अपराध
बधिर खेल संघ ने दीपा मलिक पर राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों में पक्षपात का आरोप लगाया
अखिल भारतीय बधिर परिषद (एआईएससीडी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर पूर्व पैरा एथलीट और खेल रत्न विजेता दीपा मलिक पर राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की चयन समिति का सदस्य होते हुए पक्षपात करने का आरोप लगाया है।
एआईएससीडी ने इस बात पर आपत्ति जताई कि 2016 पैरालम्पिक में दो पदक जीतने वाली दीपा को भारतीय पैरालम्पिक समिति (पीसीआई) की अध्यक्ष होने के बाद भी चयन समिति में चुना गया।
परिषद ने 22 अगस्त को लिखे पत्र में कहा है, “अगर कोई शख्स किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ में अधिकारी है या कार्यकारी बोर्ड का हिस्सा है तो उसका राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की चयन समिति में चुना जाना गलत है।”
दीपा ने हालांकि इस बात को खारिज किया और कहा कि वह खेल रत्न विजेता के तौर पर समिति में शामिल थीं न कि पीसीआई की अध्यक्ष के तौर पर।
49 साल की दीपा ने आईएएनएस से कहा, “यह समझना जरूरी है कि मैं समिति में पैरालम्पिक समिति की अध्यक्ष के तौर पर नहीं थी क्योंकि इस समय हमारे संघ को मान्यता प्राप्त नहीं है। मैं समिति में खेल रत्न विजेता दीपा मलिक के तौर पर शामिल हुई थी।”
2016 पैरालम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले ऊंची कूद खिलाड़ी टी. मरियप्पन को इस बार खेल रत्न के लिए चुना गया है। वहीं सुयश नारायण जाधव, संदीप (पैरा एथलीट), मनीष नरवाल (पैरा निशानेबाज) को अर्जुन अवार्ड मिले हैं।
प्रशिक्षकों में, विजय भालचंद्रा मुनिश्वर, गौरव खन्ना को द्रोणाचार्य अवार्ड दिया गया है। ध्यानचंद अवार्ड रंजीत कुमार और सत्यप्रकाश तिवारी को मिला है।
एआईएससीडी ने कहा कि इन सभी के नामों की सिफारिश दीपा ने की होगी जबकि एआईएससीडी द्वारा भेजे गए चार नामों- सुरभी घोष (टेटे) और पृथ्वी शेखर (टेटे) जिनका नाम अर्जुन अवार्ड और सोनू आनंद शर्मा (बैडमिंटन) और एथलेटिक्स कोच सतनाम सिंह को ध्यानचंद और द्रोणाचार्य के लिए नामांकित किया गया था, को नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने कहा, “यह साफ है कि दीपा मलिक ने अपने संघ की तरफ से इन आठ-नौ लोगों के नाम की सिफारिश की हो और चयन प्रक्रिया में भी इन लोगों के नाम को बढ़ाया हो।”
पत्र में लिखा है, “क्या आपको यह सही लगता है कि एक महासंघ के लिए वो अपने लोगों का नामांकन करें और चयन प्रक्रिया में भी उनके नाम को आगे बढ़ाए? अगर ऐसा ही है तो फिर लोकतंत्र क्या है और लोकतंत्र कहां है?”
वहीं दीपा ने कहा कि वह न्यायाधीश (सेवानिवृत) मुकुंदकम शर्मा की अध्यक्षता वाली 12 सदस्यी समिति में अकेली नहीं थीं।
दीपा ने कहा, “पुरस्कार समिति में दीपा मलिक अकेली नहीं थी। इसकी अध्यक्षता एक न्यायाधीश कर रहे थे और मीडिया तथा खेल के क्षेत्र से भी लोग इसमें थे। इसलिए मेरे अकेले का वोट नहीं गिना जाता। अंकों के आधार पर शॉर्टलिस्ट करने का काम खेल मंत्रालय का होता है।”
बधिर समुदाय के साथ पक्षपात की बात को नकारते हुए दीपा ने कहा, “जहां तक पक्षपात की बात है तो मैं एक एनजीओ चलाती हूं जो बधिर समुदाय के लिए काम करता है। मैंने एक बधिर लड़की को विश्व सुंदरी बनने में मदद की है। वह मिस वल्र्ड डेफ बनी थी। इस साल फरवरी में मैंने मिस एंड मिस्टर इंडिया डेफ कार्यक्रम कराया था।”
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दिल्ली: संगम विहार थाने की महिला उप-निरीक्षक रिश्वत लेते गिरफ्तार

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नई दिल्ली, 5 दिसंबर: दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार विरोधी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ के तहत बड़ी कार्रवाई हुई है। विजिलेंस यूनिट ने संगम विहार थाना में तैनात महिला उप-निरीक्षक नमिता को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह अभियान दिल्ली पुलिस आयुक्त सतीश गोल्चा द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार-रोधी अभियान का हिस्सा है।
दिल्ली पुलिस की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 4 दिसंबर को संगम विहार की एक महिला ने विजिलेंस यूनिट से शिकायत की कि उप-निरीक्षक नमिता, जो उसके दर्ज मामले की जांच अधिकारी थीं, ने केस को कमजोर करने की धमकी देते हुए 2 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस यूनिट ने तुरंत कार्रवाई की योजना बनाई। इसके बाद, उसी दिन शाम को सतर्कता इकाई द्वारा संगम विहार थाने में एक ट्रैप ऑपरेशन आयोजित किया गया।
तय समय पर शिकायतकर्ता एसआई नमिता के दफ्तर पहुंची, जहां नमिता ने कथित रूप से रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 15 हजार रुपए की मांग की और उसे अपनी टेबल पर रखी एक फाइल में रखने को कहा। जैसे ही शिकायतकर्ता ने पैसे फाइल में रखे, विजिलेंस टीम ने दफ्तर में प्रवेश किया और एसआई नमिता को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। मौके से 15 हजार रुपए की राशि भी बरामद कर ली गई।
घटना के बाद विजिलेंस पुलिस स्टेशन में एफआईआर संख्या 23/25, धारा 7, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दर्ज की गई है। आरोपी एसआई को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
विजिलेंस यूनिट ने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है। साथ ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे किसी भी पुलिसकर्मी द्वारा रिश्वत मांगने की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। ऐसी शिकायतें विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 1064 पर भी की जा सकती हैं।
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लखनऊ : एसटीएफ ने 80 लाख के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को किया गिरफ्तार, कई राज्यों में करते थे सप्लाई

लखनऊ, 3 दिसंबर: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 80 लाख रुपए के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। दोनों तस्कर अंतर्राज्यीय नेटवर्क से जुड़े हुए थे।
मुखबिर से सूचना मिलने पर स्पेशल टास्क फोर्स ने लखनऊ के गोसाईगंज इलाके में सुल्तानपुर रोड पर स्थित गब्बर ढाबे के पास से एक टाटा सफारी कार में सवार दो तस्करों को पकड़ा। कार की तलाशी लेने पर उसमें 523 ग्राम एमडीएमए (मिथाइलेंडीऑक्सी-मेथाम्फेटामाइन) बरामद किया गया, जो एक प्रतिबंधित मादक पदार्थ है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि उनकी टीम लंबे समय से नशे के तस्करी नेटवर्क पर नजर रखे हुए थी। उन्हें जानकारी मिली थी कि दो तस्कर भारी मात्रा में ड्रग्स लेकर गुजरने वाले हैं। इस पर एसटीएफ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गब्बर ढाबा के पास घेराबंदी की और दोनों तस्करों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार तस्करों की पहचान मोहम्मद मुजीब और मुकेश सिंह के रूप में हुई है। मुजीब लखनऊ के खंदारी बाजार का निवासी है, जबकि मुकेश भदोही के रविदासनगर का रहने वाला है। पूछताछ में इन दोनों ने बताया कि वे एक अंतर्राज्यीय ड्रग तस्करी गिरोह से जुड़े हुए हैं, जो उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई और बिहार तक एमडीएमए की सप्लाई करता था।
मुजीब ने यह भी खुलासा किया कि वह अपने घर पर रसायन मिलाकर एमडीएमए तैयार करता था और उसे यह प्रक्रिया वाराणसी निवासी अभय सिंह ने सिखाई थी। अभय सिंह पहले मुंबई में एमडीएमए के साथ गिरफ्तार हो चुका है और हाल ही में जेल से रिहा हुआ है।
एसटीएफ ने बताया कि पकड़े गए तस्करों ने इस बात का भी खुलासा किया कि वे विभिन्न जिलों और राज्यों में एमडीएमए की सप्लाई कर रहे थे। इस मामले में गोसाईगंज थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इनके गिरोह में कितने लोग शामिल हैं और एमडीएमए किसे सप्लाई करने जा रहे थे, इन सवालों का जवाब भी पता किया जा रहा है।
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मुंबई: रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने सोसायटी की लिफ्ट में की नाबालिग से छेड़छाड़, गिरफ्तार

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मुंबई, 3 दिसंबर: मुंबई के कस्तूरबा मार्ग पुलिस ने 67 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को उसी सोसायटी में रहने वाली नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। लड़की की मां की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की।
आरोपी और पीड़िता दोनों एक ही इमारत में रहते हैं।
पुलिस के अनुसार, घटना मंगलवार शाम लड़की लिफ्ट के पास खड़ी थी, तभी आरोपी वहां पहुंचा। उसने लड़की को लिफ्ट के अंदर खींच लिया और उसके साथ छेड़छाड़ की। डर के कारण बच्ची चुप रही, लेकिन घर पहुंचते ही उसने रोते-बिलखते हुए मां को सारी बात बताई।
परिवार तुरंत बच्ची को लेकर कस्तूरबा मार्ग थाने पहुंचा और लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। मेडिकल जांच के बाद आरोपी को उसके फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया। सबूतों और मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने उसे 12 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया। पुलिस पूछताछ में यह भी पता लगा रही है कि आरोपी ने पहले कभी ऐसी कोई हरकत तो नहीं की।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता के साथ पूरी संवेदनशीलता से पेश आया जा रहा है। दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
लोगों में गुस्सा है और मांग की जा रही है कि ऐसे मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई हो। फिलहाल जांच जारी है। बच्ची का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाएगा और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों का कहना है कि बच्ची के साथ पूरा सहानुभूति के साथ व्यवहार किया जा रहा है और दोषी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह कभी पुलिस की वर्दी में रहा हो, आज कानून सबके लिए बराबर है।
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