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिये। कम ब्याज दरें वित्तीय साधनों में निवेश को कम आकर्षक बनाती है जिससे सोना खरीदने की ओर रुझान बढ़ता है।
इजरायल-हमास संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ते तनाव के मद्देनजर इस साल अब तक सोने की कीमतों में करीब 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता के बीच इसे एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जा रहा है।
चीन के नेतृत्व में विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक भी बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
भारतीय बाजार में वैवाहिक सीजन के कारण सोने की मांग बढ़ी है क्योंकि यह दुल्हन और दूल्हे को बड़ी मात्रा में आभूषण के रूप में उपहार में दिया जाता है। हालांकि, सर्राफा कारोबारियों का मानना है कि सोने की बढ़ती कीमतें इस मांग को कम कर रही हैं। उनके अनुसार, यह कीमती धातु के घटते आयात में भी परिलक्षित होता है।
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कमजोर वैश्विक संकेतों से भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद

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मुंबई, 31 अक्टूबर: कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 465.75 अंक या 0.55 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 83,938.71 और निफ्टी 155.75 अंक या 0.60 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,722.10 पर था।
बाजार के ज्यादातर सूचकांक लाल निशान में बंद हुए। सबसे अधिक गिरावट निफ्टी मीडिया (1.32 प्रतिशत), निफ्टी मेटल (1.09 प्रतिशत), निफ्टी सर्विसेज (0.91 प्रतिशत), निफ्टी हेल्थकेयर (0.89 प्रतिशत) और निफ्टी कमोडिटीज (0.84 प्रतिशत) में दर्ज की गई। वहीं, निफ्टी पीएसयू बैंक (1.56 प्रतिशत), निफ्टी इंडिया डिफेंस (1.03 प्रतिशत) और निफ्टी पीएसई (0.11 प्रतिशत) की तेजी के साथ बंद हुआ।
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स का भी प्रदर्शन कमजोर रहा। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 270.35 अंक या 0.45 प्रतिशत की गिरावट के साथ 59,825.90 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 88.90 अंक या 0.48 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 18,380.80 पर था।
सेंसेक्स पैक में बीईएल, एलएंडटी, टीसीएस, आईटीसी और एसबीआई गेनर्स थे। इटरनल (जोमैटो), एनटीपीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फिनसर्व, पावर ग्रिड, ट्रेंट, एचडीएफसी बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज फाइनेंस , सन फार्मा और टाटा स्टील टॉप लूजर्स थे।
बाजार के जानकारों ने कहा कि दिन के दौरान उतार-चढ़ाव के बाद भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ। इसकी वजह डॉलर का मजबूत प्रदर्शन, फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल की ओर से ब्याज दरों पर नकारात्मक टिप्पणी के बाद, एफआईआई की फिर से बिकवाली शुरू करना था।
उन्होंने आगे कहा कि बाजार में निवेशक अभी मुनाफावसूली कर रहे हैं और ऐसे में गिरावट पर खरीदारी की रणनीति सही रहेगी।
भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत हल्की तेजी के साथ हुई थी। सुबह करीब 9 बजकर 25 मिनट पर सेंसेक्स 153.83 अंक या 0.18 प्रतिशत की तेजी के साथ 84,558.29 पर कारोबार कर रहा था। वहीं, निफ्टी 33.95 अंक या 0.13 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,911.80 स्तर पर बना हुआ था
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सेबी ने बैंक निफ्टी में बढ़ाई शेयरों की संख्या, बड़े स्टॉक्स वेटेज को सीमित किया

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नई दिल्ली, 31 अक्टूबर: मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी बैंक जैसे नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स में शेयरों की संख्या को बढ़ा दिया है। साथ ही, बड़े स्टॉक्स के वेटेज को सीमित कर दिया है।
बाजार नियामक ने कहा कि नए नियमों से एक इंडेक्स में कुछ शेयरों के अधिक वेटेज की समस्या समाप्त हो जाएगी और व्यापक और संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।
नए नियमों के तहत अब एक इंडेक्स में 14 शेयर होंगे, जबकि पहले इनकी संख्या 12 थी। एक शेयर का योगदान 20 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है, जो कि पहले 33 प्रतिशत था। इसके अलावा, अब किसी इंडेक्स में तीन बड़े शेयरों का वेटेज या योगदान 45 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है, जो कि पहले 62 प्रतिशत था।
सेबी के नए नियमों का असर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बैंकएक्स और एनएसई के फिननिफ्टी इंडेक्स पर भी हो सकता है और आने वाले समय में इन इंडेक्स में एडजस्टमेंट देखने को मिल सकता है।
नए नियमों के बाद, बैंक निफ्टी में पहला एडजस्टमेंट दिसंबर 2025 को देखने को मिल सकता है। इसके बाद, तीन अतिरिक्त रीबैंलेंसिंग देखने को मिल सकती है।
सेबी के मुताबिक, नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स पर डेरिवेटिव्स के नए नियमों से निवेशकों और फंड का जोखिम कम होगा।
बयान में कहा गया है कि नियमों का अनुपालन दोनों इंडेक्स बैंकेक्स और फिननिफ्टी के लिए एक ही चरण में शेयरों की संख्या में बदलाव या वेटेज के एडजस्टमेंट के माध्यम से लागू किया जा सकता है।
वर्तमान में बैंक निफ्टी में आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, फेडरल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं।
व्यापार
भारत में इस वर्ष अक्टूबर में आईपीओ से रिकॉर्ड 46,000 करोड़ की फंड रेजिंग हुई

मुंबई, 31 अक्टूबर: भारत के प्राइमरी मार्केट के लिए अक्टूबर का महीना काफी शानदार रहा है, जो कि मुख्य आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) का एक व्यस्त महीना रहा। अब तक 14 कंपनियां 46,000 करोड़ रुपए से अधिक जुटाने के लक्ष्य के साथ बाजार में प्रवेश कर चुकी हैं।
घरेलू पूंजी बाजारों में इस महीने मंथली फंडरेजिंग को लेकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित हुआ है, जो कि टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की लिस्टिंग के साथ संभव हो पाया है। टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने मिलकर कुल फंड रेजिंग में आधे से ज्यादा का योगदान दर्ज करवाया।
जहां, टाटा कैपिटल की ओर से 15,512 करोड़ रुपए की राशि जुटाई गई वहीं, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने 11,607 करोड़ रुपए आरंभिक शेयर बिक्री के माध्यम से जुटाए गए।
इस गति को रफ्तार देते हुए लेंसकार्ट सॉल्यूशन ने 31 अक्टूबर को अपना 7,278 करोड़ रुपए का इश्यू जारी किया, जो कि 4 नवंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा। इस महीने वीवर्क इंडिया, केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस, ओर्कला इंडिया और रूबिकॉन रिसर्च के ऑफर भी शामिल थे।
इससे पहले बीते वर्ष 2024 अक्टूबर में छह आईपीओ ने 38,690 करोड़ रुपए जुटा कर एक मंथली हाई रिकॉर्ड दर्ज करवाया था, जिसे इस बार के रिकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन ने पीछे छोड़ दिया। लेटेस्ट आकंड़ों ने पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है, जब नवंबर 2021 के दौरान नौ आईपीओ से 35,665 करोड़ रुपए, और नवंबर 2024 में आठ आईपीओ से 31,145 करोड़ रुपए जुटाए गए थे।
वर्ष 2025 की बात करें तो अब तक 89 आईपीओ ने 1.38 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाई है, जो इसे एक मजबूत वर्ष के रूप में दर्ज करता है। जबकि अभी साल के आखिरी महीने नवंबर और दिसंबर में कई और आईपीओ प्राइमरी मार्केट में आने वाले हैं, जिससे बीते वर्ष 2024 का रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद की जा रही है। वर्ष 2024 में फंड रेजिंग 1.60 लाख करोड़ रुपए के आकंड़े को पार कर गई थी।
विश्लेषकों का कहना है कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारत के प्राइमरी मार्केट की मजबूती और लिक्विडिटी की गहराई को दर्शाती है, जो कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बीच असमान सेकेंडरी मार्केट सेंटीमेंट के बावजूद भी वाइब्रेंट बना हुआ है।
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