सामान्य
किसानों का आंदोलन 30वें दिन जारी, एमएसपी की गारंटी बड़ा मसला
Farmer
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के आंदोलन को शुक्रवार को एक महीना पूरा हो गया। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी के साथ-साथ उनकी अन्य मांगें नहीं मानेगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। पंजाब और हरियाणा देश के दो ऐसे राज्य हैं जहां सरकारी एजेंसियां किसानों से एमएसपी पर धान और गेहूं की पूरी खरीददारी करती हैं। फिर भी हरियाणा के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी कहते हैं कि सरकार को एमएसपी की गांरटी देने के लिए कानून बनाना चाहिए।
चढ़ूनी ने कहा कि उनके आंदोलन का शुक्रवार को 30वां दिन है और सरकार जब तक उनकी तमाम मांगों का कोई ठोस समाधान नहीं करेगी तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि एमएसपी पूरे देश के किसानों का मसला है और इस पर कानून बनना चाहिए क्योंकि किसी फसल की पैदावार होने पर किसानों को औने-पौने भाव पर अपनी फसल बेचने को मजबूत होना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इसलिए तीनों कानूनों की वापसी से भी बड़ा मसला एमएसपी का है जिस पर सरकार को विचार करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी कहते हैं कि एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी किसानों की बड़ी मांग है और सरकार को इस पर कानून बनाना चाहिए।
बता दें कि सरकार ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को एमएसपी पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था आगे भी जारी रखने का लिखित आश्वासन देने की बात कही है। मगर, भाकियू नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि इस पर नया कानून बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि पराली दहन समेत कुछ अन्य मसले भी हैं जिनका वह समाधान चाहते हैं।
उधर, कुछ ऐसे भी किसान संगठन हैं कि जो नये कानूनों के समर्थन में रोज केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री से मिलते हैं। इनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश के किसान संगठन हैं। इस संबंध में पूछे गए सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा, उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन के सिवा कोई किसान संगठन नहीं है। अगर कोई किसान संगठन है तो मैं उनसे मिलना चाहूंगा और यह पूछना चाहूंगा कि किस तरह ये कानून किसानों के हित में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पीएम-किसान सम्मान निधि योजना के नौ करोड़ लाभार्थियों के बैंक खाते में योजना की सातवीं किश्त के तौर पर करीब 18,000 करोड़ रुपये भेज रहे हैं।
मालूम हो कि गुरुवार को केंद्र सरकार ने फिर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को अगले दौर की वार्ता के लिए पत्र भेजकर उनसे वार्ता की तारीख व समय बताने का आग्रह किया। पत्र में कहा गया है कि आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाए गए सभी मौखिक और लिखित मुद्दों पर सरकार सकारात्मक रुख अपनाते हुए वार्ता करने के लिए तैयार है।
संसद के मानसून सत्र में कृषि से जुड़े तीनों अध्यादेशों से संबंधित तीन अहम विधेयकों संसद में पेश किए गए और दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद इन्हें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के रूप सितंबर में लागू किए गए। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में किसान इन तीनों कानूनों को निरस्त करवाने की मांग को लेकर 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।
सामान्य
आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में रुझानों का पता लगाने के लिए AIIA का राष्ट्रीय संगोष्ठी

नई दिल्ली, 12 जुलाई। आयुष मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली, आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में रुझानों का पता लगाने के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करेगा।
शल्यकॉन 2025, जो 13-15 जुलाई तक आयोजित होगा, सुश्रुत जयंती के शुभ अवसर पर मनाया जाएगा। 15 जुलाई को प्रतिवर्ष मनाई जाने वाली सुश्रुत जयंती, शल्य चिकित्सा के जनक माने जाने वाले महान आचार्य सुश्रुत की स्मृति में मनाई जाती है।
“अपनी स्थापना के बाद से, AIIA दुनिया भर में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए समर्पित रहा है। शल्य तंत्र विभाग द्वारा आयोजित शल्यकॉन, आधुनिक शल्य चिकित्सा प्रगति के साथ आयुर्वेदिक सिद्धांतों के एकीकरण को बढ़ावा देकर इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस पहल का उद्देश्य उभरते आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सकों को एकीकृत शल्य चिकित्सा देखभाल के अभ्यास में बेहतर दक्षता और आत्मविश्वास प्रदान करना है,” AIIA की निदेशक (प्रभारी) प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाला ने कहा।
नवाचार, एकीकरण और प्रेरणा पर केंद्रित विषय के साथ, शल्यकॉन 2025 का आयोजन राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के सहयोग से राष्ट्रीय सुश्रुत संघ के 25वें वार्षिक सम्मेलन के सतत शैक्षणिक कार्यक्रम के एक भाग के रूप में किया जाएगा।
इस सेमिनार में सामान्य एंडोस्कोपिक सर्जरी, गुदा-मलाशय सर्जरी और यूरोसर्जिकल मामलों पर लाइव सर्जिकल प्रदर्शन होंगे।
मंत्रालय ने कहा, “पहले दिन, 10 सामान्य एंडोस्कोपिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाएँगी। दूसरे दिन 16 गुदा-मलाशय सर्जरी की लाइव सर्जिकल प्रक्रियाएँ होंगी, जो प्रतिभागियों को वास्तविक समय की सर्जिकल प्रक्रियाओं को देखने और उनसे सीखने का अवसर प्रदान करेंगी।”
शल्यकॉन 2025 परंपरा और प्रौद्योगिकी का एक गतिशील संगम होगा, जिसमें भारत और विदेश के 500 से अधिक प्रतिष्ठित विद्वान, शल्य चिकित्सक, शोधकर्ता और शिक्षाविद भाग लेंगे। यह कार्यक्रम विचारों के आदान-प्रदान, नैदानिक प्रगति को प्रदर्शित करने और आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में उभरते रुझानों का पता लगाने में सहायक होगा।
तीन दिनों के दौरान एक विशेष पूर्ण सत्र भी आयोजित किया जाएगा जिसमें सामान्य और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, घाव प्रबंधन और पैरा-सर्जिकल तकनीक, गुदा-मलाशय सर्जरी, अस्थि-संधि मर्म चिकित्सा और सर्जरी में नवाचार जैसे क्षेत्रों पर चर्चा की जाएगी।
अंतिम दिन 200 से अधिक मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियाँ भी होंगी, जो चल रहे विद्वानों के संवाद और अकादमिक संवर्धन में योगदान देंगी।
मंत्रालय ने कहा कि नैदानिक प्रदर्शनों के अलावा, एक वैज्ञानिक सत्र विद्वानों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को अपना काम प्रस्तुत करने और अकादमिक संवाद में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
न्याय
‘आपकी बेटी आपके साथ में है’: विनेश फोगाट शंभू बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।

भारतीय पहलवान विनेश फोगट शंभू सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं, क्योंकि उन्होंने अपना रिकॉर्ड 200वां दिन मनाया और बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया।
पेरिस 2024 ओलंपिक में पदक न मिलने के विवादास्पद फैसले के बाद संन्यास लेने वाली फोगट ने किसानों के आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया।
“मैं भाग्यशाली हूं कि मेरा जन्म एक किसान परिवार में हुआ। मैं आपको बताना चाहती हूं कि आपकी बेटी आपके साथ है। हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा क्योंकि कोई और हमारे लिए नहीं आएगा।
मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आपकी मांगें पूरी हों और अपना अधिकार लिए बिना वापस न जाएं। किसान अपने अधिकारों के लिए 200 दिनों से यहां बैठे हैं।
मैं सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने की अपील करती हूं। यह बहुत दुखद है कि 200 दिनों से उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्हें देखकर हमें बहुत ताकत मिली।”
राजनीति
पीएम मोदी: ’25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं’; बजट 2024 पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सराहना की।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लगातार सातवें बजट को पेश करने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट 2024 से नव-मध्यम वर्ग, गरीब, गांव और किसानों को और अधिक ताकत मिलेगी।
देश के नाम अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि बजट युवाओं को असीमित अवसर प्रदान करेगा।
पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, इस बजट से नए मध्यम वर्ग को सशक्त बनाया जाएगा।
उन्होंने घोषणा की, ‘यह बजट युवाओं को असीमित अवसर प्रदान करेगा।’ यह बजट शिक्षा और कौशल के लिए एक नया मानक स्थापित करेगा और उभरते मध्यम वर्ग को सशक्त करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि इस बजट से महिलाओं, छोटे उद्यमों और एमएसएमई को फायदा होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग अभी अपना करियर शुरू कर रहे हैं, उन्हें ‘रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन योजना’ के माध्यम से सरकार से अपना पहला वेतन मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने इस बजट में जिस ‘रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन योजना’ की घोषणा की है, उससे रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे।’
प्रधानमंत्री ने घोषणा की, ‘सरकार इस योजना के तहत उन लोगों को पहला वेतन देगी, जो अभी कार्यबल में शामिल होने की शुरुआत कर रहे हैं। प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों के युवा देश के प्रमुख व्यवसायों के लिए काम करने में सक्षम होंगे।’
मोदी 3.0 का पहला बजट
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट है।
लोकसभा में बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने मोदी सरकार में अपना भरोसा फिर से जताया है और इसे तीसरे कार्यकाल के लिए चुना है।
सीतारमण ने आगे कहा, “ऐसे समय में जब नीतिगत अनिश्चितता वैश्विक अर्थव्यवस्था को जकड़े हुए है, भारत की आर्थिक वृद्धि अभी भी प्रभावशाली है।”
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