राजनीति
गौतम नवलखा को गुलाम नबी फई ने आईएसआई जनरल से मिलवाया था

सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, जिन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया है, उन्होंने 2010 से 2011 के बीच तीन बार अमेरिका का दौरा किया था और वह गुलाम नबी फई के संपर्क में थे।
फई पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का एक सक्रिय सदस्य है, जिसने बदले में कार्यकर्ता को आईएसआई जनरल से मिलवाया था।
नवलखा ने एक अमेरिकी न्यायाधीश से फई पर तरस खाने के लिए पत्र भी लिखा था, क्योंकि उसे 2011 में फेडरल जांच ब्यूरो (एफबीआई) की ओर से गिरफ्तार कर लिया गया था।
पिछले हफ्ते एनआईए ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आठ आरोपियों- गौतम नवलखा, हनी बाबू, आनंद तेलतुम्बड़े, सागर गोरखे, रमेश गाइचोर, ज्योति जगताप, मिलिंद तेलतुम्बड़े और स्टेन स्वामी के खिलाफ मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत में पूरक आरोपपत्र दायर किया। इन आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के साथ ही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एनआईए ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि नवलखा ने 2010 से 2011 के बीच तीन बार अमेरिका का दौरा किया था।
जांच से जुड़े एनआईए के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “नवलखा फोन और ईमेल के जरिए फई से संपर्क कर रहे थे।”
अधिकारी ने कहा कि फई की ओर से पाकिस्तान में उसकी भर्ती के लिए पाकिस्तानी आईएसआई जनरल से नवलखा को मिलवाया गया था।
एनआईए ने अपने आरोपपत्र में दावा किया है कि नवलखा आईएसआई के संपर्क में था और उसे सरकार के खिलाफ बुद्धिजीवियों को एकजुट करने का काम सौंपा गया था।
एनआईए ने कहा कि फई को जुलाई 2011 में आईएसआई और पाकिस्तान सरकार से कई करोड़ की धनराशि स्वीकार करने के लिए एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारी ने कहा, “फई कश्मीरी अमेरिकी परिषद (केएसी) नामक एक संगठन का कार्यकारी निदेशक है।”
एनआईए के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को भुनाने के लिए केएसी वाशिंगटन डीसी आधारित एक आईएसआई मॉड्यूल है।
विदेशी सरकार के एजेंट के रूप में अपने आपको साबित करने में असफल रहने के बाद फई पर मामला दर्ज किया गया था।
एनआईए अधिकारियों के अनुसार, फई का जन्म जम्मू-कश्मीर में हुआ था और बाद में वह अमेरिकी नागरिक बन गया।
फई को साजिश के लिए दो साल की सजा काटनी थी, मगर उसे 16 महीने की सजा के बाद 2013 में रिहा कर दिया गया था।
एनआईए अधिकारी ने कहा, “जब फई अमेरिकी जेल में अपनी सजा काट रहा था, तब नवलखा ने उसके क्षमादान के लिए अमेरिकी अदालत के न्यायाधीश को पत्र लिखकर उसका समर्थन किया था।”
एनआईए ने यह भी आरोप लगाया कि नवलखा ने कश्मीर अलगाववादियों के आंदोलन और सीपीआई (माओवादी) के आंदोलन से जुड़े कई मुद्दों पर विभिन्न मंचों और कार्यक्रमों में भाषण भी दिए हैं।
अधिकारी ने कहा कि नवलखा से जब्त दस्तावेजों की जांच के दौरान, यह स्पष्ट हो गया कि वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (भाकपा-माओवादी) से जुड़े हुए हैं, क्योंकि उनके कब्जे से कई रणनीतिक दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
इस मामले में एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को मामला दर्ज किया था।
बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे के पास भीमा कोरेगांव में एक युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई थी। इसके एक दिन पहले ही पुणे शहर में हुए एल्गार परिषद सम्मेलन के दौरान कथित तौर पर उकसाने वाले भाषण दिए गए थे। पुणे पुलिस ने इस मामले में क्रमश: 15 नवंबर, 2018 और 21 फरवरी, 2019 को एक आरोपपत्र और एक पूरक आरोपपत्र दायर किया था। बाद में केंद्र सरकार ने इस मामले को एनआईए के हवाले कर दिया था।
महाराष्ट्र
मुंबई पुलिस ने गणपति उत्सव के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है: पुलिस आयुक्त देवेन भारती

मुंबई: मुंबई पुलिस ने गणपति उत्सव के संदर्भ में कड़े सुरक्षा इंतजाम करने का दावा किया है। मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती के नेतृत्व में संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही मुंबई पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त, 36 डीसीपी, 51 एसीपी, 2336 अधिकारी, 14430 जवानों सहित अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा पुलिस बलों में दंगा निरोधक दस्ता, आरपीएफ, एसआरपीएफ, त्वरित प्रतिक्रिया बल, डेल्टा कॉम्बैट, होमगार्ड और अन्य बल भी तैनात किए गए हैं। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने गणपति मंडलों पर विशेष व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था की है ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे। इसलिए पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे भीड़ के दौरान धैर्य और संयम दिखाएं, संदिग्ध और संदिग्ध लोगों पर नजर रखें और भीड़ के दौरान पुलिस का सहयोग करें
राजनीति
नया बिल संविधान की रक्षा के लिए, विपक्ष को डरने की जरूरत नहीं : श्रीकांत शिंदे

मुंबई, 25 अगस्त। शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से संसद में पेश किए गए तीन विधेयकों को लेकर अपनी बातें रखीं। उन्होंने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह बिल संविधान की रक्षा के लिए लाया जा रहा है, न कि किसी को जेल में डालने के लिए।
उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि देश में कई बड़े नेता, यहां तक कि मुख्यमंत्री और मंत्री भी जेल गए। लेकिन, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। लोकतंत्र में जब किसी पर आरोप लगता है, तो जांच और विचार-विमर्श जरूरी होता है। इसी सोच के साथ सरकार यह नया बिल ला रही है, जो संविधान की रक्षा के लिए है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बिल किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए है।
उन्होंने विपक्ष के सवाल पर कहा, “अगर विपक्ष के नेताओं ने कुछ गलत नहीं किया, तो उन्हें इस बिल से डरने की क्या जरूरत है? यह बिल लोकतंत्र और संविधान के हित में है। सरकार का मकसद किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।”
दरअसल, पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र में तीन अहम बिल पेश किए थे। उनकी ओर से पेश किए गए बिल में मुख्य रूप से संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, संघ राज्य क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल थे।
लोकसभा में पेश किए गए बिल का मुख्य उद्देश्य यह है कि अगर कोई केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य का मुख्यमंत्री या किसी केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री किसी आपराधिक मामले में आरोपी पाया जाता है, तो उसे तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना होगा। लेकिन, केंद्रीय मंत्री की ओर से पेश किए गए इस बिल का विपक्ष की ओर से विरोध किया जा रहा है।
राष्ट्रीय समाचार
सीएसडीएस एनालिस्ट संजय कुमार को ‘सुप्रीम’ राहत, महाराष्ट्र वोटर डेटा मामले में एफआईआर पर रोक

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 25 अगस्त। ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज’ (सीएसडीएस) के एनालिस्ट संजय कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जुड़े एक मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर स्टे लगा दी है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से संबंधित वोटर डेटा पर कथित रूप से भ्रामक जानकारी प्रकाशित करने को लेकर संजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में संजय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने सीएसडीएस के एनालिस्ट संजय कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने साफ किया है कि अगली सुनवाई तक पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी। मामले की अगली सुनवाई तक सुप्रीम कोर्ट ने संजय कुमार को राहत दी है।
इससे पहले, संजय कुमार ने इस मामले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए माफी भी मांगी थी। उन्होंने पोस्ट में लिखा था, “महाराष्ट्र चुनावों के संबंध में पोस्ट किए गए ट्वीट के लिए मैं तहे दिल से माफी चाहता हूं। 2024 के लोकसभा और 2024 के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों की तुलना करते समय त्रुटि हुई। पंक्ति में दिए गए आंकड़ों को हमारी डेटा टीम ने गलत पढ़ा था। ट्वीट को अब हटा दिया गया है। मेरा किसी भी प्रकार की गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।”
आपको बताते चलें, संजय कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची का जिक्र करते हुए मतदाताओं की संख्या में भारी बदलाव होने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि रामटेक विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में 38.45 फीसदी की कमी आई। वहीं, देवलाली में भी उन्होंने 36.82 फीसदी मतदाताओं की कमी का दावा किया था।
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