राष्ट्रीय
सीआईआई की पंजाब सरकार और किसानों से गतिरोध खत्म करने की अपील
औद्योगिक निकाय भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने मंगलवार को सरकार और किसान समूहों से केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में मौजूदा गतिरोध का हल खोजने का आह्वान किया। औद्योगिक निकाय ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों की ओर से जारी आंदोलन के कारण आर्थिक गतिविधियों पर पड़ रहे नकारात्मक असर और रेल नाकेबंदी के मद्देनजर राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर को देखते हुए चिंता व्यक्त की है।
सीआईआई ने केंद्र और राज्य के साथ ही किसानों को एक साथ आने और इस संकट को समाप्त करने के लिए एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की जरूरत पर जोर दिया।
ऐसा अनुमान है कि राज्य में उद्योगों को पहले से ही कोविड-19 के कारण पड़ने वाले प्रभावों के कारण हजारों-करोड़ों रुपयों का नुकसान झेलना पड़ा है। कोरोना संक्रमण के कारण ट्रेन सेवाएं लगभग 50 दिनों तक निलंबित रहने से पहले से ही राज्य के हालात अच्छे नहीं थे और अब आंदोलन के कारण भी पंजाब के आर्थिक हालात बिगड़े हैं।
पंजाब के उद्योग और वाणिज्य मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा का हवाला देते हुए, सीआईआई ने कहा कि अकेले लुधियाना और जालंधर में उद्योगों को 22,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
वहीं 13,500 से अधिक कंटेनर लुधियाना के पास ढंडारी में अटके हुए हैं और उन्हें देश के अन्य हिस्सों में नहीं भेजा जा सका है।
राज्य के कृषि विभाग के अनुसार, मंडियों में धान की फसल के उठान पर भी विपरीत असर पड़ा है और दिल्ली व राजपुरा में 60,000 बोरी का परिवहन नहीं हो सका है।
उद्योग को बड़ा नुकसान हो रहा है, क्योंकि रांची और पंजाब के बीच लगभग 13,000 वाणिज्यिक कंटेनर फंसे हुए हैं।
सीआईआई पंजाब स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष राहुल आहूजा ने कहा, “हम समझते हैं कि किसानों को कृषि कानूनों को लेकर कुछ संदेह हो सकता है। हालांकि इस आंदोलन से अब न केवल बड़े व्यवसायों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे स्थानीय उद्योग, श्रमिक, लॉजिस्टिक प्रदाता और छोटे किराना स्टोर, जो आपूर्ति प्राप्त करने में असमर्थ हैं, वह भी प्रभावित हो रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि जितने अधिक समय तक यह नाकाबंदी जारी रहेगी, इसका उतना ही अधिक नुकसान पंजाब को झेलना होगा।
वहीं सीआईआई पंजाब के उपाध्यक्ष भवदीप सरदाना ने भी इस मुद्दे का हल निकाले जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कच्चे माल और आधे तैयार माल की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट ने बाजार में कार्यशील पूंजी (वर्किं ग कैपिटल) और नकदी पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
केंद्र सरकार और किसानों के बीच 13 नवंबर को दिल्ली में हुई वार्ता में इस मुद्दे का कोई हल नहीं निकल सका।
अब 21 नवंबर को केंद्र सरकार के साथ एक और बैठक से पहले किसान यूनियनें चंडीगढ़ में आंतरिक चर्चा कर रही हैं।
महोत्सव
स्वतंत्रता दिवस 2024: थीम, इतिहास, महत्व और समारोह के बारे में अधिक जानें।
भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति के सत्तर से अधिक वर्षों का प्रतीक है। राष्ट्रीय गौरव और गहरी देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों के बहादुर कार्यों और स्वायत्तता और विकास की दिशा में राष्ट्र की प्रगति को श्रद्धांजलि देता है। यह लेख 2024 में भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समारोहों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
क्या यह स्वतंत्रता दिवस की 77वीं या 78वीं वर्षगांठ है?
2024 में 78वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक होगा। भले ही यह स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से 77वाँ वर्ष है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से यह दिन 78 बार मनाया जा चुका है। जानकारी का यह दोहरा स्रोत भ्रम पैदा कर सकता है, फिर भी प्रत्येक आंकड़ा अपने संदर्भ में सही है।
4 जुलाई 2024 की थीम
इस वर्ष की थीम, “विकसित भारत” या “विकसित भारत”, 2047 तक भारत को एक विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र में बदलने के लक्ष्य को दर्शाती है, जो इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ है।
इतिहास में स्वतंत्रता दिवस का महत्व
इस विशेष दिन पर, भारत ने लगभग दो सौ वर्षों के औपनिवेशिक शासन के बाद ब्रिटिश नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त की। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व को समाप्त करने में मदद की और परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ।
स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण कार्यक्रम
प्रधानमंत्री का भाषण: 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से राष्ट्र के नाम भाषण देंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस पर, हम उन कई लोगों को याद करते हैं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
नागरिक और सांस्कृतिक जुड़ाव: परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन और देशभक्तिपूर्ण शैक्षिक पहल देशभक्ति गतिविधियों के उदाहरण हैं।
ध्वजारोहण: सरकारी भवनों और स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
राष्ट्रीय
शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव
भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव रहा।
हरे निशान में खुलने के बाद सेंसेक्स एक समय 337.63 अंक यानि 0.47 प्रतिशत टूटकर 71.674.42 अंक तक तक लुढ़क गया था। हालाँकि बाद में वापसी करते हुए 124.73 अंक की तेजी के साथ 72,136.78 अंक पर पहुँच गया।
निफ्टी भी 107.25 अंक टूटकर एक समय 21,710.20 अंक तक उतर गया था। लेकिन दोपहर होते-होते यह 39.50 अंक की बढ़त से साथ 21,852.80 अंक तक चढ़ गया।
निफ्टी50 में एशर मोटर के शेयर चार प्रतिशत और मारुति सुजुकी के तीन प्रतिशत की बढ़त में थे। वहीं, टाटा कंज्यूमर और टाटा मोटर्स में करीब ढाई-ढाई फीसदी की गिरावट रही।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों पर निर्णय बुधवार को जारी करेगी। इससे अमेरिकी बाजार में रुझान तय होगा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि फेडरल रिजर्व इस साल दर में कटौती के धीमे रुख का संकेत दे सकता है। इस चिंता के कारण बुधवार को एशियाई शेयरों में नरमी रही।
राष्ट्रीय
सेंसेक्स 600 अंक टूटा, एफएमसीजी शेयर हुए धड़ाम
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) स्टॉक मंगलवार को सेक्टोरल इंडेक्स में 1.9 फीसदी की गिरावट के साथ कमजोर कारोबार कर रहे हैं। एफएमसीजी इंडेक्स टॉप सेक्टर लूजर्स में से एक है। नेस्ले में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
कोलगेट पामोलिव करीब 4 फीसदी नीचे है। होनासा कंज्यूमर 3.7 फीसदी, टाटा कंज्यूमर 3.4 फीसदी, पतंजलि फूड्स 3.2 फीसदी, यूनाइटेड ब्रुअरीज 3 फीसदी, गोदरेज कंज्यूमर 2 फीसदी से ज्यादा और ब्रिटानिया 2 फीसदी से ज्यादा नीचे है।
बिकवाली के कारण बीएसई सेंसेक्स 600 अंक से अधिक नीचे है। ज्यादातर सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर में मांग सुस्त है।
रिटेल डेटा पर नज़र रखने वाली नील्सन ने इस सेक्टर के लिए 4.5-6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, अल-नीनो का प्रभाव मई तक रहने के कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि कम रहेगी जिससे खपत में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है।
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