राजनीति
1965 में पीएम शास्त्री के वजन 64.6 किलो के बराबर दान किया सोना सरकार के हवाले
सन् 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के मद्देनजर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलकर उनके वजन के बराबर 64.6 किलोग्राम सोना तत्कालीन जिला कलेक्टर को दिया गया गया था। अदालत के आदेश के बाद उदयपुर जिला प्रशासन द्वारा आखिरकार सीजीएसटी को सौंप दिया गया है। इस सोने की कीमत करीब 32 करोड़ रुपये है।
सोने के स्वामित्व को लेकर विवाद 1965 के अंत का है, जब यह कीमती धातु चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर को शास्त्री तौलने के लिए दी गई थी। तब से लेकर अब तक इस मामले की अलग-अलग अदालतों में पांच बार सुनवाई हो चुकी है और हर बार फैसला सरकार के पक्ष में गया।
दरअसल, विवाद इस बार भी खत्म नहीं हुआ, क्योंकि रिकॉर्ड में जिला प्रशासन के पास रखे 56.8 किलो सोने की एंट्री दिख रही थी। हालांकि वजन के दौरान यह 67.8 किलो निकला। पूरी प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
रिकॉर्ड में दर्ज से ज्यादा सोना मिलने पर कई सवाल खड़े हुए।
ऐसे में अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने 1975 में अधिकारियों को दिए गए अदालती आदेश का हवाला दिया जिसमें साफ तौर पर कहा गया था कि शास्त्री तौल के लिए दिया गया पूरा सोना गोल्ड कंट्रोल ऑफिसर को सौंप दिया जाए। उन्होंने कहा कि चूंकि गोल्ड कंट्रोल ऑफिसर का पद मौजूद नहीं है और इसकी जगह सीजीएसटी टीम काम कर रही है, इसलिए सीजीएसटी के अधिकारियों को सोने की डिलीवरी कर दी गई है।
इस बीच 3.2 किलो वजन के सोने के बिस्किट का दस्तावेजों में अलग नंबर था और इसलिए जिला कलेक्टर ने इसे सीजीएसटी टीम को नहीं सौंपा है। बिस्किट पर जहां जी-2560 नंबर था, वहीं दस्तावेजों पर एम-2560 लिखा हुआ था। खंडेलवाल के मुताबिक, 3.2 किलो सोने के लिए कोर्ट में अर्जी दी जाएगी।
9 दिसंबर 1965 को गुणवंत नाम के व्यक्ति ने एक अन्य व्यक्ति गणपत और दो अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर आरोप लगाया कि आरोपी ने उसे 56.86 किलो सोना वापस नहीं किया।
16 दिसंबर 1965 को गणपत ने चित्तौड़गढ़ कलेक्टर को शास्त्री को तौलने के लिए सोना सौंप दिया, जो उदयपुर का दौरा करने वाले थे। हालांकि, तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा आयोजित पाकिस्तान के साथ वार्ता के बाद जनवरी 1966 में शास्त्री का ताशकंद में निधन हो गया। इसके बाद पुलिस ने सोना जब्त कर लिया, लेकिन उसकी कस्टडी चित्तौड़गढ़ कलेक्टर को दे दी गई।
1969 में, उदयपुर में सहायक जिला सत्र न्यायालय में एक चालान पेश किया गया और फिर सोना उदयपुर लाया गया।
11 जनवरी, 1975 को अदालत ने गणपत और हीरालाल को दो साल कैद की सजा सुनाई और सोने पर अधिकार गोल्ड कंट्रोलर को दे दिया गया।
गणपत और हीरालाल ने सत्र न्यायालय में फैसले को चुनौती दी और उन्हें मुक्त कर दिया गया, लेकिन उन्हें सोने पर कब्जा करने का अधिकार वापस नहीं मिला।
उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गुणवंत द्वारा फिर से एक याचिका दायर की गई, जिसने 14 सितंबर, 2007 को बरी करने के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन उन्हें सोने पर अधिकार हस्तांतरित करने की अपील को खारिज कर दिया।
2012 में गणपत के वारिस गोवर्धन ने कोर्ट में रिट दायर कर कहा था कि सोना उसके पिता का है और पुलिस ने उसे बरामद कर लिया है। हालांकि, यह रिट अभी भी लंबित है।
17 जुलाई, 2020 को सहायक आयुक्त, सीजीएसटी, चित्तौड़गढ़ ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सोने की डिलीवरी के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया और 5 अगस्त, 2020 को अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सीजीएसटी अधिकारी को सोना की डिलीवरी के लिए निर्देश जारी किए हैं।
अपराध
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 5 साल से फरार रोहित बलारा को किया गिरफ्तार, पैरोल पर आने के बाद से था फरार

नई दिल्ली, 16 दिसंबर: दिल्ली क्राइम ब्रांच ने पैरोल पर 5 साल से फरार रोहित बलारा को द्वारका से गिरफ्तार किया है। आरोपी को नेब सराय थाना क्षेत्र में 8 वर्षीय नाबालिग लड़के के साथ यौन शोषण के मामले में दोषी ठहराया जा चुका है और वह 2021 से फरार था।
पुलिस के अनुसार, रोहित बलारा को कोविड-19 महामारी के दौरान वर्ष 2021 में 90 दिनों की इमरजेंसी पैरोल दी गई थी, लेकिन पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और फरार हो गया। जेल प्रशासन की तरफ से बार-बार नोटिस जारी किए जाने के बावजूद उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और लगातार फरार चल रहा था।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने इसकी गिरफ्तारी के लिए कई बार इसके घर और अन्य स्थानों पर तलाशी ली, लेकिन वो वहां नहीं मिला। पुलिस के आने की सूचना उसे पहले ही मिल जाती थी और वो फरार हो जाता था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मामला क्राइम ब्रांच को दिया गया। इस टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टर गौतम मलिक ने किया। टीम ने मुखबिर की सूचना और एडवांस्ड मोबाइल सर्विलांस के माध्यम से फरार आरोपी बलारा को द्वारका से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम लगातार छापेमारी कर रही थी। बलारा पुलिस से बचने के लिए लगातार अपने ठिकाने भी बदल रहा था। आखिरकार टीम को पुख्ता सूचना मिली कि रोहित बलारा द्वारका में छिपा हुआ है। सूचना मिलने पर टीम ने इलाके को घेरकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
बता दें कि रोहित बलारा नेब सराय का ही निवासी है और उसने स्थानीय सरकारी स्कूल से सातवीं तक पढ़ाई की है। वर्ष 2019 में लंबी जांच और ट्रायल के बाद उसे दोषी ठहराते हुए साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई थी। गिरफ्तारी के साथ ही वर्षों से फरार आरोपी को भगाने में कई लोग शामिल थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है, जल्द ही उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। रोहित बलारा से पूछताछ भी की जा रही है, जिससे सभी लोगों का नाम जल्द से जल्द सामने आ सके।
राजनीति
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को राहत: कमलनाथ बोले- सत्य की जीत हुई

भोपाल, 16 दिसंबर: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चरित्र पर दाग लगाने की नाकाम कोशिश की गई, लेकिन अंत में सत्य की जीत हुई।
कांग्रेस नेता कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “भारत के सार्वजनिक जीवन में देश के लिए जितना त्याग गांधी-नेहरू परिवार ने किया है, उतना शायद ही किसी परिवार ने किया हो। लेकिन भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही गांधी-नेहरू परिवार का चरित्र हनन करने की कोशिश करती रही है। ऐसा ही मामला नेशनल हेराल्ड को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ बनाया गया था।”
उन्होंने कहा कि अब दिल्ली के राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की शिकायत को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि ईडी की शिकायत स्वीकार योग्य नहीं है और पीएमएलए के तहत भी मामला बनाए रखने योग्य नहीं है। ऐसे में नेशनल हेराल्ड मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता, इसलिए केस खारिज किया गया।
कमलनाथ ने आगे कहा, “मोदी सरकार ने आधारहीन दावे पेश कर झूठे मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चरित्र पर दाग लगाने की नाकाम कोशिश की थी, लेकिन अंत में सत्य की ही जीत हुई। सत्यमेव जयते।”
बता दें कि ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कई अन्य नेताओं पर साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था। एजेंसी ने आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की लगभग 2 हजार करोड़ रुपए की संपत्तियों को अवैध रूप से हासिल किया गया था।
ईडी के अनुसार, गांधी परिवार के पास यंग इंडियन में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जिसने कथित तौर पर 90 करोड़ रुपये के लोन के बदले एजेएल की संपत्तियों पर धोखाधड़ी से कब्जा कर लिया था।
राजनीति
बिहार को विकसित बनाने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक में सात निश्चय-3 को मिली मंजूरी

पटना, 16 दिसंबर: बिहार मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में प्रदेश को विकसित बनाने के लिए सात निश्चय-3 के गठन को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सिर्फ एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बैठक के बाद बताया गया कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव एवं सरकार के गठन के पश्चात “न्याय के साथ विकास” पर आधारित साझा कार्यक्रम के संकल्प को दोहराते हुए आगामी पांच वर्ष (2025-2030) में बिहार को देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के निमित्त सरकार प्रतिबद्ध है।
इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2025 से 2030 तक के लिए सात निश्चय-3 का गठन किया जा रहा है। बताया गया कि सात निश्चय-3 में दोगुना रोजगार – दोगुनी आय, समृद्ध उद्योग-सशक्त बिहार, कृषि में प्रगति- प्रदेश की समृद्धि, उन्नत शिक्षा- उज्जवल भविष्य, सुलभ स्वास्थ्य-सुरक्षित जीवन, मजबूत आधार-आधुनिक विस्तार और सबका सम्मान-जीवन आसान जैसे सात योजनाओं के जरिए शिक्षा, उद्योग और कृषि पर विशेष जोर दिया गया है।
सरकार ने सात निश्चय-3 के तहत बिहार में दोगुना रोजगार, किसानों की दोगुनी आय, उद्योग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए विकसित बिहार का लक्ष्य रखा है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सात निश्चय के जरिए बिहार में विकास की योजनाओं को लागू किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 24 नवंबर 2005 से राज्य में कानून का राज कायम है और बीते 20 वर्षों में सभी वर्गों एवं क्षेत्रों के विकास के लिए निरंतर जुटी है।
इसके तहत सात निश्चय (2015-2020) और सात निश्चय-2 (2020-2025) के तहत तय लक्ष्यों को प्राप्त करने के बाद अब सात निश्चय-3 को लागू करने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार को विकसित बिहार बनाने का वादा किया है। इसके तहत सरकार लगातार काम कर रही है।
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