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Friday,01-August-2025
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फोर्ड इंडिया ने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की योजना रद्द की, कर्मचारी हैरान

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फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अपने दो प्लांट में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की योजना को खत्म कर रही है। यह अपने कर्मचारियों के साथ मुआवजे की बातचीत फिर से शुरू करेगा। फोर्ड इंडिया यूनियन के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, प्रबंधन ने श्रमिकों से कहा है कि उसकी भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की कोई योजना नहीं है। प्रबंधन ने प्लांट के बंद होने पर श्रमिकों को मुआवजे के भुगतान के लिए उनसे बातचीत करने का आह्वान किया है।

उन्होंने कहा कि मुआवजे की बातचीत रोक दी गई थी क्योंकि कंपनी गुजरात के साणंद और चेन्नई में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की योजना बना रही थी। फोर्ड ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत अपना आवेदन केंद्र सरकार को भेजा था।

उनके मुताबिक जून के बाद चेन्नई का प्लांट बंद होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि प्लांट में निर्यात के लिए ईकोस्पोर्ट का निर्माण हो रहा है।

इससे पहले सितंबर 2021 में फोर्ड इंडिया ने 2021 की चौथी तिमाही तक गुजरात के साणंद में वाहन असेंबली और 2022 की दूसरी तिमाही तक चेन्नई में वाहन और इंजन निर्माण को बंद करने का फैसला किया था।

अधिकारियों ने पिछले साल कहा था कि फोर्ड के भारत छोड़ने के फैसले से लगभग 5,300 श्रमिकों और कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक जाएगा। चेन्नई प्लांट में लगभग 2,700 श्रमिक और लगभग 600 कर्मचारी हैं।

साणंद मजदूर संघ के महासचिव नयन कटेशिया ने पहले आईएएनएस को बताया था, साणंद में श्रमिकों की संख्या करीब 2,000 होगी।

फोर्ड इंडिया ने कहा था कि साणंद इंजन प्लांट में 500 से अधिक कर्मचारी हैं, जो निर्यात के लिए इंजन का उत्पादन कर रहे हैं, और लगभग 100 कर्मचारी पुजरें के वितरण और ग्राहक सेवा का काम कर रहे हैं।

फोर्ड इंडिया के मुताबिक, इसके फैसले से करीब 4,000 कर्मचारियों के प्रभावित होने की आशंका है।

फोर्ड इंडिया के कर्मचारी चाहते हैं कि इन कार प्लांट के जो खरीददार होंगे वो उन्हें काम पर रखे।

अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को टाला, जानें नई तारीख

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वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 1 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है। अब यह टैरिफ 1 अगस्त की बजाय 7 अगस्त से प्रभावी होगा।

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 92 देशों पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ये 7 अगस्त से लागू होंगे। इसमें भारत पर 25 फीसदी और पाकिस्तान पर 19 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। साउथ एशिया में सबसे कम टैरिफ पाकिस्तान पर लगाया गया है; पहले ये 29 फीसदी था।

वहीं दुनियाभर में सबसे ज्यादा टैरिफ सीरिया पर लगाया गया है, जो 41 प्रतिशत है। लिस्ट में चीन का नाम शामिल नहीं है।

ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, लेकिन 7 दिन बाद ही इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया था। कुछ दिनों बाद 31 जुलाई तक का समय दिया था। फिर 90 दिनों में 90 सौदे कराने का टारगेट रखा गया था। हालांकि इस बीच अमेरिका का महज 7 देशों से समझौता हो पाया।

डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को नए टैरिफ की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में लिखा, “भारत हमेशा से रूस से अधिकांश सैन्य आपूर्ति खरीदता आया है और अब चीन के साथ मिलकर रूस से ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। ऐसे समय में जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध के समाप्त होने की उम्मीद कर रही है, भारत का यह रुख उचित नहीं है। ये चीजें अच्छी नहीं हैं।”

ट्रंप ने आगे कहा कि इसलिए भारत को 25 प्रतिशत टैरिफ देना होगा और इन कारणों को लेकर उसे एक अतिरिक्त जुर्माना भी भुगतना होगा। वहीं, ट्रंप के इस ऐलान पर भारत ने कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए इस टैरिफ पर विपक्ष ने सवाल उठाया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत पर 25 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के बाद सरकार की पॉलिसी पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा को देश चलाना नहीं आता है। इस सरकार ने देश की पूरी इकॉनमी को खत्म कर दिया है।

पहले यह टैरिफ 1 अगस्त, शुक्रवार से लागू होने थे, लेकिन ट्रंप ने इस निर्णय को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। ‘पारस्परिक टैरिफ दरों में और संशोधन’ नामक एक कार्यकारी आदेश में राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया भर के लगभग 70 देशों के लिए टैरिफ दरों की घोषणा की थी। भारत इनमें से एक प्रमुख देश है।

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अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने को लेकर भारत में काफी उत्साह : अरविंद पनगढ़िया

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नई दिल्ली, 26 जुलाई। 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर भारत में काफी उत्सुकता और उत्साह है, जिससे भारतीय उद्योगों को एक बड़े निर्यात बाजार तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।

सीएसआईएस चेयर ऑन इंडिया एंड इमर्जिंग एशिया इकोनॉमिक्स द्वारा न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में पनगढ़िया ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता देश के वैश्विक निवेश परिदृश्य के लिए एक बड़ी सफलता ला सकता है।

उन्होंने इस सप्ताह आयोजित कार्यक्रम में ‘राइजिंग इंडिया’ के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा, “व्यापक हित में, विशेष रूप से वर्तमान व्यापार शुल्क के संदर्भ में अर्थव्यवस्था को अधिक मुक्त बनाने की आवश्यकता है और जब आप व्यापार समझौते करते हैं तो आपको अपने निर्यात के लिए बड़े बाजारों तक भी पहुंच मिलती है।”

संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाने के वर्तमान संदर्भ ने दुनिया में एक अलग व्यापार गतिशीलता पैदा कर दी है।

उन्होंने कहा, “मुझे जो संकेत मिल रहे हैं, उनसे लगता है कि अमेरिकी व्यापार समझौते को लेकर काफी उत्सुकता है। मुझे इस समझौते के साथ-साथ यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ भविष्य में होने वाले समझौते को लेकर भी काफी उत्साह दिखाई दे रहा है।”

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के सफल समापन के बाद, अब सभी की निगाहें यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ होने वाले व्यापार समझौते पर टिकी हैं।

भारत और यूरोपीय संघ जून 2022 से एफटीए पर बातचीत कर रहे हैं और 12 दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है, जिसमें आखिरी दौर जुलाई 2025 में होगा। भारत और यूरोपीय संघ 2025 के अंत तक एक मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अमेरिका भारत के साथ एक व्यापार समझौते के करीब है । वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय वार्ता दल ने इसी महीने वाशिंगटन का दौरा किया था।

पनगढ़िया ने कहा, “मैं अपने वर्तमान पद पर रहते हुए सरकार का हिस्सा नहीं हूं, लेकिन अमेरिका और अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने में हमारी गहरी रुचि है।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

ब्रिटेन दौरे पर पीएम मोदी: ऐतिहासिक संबंधों से लेकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट तक, 1993 की नींव पर 2025 की साझेदारी

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर हैं। दो दिवसीय यह यात्रा भारत-ब्रिटेन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। खासकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के जरिए द्विपक्षीय व्यापार को एक नई ऊंचाई देने की कोशिश है। यह पीएम मोदी की चौथी ब्रिटेन यात्रा है, जबकि कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला दौरा है।

लंदन पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत किया गया, जहां खासतौर पर भारतीय नागरिक उनके बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लंदन का माहौल इस दौरान पूरी तरह ‘मोदीमय’ हो गया था, जहां भारतीय मूल के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। खैर, इस यात्रा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन से उनके जुड़ाव की कुछ पुरानी तस्वीरें भी चर्चा में हैं। ‘मोदी आर्काइव’ ने 1993 के बाद की यात्राओं का ब्योरा साझा किया है, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के तौर पर गए थे।

1993 में उनका पहला ब्रिटेन दौरा हुआ था, जब वे भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय राजनीति में एक उभरती हुई हस्ती थे। अपनी पहली अमेरिकी यात्रा से लौटते वक्त उनका अचानक ब्रिटेन जाना हुआ, जहां वह कुछ समय रुके। न कोई तय कार्यक्रम था, न कोई भव्य मंच। यह बस अमेरिका से लौटते समय एक सहज, अनौपचारिक पड़ाव था।

अपने पहले ब्रिटेन के पड़ाव में उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय से जुड़ने का अवसर नहीं छोड़ा। उन्होंने ‘सनराइज रेडियो’ और एक गुजराती अखबार जैसी सामुदायिक संस्थाओं का दौरा किया। उन्होंने क्रॉयडन और हेस्टिंग्स में कई परिवारों से मुलाकात की। यह अनौपचारिक बातचीत थी। लंदन अंडरग्राउंड में उन्होंने ब्रिटेन में रहने वाले आम भारतीयों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। अहम यह है कि वह जो बीज उस समय बोए गए, उन्होंने आने वाले दशकों तक भारत की प्रवासी कूटनीति को मजबूती दी।

भाजपा जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही थी तो गुजरात में नरेंद्र मोदी इस जिम्मेदारी को निभा रहे थे। उस समय 1985 और 1995 के बीच पार्टी का जमीनी नेटवर्क एक से बढ़कर 16 हजार से ज्यादा ग्राम इकाइयों तक पहुंचा था। इसका फायदा 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला। उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। गुजरात में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 26 में से 20 लोकसभा सीटें जीतीं।

इस शानदार जीत के बाद 1999 में दूसरी बार ब्रिटेन दौरे पर गए थे। उनकी 5 दिवसीय ब्रिटेन यात्रा का केंद्र बिंदु नीसडेन के स्वामीनारायण स्कूल में आयोजित ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके) का ऐतिहासिक कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी, “भाजपा राष्ट्रवाद और देशभक्ति का प्रतीक है।”

उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और एनडीए के नीतिगत दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। नरेंद्र मोदी ने भाजपा को सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि परंपरा, धर्म, संस्कृति और आधुनिकता से जुड़ा हुआ एक आंदोलन बताया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है।

इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी का लोहाना महाजन समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया था, जहां उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारतीय सभ्यता के ‘सच्चे राजदूत’ कहा।

सितंबर 2000 में भी नरेंद्र मोदी लंदन में एक छोटी यात्रा पर गए। कैरेबियन में विश्व हिंदू सम्मेलन और अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र शांति सम्मेलन की यात्रा पर जाते समय वो लंदन में ठहरे। ब्रिटेन की इस संक्षिप्त यात्रा में भी नरेंद्र मोदी ने एक अमिट छाप छोड़ी।

उन्होंने ब्रिटिश उप-प्रधानमंत्री जॉन प्रेस्कॉट से मुलाकात के दौरान एशिया में राजनीतिक स्थिरता और भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति के बारे में चर्चा की। इस चर्चा में सबसे महत्वपूर्ण विषय ‘वैश्विक आतंकवाद’ था। वहां एक बयान में नरेंद्र मोदी ने कहा, “आतंकवाद मानवता के विरुद्ध एक बुराई है, चाहे वह भारत में हो, मध्य पूर्व में हो या उत्तरी आयरलैंड में।”

यह उल्लेखनीय है कि 9/11 के आतंकी हमलों से लगभग एक साल पहले ही नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आतंकवाद को मानवता के लिए एक साझा खतरा बताया था, जब अधिकतर वैश्विक नेतृत्व इस चुनौती की गंभीरता को समझने में पीछे था।

यही नहीं, नरेंद्र मोदी उन लोगों को नहीं भूलते जो भारत के साथ खड़े होते हैं, 2003 में इसका उदाहरण देखने को मिला।

अगस्त 2003 में भूकंप ने भुज ही नहीं पूरे गुजरात को हिला दिया। उस समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। भुज भूकंप के बाद वे धन्यवाद देने के लिए ब्रिटेन दौरे पर गए। खचाखच भरे वेम्बली कॉन्फ्रेंस सेंटर में उनकी आवाज गूंज रही थी। नरेंद्र मोदी ने कहा था, “आप सभी गुजरात के सच्चे मित्र हैं और मैं दोस्ती का ऋण चुकाने आया हूं।”

उन्होंने हजारों प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया, जिन्होंने 2001 के भूकंप के दौरान गुजरात के लिए सहायता, समर्थन और संसाधन जुटाए थे। उन्होंने प्रवासी भारतीयों की न सिर्फ उनकी उदारता के लिए, बल्कि भारत के साथ उनके भावनात्मक जुड़ाव के लिए भी प्रशंसा की और उन्हें “गुजरात के सच्चे दोस्त” कहा।

इस यात्रा में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात हुई, जो उस समय लंदन में थे।

कुछ इसी तरह पीएम मोदी का ब्रिटेन के प्रति जुड़ाव 2011 में गुजरात की स्वर्ण जयंती पर देखने को मिला। हालांकि, वह स्वयं ब्रिटेन नहीं गए थे, बल्कि गांधीनगर से ही डिजिटल माध्यम (‘जूम’) के जरिए लंदन के मेफेयर में मौजूद श्रोताओं को संबोधित किया था। उत्साही श्रोताओं से मोदी ने कहा, “गुजरात और विकास एक-दूसरे के पर्याय हैं। गुजरात इतिहास रच रहा है।”

फ्रेंड्स ऑफ गुजरात, गुजरात समाचार और ‘एशियन वॉयस’ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में ब्रिटिश सांसद, लॉर्ड्स और समुदाय के नेताओं समेत 90 विशिष्ट अतिथि शामिल थे। इनमें लॉर्ड गुलाम नून भी शामिल थे, जिन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ सीधे तौर पर जीवंत संवाद किया।

उस समय नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि महात्मा मंदिर 18 हजार गांवों की मिट्टी से बनेगा और ब्रिटेन में रहने वाले गौरवशाली गुजराती भी इसमें योगदान देंगे।

यह संदेश स्पष्ट था कि नरेंद्र मोदी के लिए प्रवासी भारतीय सिर्फ दर्शक नहीं हैं, बल्कि वे भारत-निर्माण के सक्रिय भागीदार हैं।

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