खेल
गायकवाड़ ने पिछले दो साल में अपने खेल में काफी बदलाव किया : डेल स्टेन
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज डेल स्टेन का मानना है कि भारतीय क्रिकेटर रुतुराज गायकवाड़ ने पिछले दो साल में अपने क्रिकेट के खेल में काफी बदलाव किया है। गायकवाड़ आईपीएल सीजन 2021 के टॉप स्कोरर थे। जबकि गायकवाड़ की दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चल रही पांच मैचों की टी20 सीरीज में अच्छी शुरूआत नहीं रही, हालांकि, उन्होंने विशाखापत्तनम में तीसरे मैच में अर्धशतक लगाकर टीम में अहम योगदान दिया और ईशान किशन के साथ मिलकर मैच जीतने वाली पारी खेली जिससे मेजबान टीम को सीरीज में बढ़त बनाने में मदद मिली।
सीरीज का चौथा मैच राजकोट में शुक्रवार को खेला जाएगा जिसमें दक्षिण अफ्रीका 2-1 से आगे है।
स्टेन ने ईएसपीएन क्रिकइन्फो के टी20 टाइम आउट शो में कहा कि गायकवाड़ को गति या स्पिन को लेकर कोई दिक्कत नहीं है और वह ऐसे बल्लेबाज हैं जो खेल को अच्छी तरह से पढ़ने की क्षमता रखते हैं।
गायकवाड़ आईपीएल 2021 में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। उस दौरान सीएसके ने आईपीएल ट्रॉफी जीती थी और आईपीएल 2022 में उनके खराब फॉर्म ने चेन्नई फ्रेंचाइजी को इस सीजन में नौवें स्थान पर रखने में बहुत योगदान दिया।
स्टेन ने कहा कि गायकवाड़ की विशाखापत्तनम में 35 गेंदों में 57 रन की पारी से टीम को जीतने में मदद मिली।
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश भारत के बिना नहीं रह सकता है, हमारे ऊपर वह निर्भर है : पूर्व राजनयिक महेश कुमार सचदेव

नई दिल्ली, 22 दिसंबर : बांग्लादेश में जिस तरह के हालात हैं, उसकी वजह से भारत में भी लोगों के अंदर नाराजगी देखी जा रही है। चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद से बांग्लादेश में हिंसा में बढ़ोतरी देखी जा रही है। खासतौर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू युवक को जिस बर्बरता के साथ मौत के घाट उतारा गया और फिर उसके शव को आग के हवाले किया गया, इसकी खूब आलोचना हो रही है।
इस बीच पूर्व डिप्लोमैट महेश कुमार सचदेव ने बांग्लादेश के हालात को लेकर आईएएनएस के साथ खास बातचीत की है।
भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव को लेकर पूर्व राजनयिक महेश कुमार सचदेव ने कहा, “12 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले कुछ समय के लिए तनाव हो सकता है। लेकिन लंबे समय में, अच्छे पड़ोस और ठोस आर्थिक तालमेल का लॉजिक दोनों देशों के रिश्तों को बनाए रखेगा।”
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश और भारत के बीच रिश्ता ऐतिहासिक है। दोनों ही दक्षिणी एशिया के इलाके का हिस्सा हैं, और दोनों देशों के लोगों के बीच गहरी दोस्ती है। लेकिन अभी कुछ चुनौतियां हैं। मैं इसे इसी नजरिए से देखता हूं, और मेरे हिसाब से, ये चुनौतियां कुछ समय के लिए हैं, और ये राजनीतिक वजहों से हैं। उम्मीद है कि ये जल्द ही हल हो जाएंगी।”
दोनों देशों के बीच इस तनाव के असर को लेकर महेश कुमार सचदेव ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि लंबे समय में कोई बड़ी समस्या होगी। लेकिन शॉर्ट टर्म में साफ है कि यह तनाव है। इसे इनकार नहीं किया जा सकता। शेख हसीना पहले भारत को समर्थन करती थीं और वह लंबे समय तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही हैं। उनके निर्वासन को लेकर ये हुआ है, क्योंकि वह भारत में हैं। और उनके विरोधी इस समय सत्ता में हैं, या सत्ता के करीब हैं। क्योंकि बांग्लादेश में 12 फरवरी को चुनाव होने हैं। इसलिए, राजनीतिक कारणों से भारत विरोध की लहर चल रही है, जो कि काफी निंदनीय है। ऐसे लोग गैर-जिम्मेदाराना तरीके से बर्ताव कर रहे हैं। वे अपने ही देश में हालात को और मुश्किल बना रहे हैं। चाहे वह समाज हो या उनका धर्मनिरपेक्षता की नीति का विरोध हो।”
कुमार सचदेव ने कहा, “वो दिखाना चाहते हैं कि जो भारत है, बांग्लादेश उसका उल्टा है। यह बड़ा ही सहज तरीका है, क्योंकि उनके पास उपलब्धियों के नाम पर बहुत कम चीजें हैं। उनके पास नकारात्मक उपलब्धियां हैं और जनअसंतोष को विपरीत करने के लिए उसकी दिशा बदलने के लिए भारत जैसे बड़े पड़ोसी के ऊपर दोषारोपण करना चाहते हैं। यह एक अल्पकालिक तरीका है। बांग्लादेश भारत के बिना नहीं रह सकता है, क्योंकि उसकी भारत पर काफी निर्भरता है।”
बांग्लादेश से जुड़े खतरे की चिंता को लेकर उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में इस्लामिक चरमपंथियों की जो परिस्थितियां बन रही हैं, उससे भारत को अपने पड़ोसी और पड़ोस के राज्यों में दूर तक भी एक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ये समस्याएं नई नहीं हैं। भारत ने पिछले 40 सालों में कई बार भारत के बाहर से आतंकवाद का सामना किया है। बांग्लादेश से पहले भी सामना किया जा चुका है और यह फिर से परिस्थितियां इस तरह से जटिल हो जाती हैं, और बांग्लादेश एक पनाह की जगह बन जाती है, जो भारत पर हजारों टुकड़ों में प्रतिघात करना चाहता है। भारत को इससे सावधान रहने की जरूरत है।”
राजनीति
योगी सरकार ने विधानसभा में प्रस्तुत किया 24,496.98 करोड़ का अनुपूरक बजट

लखनऊ, 22 दिसंबर : योगी सरकार ने सोमवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 24,496.98 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट पेश करते हुए कहा कि यह अनुपूरक बजट प्रदेश में विकास की निरंतरता बनाए रखने, आवश्यक क्षेत्रों में अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने और बदलती जरूरतों के अनुरूप योजनाओं को गति देने के उद्देश्य से लाया गया है।
वित्त मंत्री ने बताया कि वर्ष 2025-26 के लिए प्रदेश का मूल बजट 8,08,736.06 करोड़ रुपए का था, जबकि प्रस्तुत अनुपूरक बजट मूल बजट के अनुपात में 3.03 प्रतिशत है। अनुपूरक बजट को मिलाकर वित्तीय वर्ष 2025-26 का कुल बजट अब 8,33,233.04 करोड़ का हो गया है। यह बजट विकासात्मक प्राथमिकताओं को और अधिक सुदृढ़ करने पर केंद्रित है।
प्रस्तुत अनुपूरक बजट में राजस्व व्यय के रूप में 18,369.30 करोड़ रुपए और पूंजीगत व्यय के रूप में 6,127.68 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सरकार का उद्देश्य राजस्व आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ पूंजीगत निवेश को बढ़ाकर आधारभूत ढांचे को मजबूत करना है।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अनुपूरक बजट में प्रदेश की आर्थिक प्रगति और जनकल्याण से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। इसके अंतर्गत औद्योगिक विकास के लिए 4,874 करोड़ रुपए, पावर सेक्टर के लिए 4,521 करोड़ रुपए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 3,500 करोड़ रुपए, नगर विकास के लिए 1,758.56 करोड़ रुपए और तकनीकी शिक्षा के लिए 639.96 करोड़ रुपए की धनराशि प्रस्तावित की गई है।
अनुपूरक बजट में सामाजिक और भविष्य उन्मुख क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत, महिला एवं बाल विकास के लिए 535 करोड़ रुपए, यूपीनेडा (सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा) के लिए 500 करोड़ रुपए, मेडिकल एजुकेशन के लिए 423.80 करोड़ रुपए, गन्ना एवं चीनी मिल क्षेत्र के लिए 400 करोड़ रुपए की बजटीय व्यवस्था की गई है।
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि योगी सरकार ने एफआरबीएम अधिनियम की सीमा का हमेशा पालन किया है और किसी भी स्तर पर वित्तीय अनुशासन से समझौता नहीं किया गया। भारत सरकार के पत्रक के अनुसार उत्तर प्रदेश की जीडीपी 31.14 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है, जो पहले के अनुमानों से अधिक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश आज रेवेन्यू सरप्लस स्टेट के रूप में उभर रहा है, जो राज्य की मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि जब किसी वित्तीय वर्ष में स्वीकृत धनराशि व्यय की वास्तविक आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त हो जाती है, तब अनुपूरक अनुदान की मांग विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। कई बार नई मदों पर व्यय की आवश्यकता होती है या योजनाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन के कारण विधानमंडल की स्वीकृति अनिवार्य हो जाती है।
राजनीति
महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों ने शिंदे पर सवाल उठाने वाले का मुंह बंद किया : मनीषा कायंदे

मुंबई, 22 दिसंबर : शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में महायुति को मिली जीत का श्रेय राज्य के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को दिया। उन्होंने कहा कि पहली बार इस स्थानीय चुनाव में शिवसेना उतरी और शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी कुशलता का परिचय दिया।
मनीषा कायंदे ने सोमवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव में जीत का श्रेय जमीनी स्तर पर काम करने वाले सभी शिवसैनिकों को भी जाता है। इस दिशा में हमारी पार्टी ने शानदार काम किया है। इसके लिए शिवसेना की तारीफ की जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में शिवसेना को मिली जीत ने यह साबित कर दिया है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और कुशलता में किसी भी प्रकार का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। पिछले कुछ दिनों से एकनाथ शिंदे की कार्यशैली पर लोग सवाल उठा रहे थे। लेकिन, महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में जिस तरह की जीत शिवसेना ने हासिल की है, वो सराहनीय है। इस जीत ने एकनाथ शिंदे पर सवाल उठाने वालों का मुंह बंद कर दिया।
उन्होंने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में विपक्षी दलों के प्रदर्शन पर कहा कि आज की तारीख में विपक्ष की प्रासंगिकता पूरी तरह खत्म हो चुकी है। इन लोगों ने जमीनी स्तर पर उतरकर चुनाव प्रचार नहीं किया, प्रचार में इन लोगों के साथ कोई भी खड़ा नहीं दिखा। प्रदेश की जनता इन लोगों से क्या ही उम्मीद करेगी। विपक्षी दलों की दुर्गति का आलम यह है कि इनका पूरा नैरेटिव खत्म हो चुका है। पहले इन लोगों ने ईवीएम का जिक्र किया, फिर वोट चोरी का जिक्र किया। विपक्ष ने अपनी तरफ से जनता को गुमराह करने के कई प्रयास किए। इनको यह समझना होगा कि घर में बैठे-बैठे चुनाव नहीं लड़े जाते हैं। अगर आपको चुनाव लड़ना है, तो इसके लिए जमीन पर उतरना होगा।
शिवसेना नेता ने बताया कि महाविकास अघाड़ी स्वार्थ के दम पर बनाया गया गठबंधन था। ये लोग एक-दूसरे के साथ स्वार्थ की वजह के चलते जुड़े थे। इन्हें प्रदेश की जनता से कोई सरोकार नहीं था। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ही स्थिति देख लीजिए। जब संसद का सत्र शुरू होता है, तो राहुल गांधी विदेश में जाकर बैठ जाते हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं।
उन्होंने राज ठाकरे की राजनीतिक कुशलता को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज ठाकरे लगातार राजनीति के नाम पर पारिवारिक मुलाकात कर रहे हैं, जिससे किसी भी प्रकार का कोई फायदा नहीं हुआ। इन्हें लगता है कि इस तरह की मुलाकात से किसी भी प्रकार का फायदा होगा, तो यह इनकी गलतफहमी है।
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