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Monday,14-April-2025

राजनीति

कांग्रेस बिहार में महागठबंधन से अलग ‘एकला चलो’ की चुनावी रणनीति बनाने में जुटी

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बिहार में इस साल के अंत में होने वाले संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों के महगठबंधन में जहां हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) समन्वय समिति नहीं बनने से नाराज है, वहीं कांग्रेस भी अब अपनी अलग (एकला चलो) रणनीति बनाने में जुट गई है।

कांग्रेस के नेता हालांकि खुलकर इसे स्वीकार तो नहीं करते हैं, लेकिन यहां के नेताओं की पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हुई वर्चुअल बैठक के बाद बिहार में कांग्रेस सक्रिय हो गई है। वह अब अपने दम पर चुनाव की रणनीति बनाने की ओर बढ़ने लगी है।

पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने बुधवार को यहां चुनाव अभियान समिति के सदस्यों के साथ बैठक कर इस रणनीति पर मुहर भी लगा दी है। इसके अलावा बुधवार की रात गोहिल, अभियान समिति के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह समेत कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं, राजद नेता तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मुलाकात की थी।

कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि पार्टी को उम्मीद थी कि जुलाई के पहले पखवारे में महागठबंधन की संयुक्त बैठक में चुनावी मुद्दों पर चर्चा होगी। हालांकि, अब तक प्रमुख सहयोगी दल राजद की ओर से न तो कांग्रेस को बैठक के संबंध में कोई इशारा किया गया है न ही निकट भविष्य में बैठक की कोई आधिकारिक जानकारी दी गई है। राजद के इस रवैये से अधिकांश कांग्रेसी नाखुश हैं।

कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि लोकसभा चुनाव में भी सीट बंटवारे में हुई देरी को लेकर जो स्थिति उत्पन्न हुई थी, अब कांग्रेस इस चुनाव में फिर से वैसी स्थिति नहीं चाहती है। कांग्रेस सहयोगियों के साथ बैठककर सभी मुद्दों पर सहमति बना लेना चाहती है।

सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में भी कांग्रेस के नेताओं में राजद को लेकर नाराजगी दिखी है। कांग्रेस के ज्यादातर सदस्यों ने चुनाव के वक्त राजद की ओर से सीट बंटवारे में धोखा देने का आरोप लगाया है।

इधर, कांग्रेस के नेता हालांकि सीधे ऐसी किसी बात को स्वीकार करने से परहेज कर रहे हैं।

चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन अखिलेश सिंह कहते हैं कि सभी पार्टियां अपनी रणनीति बना रही है, कांग्रेस भी चुनावी रणनीति में बनाने में जुटी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि रणनीति बताने के लिए नहीं बनाई जा रही है, यह अंदरूनी बातें हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन एकजुट है और एक पखवाड्े में सब कुछ तय कर लिया जाएगा, इसमें कहीं कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए।

इधर, चुनाव अभियान समिति के सदस्य और बिहार प्रदेश युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार कहते हैं, “कांग्रेस बिहार में सत्ताधारी पार्टी को हटाने के लिए संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने के पक्ष में है। कांग्रेस में लोकतंत्र है और सभी लोग अपनी बातें रख रहे हैं। पूर्व अध्यक्ष राहल गांधी के साथ हुई बैठक में भी सभी लोगों ने अपनी बात रखी है।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के युवा आलाकमान के निर्देश के बाद वे तैयारी प्रारंभ कर चुके हैं।

अपराध

सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

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मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।

मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।

मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

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महाराष्ट्र

कांग्रेस शासनकाल में ब्लैकआउट आम बात थी, अब ऐसा नहीं : पीएम मोदी

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यमुनानगर, 14 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हरियाणा के यमुनानगर में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आज जब देश ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब हमें कांग्रेस के शासनकाल के वे दिन नहीं भूलने चाहिए जब पूरे देश में ब्लैकआउट आम बात थी।

पीएम मोदी ने कहा, “हमें कांग्रेस के दिनों को भी भूलना नहीं चाहिए। हमने 2014 से पहले जब कांग्रेस की सरकार थी, तो हम वो दिन भी देखे हैं जब पूरे देश में ब्लैकआउट होते थे, बिजली गुल हो जाती थी। अगर कांग्रेस की सरकार रहती, तो देश को आज भी ऐसे ही ब्लैकआउट से गुजरना पड़ता। न कारखाने चल पाते, न रेल चल पाती, न खेतों में पानी पहुंच पाता, यानी कांग्रेस की सरकार रहती, तो ऐसे ही संकट बने रहते।”

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर प्रोजेक्ट की तीसरी इकाई की शुरुआत की, जिससे यमुनानगर और आस-पास के औद्योगिक क्षेत्रों को विशेष लाभ मिलने की उम्मीद है।

इस पावर प्लांट की खासियत बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हरियाणा में इस समय 16,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है और आने वाले वर्षों में इसे 24,000 मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी कहा कि बिजली उत्पादन के साथ-साथ हम देश के नागरिकों को ‘पावर जनरेटर’ बना रहे हैं। इस दिशा में “पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना” की शुरुआत की गई है, जिसके तहत लोग अपनी छतों पर सोलर पैनल लगाकर न केवल अपना बिजली बिल शून्य कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली बेचकर आमदनी भी कर सकते हैं। अब तक देश के 1.25 करोड़ से अधिक लोग इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं और हरियाणा के लाखों नागरिक भी इससे जुड़ चुके हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि इस योजना से एक नया इकोसिस्टम तैयार हो रहा है जिसमें नई स्किल्स, कंपनियों के लिए अवसर और युवाओं के लिए रोजगार के रास्ते खुल रहे हैं। उन्होंने कहा कि छोटे शहरों और गांवों में छोटे उद्योगों को ऊर्जा की आपूर्ति के साथ-साथ सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि उनके पास पूंजी की भी कोई कमी न हो। कोरोना काल के दौरान एमएसएमई को बचाने के लिए सरकार ने लाखों करोड़ों रुपए की सहायता दी। उन्होंने बताया कि छोटे उद्योगों के विकास के लिए एमएसएमई की परिभाषा भी बदली गई ताकि जैसे-जैसे वे आगे बढ़ें, सरकारी सहयोग बना रहे।

प्रधानमंत्री ने मुद्रा योजना की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया और बताया कि पिछले दस वर्षों में इस योजना के तहत बिना किसी गारंटी के 33 लाख करोड़ रुपए के ऋण दिए जा चुके हैं। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों से हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश यही है कि छोटे उद्योग देश के युवाओं के बड़े सपनों को पूरा करने का माध्यम बनें। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि औद्योगिक और ऊर्जा क्षेत्र में सरकार के ये प्रयास आत्मनिर्भर भारत की नींव को और मजबूत बना रहे हैं।

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राजनीति

मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में मदरसों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर रजवी ने उठाए सवाल

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बरेली, 14 अप्रैल। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के मदरसों के खिलाफ राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे अभियान पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कृत्य इंसाफ का गला घोंटना है।

शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने सोमवार को अपने जारी एक बयान में कहा कि संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपनी संस्थाएं खोलने, संचालन करने, शिक्षा देने के लिए खुली इजाजत दी है। अब ऐसी सूरत में मध्य प्रदेश के मदरसे पर बुलडोजर चलाना, उत्तराखंड सरकार का मदरसों को बंद करना संविधान के विरुद्ध कदम है। हुकूमत का कोई हक नहीं बनता कि वह मदरसों में बुलडोजर चलाए या उन्हें बंद करें। यह कदम इंसाफ का गला घोंटने वाला है। यह वही मदरसे हैं जिन्होंने 1857 से लेकर 1947 तक की जंगों में आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मौलाना ने उत्तराखंड सरकार से कहा है कि हल्द्वानी स्थित सील किए गए 13 मदरसों को फौरी तौर पर खोला जाए, अगर इन मदरसों में कागजात की कमी या बेहतर अंदाज में शिक्षा नहीं हो रही है, तो उसे दुरुस्त कराया जा सकता है, मगर मदरसों को बंद करने का आदेश देना सरासर इंसाफ का गला घोटना है।

मौलाना ने प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जिन मदरसों को बगैर पंजीकरण के संचालन का आरोपी बनाया गया है, वे पहले से ही सोसाइटी एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत हैं, अब रह गई बात मान्यता की तो मान्यता देने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है, और जिला प्रशासन मदरसों की मान्यता में लापरवाही से काम करता है। करप्शन के चक्कर और मोटी रकम मांगने की वजह से मदरसों के संचालक मजबूत पैरवी नहीं कर पाते हैं।

मौलाना ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार अगर इसी तरह अल्पसंख्यकों की संस्थाओं के खिलाफ कार्य करती रहेगी, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए नारे ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ पर भरोसा कायम करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

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