राजनीति
राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भाजपा का झंडा लगाए जाने पर विवाद
उत्तर प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज के उपर रखे गए भाजपा के झंडे की तस्वीर ने सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर में राज्य में तिरंगे से लिपटे शव को दिखाया गया है। लेकिन इसका आधा हिस्सा पार्टी के झंडे से ढका हुआ दिखाई दे रहा है।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कल्याण सिंह के शरीर पर ढके राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर पार्टी का झंडा रखा।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने इस मुद्दे पर भाजपा की आलोचना की।
उन्होंने ट्वीट किया, “देश से ऊपर पार्टी। तिरंगे के ऊपर झंडा। हमेशा की तरह भाजपा को कोई पछतावा नहीं, कोई पश्चाताप नहीं, कोई गम नहीं, कोई दुख नहीं।”
यूथ कांग्रेस के प्रमुख श्रीनिवास बीवी ने ट्वीट किया, “क्या न्यू इंडिया में भारतीय ध्वज पर पार्टी का झंडा लगाना ठीक है?”
यूथ कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल से एक ट्वीट में कहा गया है, “तिरंगे के ऊपर भाजपा का झंडा! क्या स्वघोषित देशभक्त तिरंगे का सम्मान कर रहे हैं या अपमान कर रहे हैं?”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी सांसद शशि थरूर ने भी इस मुद्दे को उठाने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।
उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति को राष्ट्रगान को गाने के दौरान दिल पर हाथ रखने के लिए चार साल तक अदालती मुकदमा लड़ना पड़ा (बल्कि ध्यान से खड़े होने के बजाय), मुझे लगता है कि राष्ट्र को यह बताया जाना चाहिए कि सत्तारूढ़ दल यह अपमान कैसा महसूस करता है।”
89 वर्षीय कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार की रात निधन हो गया था, उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।
इससे पहले रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि देने लखनऊ गए थे।
यह उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम की धारा 2 के मुताबिक, “जो कोई भी सार्वजनिक स्थान या किसी अन्य स्थान पर राष्ट्रीय ध्वज को सार्वजनिक ²श्य में जलाता है, विकृत करता है, या नष्ट करता है, रौंदता है या अन्यथा अनादर करता है या भारतीय राष्ट्रीय ध्वज या भारत के संविधान या उसके किसी भी भाग की अवमानना (चाहे शब्दों द्वारा, या तो बोले गए या लिखित, या कृत्यों द्वारा) करता है, तो उसे कारावास की सजा से दंडित किया जाएगा और इस सजा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है साथ ही जुर्माने से दंडित या दोनों के साथ किया जाएगा।”
इस साल की शुरूआत में, किसानों की रैली के दौरान प्रतिष्ठित लाल किले पर ध्वज के अनादर का एक उदाहरण हुआ था।
किसानों द्वारा किले के प्रांगण में प्रवेश करने और उसकी प्राचीर पर चढ़ने और बाहर एक मस्तूल पर धार्मिक ध्वज फहराने के बाद, केंद्र ने कहा कि वह ‘झंडे का अनादर बर्दाश्त नहीं करेगा।’
राजनीति
नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली पुलिस का नोटिस चौंकाने वाला : डीके शिवकुमार

बेंगलुरु, 6 दिसंबर: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने नेशनल हेराल्ड मामले में उन्हें जारी किए गए नोटिस को चौंकाने वाला बताया है।
बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए शिवकुमार ने कहा, “यह मेरे लिए चौंकाने वाला है। मैंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सारी डिटेल्स दे दी थीं। ईडी ने मुझे और मेरे भाई को बुलाया था। हमने सारी जानकारी दे दी थी। हमारे इंस्टीट्यूशन में कुछ भी गलत नहीं है; कांग्रेस सदस्य होने के नाते, हमने इसे सपोर्ट किया।”
उन्होंने कहा, “दूसरा, छिपाने के लिए कुछ नहीं है। सब कुछ साफ-साफ है। मुझे नहीं पता कि ईडी के चार्जशीट फाइल करने के बाद भी पुलिस को केस रजिस्टर करने की क्या जरूरत थी। हम इसका सामना करेंगे और कानून की अदालत में लड़ेंगे।”
शिवकुमार ने आगे कहा, “यह सिर्फ परेशान करने के लिए किया जा रहा है। इसमें कुछ नहीं है। यह हमारा पैसा है, और हम जिसे चाहें उसे दे सकते हैं। हम टैक्स देते हैं, और इसमें कुछ भी गैर-कानूनी शामिल नहीं है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) का मामला पुराना है, और चार्जशीट पहले ही फाइल हो चुकी है। और क्या जांच करनी है?”
उन्होंने कहा, “सिर्फ सोनिया गांधी, राहुल गांधी और उनके समर्थकों को परेशान करने के लिए, वे कन्फ्यूजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे कल (शुक्रवार) नोटिस मिला, और यह हैरान करने वाला है। मैं इसे पढ़ रहा हूं, और जब मैं इसे पूरी तरह समझ जाऊंगा, तो जवाब दूंगा। डी.के. सुरेश (शिवकुमार के छोटे भाई और कांग्रेस सांसद) को भी नोटिस मिला है क्योंकि उन्होंने डोनेशन दिया था।”
इस कदम को गलत बताते हुए उन्होंने कहा, “नेशनल हेराल्ड और यंग इंडियन हमारी पार्टी के इंस्टीट्यूशन हैं। हम, कांग्रेस नेताओं ने, जब वे वित्तीय मुश्किल में थे, तो अपने ट्रस्ट के जरिए उन्हें सपोर्ट किया। मेरे जैसे कई नेताओं ने उनकी मदद की है। मैं कानूनी नजरिए से नोटिस की जांच करूंगा। यह हमें परेशान करने के लिए किया जा रहा है, और यह सही नहीं है। मैं इसकी निंदा करता हूं।”
दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने शुक्रवार को नेशनल हेराल्ड मामले में शिवकुमार को नोटिस जारी किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस का मानना है कि शिवकुमार के पास इस मामले से जुड़ी अहम जानकारी है, इसलिए नोटिस जारी किया गया है।
दुर्घटना
पुणे: लोनावाला में लायन्स पॉइंट के पास कंटेनर से हुई घातक टक्कर में गोवा के दो पर्यटकों की मौत

पिंपरी-चिंचवड़: पुणे जिले के लोनावाला स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल लायंस पॉइंट के पास शनिवार सुबह एक चौंकाने वाली घटना में दो लोगों की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब एक कार एक कंटेनर से टकरा गई। मूल रूप से गोवा के रहने वाले दो लोग, जो पर्यटक के तौर पर लोनावाला आए थे, की इस दुर्घटना में मौत हो गई।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मृतकों की पहचान मयूर वेंगुर्लेकर (24, गोवा) और योगेश सुतार (21, गोवा) के रूप में हुई है। वे GA 03 AM 0885 रजिस्ट्रेशन नंबर वाली मारुति सुजुकी स्विफ्ट कार चला रहे थे। लोनावला में लायन्स पॉइंट के पास घाट रोड पर मोड़ लेते समय, उनकी टक्कर MH 14 JL 5525 रजिस्ट्रेशन नंबर वाले एक कंटेनर से हो गई।
योगेश कार चला रहा था जबकि मयूर पीछे वाली सीट पर बैठा था। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई और उनकी कार को भारी नुकसान पहुँचा। कंटेनर चालक भी घायल हुआ है, लेकिन पुलिस के अनुसार उसकी हालत स्थिर है।
शनिवार की सुबह होने के कारण, लोनावाला इलाका पुणे और मुंबई से आए पर्यटकों से भरा हुआ है। पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस दुर्घटना के कारण लायन्स पॉइंट के पास यातायात जाम हो गया। टाइगर्स पॉइंट और लायन्स पॉइंट, लोनावाला इलाके के दो सबसे प्रसिद्ध स्थल हैं। इस पर्यटन केंद्र में आने वाला कोई भी व्यक्ति वहाँ ज़रूर जाता है।
अधिकारी पहुँचे और वाहन व कंटेनर को वहाँ से हटाया। मृतकों के शवों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया है। इस बीच, लोनावाला सिटी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया जा रहा है। पुलिस ने बताया कि कंटेनर चालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राजनीति
मध्य प्रदेश के मुतवल्ली की सुप्रीम कोर्ट में याचिका, ‘उम्मीद’ पोर्टल को दोषपूर्ण बताकर मांगी राहत

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर: मध्य प्रदेश के एक मुतवल्ली ने यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एम्पावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1995 की धारा 3बी के तहत वक्फ रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से अपलोड करने की अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसके मुताबिक केंद्र सरकार का ‘उम्मीद पोर्टल’ तकनीकी तौर पर बेहद कमजोर है और वक्फ संपत्तियों का सही ढंग से पंजीकरण करने में सक्षम नहीं है।
अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि 2025 में अधिसूचित नियमों के आधार पर बनाए गए इस पोर्टल में कई तकनीकी खामियां हैं, जिसके कारण आवश्यक दस्तावेज और सूचनाओं को अपलोड करना लगभग असंभव हो गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार पोर्टल की संरचना कई राज्यों, खासकर मध्य प्रदेश के वक्फ कानून और प्रशासनिक ढांचे के अनुरूप नहीं है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि पोर्टल की लगातार खराबी के चलते वक्फ को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है, जबकि अपलोडिंग की बाध्यता उन पर अनावश्यक दबाव बना रही है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया है कि मौजूदा स्वरूप में उम्मीद पोर्टल को दोषपूर्ण घोषित किया जाए और इसे तब तक लागू न किया जाए जब तक केंद्र सरकार इसकी सभी खामियों को दूर नहीं कर देती।
याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को तकनीकी समस्याओं को ठीक करने या मध्य प्रदेश के सर्वे और गैजेटेड वक्फ के लिए एक अलग अपलोड प्रणाली विकसित करने का निर्देश दिया जाए। जब तक पोर्टल सही तरीके से काम न करने लगे , तब तक गैर-अपलोडिंग के कारण किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।
मध्य प्रदेश में वक्फ रिकॉर्ड अपलोडिंग के लिए मैनुअल या वैध वैकल्पिक तरीके की अनुमति दी जाए और धारा 61 के तहत दंड प्रावधानों पर रोक लगाई जाए। याचिका लंबित रहने तक संबंधित वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड की मौजूदा स्थिति बरकरार रखी जाए।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ विवरण अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग को अस्वीकार कर दिया था। अदालत ने स्पष्ट कहा था कि जिन वक्फों को समय चाहिए, वे अपने क्षेत्राधिकार वाले वक्फ ट्रिब्युनल से व्यक्तिगत रूप से राहत मांग सकते हैं।
अब ‘उम्मीद’ पोर्टल की तकनीकी खामियों के मुद्दे ने पूरे मामले को फिर से चर्चा में ला दिया है। कोर्ट इस पर क्या रुख अपनाएगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
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