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Friday,20-December-2024
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राजनीति

उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती के विकास की बुनियाद बनेंगे गोवंश

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लखनऊ, 19 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि प्रदेश, देश में प्राकृतिक खेती का हब बने। इसके लिए वह हर मुमकिन मंच से इसकी पुरजोर पैरवी करते हैं। वह किसानों को भारतीय कृषि की इस परंपरागत कृषि पद्धति को तकनीक से जोड़कर और समृद्ध करने की बात भी करते हैं। इसके लिए उनकी सरकार किसानों को कई तरह की सुविधाएं भी दे रही है। गंगा के तटवर्ती गांवों और बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती पर सरकार का खासा जोर है।

सरकार की मंशा के अनुरूप प्राकृतिक खेती की तरक्की की बुनियाद गोवंश बनेंगे। निराश्रित गोवंशों की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस खेती के अन्य लाभ होंगे। मसलन, जहरीले रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होने से क्रमशः जन, जमीन और जल की सेहत सुधरेगी। इनके नहीं प्रयोग होने से किसानों की खेती की लागत कम होगी। उत्पाद प्राकृतिक होने से किसानों को अपने उत्पाद के दाम भी अच्छे मिलेंगे।

वैश्विक महामारी कोरोना के बाद पूरी दुनिया स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुई है। हर जगह ऐसे उत्पादों की मांग बढ़ी है। मांग बढ़ने से इनके दाम भी अच्छे मिलेंगे। मालूम हो कि प्रदेश का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। सात वर्षों में यह बढ़कर दोगुना हो गया है। अद्यतन आंकड़ों के अनुसार 2017-2018 में उत्तर प्रदेश का निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये था। 2023-2024 में यह बढ़कर 170 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ने से अन्नदाता खुशहाल होंगे। खास बात यह है कि प्राकृतिक खेती से जो भी सुधार होगा, वह टिकाऊ (सस्टेनेबल), ठोस और स्थायी होगा।

मुख्यमंत्री का गोवंश के प्रति प्रेम जगजाहिर है। वह अपने पहले कार्यकाल से ही गोवंश के संरक्षण पर जोर दे रहे हैं। इस बाबत निराश्रित गोवंश के लिए गोआश्रय खोले गए। प्रति पशु के अनुसार भरण-पोषण के लिए पैसा भी दिया जाता है। चंद रोज पहले पेश किए गए अनुपूरक बजट में भी इस बाबत 1,001 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री की मंशा इन गोआश्रयों को आत्मनिर्भर बनाने की है। ऐसा तभी संभव है, जब इनके गोबर और मूत्र को आर्थिक रूप से उपयोगी बनाया जाए। इसके लिए समय-समय पर सरकार स्किल डेवलपमेंट का भी कार्यक्रम चलाती है। साथ ही मनरेगा के तहत भी पशुपालकों को सस्ते में कैटल शेड, पशु बाड़ा और गोबर गैस लगाने की सहूलियत दी जा रही है। मिनी नंदिनी योजना भी गोवंश के संरक्षण और संवर्धन को ही ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसमें भी योगी सरकार कई तरह के अनुदान दे रही है।

राष्ट्रीय समाचार

भारत में बढ़ा कोयला उत्पादन, निर्यात में आई कमी

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नई दिल्ली, 19 दिसंबर। भारत में कोयला आयात वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच 3.1 प्रतिशत कम होकर 149.39 मिलियन टन (एमटी) हो गया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 154.17 एमटी हो गया है। यह जानकारी गुरुवार को सरकार द्वारा दी गई।

इसके अलावा नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर (पावर के अलावा अन्य) के कोयला आयात में इस साल अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच सालाना आधार पर 8.8 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

विश्व स्तर पर पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार होने के बावजूद, भारत को कुछ प्रकार के कोयले, विशेष रूप से कोकिंग कोयले और उच्च श्रेणी के तापीय कोयले की भारी कमी का सामना करना पड़ता है, जो घरेलू स्रोतों से पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं।

आपूर्ति में यह अंतर इस्पात उत्पादन सहित प्रमुख उद्योगों को बनाए रखने और बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए कोयले के आयात को अनिवार्य बनाता है।

कोयला मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 तक कोयला आधारित बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 3.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन इसी अवधि के दौरान थर्मल पावर प्लांट द्वारा मिश्रण उद्देश्यों के लिए आयात किए गए कोयले में 19.5 प्रतिशत की कमी आई है।

बयान में बताया गया है कि यह गिरावट कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

बिजली क्षेत्र के लिए कोयले के आयात में वृद्धि की वजह आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में कोयले की मांग है। इन संयंत्रों को केवल उच्च श्रेणी के आयातित कोयले का उपयोग करने के लिए डिजाइन किया गया है और इस अवधि के दौरान उनका आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 21.71 एमटी से बढ़कर 30.04 एमटी हो गया, जो 38.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान घरेलू कोयला उत्पादन 6.04 प्रतिशत बढ़कर 537.57 एमटी हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में यह 506.93 एमटी था।

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राजनीति

गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज को एम्स भोपाल और गोरखपुर का मिलेगा साथ

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गोरखपुर, 19 दिसंबर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के निदेशक एवं एम्स गोरखपुर के कार्यवाहक निदेशक प्रो. अजय सिंह ने गुरुवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम गोरखपुर का भ्रमण एवं निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने खास तौर पर गुरु गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज) की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया और उपलब्ध सुविधाओं को उत्कृष्ट बताया। प्रो. अजय सिंह ने कहा कि एम्स भोपाल और गोरखपुर इस मेडिकल कॉलेज के साथ मिलकर पूर्वांचल के मरीजों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे।

एम्स भोपाल के निदेशक महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के परिसर और कार्य संस्कृति को देखकर काफी प्रभावित हुए और मुक्त कंठ से इसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करना नई उपलब्धियों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।

उन्होंने कहा कि एम्स भोपाल और गोरखपुर द्वारा गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज को लाइव आईसीयू सेवाएं दी जाएंगी। गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं को देखकर प्रो. सिंह ने खुशी जताते हुए कहा कि एम्स भोपाल, गोरखपुर और इस मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल के साझा प्रयास से मरीजों को और भी उत्कृष्ट सुविधाएं दी जा सकती हैं।

प्रो. सिंह ने कहा कि आने वाले समय में एम्स भोपाल व गोरखपुर गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज के मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ व विद्यार्थियों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण उपलब्ध कराएंगे। प्रशिक्षण के बाद इसका लाभ सीधे तौर ओर मरीजों को मिलेगा। एम्स निदेशक के निरीक्षण के दौरान महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह ने उन्हें बताया कि लाइव आईसीयू सेवा के लिए मेदांता हॉस्पिटल भी गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज से जुड़ चुका है। इस मेडिकल कालेज में क्रिटिकल मरीजों के उपचार प्रारंभ हैं। साथ ही 24 घंटे सर्जरी इमरजेंसी भी संचालित है।

कुलपति ने बताया कि बीते कुछ दिनों में यहां जटिल कैंसर की दो सर्जरी भी सफलतापूर्वक की जा चुकी है। इसके साथ ही यहां 18 बेड की डायलिसिस यूनिट भी संचालित है। एम्स निदेशक प्रो. सिंह के आगमन पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अरविंद सिंह कुशवाहा और आयुर्वेद कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गिरिधर वेदांतम ने उनका स्वागत किया।

इस अवसर पर नर्सिंग व पैरामेडिकल संकाय की अधिष्ठाता डॉ. डीएस अजीथा, संबद्ध स्वास्थ विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता डॉ. सुनील कुमार सिंह, कृषि विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता डॉ. विमल कुमार दुबे, पैरामेडिकल के विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित कुमार श्रीवास्तव, फार्मेसी विभाग के हेड डॉ. शशिकांत सिंह, कॉमर्स के विभागाध्यक्ष डॉ. तरुण श्याम आदि मौजूद रहे।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

वियतनाम : राजधानी हनोई के एक कैफे में लगी भीषण आग, 11 लोगों की मौत

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हनोई, 19 दिसंबर। वियतनाम की राजधानी हनोई के एक कैफे में कथित तौर पर पेट्रोल बम के कारण आग लगने से 11 लोगों की मौत हो गई। स्थानीय मीडिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

रात करीब 11 बजे बाक तु लीम जिले में फाम वान डोंग स्ट्रीट पर स्थित इमारत में आग लगी।

वीएनएक्सप्रेस के अनुसार, यह कैफे गायन समारोहों के लिए एक लोकप्रिय स्थल है, जो आग की लपटों और धुएं में घिर गया और आग पड़ोसी घर तक फैल गया।

वीएनएक्सप्रेस ने बताया कि पुलिस ने 11 लोगों को मृत पाया और सात अन्य लोगों को बचाया, जिनमें से पांच की हालत स्थिर है और दो लोगों का अस्पताल में इलाज जारी है।

वियतनाम समाचार एजेंसी के हवाले से शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि बाक तु लीम जिले की पुलिस ने पुष्टि की है कि आग के लिए कथित रूप से एक 51 वर्षीय व्यक्ति जिम्मेदार था, जो हनोई के डोंग एनह जिले में रहता था।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है, जिस पर डकैती और चोरी के दो पूर्व मामले दर्ज थे। उसने कबूल किया कि कैफे के कर्मचारियों से बहस के बाद उसने गैसोलीन खरीदा और कैफे की पहली मंजिल पर डाल दिया।

इससे पहले 24 मई को हनोई में एक किराये की इमारत में आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई थी और तीन अन्य घायल हो गए थे।

यह इमारत 100 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई थी, लगभग दो मीटर चौड़ी एक संकरी गली में स्थित थी। जिससे घटनास्थल तक दमकल गाड़ियों का पहुंचना मुश्किल था।

किराये की बहुमंजिला इमारत में प्रत्येक मंजिल पर दो कमरे थे, जिनमें से पहली मंजिल का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक साइकिल की बिक्री और मरम्मत के लिए किया जाता था। शुरुआत में इलेक्ट्रिक साइकिल के शॉर्ट सर्किट को आग लगने का मुख्य कारण बताया गया था। रात के 12 बजकर 30 मिनट पर आग लगी थी। इस साल के पहले चार महीनों में वियतनाम में कुल 1,555 आग और विस्फोट हुए, जिनमें 28 लोग मारे गए और 26 अन्य घायल हो गए।

देश के सामान्य सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, इन हादसों से लगभग 89.8 बिलियन वियतनामी डोंग ($3.5 मिलियन) की संपत्ति का नुकसान हुआ।

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